श्रीमद्भागवत महापुराण के एक-एक अक्षर के उच्चारण से प्राप्त होता है कपिला गोदान का फल : विनय मिश्र

श्रीमद्भागवत महापुराण के एक-एक अक्षर के उच्चारण से प्राप्त होता है कपिला गोदान का फल : विनय मिश्र

भास्कर न्यूज| भिवानी पटेल नगर में संपन्न श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास ने मानव जीवन की महता और दुर्लभता पर प्रकाश डाला। मानव योनि प्राप्त करना अनगनित पुण्यों का फल है। यह जीवन केवल भगवद् कृपा से ही संभव है और इसे पाने के लिए जीव अनगनित जन्मों तक भगवान से प्रार्थना करता है। आचार्य विनय मिश्र ने श्रीमद्भागवत महापुराण के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि भक्ति देवी और उनके दो पुत्रों ज्ञान और वैराग्य का वर्णन इस पवित्र ग्रंथ में किया गया है। भक्ति देवी ने द्रविड़ देश में जन्म लिया, कर्नाटक में उनका विकास हुआ और गुजरात में वृद्धावस्था को प्राप्त कर गई। लेकिन जब वे वृंदावन में प्रवेश कर गईं तो भगवत कृपा से पुनः युवा हो गई। इस प्रसंग का तात्पर्य यह है कि भगवद् भक्ति ही जीवन को नवजीवन प्रदान करती है और इस संसार में सभी कष्टों से मुक्ति दिलाती है। आचार्य ने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि मानव जीवन का परम उद्देश्य ईश्वर की भक्ति और सेवा है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ करता है, उसे एक-एक अक्षर के उच्चारण से कपिला गोदान का फल प्राप्त होता है। यह जीवन को पवित्र और धन्य बनाने का सबसे सरल और सर्वोत्तम मार्ग है। इस अवसर पर प्रवीण थेपड़ा, मनोज थेपड़ा, मनीष थेपड़ा, सुरेश सैनी, उषा, कांता, योगिता, निशा, बिट्टू सहित अन्य श्रद्धालु एवं महिलाएं उपस्थित रही। भास्कर न्यूज| भिवानी पटेल नगर में संपन्न श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास ने मानव जीवन की महता और दुर्लभता पर प्रकाश डाला। मानव योनि प्राप्त करना अनगनित पुण्यों का फल है। यह जीवन केवल भगवद् कृपा से ही संभव है और इसे पाने के लिए जीव अनगनित जन्मों तक भगवान से प्रार्थना करता है। आचार्य विनय मिश्र ने श्रीमद्भागवत महापुराण के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि भक्ति देवी और उनके दो पुत्रों ज्ञान और वैराग्य का वर्णन इस पवित्र ग्रंथ में किया गया है। भक्ति देवी ने द्रविड़ देश में जन्म लिया, कर्नाटक में उनका विकास हुआ और गुजरात में वृद्धावस्था को प्राप्त कर गई। लेकिन जब वे वृंदावन में प्रवेश कर गईं तो भगवत कृपा से पुनः युवा हो गई। इस प्रसंग का तात्पर्य यह है कि भगवद् भक्ति ही जीवन को नवजीवन प्रदान करती है और इस संसार में सभी कष्टों से मुक्ति दिलाती है। आचार्य ने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि मानव जीवन का परम उद्देश्य ईश्वर की भक्ति और सेवा है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ करता है, उसे एक-एक अक्षर के उच्चारण से कपिला गोदान का फल प्राप्त होता है। यह जीवन को पवित्र और धन्य बनाने का सबसे सरल और सर्वोत्तम मार्ग है। इस अवसर पर प्रवीण थेपड़ा, मनोज थेपड़ा, मनीष थेपड़ा, सुरेश सैनी, उषा, कांता, योगिता, निशा, बिट्टू सहित अन्य श्रद्धालु एवं महिलाएं उपस्थित रही।   हरियाणा | दैनिक भास्कर