हरियाणा के सोनीपत में डीसी ने शुक्रवार को डिस्ट्रिक्ट लेवल रिव्यू कमेटी (डीएलआरसी) तथा डिस्ट्रिक्ट क्लियरेंस कमेटी (डीसीसी) की बैठक ली। बैठक में उन्होंने सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत चिह्नित जरूरतमंदों के ऋण आवेदनों की गंभीरता से समीक्षा की। साथ ही बैठक से गैरहाजिर रहे बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। डीसी डा. मनोज कुमार ने बैंकों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जरूरतमंदों को सरकार की योजनाओं के तहत ऋण देने के लिए आवेदन बैंकों में भेजे जा रहे हैं। सभी बैंकर्स इन आवेदनों पर तुरंत कार्यवाही करते हुए जरूरतमंदों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण प्रदान करें। ताकि बैंकों की सहायता से ऋण लेकर जरूरतमंद व्यक्ति अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकें। डीसी ने लंबित फाइलों की समीक्षा देख जताई नाराजगी डीसी डा. मनोज कुमार ने आवेदनों की समीक्षा करते हुए उन बैंकर्स के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि बड़ी संख्या में आवेदन लंबित मिले। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के कोई भी आवेदन लंबित नहीं रहना चाहिए। कड़ी चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि निर्देशों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जरूरतमंद लोगों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें बैंकिंग सहायता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि उन्हें सस्ती दरों पर ऋण मिल सके। गैर हाजिर बैंकर्स पर कार्रवाई के आदेश डीसी ने बैठक में उपस्थित न होने वाले बैंकर्स डीसीओ के प्रति नाराजगी जताते हुए डीसी ने उनके खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री परिवार उत्थान योजना तथा स्वयं सहायता समूह योजना और स्व निधि आदि विभिन्न योजनाओं के तहत बैंकों को किये गये आवेदनों की गंभीरता से समीक्षा की। खराब प्रदर्शन पर भी होगी कार्रवाई उन्होंने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले बैंकर्स के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (पीएनबी-आरसेटी) की भी समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि अधिकाधिक युवाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करें। इसके लिए जागरूकता कैंप भी लगायें। बैठक में एलडीएम मनोज सेठी, डीडीएम हिमांशु खत्री, डीएमसी से वीपी सिंह, एचडब्ल्यूडीसी रोहिता, कृषि विभाग से रघुवेन्द्र सिंह सहित विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद थे। हरियाणा के सोनीपत में डीसी ने शुक्रवार को डिस्ट्रिक्ट लेवल रिव्यू कमेटी (डीएलआरसी) तथा डिस्ट्रिक्ट क्लियरेंस कमेटी (डीसीसी) की बैठक ली। बैठक में उन्होंने सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत चिह्नित जरूरतमंदों के ऋण आवेदनों की गंभीरता से समीक्षा की। साथ ही बैठक से गैरहाजिर रहे बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। डीसी डा. मनोज कुमार ने बैंकों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जरूरतमंदों को सरकार की योजनाओं के तहत ऋण देने के लिए आवेदन बैंकों में भेजे जा रहे हैं। सभी बैंकर्स इन आवेदनों पर तुरंत कार्यवाही करते हुए जरूरतमंदों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण प्रदान करें। ताकि बैंकों की सहायता से ऋण लेकर जरूरतमंद व्यक्ति अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकें। डीसी ने लंबित फाइलों की समीक्षा देख जताई नाराजगी डीसी डा. मनोज कुमार ने आवेदनों की समीक्षा करते हुए उन बैंकर्स के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि बड़ी संख्या में आवेदन लंबित मिले। