खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व वाले संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा है। 2019 से प्रतिबंधित इस संगठन पर प्रतिबंध अगले 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज और यूएपीए न्यायाधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि एसएफजे का खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से संबंध हैं। इसके अलावा यह संगठन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ मिलकर पंजाब में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रहा है। SFJ के खिलाफ सबूत एमएचए का संगठन के खिलाप कड़ा रुख केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 9 जुलाई 2024 को जारी अधिसूचना में SFJ को “अवैध संगठन” घोषित करते हुए इसके प्रतिबंध को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। MHA ने कहा था कि SFJ की गतिविधियां देश की शांति, एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकती हैं। यह संगठन पंजाब में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त है और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखता है। SFJ का उद्देश्य खालिस्तान का निर्माण SFJ का लक्ष्य हिंसक और उग्रवादी तरीकों से भारत से पंजाब को अलग कर एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र बनाना है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि SFJ विभिन्न आतंकी संगठनों और कार्यकर्ताओं के साथ निकट संपर्क में है और हिंसक उग्रवाद को समर्थन दे रहा है। यह फैसला भारत सरकार द्वारा SFJ की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के प्रयासों को मजबूत करता है। सरकार ने इसे देश की शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा माना है। 2019 में लगा था SFJ पर बैन भारत सरकार ने 2019 में आतंकी गतिविधियां चलाने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी UAPA के तहत पन्नू के संगठन SFJ पर बैन लगाया था। ये बैन 5 साल के लिए था। गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि सिखों के लिए रेफरेंडम की आड़ में SFJ पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी विचारधारा का समर्थन करता है। इसके बाद आतंकी पन्नू पर साल 2020 में अलगाववाद को बढ़ावा देने और पंजाबी सिख युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित करने का आरोप लगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2020 को पन्नू को UAPA के तहत आतंकी घोषित किया। 2020 में सरकार ने SFJ से जुड़े 40 से ज्यादा वेब पेज और यूट्यूब चैनलों को बैन किया। पन्नू पर दर्जन से अधिक केस SFJ और पन्नू के खिलाफ भारत में 12 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें पंजाब में देशद्रोह के 3 मामले भी शामिल हैं। पंजाब पुलिस द्वारा तैयार किए गए डोजियर में SFJ द्वारा कई वर्षों से सोशल मीडिया पर विभिन्न अलगाववादी पोस्ट के बारे में जानकारी दी गई थी। इनमें वह आतंकियों का समर्थन करता था। सोशल मीडिया का करता है गलत प्रयोग आतंकी पन्नू सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है। वह पंजाबी भाषा में ऑडियो और वीडियो संदेश जारी करता है। इसमें वह पंजाबी युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काता है। यही नहीं, पैसे का लालच देकर वह पंजाब-हरियाणा में सरकारी इमारतों में खालिस्तानी झंडा भी लगवा चुका है। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व वाले संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा है। 2019 से प्रतिबंधित इस संगठन पर प्रतिबंध अगले 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज और यूएपीए न्यायाधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि एसएफजे का खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से संबंध हैं। इसके अलावा यह संगठन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ मिलकर पंजाब में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रहा है। SFJ के खिलाफ सबूत एमएचए का संगठन के खिलाप कड़ा रुख केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 9 जुलाई 2024 को जारी अधिसूचना में SFJ को “अवैध संगठन” घोषित करते हुए इसके प्रतिबंध को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। MHA ने कहा था कि SFJ की गतिविधियां देश की शांति, एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकती हैं। यह संगठन पंजाब में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त है और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखता है। SFJ का उद्देश्य खालिस्तान का निर्माण SFJ का लक्ष्य हिंसक और उग्रवादी तरीकों से भारत से पंजाब को अलग कर एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र बनाना है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि SFJ विभिन्न आतंकी संगठनों और कार्यकर्ताओं के साथ निकट संपर्क में है और हिंसक उग्रवाद को समर्थन दे रहा है। यह फैसला भारत सरकार द्वारा SFJ की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के प्रयासों को मजबूत करता है। सरकार ने इसे देश की शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा माना है। 2019 में लगा था SFJ पर बैन भारत सरकार ने 2019 में आतंकी गतिविधियां चलाने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी UAPA के तहत पन्नू के संगठन SFJ पर बैन लगाया था। ये बैन 5 साल के लिए था। गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि सिखों के लिए रेफरेंडम की आड़ में SFJ पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी विचारधारा का समर्थन करता है। इसके बाद आतंकी पन्नू पर साल 2020 में अलगाववाद को बढ़ावा देने और पंजाबी सिख युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित करने का आरोप लगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2020 को पन्नू को UAPA के तहत आतंकी घोषित किया। 2020 में सरकार ने SFJ से जुड़े 40 से ज्यादा वेब पेज और यूट्यूब चैनलों को बैन किया। पन्नू पर दर्जन से अधिक केस SFJ और पन्नू के खिलाफ भारत में 12 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें पंजाब में देशद्रोह के 3 मामले भी शामिल हैं। पंजाब पुलिस द्वारा तैयार किए गए डोजियर में SFJ द्वारा कई वर्षों से सोशल मीडिया पर विभिन्न अलगाववादी पोस्ट के बारे में जानकारी दी गई थी। इनमें वह आतंकियों का समर्थन करता था। सोशल मीडिया का करता है गलत प्रयोग आतंकी पन्नू सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है। वह पंजाबी भाषा में ऑडियो और वीडियो संदेश जारी करता है। इसमें वह पंजाबी युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काता है। यही नहीं, पैसे का लालच देकर वह पंजाब-हरियाणा में सरकारी इमारतों में खालिस्तानी झंडा भी लगवा चुका है। पंजाब | दैनिक भास्कर
