स्मगलिंग का गोल्ड पेट से निकालने को स्पेशल टॉयलेट सीट:30–30 हजार में दुबई जाते हैं कूरियर बॉय, 1 KG सोने पर 20 लाख की कमाई

स्मगलिंग का गोल्ड पेट से निकालने को स्पेशल टॉयलेट सीट:30–30 हजार में दुबई जाते हैं कूरियर बॉय, 1 KG सोने पर 20 लाख की कमाई

यूपी के मुरादाबाद में 23 मई को पकड़े गए 4 सोना तस्करों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि रामपुर में कस्बा टांडा क्षेत्र के करीब 150 युवक तस्करी में शामिल हैं। फाइनेंसर उन्हें अपने खर्चे पर दुबई भेजते हैं। उसके बदले गोल्ड मंगवाते हैं। एक गोल्ड कैप्सूल 30 से 35 ग्राम का होता है। एक स्मगलर एक बार में औसत 6 से 8 कैप्सूल अपने पेट में डालकर लाता है। दुबई एयरपोर्ट पर चेक-इन सिक्योरिटी में सेंधमारी करके ये गैंग भारत में एंट्री पा लेता है। ये गैंग मेंबर जिस सीक्रेट जगह पेट से सोना बाहर निकालते है, वहां बाथरूम भी स्पेशल हैं। मतलब, टॉयलेट सीट के ऊपर स्टील जाली होती है, ताकि पेट से जितना मल निकले, वो जाली के ऊपर गिरे और बाद में उसको पानी से साफ करके सोने के कैप्सूल अलग निकाल लिए जाएं। दैनिक भास्कर ने गैंग की मोडस ऑपरेंडी, दुबई से भारत का रूट चार्ट समझा। टांडा इलाका क्यों बदनाम है, ये भी जानने की कोशिश की। पढ़िए ये खास रिपोर्ट… स्मगलर बताते हैं- दुबई एयरपोर्ट पर किस गेट से होना है चेक-इन इस पूरे केस का सुपरविजन कर रहे मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- रामपुर जिले के टांडा क्षेत्र में इस गैंग से जुड़े लोगों के छोटे-छोटे ग्रुप बने हुए हैं। 3-4 युवकों का ग्रुप एक साथ दुबई जाता है। वहां 7 से 10 दिन गुजारते हैं और गोल्ड खरीदकर भारत ले आते हैं। इनके फ्लाइट टिकट से लेकर दुबई में रुकने तक के इंतजाम फाइनेंसर करते हैं। हमने पूछा- क्या दुबई एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग में सोना नहीं पकड़ा जाता? इस सवाल पर वे कहते हैं- थर्मल स्कैनिंग सिर्फ बैग (लगेज) की होती है। इंसान की चेकिंग मैनुअली मेटल डिटेक्टर के थ्रू होती है। इस गैंग की पहुंच सिक्योरिटी तक है। दुबई एयरपोर्ट पर मौजूद गैंग मेंबर पहले बता देता है कि किस गेट से एंट्री करनी है। जैसे ही स्मगलर चेक-इन गेट तक पहुंचता है, सिक्योरिटी को इशारा करके उस व्यक्ति को बिना जांच आगे निकाल दिया जाता है। इसके बाद दुबई एयरपोर्ट से भारत तक कोई चेकिंग नहीं होती। भारत में मुंबई, दिल्ली या नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट पर जब चेक-आउट करते हैं, तब किसी भी यात्री की कोई जांच नहीं होती। मतलब इस गैंग को सिर्फ दुबई एयरपोर्ट की चेकिंग में सेंध लगानी होती है, बाकी जगह नहीं। गोल्ड कैप्सूल का साइज नॉर्मल कैप्सूल जैसा, पानी से निगल जाते हैं
स्मगलर गोल्ड कैप्सूल को कैसे निगलते हैं? इस पर मुरादाबाद के SSP सतपाल अंतिल बताते हैं- आरोपियों ने सामान्य कैप्सूल की तरह ही इसको मुंह के रास्ते निगलने की बात कबूली है। गोल्ड कैप्सूल का साइज सामान्य कैप्सूल जितना था, सिर्फ मोटाई थोड़ा ज्यादा है। वजन 30 से 35 ग्राम है। अब ये लोग गोल्ड कैप्सूल निगलने के हैबिचुअल हो चुके हैं। ज्यादातर बार ये कैप्सूल निगलने के बाद सीधे मल द्वार तक पहुंच जाते हैं। कई बार कैप्सूल पेट की दूसरी जगहों पर ही अटके रह जाते हैं। अटके हुए कैप्सूल को निकालने के लिए इस गैंग के टच में डॉक्टर भी हैं। फिलहाल जो 4 स्मगलर पकड़े गए हैं, उनमें से एक आरोपी मुत्तलिब के पेट में एक कैप्सूल अटका हुआ है। दुबई से चलने से लेकर भारत में अपने ठिकाने पहुंचने तक ये स्मगलर शौच करने नहीं जाते। 