हरियाणा कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। हुड्डा ने विदेश से लौटे पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को न सिर्फ शांत किया, बल्कि सोनीपत में भरी सभा में हाथ मिलाकर कसम भी दिलवाई कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। जिस पर कुलदीप शर्मा ने भी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते हुए कहा कि वे दुनिया छोड़ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोच सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हुड्डा कांग्रेस छोड़ सकते हैं, लेकिन मैं नहीं। कांग्रेस के अंतर्कलह में गई SRK गुट की मेन धुरी हरियाणा कांग्रेस पर अंदरूनी मतभेद और असंतोष के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह में SRK गुट की मुख्य धुरी खो गई। कांग्रेस से नाराज चल रही तोशाम विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने जब कांग्रेस छोड़ी, तो कुलदीप शर्मा की नाराजगी और कांग्रेस छोड़ने की चर्चाओं ने जन्म ले लिया। क्योंकि कुलदीप शर्मा भी करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पहले शर्मा ने अपने बेटे चाणक्य के लिए टिकट मांगा था लेकिन चाणक्य का टिकट कटा तो कुलदीप ने अपने लिए टिकट मांगा, न तो बाप को टिकट मिला और न ही बेटे को। जिससे कुलदीप शर्मा नाराज नजर आ रहे थे और यही वजह मानी जा रही थी कि उन्होंने करनाल से कांग्रेस के प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा के लिए प्रचार नहीं किया और न ही कार्यक्रमों में दिखाई दिए। भागने की कोशिश मत करना पंडित जी कुलदीप शर्मा विदेश में थे और 20 जून को वापस लौटे और आते ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डैमेज कंट्रोल के लिए कुलदीप शर्मा को मना लिया। सोनीपत में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुड्डा ने कुलदीप शर्मा से कहा कि सुनो पंडित जी, जिसका हाथ थामा है, उसे मैंने छोड़ा नहीं है और अगर तुम छोड़ना भी चाहोगे तो भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, भागने की कोशिश मत करना भाई। हुड्डा के बयान में कहीं न कहीं एक तरह की बेबसी भी झलक रही है, हो सकता है कि कुलदीप शर्मा भी किरण चौधरी की तरह पार्टी छोड़ दें। कांग्रेस छोड़ दूं, ऐसी गलतफहमी न पाले हालांकि कुलदीप शर्मा ने अपने बयान के जरिए साफ कर दिया है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विदेश में था और मेरी पीठ पीछे अफवाहें फैलाई गईं। जो लोग कल कांग्रेस में शामिल हुए, वे मुझे कांग्रेस से दूर भेजने का सपना देख रहे हैं। ऐसे लोगों को थोड़ा शांत और नरम होने की जरूरत है। मैं इस दुनिया से जा सकता हूं, लेकिन किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ दूंगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मेरे मित्र और बड़े भाई हैं। अगर वे कांग्रेस छोड़ेंगे तो हुड्डा भी छोड़ देंगे, मैं नहीं छोड़ने वाला। जानें कुलदीप शर्मा का राजनीतिक सफर कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजीलाल जो चार बार सांसद रहे, उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में अहम भूमिका मानी जाती है। कुलदीप ने 2009 में गन्नौर से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कुलदीप शर्मा हरियाणा कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुलदीप शर्मा ने 2014 में भी चुनाव जीता था। विधानसभा में हार का सामना न करना पड़े ऐसे में कांग्रेस में इन बढ़ती असंतोष की आवाजों के बीच हुड्डा का यह कदम पार्टी की एकजुटता को बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हुड्डा को डर है कि अगर कुलदीप शर्मा भी पार्टी छोड़ देते हैं तो यह कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका होगा, इसलिए वह अब डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी कलह के कारण करनाल लोकसभा और विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने खुद आरोप लगाया है कि स्थानीय नेताओं ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा और वे चुनाव हार गए। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी सामने आई तो कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा जीतना आसान नहीं होगा। हरियाणा कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। हुड्डा ने विदेश से लौटे पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को न सिर्फ शांत किया, बल्कि सोनीपत में भरी सभा में हाथ मिलाकर कसम भी दिलवाई कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। जिस पर कुलदीप शर्मा ने भी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते हुए कहा कि वे दुनिया छोड़ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोच सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हुड्डा कांग्रेस छोड़ सकते हैं, लेकिन मैं नहीं। कांग्रेस के अंतर्कलह में गई SRK गुट की मेन धुरी हरियाणा कांग्रेस पर अंदरूनी मतभेद और असंतोष के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह में SRK गुट की मुख्य धुरी खो गई। कांग्रेस से नाराज चल रही तोशाम विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने जब कांग्रेस छोड़ी, तो कुलदीप शर्मा की नाराजगी और कांग्रेस छोड़ने की चर्चाओं ने जन्म ले लिया। क्योंकि कुलदीप शर्मा भी करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पहले शर्मा ने अपने बेटे चाणक्य के लिए टिकट मांगा था लेकिन चाणक्य का टिकट कटा तो कुलदीप ने अपने लिए टिकट मांगा, न तो बाप को टिकट मिला और न ही बेटे को। जिससे कुलदीप शर्मा नाराज नजर आ रहे थे और यही वजह मानी जा रही थी कि उन्होंने करनाल से कांग्रेस के प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा के लिए प्रचार नहीं किया और न ही कार्यक्रमों में दिखाई दिए। भागने की कोशिश मत करना पंडित जी कुलदीप शर्मा विदेश में थे और 20 जून को वापस लौटे और आते ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डैमेज कंट्रोल के लिए कुलदीप शर्मा को मना लिया। सोनीपत में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुड्डा ने कुलदीप शर्मा से कहा कि सुनो पंडित जी, जिसका हाथ थामा है, उसे मैंने छोड़ा नहीं है और अगर तुम छोड़ना भी चाहोगे तो भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, भागने की कोशिश मत करना भाई। हुड्डा के बयान में कहीं न कहीं एक तरह की बेबसी भी झलक रही है, हो सकता है कि कुलदीप शर्मा भी किरण चौधरी की तरह पार्टी छोड़ दें। कांग्रेस छोड़ दूं, ऐसी गलतफहमी न पाले हालांकि कुलदीप शर्मा ने अपने बयान के जरिए साफ कर दिया है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विदेश में था और मेरी पीठ पीछे अफवाहें फैलाई गईं। जो लोग कल कांग्रेस में शामिल हुए, वे मुझे कांग्रेस से दूर भेजने का सपना देख रहे हैं। ऐसे लोगों को थोड़ा शांत और नरम होने की जरूरत है। मैं इस दुनिया से जा सकता हूं, लेकिन किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ दूंगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मेरे मित्र और बड़े भाई हैं। अगर वे कांग्रेस छोड़ेंगे तो हुड्डा भी छोड़ देंगे, मैं नहीं छोड़ने वाला। जानें कुलदीप शर्मा का राजनीतिक सफर कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजीलाल जो चार बार सांसद रहे, उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में अहम भूमिका मानी जाती है। कुलदीप ने 2009 में गन्नौर से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कुलदीप शर्मा हरियाणा कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुलदीप शर्मा ने 2014 में भी चुनाव जीता था। विधानसभा में हार का सामना न करना पड़े ऐसे में कांग्रेस में इन बढ़ती