राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण को एमसी कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी द्वारा गिराने का काम जारी है। कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की छत को पहले ही हटा दिया था। लेकिन अब शनिवार से संजौली मस्जिद कमेटी के लोगों ने मस्जिद की दीवारों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी खुद अवैध मस्जिद को तोड़ रही है। एमसी कोर्ट ने तीन मंजिल को गिराने के आदेश दिए है। उन्होंने कहा कि कमेटी ने आदेशों के बाद मस्जिद की छत हटा दी थी और अब दीवारों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऊपरी मंजिल की दीवारों को एक दो दिनों में तोड़ दिया जाएगा। जिसके बाद सिर्फ दूसरी और तीसरी मंजिल तोड़ने के लिए शेष रह जाएगी। मोहम्मद लतीफ ने कहा कि तोड़ने का काम तो किया जा रहा है मगर यहां से निकल रहे मलबे को डंपिंग करना मुश्किल हो रहा है। वहीं तोड़ने के लिए भी लेबर की कमी आ रही है। जो लेबर लगाई गई थी वह घर चली गई है, ऐसे में खुद ही तोड़ने का काम किया जा रहा है। गौर रहे कि संजौली मस्जिद कमेटी द्वारा बीते 12 सितम्बर को लिखित में नगर निगम आयुक्त को मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने की पेशकश की गई। इसके बाद शिमला में मस्जिद विवाद शांत हुआ था। MC कोर्ट के फैसले को जिला अदालत में चुनौती वही आपको बता दे कि मुस्लिम समुदाय के एक पक्ष ने नगर निगम आयुक्त के कोर्ट से आए आदेशों को जिला अदालत में भी चुनौती दे रखी है। जिस पर जिला अदालत में सुनवाई 30 नवम्बर को होनी है। राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण को एमसी कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी द्वारा गिराने का काम जारी है। कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की छत को पहले ही हटा दिया था। लेकिन अब शनिवार से संजौली मस्जिद कमेटी के लोगों ने मस्जिद की दीवारों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बाद मस्जिद कमेटी खुद अवैध मस्जिद को तोड़ रही है। एमसी कोर्ट ने तीन मंजिल को गिराने के आदेश दिए है। उन्होंने कहा कि कमेटी ने आदेशों के बाद मस्जिद की छत हटा दी थी और अब दीवारों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऊपरी मंजिल की दीवारों को एक दो दिनों में तोड़ दिया जाएगा। जिसके बाद सिर्फ दूसरी और तीसरी मंजिल तोड़ने के लिए शेष रह जाएगी। मोहम्मद लतीफ ने कहा कि तोड़ने का काम तो किया जा रहा है मगर यहां से निकल रहे मलबे को डंपिंग करना मुश्किल हो रहा है। वहीं तोड़ने के लिए भी लेबर की कमी आ रही है। जो लेबर लगाई गई थी वह घर चली गई है, ऐसे में खुद ही तोड़ने का काम किया जा रहा है। गौर रहे कि संजौली मस्जिद कमेटी द्वारा बीते 12 सितम्बर को लिखित में नगर निगम आयुक्त को मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने की पेशकश की गई। इसके बाद शिमला में मस्जिद विवाद शांत हुआ था। MC कोर्ट के फैसले को जिला अदालत में चुनौती वही आपको बता दे कि मुस्लिम समुदाय के एक पक्ष ने नगर निगम आयुक्त के कोर्ट से आए आदेशों को जिला अदालत में भी चुनौती दे रखी है। जिस पर जिला अदालत में सुनवाई 30 नवम्बर को होनी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल: जलोड़ी-जोत टनल बनाने को केंद्र की मंजूरी:4KM लंबी बनेगी; 12 महीने आवाजाही होगी, अभी 3-4 महीने को कट जाती है 71 पंचायतें
हिमाचल: जलोड़ी-जोत टनल बनाने को केंद्र की मंजूरी:4KM लंबी बनेगी; 12 महीने आवाजाही होगी, अभी 3-4 महीने को कट जाती है 71 पंचायतें हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के सैंज-आनी-ओट नेशनल हाइवे 305 पर जलोड़ी टनल बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इस टनल की फाइनल अलाइनमेंट रिपोर्ट को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं भूतल मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इस टनल के बनने से खनाग से घियागी तक की दूरी 8 किलोमीटर घट जाएगी और सर्दियों में जलोड़ी दर्रा बंद होने से कुल्लू जिला की 71 पंचायतों का जिला मुख्यालय से संपर्क 12 महीना बना रहेगा। अभी समुद्र तल से 10280 फिट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रे में कई बार 15 नवंबर के बाद ही बर्फबारी शुरू हो जाती है। इससे जलोड़ी दर्रा कई कई दिनों व महीनों तक तक बंद रहता है। इससे आनी विधानसभा की हजारों की आबादी का जिला मुख्यालय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि कई सालों से इस टनल को बनाने की मांग उठ रही थी। 