वक्फ एक्ट में संशोधन का यूपी पर पड़ेगा बड़ा असर:मुरादाबाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक 10 हजार संपत्ति, शिया की लखनऊ में

वक्फ एक्ट में संशोधन का यूपी पर पड़ेगा बड़ा असर:मुरादाबाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक 10 हजार संपत्ति, शिया की लखनऊ में

‘क्या ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर देना चाहिए?’ ये सवाल जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने उठाया। कोर्ट बुरहानपुर में मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को लेकर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा- अगर कोई इमारत प्राचीन स्मारक घोषित है तो उसे वक्फ की संपत्ति बताना बेमानी है। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा में वक्फ बिल पेश करने वाली है। इस एक्ट पर बहस छिड़ी हुई है। अगर सरकार एक्ट में संशोधन करती है तो सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। क्योंकि यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां और इससे जुड़े विवाद हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर पड़ताल की। यूपी में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की कुल 2.32 लाख संपत्तियां हैं। इनमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 10,386 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की मुरादाबाद में 3603 संपत्तियां हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि यूपी में वक्फ की क्या स्थिति है? इसका क्या असर पड़ेगा? आखिर क्या है वक्फ एक्ट?‌ कब बना? कब संशोधन हुआ और अब क्या नया होने की उम्मीद है। पढ़िए… सबसे पहले जानते हैं कि वक्फ क्या है?
वक्फ अरबी भाषा के वकु़फ़ा शब्द से बना है। इसका अर्थ है- रोकना या पकड़ना या बांधना। वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की ओर से वक्फ की गई संपत्तियों, धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमों का पालन करने के लिए बनाया गया कानून है। रिटायर्ड जस्टिस बीडी नकवी बताते हैं- वक्फ एक ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट का मालिक अल्लाह होता है। जो संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है, वह संपत्ति ट्रांसफर नहीं की जा सकती। संपत्ति चल या अचल दोनों रूप में हो सकती है। जिस तरह मंदिर की संपत्ति का मालिक भगवान होता है। उसी तरह वक्फ की संपत्ति का मालिक अल्लाह होता है। वक्फ दो तरह के होते हैं। एक वक्फ अलल औलाद और दूसरा वक्फ अलल खैर। वक्फ अलल औलाद में संपत्ति आने वाली पीढ़ी को दी जाती है। पीढ़ी का कोई भी सदस्य उसे बेच नहीं सकता है। संपत्ति का एक हिस्सा चैरिटी के लिए होता है। एक वक्फ के पास एक से अधिक संपत्ति हो सकती है। इन संपत्तियों का उपयोग व्यवसाय और मदरसों के लिए किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड का क्या काम है?
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी बताते हैं- वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का मालिक नहीं, बल्कि चौकीदार होता है। वह किसी भी संपत्ति का मालिक नहीं होता, बल्कि इस्लाम धर्म के अनुसार धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए दान की गई संपत्ति की देखरेख करता है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल के कामों के लिए हो रहा है। वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियों का सर्वे करने और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार है। इसके लिए अलग-अलग वक्फ के मुतवल्ली की नियुक्ति की जाती है, जिसके कामों की समय-समय पर समीक्षा होती है। कोर्ट में 405 मामले लंबित
यदि किसी संपत्ति पर कोई विवाद होता है तो उसे पहले वक्फ बोर्ड अपने स्तर से देखता है। वक्फ बोर्ड के फैसले से असंतुष्ट होने पर ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट होने पर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। मसलन- उत्तर प्रदेश में वक्फ से संबंधित 26 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच में लंबित हैं। 71 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लंबित हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल के पास 308 मामले लंबित हैं। इनमें ज्यादातर मामले कब्जे को लेकर हैं। उत्तर प्रदेश में वक्फ के पास कुल कितनी संपत्ति है?
