लुधियाना की ताजपुर रोड स्थित नई सेंट्रल जेल, बोरस्टल जेल को पहली बार राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के छात्रों के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया है, जिससे कैदियों को 22 अक्टूबर से 29 नवंबर तक जेल परिसर में ही कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने की अनुमति मिल गई है। इससे पहले, कैदियों को अक्सर असुविधा और कलंक का सामना करते हुए अन्य केंद्रों पर जाना पड़ता था। बोरस्टल जेल के फ्लाइंग स्क्वायड ऑब्जर्वर प्रदीप कुमार, जो सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पीएयू के प्रिंसिपल भी हैं, ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह पहल कैदियों के लिए पुनर्वास शिक्षा प्रदान करने में मददगार साबित होगी, जिससे उन्हें समाज में बेहतर तरीके से एकीकृत होने में मदद मिलेगी। यह कैदियों को सम्मान प्रदान करता है और उनकी पहचान छिपी रहती है। यहां परीक्षा का माहौल किसी भी अन्य केंद्र जैसा ही है, जो कैदियों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जेल में बंद कैदी इस प्रगति के बावजूद, जेल में शिक्षकों की भारी कमी शैक्षणिक प्रयासों में बाधा बन रही है। स्टाफ की कमी को दूर न किए जाने से जेल में कैदियों को अच्छी शिक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है, जिससे उनका जीवन बदल सके। जानकारी के अनुसार, 12 शिक्षकों के पदों में से सभी रिक्त हैं। डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मनप्रीत सिंह ने बताया कि पिछले छह महीने से पद रिक्त हैं। सिंह ने बताया कि पिछले दो डिप्टी टीचर भी कुछ महीने पहले ही रिलीव हुए हैं। फिलहाल हम ऑनलाइन पढ़ाई या स्वेच्छा से पढ़ाने वाले जेल स्टाफ सदस्यों पर निर्भर हैं। अगर शिक्षकों के पद भरे जाते हैं, तो कैदियों को नियमित शिक्षकों से काफी लाभ होगा। जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) डिंपल मदान ने आश्वासन दिया कि सुविधा केंद्र में एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है, लेकिन दूरी और पूरे स्कूल समय जेल में रहना कई शिक्षकों के लिए मुश्किल है। इसके अलावा, पहले से ही कई स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी है, जिससे वे स्कूल भी काफी प्रभावित हैं। फिर भी मैं यहां 2-3 और शिक्षकों की नियुक्ति करने का प्रयास करूंगा। लुधियाना की ताजपुर रोड स्थित नई सेंट्रल जेल, बोरस्टल जेल को पहली बार राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के छात्रों के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया है, जिससे कैदियों को 22 अक्टूबर से 29 नवंबर तक जेल परिसर में ही कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने की अनुमति मिल गई है। इससे पहले, कैदियों को अक्सर असुविधा और कलंक का सामना करते हुए अन्य केंद्रों पर जाना पड़ता था। बोरस्टल जेल के फ्लाइंग स्क्वायड ऑब्जर्वर प्रदीप कुमार, जो सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पीएयू के प्रिंसिपल भी हैं, ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह पहल कैदियों के लिए पुनर्वास शिक्षा प्रदान करने में मददगार साबित होगी, जिससे उन्हें समाज में बेहतर तरीके से एकीकृत होने में मदद मिलेगी। यह कैदियों को सम्मान प्रदान करता है और उनकी पहचान छिपी रहती है। यहां परीक्षा का माहौल किसी भी अन्य केंद्र जैसा ही है, जो कैदियों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जेल में बंद कैदी इस प्रगति के बावजूद, जेल में शिक्षकों की भारी कमी शैक्षणिक प्रयासों में बाधा बन रही है। स्टाफ की कमी को दूर न