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के कोई भी आवेदन लंबित नहीं रहना चाहिए। कड़ी चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि निर्देशों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जरूरतमंद लोगों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें बैंकिंग सहायता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि उन्हें सस्ती दरों पर ऋण मिल सके। गैर हाजिर बैंकर्स पर कार्रवाई के आदेश डीसी ने बैठक में उपस्थित न होने वाले बैंकर्स डीसीओ के प्रति नाराजगी जताते हुए डीसी ने उनके खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री परिवार उत्थान योजना तथा स्वयं सहायता समूह योजना और स्व निधि आदि विभिन्न योजनाओं के तहत बैंकों को किये गये आवेदनों की गंभीरता से समीक्षा की। खराब प्रदर्शन पर भी होगी कार्रवाई उन्होंने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले बैंकर्स के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (पीएनबी-आरसेटी) की भी समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि अधिकाधिक युवाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करें। इसके लिए जागरूकता कैंप भी लगायें। बैठक में एलडीएम मनोज सेठी, डीडीएम हिमांशु खत्री, डीएमसी से वीपी सिंह, एचडब्ल्यूडीसी रोहिता, कृषि विभाग से रघुवेन्द्र सिंह सहित विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल पोस्टल बैलेट की गिनती में पूर्व CM हारे:EVM में मिली जीत, भाजपा का वोट शेयर 15.2% गिरा, कांग्रेस का 18% बढ़ा
करनाल पोस्टल बैलेट की गिनती में पूर्व CM हारे:EVM में मिली जीत, भाजपा का वोट शेयर 15.2% गिरा, कांग्रेस का 18% बढ़ा करनाल लोकसभा सीट के नतीजे सबके सामने हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल ईवीएम में भले ही लोकसभा चुनाव जीत गए हों, लेकिन पोस्टल बैलेट की गिनती में मनोहर लाल हार गए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा को पोस्टल बैलेट में 2271 वोट मिले, जबकि मनोहर लाल को सिर्फ 2003 वोट मिले, यानी मनोहर लाल दिव्यांशु से 268 वोटों से हार गए, लेकिन ईवीएम की गिनती में उन्होंने दिव्यांशु को हरा दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव के वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो भाजपा के संजय भाटिया को 70.1 फीसदी और कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को 19.6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मनोहर लाल को 54.91 फीसदी और कांग्रेस के दिव्यांशु को 37.65 फीसदी वोट मिले थे। 2019 के मुकाबले 2024 में भाजपा का वोट प्रतिशत 15.2 प्रतिशत गिरा है, जबकि 2019 के मुकाबले 2024 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 18 प्रतिशत बढ़ा है। मतदाताओं पर पकड़ नहीं बना पाई भाजपा मनोहर लाल दो बार सीएम रह चुके हैं और उस हिसाब से मनोहर लाल को 2019 का रिकॉर्ड तोड़ना था, लेकिन मनोहर लाल करनाल लोकसभा के मतदाताओं के बीच कहीं भी अपनी पकड़ नहीं बना पाए। नतीजतन वोटों का अंतर 2.32 लाख रह गया। अगर कांग्रेस के नेता तोड़फोड़ का शिकार न होते तो शायद नतीजे कांग्रेस के पक्ष में जा सकते थे। लोकसभा के किन-किन विधानसभाओं में गिरा BJP का ग्राफ हरियाणा के करनाल लोकसभा में 9 विधानसभा क्षेत्र है। करनाल में 5 और पानीपत 4 विधानसभा आती है। करनाल में नीलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरौंडा और असंध शामिल है, जबकि पानीपत में पानीपत शहरी, पानीपत ग्रामीण, समालखा और इसराना है। 2019 में भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और कांग्रेस की स्थिति उस वक्त बेहद कमजोर नजर आई थी। 2024 में भले ही BJP चुनाव जीत गई हो, लेकिन विधानसभाओं में BJP के वोट प्रतिशत में गिरावट आई है और कांग्रेस को एक नया हाइक मिला है। जिससे कांग्रेस में नई ऊर्जा नजर आ रही है और आने वाले विधानसभा चुनावों में हरियाणा में बहुमत से सरकार बनाने का दावा तक करने लगी है। अब डालते है एक नजर विधानसभा अनुसार वोटो पर- नीलोखेड़ी विधानसभा करनाल लोकसभा के नीलोखेड़ी में BJP को 2019 में 91,943 वोट मिले थे, और कांग्रेस को 28,827 वोट मिले। लेकिन इस बार मनोहर लाल को 69,317 और दिव्यांशु को 58,432 वोट मिले है। बीजेपी को 22,636 वोट कम मिले और कांग्रेस को 29,605 वोटो का इजाफा किया। यहां