हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी मौत मामले को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। भाजपा विधायक दल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि प्रदेश में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर सदन में झूठ बोलने का आरोप लगाया। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी के लापता होने पर उनके परिवार ने सीएम से मदद मांगी थी। परिजनों ने आशंका जताई थी कि अधिकारियों ने उन पर गलत काम करने का दबाव बनाया था। 10 दिन बाद नेगी का शव मिलने के बाद विपक्ष ने बजट सत्र में सीबीआई जांच की मांग की, परिजनों ने भी CBI जांच की मांग की। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि परिजन सीबीआई जांच नहीं चाहते, लेकिन परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। इससे यह साबित हुआ कि सीएम ने सदन में भी झूठ बोला है। एसपी ने की अनुशासनहीनता की सारी हदें पार : ठाकुर जयराम ठाकुर ने एसपी शिमला ने अनुशासनहीनता की सारी हदें पार की है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में जिस तरह का तमाशा हुआ। मुझे हैरानी इस बात की है कि पुलिस को सबसे अनुशासन फोर्स मानी जाती है, लेकिन कोर्ट में एसपी, डीजीपी के खिलाफ बोल रहे थे वो अनुशासनहीनता का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि डीजीपी ने एसपी दो बार बुलाया, लेकिन वह नहीं गए ।जिसके बाद डीजीपी को लगा कि जांच निष्पक्ष नहीं हो रही है और डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट सीधी कोर्ट को दी। जिसके बाद कोर्ट ने उक्त अधिकारी को फटकार लगाई। उन्होंने आगे कहा कि, बात यही नहीं रुकी, कोर्ट फैसले के एक दिन बाद ही एसपी शिमला प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं जिसमें वह मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव व अपने विभाग के प्रमुख के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। इस तरह की परिस्थितियां आज से पहले हिमाचल में तो क्या देशभर में नहीं बनी होगी। सरकार ने की सबूत मिटाने की साजिश : पूर्व सीएम पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में पेन ड्राइव की की बात छुपाई। बाद में पेन ड्राइव मिलने की बात जोड़ी और इसको फॉर्मेट किया गया। उन्होंने इसे बहुत बड़ी साजिश करार दिया है और कहा कि ये सरकार के संरक्षण के बिना यह संभव नहीं है। जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार से पूछा कि इस पूरे मामले में पुलिस जवान पंकज की क्या भूमिका है। उसे सस्पेंड किया गया है, अब उसकी जिंदगी भी खतरे में है। SP की प्रेस कॉन्फ्रेंस कोर्ट की अवमानना उन्होंने कहा कि एसपी की प्रेंस कॉन्फ्रेंस कोर्ट की अवमानना है। सरकार को चाहिए था कि कोर्ट के फैसले के बाद सारा रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपती, लेकिन उनकी जानकारी में मुताबिक एसपी ने डीजीपी को चिट्ठी लिख दी कि हम इसके खिलाफ कोर्ट में अपील करनी है। जयराम ठाकुर ने कहा कि एसपी लेवल के अधिकारी डीजीपी, सीबीआई को सीधा पत्र नहीं लिख सकते, अगर पत्र जाता भी तो सरकार के माध्यम से जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सरकार के प्रतिनिधि सिर्फ एसपी शिमला है। सरकार ने उन्हें इतना अधिकार दे दिया है। जयराम ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि सीबीआई की टीम रिकॉर्ड लेने आई थी। परंतु एसपी ने रिकॉर्ड देने मना कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने मांग करते हुए कहा कि कोर्ट से जो फैसला आया है उसका वो स्वागत करते है। जिन अधिकारियों ने सबूत मिटाने की कोशिश की है और जो अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है जिसकी वजह ने विमल नेगी की मौत का प्रकरण हुआ उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और विमल लेगी न्याय मिलना चाहिए।सरकार को तुंरत सारा रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप देना चाहिए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सकें। जयराम ठाकुर ने एसीएस और डीजीपी पर जताई कार्रवाई की आशंका जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि प्रदेश सरकार डीजीपी और अतिरिक्त मुख्य सचिव होम के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है, क्योंकि उन लोगों ने सरकार के दबाव में आकर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। ऐसे में उन्हें आशंका है कि सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी मौत मामले को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। भाजपा विधायक दल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि प्रदेश में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर सदन में झूठ बोलने का आरोप लगाया। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी के लापता होने पर उनके परिवार ने सीएम से मदद मांगी थी। परिजनों ने आशंका जताई थी कि अधिकारियों ने उन पर गलत काम करने का दबाव बनाया था। 10 दिन बाद नेगी का शव मिलने के बाद विपक्ष ने बजट सत्र में सीबीआई जांच की मांग की, परिजनों ने भी CBI जांच की मांग की। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि परिजन सीबीआई जांच नहीं चाहते, लेकिन परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। इससे यह साबित हुआ कि सीएम ने सदन में भी झूठ बोला है। एसपी ने की अनुशासनहीनता की सारी हदें पार : ठाकुर जयराम ठाकुर ने एसपी शिमला ने अनुशासनहीनता की सारी हदें पार की है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में जिस तरह का तमाशा हुआ। मुझे हैरानी इस बात की है कि पुलिस को सबसे अनुशासन फोर्स मानी जाती है, लेकिन कोर्ट में एसपी, डीजीपी के खिलाफ बोल रहे थे वो अनुशासनहीनता का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि डीजीपी ने एसपी दो बार बुलाया, लेकिन वह नहीं गए ।जिसके बाद डीजीपी को लगा कि जांच निष्पक्ष नहीं हो रही है और डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट सीधी कोर्ट को दी। जिसके बाद कोर्ट ने उक्त अधिकारी को फटकार लगाई। उन्होंने आगे कहा कि, बात यही नहीं रुकी, कोर्ट फैसले के एक दिन बाद ही एसपी शिमला प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं जिसमें वह मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव व अपने विभाग के प्रमुख के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। इस तरह की परिस्थितियां आज से पहले हिमाचल में तो क्या देशभर में नहीं बनी होगी। सरकार ने की सबूत मिटाने की साजिश : पूर्व सीएम पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में पेन ड्राइव की की बात छुपाई। बाद में पेन ड्राइव मिलने की बात जोड़ी और इसको फॉर्मेट किया गया। उन्होंने इसे बहुत बड़ी साजिश करार दिया है और कहा कि ये सरकार के संरक्षण के बिना यह संभव नहीं है। जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार से पूछा कि इस पूरे मामले में पुलिस जवान पंकज की क्या भूमिका है। उसे सस्पेंड किया गया है, अब उसकी जिंदगी भी खतरे में है। SP की प्रेस कॉन्फ्रेंस कोर्ट की अवमानना उन्होंने कहा कि एसपी की प्रेंस कॉन्फ्रेंस कोर्ट की अवमानना है। सरकार को चाहिए था कि कोर्ट के फैसले के बाद सारा रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपती, लेकिन उनकी जानकारी में मुताबिक एसपी ने डीजीपी को चिट्ठी लिख दी कि हम इसके खिलाफ कोर्ट में अपील करनी है। जयराम ठाकुर ने कहा कि एसपी लेवल के अधिकारी डीजीपी, सीबीआई को सीधा पत्र नहीं लिख सकते, अगर पत्र जाता भी तो सरकार के माध्यम से जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सरकार के प्रतिनिधि सिर्फ एसपी शिमला है। सरकार ने उन्हें इतना अधिकार दे दिया है। जयराम ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि सीबीआई की टीम रिकॉर्ड लेने आई थी। परंतु एसपी ने रिकॉर्ड देने मना कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने मांग करते हुए कहा कि कोर्ट से जो फैसला आया है उसका वो स्वागत करते है। जिन अधिकारियों ने सबूत मिटाने की कोशिश की है और जो अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है जिसकी वजह ने विमल नेगी की मौत का प्रकरण हुआ उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और विमल लेगी न्याय मिलना चाहिए।सरकार को तुंरत सारा रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप देना चाहिए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सकें। जयराम ठाकुर ने एसीएस और डीजीपी पर जताई कार्रवाई की आशंका जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि प्रदेश सरकार डीजीपी और अतिरिक्त मुख्य सचिव होम के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है, क्योंकि उन लोगों ने सरकार के दबाव में आकर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। ऐसे में उन्हें आशंका है कि सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