किए जाने से जेल में कैदियों को अच्छी शिक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है, जिससे उनका जीवन बदल सके। जानकारी के अनुसार, 12 शिक्षकों के पदों में से सभी रिक्त हैं। डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मनप्रीत सिंह ने बताया कि पिछले छह महीने से पद रिक्त हैं। सिंह ने बताया कि पिछले दो डिप्टी टीचर भी कुछ महीने पहले ही रिलीव हुए हैं। फिलहाल हम ऑनलाइन पढ़ाई या स्वेच्छा से पढ़ाने वाले जेल स्टाफ सदस्यों पर निर्भर हैं। अगर शिक्षकों के पद भरे जाते हैं, तो कैदियों को नियमित शिक्षकों से काफी लाभ होगा। जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) डिंपल मदान ने आश्वासन दिया कि सुविधा केंद्र में एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है, लेकिन दूरी और पूरे स्कूल समय जेल में रहना कई शिक्षकों के लिए मुश्किल है। इसके अलावा, पहले से ही कई स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी है, जिससे वे स्कूल भी काफी प्रभावित हैं। फिर भी मैं यहां 2-3 और शिक्षकों की नियुक्ति करने का प्रयास करूंगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
बटाला में शैलर मालिकों ने भंडारण का किया बहिष्कार:प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा मांग पत्र, हरियाणा की तर्ज पर सुविधा देने की मांग
बटाला में शैलर मालिकों ने भंडारण का किया बहिष्कार:प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा मांग पत्र, हरियाणा की तर्ज पर सुविधा देने की मांग पंजाब के बठिंडा में शैलर उद्योग की समस्याओं व मांगों को लेकर राइस मिलर्स एसोसिएशन मौड़ के अध्यक्ष विजय कुमार घुम्मण के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारियों को मांग पत्र दिया गया। दिए गए मांग पत्र में यूनियन सदस्यों ने कहा कि शैलर उद्योग इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है। पिछले सीजन में कोई भी सरकारी अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं था। संगठन के विजय कुमार, मखन मंगला और गुरमीत भुल्लर का कहना है कि पिछले तीन महीनों से वह लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि शैलर में तैयार हुए माल की लिफ्टिंग करवाई जाए, परंतु प्रशासन द्वारा उनकी मांगों की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि, मोर मंडी के शैलरों के सभी गोदाम भरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी और उनकी मांगों के अनुरूप कोई समझौता नहीं किया जाएगा तथा हरियाणा की तर्ज पर राइस मिल मालिकों को सुविधा नहीं दी जाती वें खाद्यान्न खरीद पोर्टल पर कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराएंगे और अपलोड नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अगले सीजन के लिए उपयुक्त स्थान की व्यवस्था करवाने के लिए शैलर में पड़े माल की लिफ्टिंग करवाई जाए। पिछले साल चावल की लिफ्टिंग न होने के कारण राइस मिलों में स्पेस नहीं थी, इसीलए उन्हें पेड़ी को हरियाणा ले जाना पड़ा। ट्रांसपोर्टर का खर्चा भी राइस मिल मालिकों को उठना पड़ा। जिस कारण राइस मिल मालिकों को लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। उन्होंने ऐलान किया है कि इस बार धान का भंडारण नहीं करेंगे।
अबोहर में चोर की अस्पताल में मौत:लोगों ने खंभे से बांधा, चोरी के प्रयास में पकड़ा, पुलिस स्टेशन पहुंचते ही बिगड़ी तबीयत