23 मई को जो गोल्ड स्मगलर जुल्फिकार पकड़ा गया है, वह ट्रैवल चार्ट के मुताबिक 40 से ज्यादा बार दुबई जा चुका है। जुल्फिकार करीब 7 साल से गोल्ड तस्करी के धंधे से जुड़ा था। गैंग में ज्वैलर्स से लेकर ट्रैवल एजेंट और डॉक्टर तक शामिल
क्या इन स्मगलरों के पास इतना पैसा है कि ये दुबई से 1-1 करोड़ रुपए का सोना एक बार में ले आएं? इसके जवाब में मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- हमें अब तक मुरादाबाद और रामपुर के कुल 8 नाम मिल गए हैं। ये सभी फाइनेंसर हैं। ये सर्राफा व्यापारी, ट्रैवल एजेंट, डॉक्टर और कुछ अमीर लोग हैं। यही लोग स्मगलरों का पासपोर्ट बनवाते हैं। उनके फ्लाइट टिकट कराते हैं। दुबई के होटल तक की बुकिंग यहीं से एडवांस करते हैं। इसके अलावा प्रति व्यक्ति को 20-30 हजार रुपए देते हैं। फिर उससे लाखों रुपए का सोना मंगवा लेते हैं। स्मगलरों को ये फायदा होता है कि उन्हें महीने में कम से कम एक बार दुबई फ्री में घूमने का मौका मिल जाता है। वो आलीशान होटल में ठहरते हैं, वहां मौज-मस्ती करते हैं। ऊपर से उन्हें 20-30 हजार रुपए भी मिल जाते हैं। वे एक तरह से कूरियर बॉय हैं। गोल्ड तस्करी की मुख्य जड़ फाइनेंसर हैं, जिन्हें पुलिस पकड़ने का प्रयास कर रही है। एक फाइनेंसर जाहिद पकड़ा गया है। ये प्रॉपर्टी कारोबारी है और सभासद का चुनाव लड़ चुका है। जाहिद ने ही 30-30 हजार रुपए देकर चारों स्मगलरों को दुबई भेजा था। किसकी क्या भूमिका? डॉक्टर : अगर किसी स्मगलर के पेट में गोल्ड कैप्सूल फंसा रह जाए तो उसे ऑपरेशन या दूसरे तरीकों से निकालने की जिम्मेदारी इन स्पेशल डॉक्टरों की होती है। डॉक्टर इसके बदले पैसा वसूलते हैं। कई बार सोने में उनकी हिस्सेदारी भी होती है। शर्त होती है कि वो पुलिस या किसी और को इसके बारे में नहीं बताएंगे। ट्रैवल एजेंट : गोल्ड तस्करी के लिए दुबई जाने वाले स्मगलरों के पासपोर्ट बनवाना, उनके फ्लाइट टिकट करवाना और दुबई में ठहरने के लिए होटल की बुकिंग करने का काम इन्हीं एजेंट्स पर होता है। पुलिस तक जानकारी न पहुंचे, इसलिए ये ट्रैवल एजेंट्स स्मगलर की डिटेल्स सीक्रेट रखते हैं। सर्राफा व्यापारी : बताते हैं, दुबई के गोल्ड की प्योरिटी भारत से कहीं ज्यादा होती है। इसलिए उसे खरीदने वाले सर्राफा व्यापारी एडवांस में ही ऑर्डर दे देते हैं। जो गोल्ड दुबई से आता है, अगर उसमें मामूली मिलावट भी कर दी जाए, तब भी उसकी प्योरिटी भारत के गोल्ड से कमतर नहीं होती। इसलिए सर्राफा व्यापारी उस गोल्ड को खरीदकर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। सोना तस्करी, पुरानी करेंसी और जासूसी के लिए टांडा बदनाम अब जानिए क्या है पूरा मामला? रामपुर जिले में कस्बा टांडा क्षेत्र के मोहम्मद मुत्तलिब, अजहरुद्दीन, शाने आलम और जुल्फिकार अली 23 मई को दुबई की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे। मुंबई से फ्लाइट लेकर दिल्ली IGI एयरपोर्ट पर