4.16KM लंबी बनेगी टनल केंद्रीय मंत्रालय द्वारा मंजूर अलाइनमेंट रिपोर्ट के अनुसार, जलोड़ी टनल खनाग के समीप भरगोल खड्ड से सोझा कैंची तक बनाई जाएगी। जलोड़ी टनल की लंबाई 4.160 किलोमीटर होगी। जल्द DPR बनाने का काम होगा शुरू: सुमन इस आशय में जानकारी देते हुए नेशनल हाइवे विभाग के रामपुर डिवीजन के अधिशासी अभियंता किशोरी लाल सुमन ने बताया कि भरगोल खड्ड से सोझा कैंची तक बनने वाली जलोड़ी टनल के निर्माण के लिए आनी की ओर से 2.124 किलोमीटर और बंजार की ओर से 5.476 किलोमीटर अतिरिक्त एप्रोच सड़क का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब फाइनल डीपीआर और भूमि अधिग्रहण का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा। विक्रमादित्य ने केंद्रीय मंत्री से उठाया था मामला बता दें कि बीते दिनों दिल्ली में हिमाचल के PWD विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर जलोड़ी टनल प्रोजेक्ट में तेजी लाने का आग्रह किया था। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा भेजी गई अलाइनमेंट रिपोर्ट मंत्रालय ने मंजूर कर दी है।
हिमाचल विधानसभा में पहली बार शून्य-काल शुरू होगा:विधायक अपने क्षेत्र के मुद्दे उठा पाएंगे; स्पीकर बोले-अब तक 316 प्रश्न मिले
हिमाचल विधानसभा में पहली बार शून्य-काल शुरू होगा:विधायक अपने क्षेत्र के मुद्दे उठा पाएंगे; स्पीकर बोले-अब तक 316 प्रश्न मिले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के कल से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में पहली बार शून्य काल यानी जीरो आवर होगा। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तपोवन धर्मशाला में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, 12 से 12.30 बजे तक विधायक जनता से जुड़े मुद्दे शून्य काल में उठा सकेंगे। उन्होंने कहा, सत्र शुरू होने से डेढ़ घंटा पहले विधानसभा सचिवालय को पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूचना देनी होगी। शून्य काल में एक विधायक अधिकतम 2 सवाल पूछ सकेगा। प्रत्येक सदस्य को चार से पांच मिनट का वक्त मिलेगा। पूछे गए सवाल का उत्तर संबंधित विभाग के मंत्री द्वारा लिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने शून्य काल शुरू करने की व्यवस्था मानसून सत्र के दौरान दे दी थी। जाहिर है कि रोजाना एक घंटे के प्रश्नकाल के बाद शून्य काल होगा। इसके बाद लोकसभा की तर्ज पर हिमाचल विधानसभा में भी विधायक अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठा पाएंगे। हिमाचल विधानसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होती है। नई व्यवस्था के तहत प्रश्नकाल 11 से 12 बजे तक चलेगा। 12 से 12.30 बजे तक शून्यकाल होगा। इसके बाद विधानसभा का दूसरा बिजनेस कार्यवाही को सदन में लाया जाएगा। क्यों पड़ी शून्य काल की जरूरत? बता दें कि बहुत से मुद्दे ऐसे होते थे जिन्हें विधायक सदन में उठाना चाहते है। मगर नहीं उठा पाते थे। इसकी जरूरत को देखते हुए पहली बार शून्य काल शुरू किया जा रहा है। हिमाचल विधानसभा के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब शून्य-काल शुरू होगा। अब तक 316 प्रश्न मिले कुलदीप पठानिया ने कहा, 18 से 21 दिसंबर तक चलने वाली सत्र में कुल 4 बैठकें होंगी। एक दिन प्राइवेट मेंबर-डे होगा। अभी तक कुल 248 तारांकित और 68 अतारांकित प्रश्न विधायकों द्वारा पूछे जा चुके हैं। इसी तरह विधानसभा के अलग अलग नियमों के तहत भी 14 सूचनाएं विधानसभा सचिवालय प्रशासन को मिली है, जिन पर सदस्यों ने चर्चा की मांग की है। शेष तीन दिन में दोनों दलों के विधायकों के सवाल और विधेयक पर चर्चा को लाए जाएंगे। सर्वदलीय मीटिंग की इससे पहले स्पीकर कुलदीप पठानिया ने धर्मशाला में सर्वदलीय मीटिंग बुलाई। मगर इसमें नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर शामिल नहीं हुए। कुलदीप पठानिया ने कहा, कि जयराम ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मीटिंग में उपस्थित नहीं होने की बात कही है।
हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस होंगे तरलोक चौहान:केंद्र ने जारी की अधिसूचना; मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर की रिटायरमेंट के बाद संभालेंगे कार्यभार
हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस होंगे तरलोक चौहान:केंद्र ने जारी की अधिसूचना; मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर की रिटायरमेंट के बाद संभालेंगे कार्यभार हिमाचल हाईकोर्ट के जस्टिस तरलोक सिंह चौहान प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश होंगे। 19 अक्टूबर से न्यायाधीश तरलोक चौहान का हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यकाल शुरू होगा। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने इसे लेकर बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है। बीते 25 सितंबर को ही चीफ जस्टिस बने राजीव शकधर 18 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। इसे देखते हुए तरलोक चौहान को यह जिम्मा सौंपा गया है। पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना के रिटायर होने पर भी जस्टिस तरलोक चौहान यह जिम्मा संभाल चुके हैं। शिमला के BCS स्कूल से की पढ़ाई हाईकोर्ट के जस्टिस तरलोक चौहान 9 जनवरी 1964 को रोहडू में जन्मे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई। इस दौरान वे स्कूल के कैप्टन भी रहे। DAV कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वर्ष 1989 में वकील बने। लाला छबील दास वरिष्ठ अधिवक्ता के प्रख्यात चैंबर में शामिल हुए। प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत शुरू करते हुए कानून के सभी क्षेत्रों में महारत हासिल की। कई पदों पर रहे, कोर्ट मित्र भी बनाए गए राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अलावा कई बोर्डों, निगमों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक और निजी कंपनियों, शैक्षिक संस्थानों और सहकारी समितियों व विभिन्न विभागों के कानूनी सलाहकार रहे। विभिन्न लोक अदालतों के सदस्य बने। हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, रोपवे, पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन, प्लास्टिक और तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट प्रबंधन परियोजनाओं के कार्यान्वयन और हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण नीति के निर्धारण से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों में सहयोग के लिए हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट मित्र नियुक्त किए गए। 2014 में हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने 23 फरवरी 2014 को हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के बाद 30 नवंबर 2014 को वे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए। इन्होंने 5 मई 2014 से हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते बाल / बालिका आश्रम, हिमाचल के अस्पताल, मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वासन शिमला और हिमाचल प्रदेश के वृद्धाश्रम के बच्चों के कल्याण और हित के लिए कार्य किया। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के अलावा 21 फरवरी 2020 से 23 फरवरी 2020 तक “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में सम्मेलन का हिस्सा रहे, जिसमें वे 3 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में से एक सदस्य थे। 13 से 17 मई 2019 तक रोमानिया में “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” पर अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा रहे। वे हाईकोर्ट के पहले न्यायाधीश हैं, जिन्होंने विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है। न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रहे तरलोक चौहान 12 नवंबर 2016 से गवर्निंग काउंसिल के और हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी रहे। 18 नवंबर 2018 से 13 मार्च 2020 तक न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष रहे। हाईकोर्ट में कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के प्रमुख होने के कारण हाईकोर्ट के साथ-साथ अधीनस्थ न्यायालयों में कम्प्यूटरीकरण काे भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय इन्हें जाता है।