अबोहर में चोर की अस्पताल में मौत:लोगों ने खंभे से बांधा, चोरी के प्रयास में पकड़ा, पुलिस स्टेशन पहुंचते ही बिगड़ी तबीयत अबोहर के प्रेम नगर में बुधवार की सुबह चोरी का प्रयास करते हुए लोगों द्वारा पकडे़ गए चोर की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हाे गई। पुलिस ने शव को क्बजे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया है। आपको बता दें कि, बुधवार की सुबह प्रेमनगर में एक चोर को घरों में चोरी की नीयत से घुसते हुए पकड़ लिया गया था। बाद में क्षेत्र के लोग एकत्र हो गए थे, जिन्होंने चोर को बिजली के खंभे से बांधकर पुलिस को सूचित कर दिया गया। पुलिस आरोपी को थाने ले गई थी। बताया जाता है कि थाने में आरोपी की हालत बिगड़ गई तो उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जानकारी के अनुसार जम्मू बस्ती निवासी संता राम पुत्र पिरथी राम के भतीजे जगबीर ने बताया कि कुछ समय पहले ही उन्हें पुलिस ने सूचित किया कि संता राम को प्रेम नगर में लोगों के घरों में घुसते हुए पाया गया था जिसके बाद उसे खंभे से बांध रखा था। संता राम को ई रिक्शा से थाने लाया गया, जहां कुछ समय बाद ही उसकी हालत बिगडने लगी, जिस पर संताराम को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संताराम को मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा मौत का कारण जगबीर ने बताया कि संताराम नशा करने का आदी था, पहले वह टेलर का काम करता था। इस बारे में थाना नंबर 1 के प्रभारी नवप्रीत से बात करने पर उन्होंने बताया कि पुलिस संताराम को चोरी के आरोप में थाने लाई थी। उसके शरीर पर किसी प्रकार की चोटों के निशान नहीं थे, लेकिन थाने आने पर उसकी हालत खराब हो गई, जिस पर उसे अस्पताल भर्ती करवाया गया, जहां उसे मृत करार दे दिया गया। अब परिजनों के बयानों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा सरकारी अस्पताल के डाक्टर स्वपनिल ने बताया कि उक्त व्यक्ति को बेसुधी हालत में अस्पताल में लाया गया। जांच की गई तो उसकी मौत हो चुकी थी। मौत किस कारण से हुई उसका पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र:पंजाब के सांसद 25 जून को लेंगे शपथ; अमृतपाल का नाम भी लिस्ट में, लेकिन नहीं पहुंच पाएंगे
18वीं लोकसभा का पहला सत्र:पंजाब के सांसद 25 जून को लेंगे शपथ; अमृतपाल का नाम भी लिस्ट में, लेकिन नहीं पहुंच पाएंगे 18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज से शुरू होने जा रहा है। इसकी शुरुआत 540 सांसदों को शपथ दिलाने से होगी। पंजाब के सांसदों को मंगलवार 25 जून को शपथ का समय दिया गया है। जिसमें जेल से चुनाव लड़ने और जीतने वाले अमृतपाल सिंह समेत सभी 13 सांसदों के नाम हैं। लेकिन अमृतपाल सिंह इस दौरान न तो संसद पहुंच पाएंगे और न ही शपथ ले पाएंगे। अमृतपाल सिंह की बात करें तो वे मार्च 2023 से एनएसए के तहत असम के डिब्रूगढ़ की जेल में हैं। एनएसए एक ऐसा कानून है जो सरकार को बिना किसी औपचारिक आरोप के 12 महीने तक व्यक्तियों को हिरासत में रखने की अनुमति देता है। लेकिन अमृतपाल सिंह को अब एक साल से ज्यादा हो गया है और पंजाब सरकार ने उनकी NSA को दूसरी बार बढ़ा दिया है। ऐसे में स्पष्ट है कि संसद कार्यालय की तरफ से भेजे गए 25 जून के समय में अमृतपाल ना जेल से बाहर आ पाएगा और ना ही शपथ ले पाएगा। शपथ के लिए नहीं आ पाएंगे अमृतपाल अमृतपाल सिंह के वकील एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा ने बताया कि संसद कार्यालय की तरफ से हर नए चुने गए सांसद को शपथ के लिए समय दिया जाता है। 25 जून को पंजाब के सभी सांसदों को समय दिया गया है। कार्यालय सभी सांसदों को फोन पर भी समय की जानकारी देता है, जो अमृतपाल सिंह की तरफ से दर्ज करवाए गए फोन नंबर भी की गई। लेकिन उन्हें जानकारी दे दी गई है कि अमृतपाल सिंह जेल में है। जिसके बाद अमृतपाल सिंह अभी जेल से शपथ के लिए नहीं आ पाएंगे। शपथ के लिए होंगे ऑर्डर एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा ने बताया कि अमृतपाल सिंह की बेल के लिए एप्लिकेशन डीसी कार्यालय और पंजाब सरकार के गृह विभाग के पास पहले ही दी जा चुकी है। अब जब अमृतपाल सिंह के नाम के जब भी ऑर्डर निकलेंगे, उन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल से बाहर लाकर सांसद ले जाया जाएगा। जहां उन्हें शपथ दिलाई जाएगी। संसद का हर कदम है कठिन अमृतपाल को संविधानिक तौर पर सांसद बनने के लिए सबसे पहले शपथ लेना जरूरी है। चुनावी जीत का मतलब है कि जेल में रहने के बावजूद अब अमृतपाल के पास सांसद के रूप में संवैधानिक जनादेश है। जेल में बंद चुने गए सांसद के शपथ लेने को लेकर संविधान में कोई अलग से फैसला नहीं लिया गया। लेकिन, पुराने उदाहरणों पर नजर दौएं तो कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जेल में बंद होने पर शपथ लेने के लिए अस्थायी पैरोल ली। संजय सिंह को मिली थी एक दिन की छूट इसी साल मार्च में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, जो उस समय मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में तिहाड़ में कैद थे, को एक अदालत ने दूसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने की अनुमति दी थी। ट्रायल कोर्ट ने जेल सुपरिंटेंडेंट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसे पर्याप्त सुरक्षा के साथ संसद तक ले जाया जाए और वापस जेल में लाया जाए। 2021 में, असम के सिबसागर से जीतने के बाद एक NIA अदालत ने अखिल गोगोई को असम विधान सभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए अस्थायी रूप से जेल छोड़ने की अनुमति दी थी। जॉर्ज फर्नांडिस हुए थे जेल से रिहा एक मामले में जेल से सबसे प्रसिद्ध चुनावी जीत 1977 में हुई थी। आपातकाल के दौरान जेल में रहते हुए ट्रेड यूनियनवादी जॉर्ज फर्नांडीस मुजफ्फरपुर सीट से चुने गए थे। शपथ समारोह से पहले उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था। हर कदम पर अनुमति लेनी होगी जेल में सांसद को शपथ लेने की अनुमति देना जमानत पर रिहा होने के समान नहीं है। यह एक दिन की विशेष पैरोल के समान है। संसद में हर कदम पर जेल में बंद सांसद को अलग-अलग जगहों से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं, अगर वे संसद से गैरमौजूद रहना चाहते हैं तो उसके लिए भी स्पीकर को लिखना होगा। यह बहुत जरूरी है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 101(4) में कहा गया है कि यदि कोई सांसद बिना अनुमति के सभी बैठकों से 60 दिनों से अधिक समय तक गैरमौजूद रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा। सत्र में भाग लेने के लिए भी लेनी होगी अनुमति संसद सत्र में भाग लेने या संसद में वोट डालने के लिए सांसद को अनुमति के लिए अदालत का रुख करना होगा। वहीं, अगर इस कार्यकाल के दौरान किसी भी मामले में उसे दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसे अयोग्य करार कर दिया जाएगा। एडवोकेट गोरसी का कहना है कि अब जब वे भारी बहुमत से सांसद बने हैं तो सभी को लोगों के मैंडेट का स्वागत करना चाहिए। 12 मामले हैं अमृतपाल पर सरकार चुनावों के परिणाम देखते हुए अगर NSA हटा देती है तो भी अमृतपाल सिंह को अदालतों के फेर में फंसे रहना पड़ेगा। अमृतपाल सिंह पर अजनाला थाने पर अवैध हथियारों के साथ हमला करने सहित 12 मामले विभिन्न थानों में दर्ज है। इतना ही नहीं, एक मामला उस पर असम के थाने में भी दर्ज है। जिसमें उससे पुलिस ने सर्च के दौरान डिब्रूगढ़ जेल से इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बरामद किए थे।