प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड। शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,275 वक्फ हैं। इनकी संपत्ति 15,376 बताई गई हैं। अधिकतर संपत्ति किराए पर दी हुई हैं। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी कहते हैं कि पहले यहां का राजस्व 37 लाख रुपए सालाना का था, जो बढ़कर अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 1,24,735 वक्फ हैं। इन वक्फ के पास कुल 2,17,161 अचल संपत्तियां हैं। वक्फ मामलों के जानकार और हाईकोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार आफताब अहमद बताते हैं- जिस समय वक्फ एक्ट बना, उस समय वक्फ संपत्तियां तो चिन्हित कर ली गईं, लेकिन अधिकतर संपत्ति की चौहद्दी तक का पता नहीं था। वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिसमें यह बताया जा सके कि कितनी संपत्ति से किराए पर है और कितनी संपत्ति पर अवैध कब्जा है। यह भी बताना मुश्किल है कि वक्फ के पास जो संपत्तियां हैं, उसकी मालियत कितनी है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन कहते हैं कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आफ इंडिया यानी WAMSI पोर्टल पर उपलब्ध डाटा अंतिम नहीं है। संपत्तियों का आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है, जिसे समय समय पर अपडेट कराया जाता है। अब कम वक्फ की जाती हैं संपत्तियां
मौजूदा समय में जो भी वक्फ की संपत्ति है, उसमें से 80 प्रतिशत 1947 से पहले की है। 1947 के बाद जब जमींदारी उन्मूलन कानून आया, उस समय काफी संपत्ति वक्फ की गईं। उसके बाद से बड़ी संपत्तियों के बजाय मस्जिद और इमामबाड़े वक्फ होते रहे हैं। पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था। पहला संशोधन 1995 में हुआ और फिर 2013 में दूसरी बार एक्ट में संशोधन किया गया। क्या पड़ेगा असर: अभी संशोधन का पूरा ड्राफ्ट सामने नहीं आया है। ऐसे में अधिकतर लोगों का मानना है कि बिना ड्राफ्ट का अध्ययन करे, इस विषय पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। तीन महीने की छुट्‌टी पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयर​​​​​मैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन लंबी छुट्‌टी पर हैं। उनके स्थान पर कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अदनान फार्रुख की है, जो गोरखपुर के रहने वाले हैं। इस संबंध इन दोनों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही लोगों के मोबाइल स्विच आफ थे। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के सेक्रेटरी ने इस विषय पर कोई भी बात करने से मना कर दिया। यह भी पढ़ें:- विनेश के ससुर का बड़ा आरोप-बृजभूषण और सरकार की साजिश: सिर के बाल कटवा देते तो 100 ग्राम कम हो जाता; अखिलेश ने कहा-जांच कराई जाए भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने केंद्र सरकार और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा- विनेश के साथ राजनीतिक साजिश की जा रही है। 100 ग्राम वजन तो 10 मिनट में कम हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर… ‘क्या ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर देना चाहिए?’ ये सवाल जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने उठाया। कोर्ट बुरहानपुर में मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को लेकर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा- अगर कोई इमारत प्राचीन स्मारक घोषित है तो उसे वक्फ की संपत्ति बताना बेमानी है। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा में वक्फ बिल पेश करने वाली है। इस एक्ट पर बहस छिड़ी हुई है। अगर सरकार एक्ट में संशोधन करती है तो सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। क्योंकि यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां और इससे जुड़े विवाद हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर पड़ताल की। यूपी में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की कुल 2.32 लाख संपत्तियां हैं। इनमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 10,386 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की मुरादाबाद में 3603 संपत्तियां हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि यूपी में वक्फ की क्या स्थिति है? इसका क्या असर पड़ेगा? आखिर क्या है वक्फ एक्ट?‌ कब बना? कब संशोधन हुआ और अब क्या नया होने की उम्मीद है। पढ़िए… सबसे पहले जानते हैं कि वक्फ क्या है?
वक्फ अरबी भाषा के वकु़फ़ा शब्द से बना है। इसका अर्थ है- रोकना या पकड़ना या बांधना। वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की ओर से वक्फ की गई संपत्तियों, धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमों का पालन करने के लिए बनाया गया कानून है। रिटायर्ड जस्टिस बीडी नकवी बताते हैं- वक्फ एक ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट का मालिक अल्लाह होता है। जो संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है, वह संपत्ति ट्रांसफर नहीं की जा सकती। संपत्ति चल या अचल दोनों रूप में हो सकती है। जिस तरह मंदिर की संपत्ति का मालिक भगवान होता है। उसी तरह वक्फ की संपत्ति का मालिक अल्लाह होता है। वक्फ दो तरह के होते हैं। एक वक्फ अलल औलाद और दूसरा वक्फ अलल खैर। वक्फ अलल औलाद में संपत्ति आने वाली पीढ़ी को दी जाती है। पीढ़ी का कोई भी सदस्य उसे बेच नहीं सकता है। संपत्ति का एक हिस्सा चैरिटी के लिए होता है। एक वक्फ के पास एक से अधिक संपत्ति हो सकती है। इन संपत्तियों का उपयोग व्यवसाय और मदरसों के लिए किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड का क्या काम है?