उतरे। यहां से टैक्सी लेकर रामपुर आ रहे थे। दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर मुरादाबाद जिले में बाइपास पर बंद पड़े टोल प्लाजा पर कुछ युवकों ने कस्टम ऑफिसर बताकर उनकी कार रुकवा ली। जांच के बहाने उन्हें एक जंगल में ले जाने लगे। इस दौरान स्मगलरों का एक साथी चलती गाड़ी से कूदकर भाग निकला। उसने नजदीकी गांववालों को किडनैप की जानकारी दी। गांववालों ने डायल-112 पर कॉल कर दिया। तत्काल पुलिस पहुंच गई। दो किडनैपर और चार गोल्ड स्मगलर पकड़े गए। इन चारों के पेट से अब तक गोल्ड के 28 कैप्सूल निकल चुके हैं। प्रति कैप्सूल का वजन 30-35 ग्राम है। यानि एक करोड़ रुपए से ज्यादा का गोल्ड रिकवर हो चुका है। दरअसल, जिस तरह गोल्ड स्मगलरों का रैकेट है, उसी तरह इन्हें लूटने-ठगने वाला भी एक रैकेट है। दोनों किडनैपर्स इसी दूसरे रैकेट के मेंबर थे। इनके तार भी दुबई से जुड़े हैं। दुबई एयरपोर्ट से जैसे ही स्मगलर गोल्ड लेकर भारत के लिए निकलते हैं, इन किडनैपर्स को खबर पहुंच जाती है और ये एक्टिव हो जाते हैं। चूंकि गोल्ड स्मगलिंग का होता है, इसलिए लूट-ठगी होने पर कोई पुलिस से कंप्लेंट भी नहीं करता। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सिखों ने गरीबी-बेरोजगारी के चलते धर्म छोड़ा, पैसे और मकान का लालच मिला तो बन गए ईसाई नेपाल बॉर्डर से सटे उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के 3 गांवों में धर्मांतरण करने वाले लोगों में 3 बातें कॉमन रहीं। सभी को बीमारी से मुक्ति दिलाने, पैसे देने और भविष्य में मकान बनवाने का लालच दिया गया। पैसा नहीं मिलने या दूसरी वजहों से ईसाई धर्म छोड़कर सिख धर्म में वापस आए कई परिवारों ने कैमरे पर यह बात कबूली। पढ़ें पूरी खबर यूपी के मुरादाबाद में 23 मई को पकड़े गए 4 सोना तस्करों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि रामपुर में कस्बा टांडा क्षेत्र के करीब 150 युवक तस्करी में शामिल हैं। फाइनेंसर उन्हें अपने खर्चे पर दुबई भेजते हैं। उसके बदले गोल्ड मंगवाते हैं। एक गोल्ड कैप्सूल 30 से 35 ग्राम का होता है। एक स्मगलर एक बार में औसत 6 से 8 कैप्सूल अपने पेट में डालकर लाता है। दुबई एयरपोर्ट पर चेक-इन सिक्योरिटी में सेंधमारी करके ये गैंग भारत में एंट्री पा लेता है। ये गैंग मेंबर जिस सीक्रेट जगह पेट से सोना बाहर निकालते है, वहां बाथरूम भी स्पेशल हैं। मतलब, टॉयलेट सीट के ऊपर स्टील जाली होती है, ताकि पेट से जितना मल निकले, वो जाली के ऊपर गिरे और बाद में उसको पानी से साफ करके सोने के कैप्सूल अलग निकाल लिए जाएं। दैनिक भास्कर ने गैंग की मोडस ऑपरेंडी, दुबई से भारत का रूट चार्ट समझा। टांडा इलाका क्यों बदनाम है, ये भी जानने की कोशिश की। पढ़िए ये खास रिपोर्ट… स्मगलर बताते हैं- दुबई एयरपोर्ट पर किस गेट से होना है चेक-इन इस पूरे केस का सुपरविजन कर रहे मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- रामपुर जिले के टांडा क्षेत्र में इस गैंग से जुड़े लोगों के छोटे-छोटे ग्रुप बने हुए हैं। 