असंतोष की आवाजों के बीच हुड्डा का यह कदम पार्टी की एकजुटता को बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हुड्डा को डर है कि अगर कुलदीप शर्मा भी पार्टी छोड़ देते हैं तो यह कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका होगा, इसलिए वह अब डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी कलह के कारण करनाल लोकसभा और विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने खुद आरोप लगाया है कि स्थानीय नेताओं ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा और वे चुनाव हार गए। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी सामने आई तो कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा जीतना आसान नहीं होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा की फिरौती क्वीन की नेटवर्किंग:कोर्ट में पति-साथियों से मुलाकात, विदेश में भाई से टास्क, राजस्थान में काटी फरारी, कैश फ्लैटों में छुपाया
हरियाणा की फिरौती क्वीन की नेटवर्किंग:कोर्ट में पति-साथियों से मुलाकात, विदेश में भाई से टास्क, राजस्थान में काटी फरारी, कैश फ्लैटों में छुपाया हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर कौशल चौधरी की पत्नी और फिरौती क्वीन के नाम से मशहूर मनीषा चौधरी गुरुग्राम पुलिस के रिमांड पर है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रिमांड के दौरान उसने कई राज उगले हैं। पुलिस अब उसके इन राज को क्रॉस चेक करने में लगी हुई हैं। पिछले 7 माह उसने फरारी के तौर पर ज्यादातर समय राजस्थान में ही बिताया। उसने राजस्थान में जयपुर के अलावा कई जिलों में फ्लैट भी किराए पर लिए। विदेश में बैठे सगे भाई गैंगस्टर सौरव गाड़ौली से ही उसे डायरेक्शन मिल रही थी। गुरुग्राम और राजस्थान में एक्टिव गुर्गों के जरिए मनीषा ने कई बड़े शराब व सट्टा कारोबारी और होटल संचालकों से करोड़ों रुपए की वसूली भी की। कितने लोगों से कितने पैसों की वसूली की, इसका आंकड़ा बताने से मनीषा चौधरी बच रही है। फ्लैटों में छिपाकर रखी रंगदारी की रकम
पुलिस की जांच में यह पता चला है कि रंगदारी से वसूली गई रकम उसने जयपुर सहित अन्य शहरों में किराए पर लिए हुए फ्लैटों में छुपाकर रखी थी। रंगदारी के तौर पर वसूली गई रकम की बरामदगी को लेकर पुलिस पिछले 2 दिन से उसे राजस्थान लेकर गई हुई है। राजस्थान के भी कई बड़े कारोबारियों से रंगदारी वसूली गई थी। इसी के चलते सितंबर में राजस्थान के नीमराणा में होटल हाईवे किंग पर 32 राउंड फायरिंग कौशल के गुर्गों ने की थी। होटल संचालक से भी 5 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। जमानत मिलते ही गैंग को खुद संभाला
बता दें कि मनीषा चौधरी और गैंगस्टर अमित डागर की पत्नी ट्विंकल को गुरुग्राम की खांडसा मंडी में रंगदारी वसूलने के केस में 2023 में गिरफ्तार किया गया था। यहां 8 महीने से ज्यादा जेल में रहने के बाद मनीषा चौधरी फरवरी 2024 में जमानत पर छूटी थी। कौशल चौधरी और अमित डागर दोनों गुरुग्राम की भोंडसी जेल में बंद है। मनीषा चौधरी ने भी इसी जेल में 8 महीने गुजारे। जमानत के बाद मनीषा ने कौशल गैंग को सक्रिय किया। इसमें मनीषा के सगे भाई सौरव गाड़ौली, पवन उर्फ शौकीन व दिनेश उर्फ गांधी ने अहम रोल निभाया। ये तीनों विदेश में बैठ कर मनीषा के साथ फिरौती का रैकेट चला रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, मनीषा चौधरी इन तीनों के सीधे टच में थी। यहां से डायरेक्शन मिलने के बाद वह गुर्गों को भेजकर वारदात करवाती थी। गुरुग्राम पुलिस के मुताबिक, मनीषा चौधरी पति कौशल चौधरी व अमित डागर से उस वक्त मुलाकात करती थी जब उन्हें अलग-अलग शहरों में कोर्ट में पेशी पर लाया जाता था। चारों ने मिलकर गुरुग्राम, राजस्थान, पंजाब और यूपी के कई होटल संचालकों, शराब और सट्टा कारोबारियों से कौशल के नाम पर रंगदारी वसूली। सितंबर माह में जब एक के बाद एक रंगदारी मांगने की कई वारदातें हुई तो पुलिस ने कौशल के गुर्गे विजय काली को पकड़ा। उसने खुलासा किया कि ये पूरा सिंडिकेट मनीषा चौधरी चला रही है। जिसके बाद मनीषा की तलाश शुरू हुई। मनीषा को 10 नवंबर को गुरुग्राम की देवीलाल कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। कौशल के भाई मनीष से राजस्थान में पूछताछ
एक तरफ कौशल की पत्नी मनीषा चौधरी पुलिस रिमांड पर चल रही है। वहीं दूसरी तरफ कौशल के छोटे भाई मनीष को राजस्थान पुलिस ने होटल हाईवे किंग संचालक से रंगदारी मांगने के मामले में जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लिया है। मनीष पर भी 20 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं। उसे नीमराणा थाने में रखा गया है, जहां राजस्थान पुलिस के आला अधिकारी उससे पूछताछ कर रही है। एसीपी बोले-पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे
गुरुग्राम पुलिस के ACP वरूण दहिया ने बताया कि अभी मनीषा के रिमांड के चार दिन पूरे हुए हैं। उसे 6 दिन के रिमांड पर लिया गया है। उससे काफी जानकारियां पुलिस को मिली हैं। इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा। रंगदारी-फिरौती के तौर पर जो रकम वसूल की, उसकी बरामदगी को लेकर मनीषा को अलग-अलग जगह भी ले जाया जा रहा है। ………………………………………….. हरियाणा की फिरौती क्वीन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
हरियाणा की फिरौती क्वीन,जो गैंगस्टर पति का गैंग चला रही:लॉरेंस के दुश्मन की पत्नी, 4 राज्यों की पुलिस ढूंढ रही उत्तर भारत के 4 राज्यों में फिरौती क्वीन के नाम से मशहूर लेडी डॉन मनीषा चौधरी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मनीषा लॉरेंस गैंग के दुश्मन बंबीहा गैंग के सिंडिकेट से जुड़े कौशल चौधरी की पत्नी है। गुरुग्राम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे हाल ही में एक होटल संचालक से 2 करोड़ फिरौती मांगने पर अरेस्ट किया है। पूरी खबर पढ़ें
रोहतक का युवक नहर में डूबा:घर से जिम जाने के लिए निकला, दोस्तों के साथ गया नहाने, NDRF तलाश में जुटी
रोहतक का युवक नहर में डूबा:घर से जिम जाने के लिए निकला, दोस्तों के साथ गया नहाने, NDRF तलाश में जुटी रोहतक के कमला नगर निवासी एक युवक के नहर में डूबने का मामला सामने आया है। युवक घर से जिम में जाने के लिए निकला था, लेकिन बाद में वह दोस्तों के साथ नहर पर नहाने के लिए चला गया। इसी दौरान तेज बहाव के कारण वह नहर में डूब गया। इसका पता लगते ही परिजन, पुलिस व एनडीआरएफ की टीम तलाश में जुटी है। लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया। रोहतक के कमला नगर निवासी राजेश ने अपने बेटे के नहर में डूबने की शिकायत शिवाजी कॉलोनी थाना में दी। शिकायत में बताया कि उसके 3 बच्चे (2 लड़के व एक लड़की) है। उसका बीच वाला लड़का करीब 21 वर्षीय देव बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करता है। देव शुक्रवार को घर से जिम में प्रैक्टिस करने के लिए गया था। रात को करीब 8 बजे सूचना मिली कि उसका बेटा पराहवर हैड पर नहाते समय डूब गया। जो अपने दोस्तों के साथ पराहवर हैड पर नहाने के लिए गया था। इसी दौरान वह नहर में तेज बहाव के कारण बह गया और डूब गया। इसका पता लगते ही देव की तलाश आरंभ कर दी, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। तलाश में जुटी पुलिस व एनडीआरएफ
शिवाजी कॉलोनी थाना के जांच अधिकारी श्रद्धानंद ने बताया कि कमला नगर निवासी देव के नहर में डूबने की सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और तलाश में जुट गई। वहीं एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया है। युवक की तलाश की जा रही है। वहीं नहर में भी झज्जर एरिया तक तलाश की जा चुकी है।
हरियाणा में आज भंग होगी विधानसभा:सैनी कैबिनेट ने की सिफारिश; बंसीलाल, ओपी चौटाला, हुड्डा भी 3 बार कर चुके भंग