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी बताते हैं- वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का मालिक नहीं, बल्कि चौकीदार होता है। वह किसी भी संपत्ति का मालिक नहीं होता, बल्कि इस्लाम धर्म के अनुसार धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए दान की गई संपत्ति की देखरेख करता है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल के कामों के लिए हो रहा है। वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियों का सर्वे करने और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार है। इसके लिए अलग-अलग वक्फ के मुतवल्ली की नियुक्ति की जाती है, जिसके कामों की समय-समय पर समीक्षा होती है। कोर्ट में 405 मामले लंबित
यदि किसी संपत्ति पर कोई विवाद होता है तो उसे पहले वक्फ बोर्ड अपने स्तर से देखता है। वक्फ बोर्ड के फैसले से असंतुष्ट होने पर ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट होने पर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। मसलन- उत्तर प्रदेश में वक्फ से संबंधित 26 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच में लंबित हैं। 71 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लंबित हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल के पास 308 मामले लंबित हैं। इनमें ज्यादातर मामले कब्जे को लेकर हैं। उत्तर प्रदेश में वक्फ के पास कुल कितनी संपत्ति है?
प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड। शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,275 वक्फ हैं। इनकी संपत्ति 15,376 बताई गई हैं। अधिकतर संपत्ति किराए पर दी हुई हैं। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी कहते हैं कि पहले यहां का राजस्व 37 लाख रुपए सालाना का था, जो बढ़कर अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 1,24,735 वक्फ हैं। इन वक्फ के पास कुल 2,17,161 अचल संपत्तियां हैं। वक्फ मामलों के जानकार और हाईकोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार आफताब अहमद बताते हैं- जिस समय वक्फ एक्ट बना, उस समय वक्फ संपत्तियां तो चिन्हित कर ली गईं, लेकिन अधिकतर संपत्ति की चौहद्दी तक का पता नहीं था। वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिसमें यह बताया जा सके कि कितनी संपत्ति से किराए पर है और कितनी संपत्ति पर अवैध कब्जा है। यह भी बताना मुश्किल है कि वक्फ के पास जो संपत्तियां हैं, उसकी मालियत कितनी है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन कहते हैं कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आफ इंडिया यानी WAMSI पोर्टल पर उपलब्ध डाटा अंतिम नहीं है। संपत्तियों का आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है, जिसे समय समय पर अपडेट कराया जाता है। अब कम वक्फ की जाती हैं संपत्तियां
मौजूदा समय में जो भी वक्फ की संपत्ति है, उसमें से 80 प्रतिशत 1947 से पहले की है। 1947 के बाद जब जमींदारी उन्मूलन कानून आया, उस समय काफी संपत्ति वक्फ की गईं। उसके बाद से बड़ी संपत्तियों के बजाय मस्जिद और इमामबाड़े वक्फ होते रहे हैं। पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था। पहला संशोधन 1995 में हुआ और फिर 2013 में दूसरी बार एक्ट में संशोधन किया गया। क्या पड़ेगा असर: अभी संशोधन का पूरा ड्राफ्ट सामने नहीं आया है। ऐसे में अधिकतर लोगों का मानना है कि बिना ड्राफ्ट का अध्ययन करे, इस विषय पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। तीन महीने की छुट्‌टी पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयर​​​​​मैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन लंबी छुट्‌टी पर हैं। उनके स्थान पर कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अदनान फार्रुख की है, जो गोरखपुर के रहने वाले हैं। इस संबंध इन दोनों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही लोगों के मोबाइल स्विच आफ थे। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के सेक्रेटरी ने इस विषय पर कोई भी बात करने से मना कर दिया। यह भी पढ़ें:- विनेश के ससुर का बड़ा आरोप-बृजभूषण और सरकार की साजिश: सिर के बाल कटवा देते तो 100 ग्राम कम हो जाता; अखिलेश ने कहा-जांच कराई जाए भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने केंद्र सरकार और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा- विनेश के साथ राजनीतिक साजिश की जा रही है। 100 ग्राम वजन तो 10 मिनट में कम हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर