अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का हरियाणा पर असर हो रहा है। इसकी वजह सूबे का हैंडलूम बिजनेस है। यहां के एक्सपोर्टर इसको लेकर काफी चिंतित हो रहे हैं। करीब 50 प्रतिशत हैंडलूम प्रोडक्ट केवल अमेरिका को ही एक्सपोर्ट किया जाता है। निर्यातकों ने हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद (HEPC) के जरिए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने ये मुद्दा उठाया है। हरियाणा के पानीपत से कुशन, कंबल, बेडशीट, बेड कवर, टॉप बेड आइटम, बाथ मैट और अन्य उत्पाद जैसे हथकरघा उत्पाद अमेरिका, यूरोपीय देशों, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के लगभग सभी अन्य क्षेत्रों में निर्यात किए जा रहे हैं। टेक्सटाइल सिटी में हथकरघा उद्योग का एनुअल बिजनेस 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और यह 20 हजार करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात करता है। अमेरिका हथकरघा वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अमेरिका हरियाणा के हैंडलूम सिटी पानीपत से हथकरघा उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है, जो वैश्विक बाजार के लिए कुल खेप का लगभग 50 प्रतिशत आयात करता है। पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि हथकरघा उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और उन्होंने केंद्र से आयात शुल्क कम करने का अनुरोध किया है। टैरिफ से कंपटीशन बढ़ेगा हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, पानीपत चैप्टर के अध्यक्ष विनोद धमीजा ने कहा कि निर्यातक ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ को लेकर वास्तव में चिंतित हैं, जिसे 2 अप्रैल को अंतिम रूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पारस्परिक टैरिफ निश्चित रूप से पानीपत से निर्यात को प्रभावित करेगा क्योंकि शहर से निर्यात किए जाने वाले कुल उत्पादों का 50 प्रतिशत से अधिक अमेरिका में बाजार पाता है। उन्होंने कहा, “यदि पारस्परिक टैरिफ लागू किया गया, तो पानीपत के निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाएगी।” केंद्र सरकार तक पहुंचा मामला एचईपीसी के चेयरमैन और पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ की घोषणा निर्यातकों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, “हमने एचईपीसी के माध्यम से केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है और उनसे जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाने का अनुरोध किया है।” 6% से बढ़कर टैरिफ 22% तक पहुंचा गोयल ने आगे कहा कि भारत ने मशीन से बने कालीन का आयात किया जिस पर 22 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया, जबकि हथकरघा उत्पादों पर निर्यात टैरिफ लगभग 0-6 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका से मशीन से बने कालीन का आयात केवल 50 करोड़ रुपए का था, लेकिन हथकरघा उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रुपए के आसपास था। गोयल ने कहा, “हमने उद्योग को ट्रम्प की पारस्परिक कार्रवाई से बचाने के लिए केंद्र सरकार से आयात शुल्क कम करने का अनुरोध किया है।” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का हरियाणा पर असर हो रहा है। इसकी वजह सूबे का हैंडलूम बिजनेस है। यहां के एक्सपोर्टर इसको लेकर काफी चिंतित हो रहे हैं। करीब 50 प्रतिशत हैंडलूम प्रोडक्ट केवल अमेरिका को ही एक्सपोर्ट किया जाता है। निर्यातकों ने हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद (HEPC) के जरिए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने ये मुद्दा उठाया है। हरियाणा के पानीपत से कुशन, कंबल, बेडशीट, बेड कवर, टॉप बेड आइटम, बाथ मैट और अन्य उत्पाद जैसे हथकरघा उत्पाद अमेरिका, यूरोपीय देशों, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के लगभग सभी अन्य क्षेत्रों में निर्यात किए जा रहे हैं। टेक्सटाइल सिटी में हथकरघा उद्योग का एनुअल बिजनेस 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और यह 20 हजार करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात करता है। अमेरिका हथकरघा वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अमेरिका हरियाणा के हैंडलूम सिटी पानीपत से हथकरघा उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है, जो वैश्विक बाजार के लिए कुल खेप का लगभग 50 प्रतिशत आयात करता है। पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि हथकरघा उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और उन्होंने केंद्र से आयात शुल्क कम करने का अनुरोध किया है। टैरिफ से कंपटीशन बढ़ेगा हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, पानीपत चैप्टर के अध्यक्ष विनोद धमीजा ने कहा कि निर्यातक ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ को लेकर वास्तव में चिंतित हैं, जिसे 2 अप्रैल को अंतिम रूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पारस्परिक टैरिफ निश्चित रूप से पानीपत से निर्यात को प्रभावित करेगा क्योंकि शहर से निर्यात किए जाने वाले कुल उत्पादों का 50 प्रतिशत से अधिक अमेरिका में बाजार पाता है। उन्होंने कहा, “यदि पारस्परिक टैरिफ लागू किया गया, तो पानीपत के निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाएगी।” केंद्र सरकार तक पहुंचा मामला एचईपीसी के चेयरमैन और पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ की घोषणा निर्यातकों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, “हमने एचईपीसी के माध्यम से केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है और उनसे जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाने का अनुरोध किया है।” 6% से बढ़कर टैरिफ 22% तक पहुंचा गोयल ने आगे कहा कि भारत ने मशीन से बने कालीन का आयात किया जिस पर 22 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया, जबकि हथकरघा उत्पादों पर निर्यात टैरिफ लगभग 0-6 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका से मशीन से बने कालीन का आयात केवल 50 करोड़ रुपए का था, लेकिन हथकरघा उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रुपए के आसपास था। गोयल ने कहा, “हमने उद्योग को ट्रम्प की पारस्परिक कार्रवाई से बचाने के लिए केंद्र सरकार से आयात शुल्क कम करने का अनुरोध किया है।” हरियाणा | दैनिक भास्कर