3-4 युवकों का ग्रुप एक साथ दुबई जाता है। वहां 7 से 10 दिन गुजारते हैं और गोल्ड खरीदकर भारत ले आते हैं। इनके फ्लाइट टिकट से लेकर दुबई में रुकने तक के इंतजाम फाइनेंसर करते हैं। हमने पूछा- क्या दुबई एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग में सोना नहीं पकड़ा जाता? इस सवाल पर वे कहते हैं- थर्मल स्कैनिंग सिर्फ बैग (लगेज) की होती है। इंसान की चेकिंग मैनुअली मेटल डिटेक्टर के थ्रू होती है। इस गैंग की पहुंच सिक्योरिटी तक है। दुबई एयरपोर्ट पर मौजूद गैंग मेंबर पहले बता देता है कि किस गेट से एंट्री करनी है। जैसे ही स्मगलर चेक-इन गेट तक पहुंचता है, सिक्योरिटी को इशारा करके उस व्यक्ति को बिना जांच आगे निकाल दिया जाता है। इसके बाद दुबई एयरपोर्ट से भारत तक कोई चेकिंग नहीं होती। भारत में मुंबई, दिल्ली या नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट पर जब चेक-आउट करते हैं, तब किसी भी यात्री की कोई जांच नहीं होती। मतलब इस गैंग को सिर्फ दुबई एयरपोर्ट की चेकिंग में सेंध लगानी होती है, बाकी जगह नहीं। गोल्ड कैप्सूल का साइज नॉर्मल कैप्सूल जैसा, पानी से निगल जाते हैं
स्मगलर गोल्ड कैप्सूल को कैसे निगलते हैं? इस पर मुरादाबाद के SSP सतपाल अंतिल बताते हैं- आरोपियों ने सामान्य कैप्सूल की तरह ही इसको मुंह के रास्ते निगलने की बात कबूली है। गोल्ड कैप्सूल का साइज सामान्य कैप्सूल जितना था, सिर्फ मोटाई थोड़ा ज्यादा है। वजन 30 से 35 ग्राम है। अब ये लोग गोल्ड कैप्सूल निगलने के हैबिचुअल हो चुके हैं। ज्यादातर बार ये कैप्सूल निगलने के बाद सीधे मल द्वार तक पहुंच जाते हैं। कई बार कैप्सूल पेट की दूसरी जगहों पर ही अटके रह जाते हैं। अटके हुए कैप्सूल को निकालने के लिए इस गैंग के टच में डॉक्टर भी हैं। फिलहाल जो 4 स्मगलर पकड़े गए हैं, उनमें से एक आरोपी मुत्तलिब के पेट में एक कैप्सूल अटका हुआ है। दुबई से चलने से लेकर भारत में अपने ठिकाने पहुंचने तक ये स्मगलर शौच करने नहीं जाते। 23 मई को जो गोल्ड स्मगलर जुल्फिकार पकड़ा गया है, वह ट्रैवल चार्ट के मुताबिक 40 से ज्यादा बार दुबई जा चुका है। जुल्फिकार करीब 7 साल से गोल्ड तस्करी के धंधे से जुड़ा था। गैंग में ज्वैलर्स से लेकर ट्रैवल एजेंट और डॉक्टर तक शामिल
क्या इन स्मगलरों के पास इतना पैसा है कि ये दुबई से 1-1 करोड़ रुपए का सोना एक बार में ले आएं? इसके जवाब में मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- हमें अब तक मुरादाबाद और रामपुर के कुल 8 नाम मिल गए हैं। ये सभी फाइनेंसर हैं। ये सर्राफा व्यापारी, ट्रैवल एजेंट, डॉक्टर और कुछ अमीर लोग हैं। यही लोग स्मगलरों का पासपोर्ट बनवाते हैं। उनके फ्लाइट टिकट कराते हैं। दुबई के होटल तक की बुकिंग यहीं से एडवांस करते हैं। इसके अलावा प्रति व्यक्ति को 20-30 हजार रुपए देते हैं। फिर उससे लाखों रुपए का सोना मंगवा लेते हैं। स्मगलरों को ये फायदा होता है कि उन्हें महीने में कम से कम एक बार दुबई फ्री में घूमने का मौका मिल जाता है। वो आलीशान होटल में ठहरते हैं, वहां मौज-मस्ती करते हैं। ऊपर से उन्हें 20-30 हजार रुपए भी मिल जाते हैं। वे एक तरह से कूरियर बॉय हैं। गोल्ड तस्करी की मुख्य जड़ फाइनेंसर हैं, जिन्हें पुलिस पकड़ने का प्रयास कर रही है। एक फाइनेंसर जाहिद पकड़ा गया है। ये प्रॉपर्टी कारोबारी है और सभासद का चुनाव लड़ चुका है। जाहिद ने ही 30-30 हजार रुपए देकर चारों स्मगलरों को दुबई भेजा था। किसकी क्या भूमिका? डॉक्टर : अगर किसी स्मगलर के पेट में गोल्ड कैप्सूल फंसा रह जाए तो उसे ऑपरेशन या दूसरे तरीकों से निकालने की जिम्मेदारी इन स्पेशल डॉक्टरों की होती है। डॉक्टर इसके बदले पैसा वसूलते हैं। कई बार सोने में उनकी हिस्सेदारी भी होती है। शर्त होती है कि वो पुलिस या किसी और को इसके बारे में नहीं बताएंगे। ट्रैवल एजेंट : गोल्ड तस्करी के लिए दुबई जाने वाले स्मगलरों के पासपोर्ट बनवाना, उनके फ्लाइट टिकट करवाना और दुबई में ठहरने के लिए होटल की बुकिंग करने का काम इन्हीं एजेंट्स पर होता है। पुलिस तक जानकारी न पहुंचे, इसलिए ये ट्रैवल एजेंट्स स्मगलर की डिटेल्स सीक्रेट रखते हैं। सर्राफा व्यापारी : बताते हैं, दुबई के गोल्ड की प्योरिटी भारत से कहीं ज्यादा होती है। इसलिए उसे खरीदने वाले सर्राफा व्यापारी एडवांस में ही ऑर्डर दे देते हैं। जो गोल्ड दुबई से आता है, अगर उसमें मामूली मिलावट भी कर दी जाए, तब भी उसकी प्योरिटी भारत के गोल्ड से कमतर नहीं होती। इसलिए सर्राफा व्यापारी उस गोल्ड को खरीदकर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। सोना तस्करी, पुरानी करेंसी और जासूसी के लिए टांडा बदनाम अब जानिए क्या है पूरा मामला? रामपुर जिले में कस्बा टांडा क्षेत्र के मोहम्मद मुत्तलिब, अजहरुद्दीन, शाने आलम और जुल्फिकार अली 23 मई को दुबई की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे। मुंबई से फ्लाइट लेकर दिल्ली IGI एयरपोर्ट पर उतरे। यहां से टैक्सी लेकर रामपुर आ रहे थे। दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर मुरादाबाद जिले में बाइपास पर बंद पड़े टोल प्लाजा पर कुछ युवकों ने कस्टम ऑफिसर बताकर उनकी कार रुकवा ली। जांच के बहाने उन्हें एक जंगल में ले जाने लगे। इस दौरान स्मगलरों का एक साथी चलती गाड़ी से कूदकर भाग निकला। उसने नजदीकी गांववालों को किडनैप की जानकारी दी। गांववालों ने डायल-112 पर कॉल कर दिया। तत्काल पुलिस पहुंच गई। दो किडनैपर और चार गोल्ड स्मगलर पकड़े गए। इन चारों के पेट से अब तक गोल्ड के 28 कैप्सूल निकल चुके हैं। प्रति कैप्सूल का वजन 30-35 ग्राम है। यानि एक करोड़ रुपए से ज्यादा का गोल्ड रिकवर हो चुका है। दरअसल, जिस तरह गोल्ड स्मगलरों का रैकेट है, उसी तरह इन्हें लूटने-ठगने वाला भी एक रैकेट है। दोनों किडनैपर्स इसी दूसरे रैकेट के मेंबर थे। इनके तार भी दुबई से जुड़े हैं। दुबई एयरपोर्ट से जैसे ही स्मगलर गोल्ड लेकर भारत के लिए निकलते हैं, इन किडनैपर्स को खबर पहुंच जाती है और ये एक्टिव हो जाते हैं। चूंकि गोल्ड स्मगलिंग का होता है, इसलिए लूट-ठगी होने पर कोई पुलिस से कंप्लेंट भी नहीं करता। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सिखों ने गरीबी-बेरोजगारी के चलते धर्म छोड़ा, पैसे और मकान का लालच मिला तो बन गए ईसाई नेपाल बॉर्डर से सटे उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के 3 गांवों में धर्मांतरण करने वाले लोगों में 3 बातें कॉमन रहीं। सभी को बीमारी से मुक्ति दिलाने, पैसे देने और भविष्य में मकान बनवाने का लालच दिया गया। पैसा नहीं मिलने या दूसरी वजहों से ईसाई धर्म छोड़कर सिख धर्म में वापस आए कई परिवारों ने कैमरे पर यह बात कबूली। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर