हरियाणा कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। हुड्डा ने विदेश से लौटे पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को न सिर्फ शांत किया, बल्कि सोनीपत में भरी सभा में हाथ मिलाकर कसम भी दिलवाई कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। जिस पर कुलदीप शर्मा ने भी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते हुए कहा कि वे दुनिया छोड़ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोच सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हुड्डा कांग्रेस छोड़ सकते हैं, लेकिन मैं नहीं। कांग्रेस के अंतर्कलह में गई SRK गुट की मेन धुरी हरियाणा कांग्रेस पर अंदरूनी मतभेद और असंतोष के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह में SRK गुट की मुख्य धुरी खो गई। कांग्रेस से नाराज चल रही तोशाम विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने जब कांग्रेस छोड़ी, तो कुलदीप शर्मा की नाराजगी और कांग्रेस छोड़ने की चर्चाओं ने जन्म ले लिया। क्योंकि कुलदीप शर्मा भी करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पहले शर्मा ने अपने बेटे चाणक्य के लिए टिकट मांगा था लेकिन चाणक्य का टिकट कटा तो कुलदीप ने अपने लिए टिकट मांगा, न तो बाप को टिकट मिला और न ही बेटे को। जिससे कुलदीप शर्मा नाराज नजर आ रहे थे और यही वजह मानी जा रही थी कि उन्होंने करनाल से कांग्रेस के प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा के लिए प्रचार नहीं किया और न ही कार्यक्रमों में दिखाई दिए। भागने की कोशिश मत करना पंडित जी कुलदीप शर्मा विदेश में थे और 20 जून को वापस लौटे और आते ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डैमेज कंट्रोल के लिए कुलदीप शर्मा को मना लिया। सोनीपत में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुड्डा ने कुलदीप शर्मा से कहा कि सुनो पंडित जी, जिसका हाथ थामा है, उसे मैंने छोड़ा नहीं है और अगर तुम छोड़ना भी चाहोगे तो भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, भागने की कोशिश मत करना भाई। हुड्डा के बयान में कहीं न कहीं एक तरह की बेबसी भी झलक रही है, हो सकता है कि कुलदीप शर्मा भी किरण चौधरी की तरह पार्टी छोड़ दें। कांग्रेस छोड़ दूं, ऐसी गलतफहमी न पाले हालांकि कुलदीप शर्मा ने अपने बयान के जरिए साफ कर दिया है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विदेश में था और मेरी पीठ पीछे अफवाहें फैलाई गईं। जो लोग कल कांग्रेस में शामिल हुए, वे मुझे कांग्रेस से दूर भेजने का सपना देख रहे हैं। ऐसे लोगों को थोड़ा शांत और नरम होने की जरूरत है। मैं इस दुनिया से जा सकता हूं, लेकिन किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ दूंगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मेरे मित्र और बड़े भाई हैं। अगर वे कांग्रेस छोड़ेंगे तो हुड्डा भी छोड़ देंगे, मैं नहीं छोड़ने वाला। जानें कुलदीप शर्मा का राजनीतिक सफर कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजीलाल जो चार बार सांसद रहे, उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में अहम भूमिका मानी जाती है। कुलदीप ने 2009 में गन्नौर से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कुलदीप शर्मा हरियाणा कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुलदीप शर्मा ने 2014 में भी चुनाव जीता था। विधानसभा में हार का सामना न करना पड़े ऐसे में कांग्रेस में इन बढ़ती असंतोष की आवाजों के बीच हुड्डा का यह कदम पार्टी की एकजुटता को बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हुड्डा को डर है कि अगर कुलदीप शर्मा भी पार्टी छोड़ देते हैं तो यह कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका होगा, इसलिए वह अब डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी कलह के कारण करनाल लोकसभा और विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने खुद आरोप लगाया है कि स्थानीय नेताओं ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा और वे चुनाव हार गए। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी सामने आई तो कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा जीतना आसान नहीं होगा। हरियाणा कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। हुड्डा ने विदेश से लौटे पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को न सिर्फ शांत किया, बल्कि सोनीपत में भरी सभा में हाथ मिलाकर कसम भी दिलवाई कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। जिस पर कुलदीप शर्मा ने भी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते हुए कहा कि वे दुनिया छोड़ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोच सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हुड्डा कांग्रेस छोड़ सकते हैं, लेकिन मैं नहीं। कांग्रेस के अंतर्कलह में गई SRK गुट की मेन धुरी हरियाणा कांग्रेस पर अंदरूनी मतभेद और असंतोष के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह में SRK गुट की मुख्य धुरी खो गई। कांग्रेस से नाराज चल रही तोशाम विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने जब कांग्रेस छोड़ी, तो कुलदीप शर्मा की नाराजगी और कांग्रेस छोड़ने की चर्चाओं ने जन्म ले लिया। क्योंकि कुलदीप शर्मा भी करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पहले शर्मा ने अपने बेटे चाणक्य के लिए टिकट मांगा था लेकिन चाणक्य का टिकट कटा तो कुलदीप ने अपने लिए टिकट मांगा, न तो बाप को टिकट मिला और न ही बेटे को। जिससे कुलदीप शर्मा नाराज नजर आ रहे थे और यही वजह मानी जा रही थी कि उन्होंने करनाल से कांग्रेस के प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा के लिए प्रचार नहीं किया और न ही कार्यक्रमों में दिखाई दिए। भागने की कोशिश मत करना पंडित जी कुलदीप शर्मा विदेश में थे और 20 जून को वापस लौटे और आते ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डैमेज कंट्रोल के लिए कुलदीप शर्मा को मना लिया। सोनीपत में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुड्डा ने कुलदीप शर्मा से कहा कि सुनो पंडित जी, जिसका हाथ थामा है, उसे मैंने छोड़ा नहीं है और अगर तुम छोड़ना भी चाहोगे तो भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, भागने की कोशिश मत करना भाई। हुड्डा के बयान में कहीं न कहीं एक तरह की बेबसी भी झलक रही है, हो सकता है कि कुलदीप शर्मा भी किरण चौधरी की तरह पार्टी छोड़ दें। कांग्रेस छोड़ दूं, ऐसी गलतफहमी न पाले हालांकि कुलदीप शर्मा ने अपने बयान के जरिए साफ कर दिया है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विदेश में था और मेरी पीठ पीछे अफवाहें फैलाई गईं। जो लोग कल कांग्रेस में शामिल हुए, वे मुझे कांग्रेस से दूर भेजने का सपना देख रहे हैं। ऐसे लोगों को थोड़ा शांत और नरम होने की जरूरत है। मैं इस दुनिया से जा सकता हूं, लेकिन किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ दूंगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मेरे मित्र और बड़े भाई हैं। अगर वे कांग्रेस छोड़ेंगे तो हुड्डा भी छोड़ देंगे, मैं नहीं छोड़ने वाला। जानें कुलदीप शर्मा का राजनीतिक सफर कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजीलाल जो चार बार सांसद रहे, उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में अहम भूमिका मानी जाती है। कुलदीप ने 2009 में गन्नौर से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कुलदीप शर्मा हरियाणा कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुलदीप शर्मा ने 2014 में भी चुनाव जीता था। विधानसभा में हार का सामना न करना पड़े ऐसे में कांग्रेस में इन बढ़ती असंतोष की आवाजों के बीच हुड्डा का यह कदम पार्टी की एकजुटता को बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हुड्डा को डर है कि अगर कुलदीप शर्मा भी पार्टी छोड़ देते हैं तो यह कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका होगा, इसलिए वह अब डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी कलह के कारण करनाल लोकसभा और विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने खुद आरोप लगाया है कि स्थानीय नेताओं ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा और वे चुनाव हार गए। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी सामने आई तो कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा जीतना आसान नहीं होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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