पर बीजेपी का वोट घटा। यहां पर निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर रहे है, जिन्होंने बीजेपी को समर्थन दे दिया था। इंद्री विधानसभा इंद्री में 2019 में बीजेपी को 98241 वोट मिले थे और कांग्रेस को 27783 वोट, वहीं 2024 में कांग्रेस ने 59,146 वोट और बीजेपी ने 81,061 वोट हासिल किए। बीजेपी को यहां से 17,180 वोट कम मिले और कांग्रेस को 31,363 वोटो का हाईक मिला है। इंद्री में बीजेपी का ही विधायक रामकुमार कश्यप है। करनाल विधानसभा करनाल तो पूर्व का CM विधानसभा क्षेत्र रहा है, यहां पर भी वे कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। 2019 में करनाल विधानसभा में BJP को 1,08157 वोट मिले थे और कांग्रेस को 28,761 वोट मिला था, जबकि 2024 में मनोहर लाल को 90,018 वोट और दिव्यांशु को 55,394 वोट हासिल हुए। अपने ही विधानसभा में मनोहर लाल के 18,139 वोट कम मिले और दिव्यांशु को यहां पर 26,633 वोट का इजाफा हुआ है। घरौंडा विधानसभा 2019 में बीजेपी को घरौंडा विधानसभा से 1,07097 वोट मिला, कांग्रेस को 23981 वोट मिले। यहां पर घरौंडा से विधायक हरविंद्र कल्याण पूर्व CM मनोहर लाल के नजदीक रहे है, और वे भी पिछले प्लान के रिकॉर्ड को नहीं तुड़वा पाए। बीजेपी के मनोहर लाल को सिर्फ 88953 वोटे ही मिली, जबकि कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा 56,815 वोट ले गए। 2019 के मुकाबले दिव्यांशु को 32,834 वोटो का जबरदस्त हाइक मिला है और मनोहर लाल खट्टर को 18,144 वोटों का नुकसान हुआ। असंध विधानसभा असंध विधानसभा में कांग्रेस के विधायक शमशेर सिंह गोगी है, यहां पर कांग्रेस को अपने बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद थी। 2019 में असंध विधानसभा से कांग्रेस को 31,148 वोटे मिली थी और बीजेपी को 87872 वोटे मिली, इस बार मनोहर लाल असंध विधानसभा से 62,944 वोटो पर रह गए यानी 24,928 वोटे कम मिली, जबकि दिव्यांशु बुद्धिराजा 61,290 वोट लेकर गए, जो पिछले प्लान से दोगुना है। यहां पर भी कांग्रेस बीजेपी को नहीं हरा पाई। पानीपत ग्रामीण विधानसभा पानीपत ग्रामीण से बीजेपी के विधायक महीपाल ढांडा है, जिनको नायब सैनी की सरकार में मंत्री पद भी दिया हुआ है। यहां पर मनोहर लाल को इस बार 108942 वोट मिले है और कांग्रेस को 61252 वोट। जबकि 2019 में बीजेपी को 1,21343 और कांग्रेस को 29005 वोट मिले थे। यहां से कांग्रेस को 32,247 वोट ज्यादा मिली है और बीजेपी को 12,401 वोट कम मिली है। पानीपत शहरी विधानसभा इस बार मनोहर लाल को 96,747 वोटे मिली और 2019 में वोटो का आंकडा 1,10,624 का था, जो 13,877 वोट कम है। वहीं कांग्रेस के दिव्यांशु को इस बार 34,913 वोट मिले, और 2019 में 23,249 वोट मिले। कांग्रेस को 11,664 वोट अधिक मिले। यहां पर बीजेपी का ही विधायक रहा है। इसराना विधानसभा 2019 में बीजेपी को 81,122 वोट मिली और कांग्रेस को 19,354 वोट मिली थी। इस बार बीजेपी को 58,666 वोट मिली और कांग्रेस को 51,896 वोटे मिली। यहां पर बीजेपी सिर्फ 6770 वोटो का ही मार्जिन मिला। यहां पर कांग्रेस पिछले प्लान के मुकाबले 32,542 वोट का इजाफा कर गई। समालखा विधानसभा मनोहर लाल ने 2019 में बीजेपी को समालखा से 98726 वोट मिले थे, और कांग्रेस को 31059 को वोट मिली। इस बार बीजेपी ने 80634 वोट हासिल किए और कांग्रेस को 62297 वोटे मिली। कांग्रेस यहां से पिछले साल के मुकाबले दोगुनी वोटे ले गई और बीजेपी को हर विधानसभा की तरह कम वोटे ही मिली। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी चुनौती ऐसे में मनोहर लाल किसी भी विधानसभा क्षेत्र से 2019 को आंकड़ा नहीं तोड़ पाए, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले प्लान के मुकाबले बेहतरीन रहा। ऐसे में जिस तरह के परिणाम विधानसभाओं में रहे है, इस हिसाब से आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हरियाणा की राजनीति में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेगी।
हरियाणा में चौटाला के मंत्री बने रहने पर विवाद:निर्दलीय MLA के तौर पर शपथ, अब विधायकी से इस्तीफा दे चुके, फिर भी मंत्रीपद बरकरार