हरियाणा में आज भंग होगी विधानसभा:सैनी कैबिनेट ने की सिफारिश; बंसीलाल, ओपी चौटाला, हुड्डा भी 3 बार कर चुके भंग हरियाणा की विधानसभा आज भंग हो जाएगी। 6 महीने की अवधि में विधानसभा सत्र बुलाने के नियम के कारण सरकार ने 14वीं विधानसभा समय से पहले भंग करने का फैसला किया है। दरअसल, सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर तक था। यानी यह 52 दिन बचा था। नियमों के चलते 12 सितंबर तक सत्र बुलाना अनिवार्य था। इससे एक दिन पहले बुधवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। इसमें विधानसभा भंग करने की सिफारिश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिए आज राज्यपाल के पास जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद विधानसभा भंग करने की अधिसूचना जारी होगी। नई सरकार के गठन तक नायब रहेंगे सीएम अब, जब तक नई सरकार का गठन नहीं होता , तब तक नायब सिंह सैनी कार्यवाहक सीएम के तौर पर कार्य करते रहेंगे । बता दें कि 15वीं विधानसभा के लिए 16 अगस्त को चुनाव की घोषणा हुई थी। सरकार ने 17 अगस्त को कैबिनेट बुलाई हुई थी। इसमें विधानसभा सत्र की तारीख तय हो सकती थी, पर चुनाव की घोषणा से समय की कमी को देखते हुए सरकार ने सत्र टाल दिया । अब विधानसभा भंग करने का ही निर्णय लिया है। सरकार को बहुमत न होने का डर तो नहीं था ? 90 सदस्यीय विधानसभा में अभी 81 विधायक हैं। 41 के बहुमत का आंकड़ा अकेले खुद भाजपा के पास था, लेकिन 14 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। ऐसे में सरकार कोई प्रस्ताव लाती तो वहां क्रॉस वोटिंग के चलते यह गिर सकता था। इस स्थिति से भी सरकार बची। सीएम नायब सिंह सैनी व मंत्री कार्यवाहक के तौर पर कार्य करते रहेंगे, पर नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। हालांकि, कोई महामारी, प्राकृतिक आपदा या असुरक्षा जैसा मामला आता है तो फैसला लेने में सक्षम रहेंगे। इस फैसले का विधायकों पर क्या असर होगा ? विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वे पूर्व विधायक कहलाएंगे। सभी सुविधाएं खत्म हो जाएगी। समय से पहले 3 बार विधानसभा और भंग हो चुकी है। फरवरी 1972 में कांग्रेस सरकार में बंसीलाल ने एक साल पहले विधानसभा भंग कराई थी। दिसंबर 1999 में इनेलो सरकार में ओमप्रकाश चौटाला ने 16 माह पहले विस भंग कराई। तीसरी बार अगस्त 2009 में कांग्रेस सरकार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा भंग कर समय से पहले चुनाव कराए। विधानसभा भंग करना ही सिंगल ऑप्शन विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि बेशक चुनाव आयोग ने 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी हो, फिर भी सरकार सत्र बुला सकती है। उनका कहना है कि 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 तक है। इसका पिछला विशेष सत्र 1 दिन का बुलाया गया था। वह विशेष सत्र 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था। उसमें CM ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ अपना बहुमत साबित किया था। इसके बाद उन्होंने कोई सत्र नहीं बुलाया। हेमंत कुमार कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 174(1) की सख्त अनुपालना में मौजूदा विधानसभा का एक सत्र भले ही 1 दिन या आधे दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितंबर 2024 से पहले बुलाना अनिवार्य है। क्योंकि 6 माह के अंदर दूसरा सत्र बुलाना ही होता है। क्या कहता है संविधान संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से पिछली कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। ऐसे में अब सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करना ही एकमात्र विकल्प बचा था। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं है। 5 अक्टूबर को होगी वोटिंग राज्य में इस समय 14वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।