हरियाणा में चौटाला के मंत्री बने रहने पर विवाद:निर्दलीय MLA के तौर पर शपथ, अब विधायकी से इस्तीफा दे चुके, फिर भी मंत्रीपद बरकरार हरियाणा के ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की मुख्यमंत्री नायब सैनी की कैबिनेट में नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वह 12 मार्च को निर्दलीय विधायक के रूप में सरकार में शामिल हुए थे। इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए। 24 मार्च को उन्होंने रानियां विधानसभा की सीट से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अब उन्हें कैबिनेट में शामिल होने के लिए दोबारा मंत्री की शपथ लेनी होगी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इसकी शिकायत राष्ट्रपति से भी की है। जहां से हरियाणा के मुख्य सचिव को लेटर भेजकर इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही कर इसकी सूचना शिकायतकर्ता को भेजने को कहा गया है। रणजीत चौटाला को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश ने हरा दिया। यहां पढ़िए कब क्या हुआ…
हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में गठित भाजपा की नई सरकार 12 जून को अपने 3 माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। 12 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ शपथ लेने वाले 5 कैबिनेट मंत्रियों में रणजीत सिंह भी शामिल थे, जो तब सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक थे। 22 मार्च को रणजीत को ऊर्जा और जेल विभाग आबंटित किए गए। हालांकि वह पिछली मनोहर लाल खट्टर सरकार में भी इन विभागों के मंत्री रह चुके थे। इसके बाद 24 मार्च की शाम रणजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए। जिसके कुछ समय बाद ही उन्हें हिसार लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। जिस कारण रणजीत ने उसी दिन विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया। इसलिए रणजीत चौटाला ने दिया इस्तीफा
चूंकि निर्दलीय विधायक रहते हुए कोई भी किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकता। यदि वह ऐसा करता है तो उसे दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि विधायक पद से त्यागपत्र के साथ रणजीत ने प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्रीपद ने अपना इस्तीफा नहीं दिया। रानियां विधानसभा सीट से विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने उसे स्वीकार कर लिया। क्यों उठ रहे नियुक्ति पर सवाल
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने 2 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और हरियाणा गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय को लेटर लिखकर उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। लेटर में लिखा कि रणजीत सिंह 12 मार्च को वर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के सदस्य (विधायक) थे। इस दिन उन्होंने सीएम नायब सैनी के साथ मंत्रीपद के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद 24 मार्च 2024 से विधायक के रूप में उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद अब वह पूर्व विधायक या दूसरे शब्दों में एक गैर-विधायक हो गए हैं। मंत्री बने रहने के लिए लेनी होगी दोबारा शपथ
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार गैर- विधायक के तौर पर अधिकतम 6 माह तक मंत्रीपद पर तो रह सकते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें हरियाणा के राज्यपाल द्वारा मंत्री के रूप में नए सिरे से पद एवं गोपनीयता की शपथ लेनी होगी। क्योंकि 24 मार्च 2024 से वे गैर-विधायक हैं। टेक्निकल सवाल यह भी है कि जब उन्होंने मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी तब वह निर्दलीय विधायक थे, लेकिन अब वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं, इसलिए गैर-विधायक होने के नाते मंत्री के रूप में उनका नया कार्यकाल माना जाएगा। कानूनी जानकारों का क्या कहना है?
राष्ट्रपति सचिवालय के अंडर सेक्रेटरी द्वारा 9 मई को इस विषय पर हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखकर मामले में आवश्यक कार्यवाही करने एवं उसकी सूचना याचिकाकर्ता को देने बारे कहा गया था, हालांकि अभी तक हेमंत को हरियाणा सरकार से कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है। हेमंत का कहना है कि जब भी केंद्र सरकार या राज्य सरकार में नियुक्त किसी मंत्री का निर्वाचन (सांसद या विधायक के रूप में, जैसा भी मामला हो) संबंधित उच्च न्यायालय या भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द या अमान्य घोषित कर दिया जाता है तो ऐसे सांसद या विधायक को तत्काल केंद्र सरकार या राज्य सरकार में मंत्रीपद से इस्तीफा देना होता है। वह व्यक्ति यह तर्क नहीं दे सकता कि गैर-सांसद या गैर-विधायक के रूप में भी, वह सांसद या विधायक के रूप में अपने अयोग्य होने की तिथि से अधिकतम छह महीने तक केंद्र या राज्य सरकार में मंत्री के रूप में बना रह सकता है।
हिसार के बिश्नोई मंदिर में जन्माष्टमी कार्यक्रम शुरू:मुख्यमंत्री नायब सैनी होंगे मुख्यातिथि, कुलदीप बिश्नोई और भव्य भी होंगे शामिल
हिसार के बिश्नोई मंदिर में जन्माष्टमी कार्यक्रम शुरू:मुख्यमंत्री नायब सैनी होंगे मुख्यातिथि, कुलदीप बिश्नोई और भव्य भी होंगे शामिल हिसार के बिश्नोई मंदिर में आज गुरु जम्भेश्वर भगवान की 574वीं जयंती और जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जा रहा है। सुबह हवन यज्ञ के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। इसके बाद ध्वजारोहण किया गया। मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शिरकत करेंगे। इसके अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलदीप बिश्नोई करेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया, विधायक भव्य बिश्नोई, विधायक दुड़ाराम बिश्नोई और मेघालय के डीजीपी डॉ. एलआर बिश्नोई होंगे। बता दें कि 2023 में इसी मंदिर में जन्माष्टमी पर हुए कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहुंचे थे। उन्होंने मंदिर में चौधरी भजनलाल की प्रतिमा का अनवारण किया था। इसके बाद लोकसभा चुनावों में मनोहर लाल ने चौधरी भजनलाल पर एक राजनीतिक बयान दिया जिससे बिश्नोई समाज में काफी नाराजगी है। इस कारण केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया है। 28 साल बाद कोई सीएम बिश्नोई मंदिर पहुंचा था
मनोहर लाल खट्टर पिछले साल जन्माष्टमी पर हिसार के बिश्नोई मंदिर में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। भजन लाल के बाद मनोहर लाल दूसरे सीएम थे, जो बिश्नोई मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। मनोहर लाल ने पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल की प्रतिमा का अनावरण भी किया था। खट्टर ने तब कहा था कि रेलवे स्टेशन का नाम भी पूर्व सीएम भजन लाल के नाम पर रखा जाएगा और इसके लिए वे रेलवे विभाग को पत्र लिखेंगे। इसके अलावा हिसार में मटका चौक का नाम चौधरी भजन लाल के नाम पर रखने की घोषणा की थी। लेकिन ये दोनों घोषणाएं आज तक पूरी नहीं हो सकीं।