हरियाणा कांग्रेस में एक-दूसरे के खिलाफ तेवर दिखा रहे पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के तेवर ठंडे पड़ गए हैं। एक तरफ सैलजा को मजबूर होकर अपनी संदेश यात्रा के पोस्टर में भूपेंद्र हुड्डा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की फोटो लगानी पड़ गई। यही नहीं, सैलजा को खुद सोशल मीडिया पर हुड्डा की फोटो वाला पोस्टर भी जारी करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रम में भी कुमारी सैलजा की फोटो दिखने लगी है। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। सैलजा भी अपने तरीके से कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रही है। भले ही उनकी फोटो नहीं है लेकिन काम वे भी कांग्रेस के लिए कर रही हैं। सैलजा की यात्रा का 25 जुलाई को शेयर पोस्टर में हुड्डा गुट की फोटो गायब थी। सूत्रों के मुताबिक पहला पोस्टर जारी करने की शिकायत कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गई। जिसके बाद सैलजा को स्पष्ट शब्दों में गुटबाजी न करने को कहा गया। जिसके बाद सैलजा के तेवर नरम पड़ गए। 27 जुलाई को शेयर पोस्टर में सैलजा ने दोनों की फोटो लगा दी। इस बारे में पूर्व सीएम को भी हाईकमान का मैसेज आ गया है। हालांकि अभी दोनों नेता आपस में कोई मंच साझा नहीं कर रहे। BJP ने ली थी चुटकी, SRK गुट की जगह अब SRB गुट
सैलजा के हुड्डा ग्रुप को पोस्टर से गायब करने के बाद भाजपा ने भी चुटकी ली थी। उन्होंने कहा था कि अब कांग्रेस में SRK की जगह SRB गुट बन गया है। SRK गुट में सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के साथ किरण चौधरी होती थी। हालांकि बेटी को लोकसभा में टिकट न मिलने के बाद किरण कांग्रेस छोड़ भाजपा में चली गई। इसके बाद सैलजा ने पोस्टर में भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह को जगह दे दी। भाजपा ने इस बारे में एक और पोस्टर जारी कर कहा था कि कांग्रेस में बापू-बेटा गुट और SRB गुट बन गया है। BJP के IT सेल की ओर से जारी पोस्टर… कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा की अंदरूनी लड़ाई
दरअसल, हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा की अंदरूनी लड़ाई चल रही है। दोनों नेता एक दूसरे को नजर अंदाज करते हैं। यहां तक की इनके समर्थक एक दूसरे के नेताओं के कार्यक्रमों में नहीं जाते। हरियाणा कांग्रेस में इसी कलह के कारण 2019 में भी खूब गुटबाजी रही। जिस वजह से भाजपा 40 सीटें लेकर बहुमत से चूकी, लेकिन कांग्रेस को भी सिर्फ 31 सीटें मिली। हालांकि पहला चुनाव लड़ने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP 10 सीटें जीत गई। नतीजा, उन्होंने भाजपा को समर्थन देकर उनकी सरकार बना दी। इतना ही नहीं 2024 में सत्ता कांग्रेस हरियाणा में 5 लोकसभा सीटें हार गई। हुड्डा के समारोह में भी दिखने लगे सैलजा के पोस्टर
वहीं जिस तरह कुमारी सैलजा के पोस्टर के फोटो दिखाई दे रहे हैं उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रमों में भी पोस्टर पर सैलजा के फोटो दिख रहे हैं। कल सिरसा में धन्यवादी सम्मेलन में कांग्रेस की सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के फोटो पोस्टर लगाए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाईकमान ने दोनों नेताओं को सख्ती भरे लहजे में हिदायत है। मगर कांग्रेस में गुटबाजी की खाई को कम करना आसान नहीं है। सैलजा ने पोस्टर पर बीरेंद्र सिंह को जगह दी
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा गुट के खिलाफ कांग्रेस में सैलजा, सुरजेवाला और किरण चौधरी का SRK गुट मजबूत था। हालांकि लोकसभा में किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट काट दी गई। जिसके बाद किरण चौधरी BJP में शामिल हो चुकी हैं। हुड्डा गुट के खिलाफ खुद को मजबूत रखने के लिए सैलजा और सुरजेवाला अब पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह को साथ जोड़ने में जुटे हुए हैं। सैलजा ने SRK गुट की जगह नया गुट SRB गुट बना लिया है। बीरेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव से पहले BJP छोड़ कांग्रेस में आए। हालांकि कांग्रेस ने हिसार से उनके सिटिंग सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह की टिकट काट दी। वहीं जब हुड्डा गुट ने चंडीगढ़ में हरियाणा मांगे इंसाफ कैंपेन लॉन्च किया तो बीरेंद्र सिंह को मार्गदर्शक कह दिया। हालांकि बीरेंद्र ने खुद को एक्टिव पॉलिटिशियन बताया। लोकसभा नतीजे देख लड़ाई CM कुर्सी की
हरियाणा कांग्रेस की यह लड़ाई संगठन की मजबूती से ज्यादा 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव में सरकार बनने की सूरत में CM कुर्सी की है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें जीती लेकिन इस रिजल्ट को विधानसभा वाइज देखें तो 90 में से 46 सीटों पर कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले। हरियाणा में BJP की लगातार 2 बार से सरकार है। कांग्रेस को एंटी इनकंबेंसी के भी फायदे की उम्मीद है। ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को लग रहा है कि राज्य में उनकी सरकार बननी तय है। इसके बाद सीएम कुर्सी पर दावेदारी मजबूत हो, इसलिए दोनों गुट अलग-अलग जोर लगा रहे हैं। इसके जरिए वह एक तरफ पार्टी हाईकमान के आगे यात्रा और कैंपेन का क्रेडिट ले सकेंगे, वहीं उनके समर्थक ज्यादा MLA जीतकर आए तो सीएम कुर्सी के लिए दावा मजबूती से रख सकेंगे। हरियाणा कांग्रेस में एक-दूसरे के खिलाफ तेवर दिखा रहे पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के तेवर ठंडे पड़ गए हैं। एक तरफ सैलजा को मजबूर होकर अपनी संदेश यात्रा के पोस्टर में भूपेंद्र हुड्डा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की फोटो लगानी पड़ गई। यही नहीं, सैलजा को खुद सोशल मीडिया पर हुड्डा की फोटो वाला पोस्टर भी जारी करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रम में भी कुमारी सैलजा की फोटो दिखने लगी है। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। सैलजा भी अपने तरीके से कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रही है। भले ही उनकी फोटो नहीं है लेकिन काम वे भी कांग्रेस के लिए कर रही हैं। सैलजा की यात्रा का 25 जुलाई को शेयर पोस्टर में हुड्डा गुट की फोटो गायब थी। सूत्रों के मुताबिक पहला पोस्टर जारी करने की शिकायत कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गई। जिसके बाद सैलजा को स्पष्ट शब्दों में गुटबाजी न करने को कहा गया। जिसके बाद सैलजा के तेवर नरम पड़ गए। 27 जुलाई को शेयर पोस्टर में सैलजा ने दोनों की फोटो लगा दी। इस बारे में पूर्व सीएम को भी हाईकमान का मैसेज आ गया है। हालांकि अभी दोनों नेता आपस में कोई मंच साझा नहीं कर रहे। BJP ने ली थी चुटकी, SRK गुट की जगह अब SRB गुट
सैलजा के हुड्डा ग्रुप को पोस्टर से गायब करने के बाद भाजपा ने भी चुटकी ली थी। उन्होंने कहा था कि अब कांग्रेस में SRK की जगह SRB गुट बन गया है। SRK गुट में सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के साथ किरण चौधरी होती थी। हालांकि बेटी को लोकसभा में टिकट न मिलने के बाद किरण कांग्रेस छोड़ भाजपा में चली गई। इसके बाद सैलजा ने पोस्टर में भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह को जगह दे दी। भाजपा ने इस बारे में एक और पोस्टर जारी कर कहा था कि कांग्रेस में बापू-बेटा गुट और SRB गुट बन गया है। BJP के IT सेल की ओर से जारी पोस्टर… कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा की अंदरूनी लड़ाई
दरअसल, हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा की अंदरूनी लड़ाई चल रही है। दोनों नेता एक दूसरे को नजर अंदाज करते हैं। यहां तक की इनके समर्थक एक दूसरे के नेताओं के कार्यक्रमों में नहीं जाते। हरियाणा कांग्रेस में इसी कलह के कारण 2019 में भी खूब गुटबाजी रही। जिस वजह से भाजपा 40 सीटें लेकर बहुमत से चूकी, लेकिन कांग्रेस को भी सिर्फ 31 सीटें मिली। हालांकि पहला चुनाव लड़ने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP 10 सीटें जीत गई। नतीजा, उन्होंने भाजपा को समर्थन देकर उनकी सरकार बना दी। इतना ही नहीं 2024 में सत्ता कांग्रेस हरियाणा में 5 लोकसभा सीटें हार गई। हुड्डा के समारोह में भी दिखने लगे सैलजा के पोस्टर
वहीं जिस तरह कुमारी सैलजा के पोस्टर के फोटो दिखाई दे रहे हैं उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रमों में भी पोस्टर पर सैलजा के फोटो दिख रहे हैं। कल सिरसा में धन्यवादी सम्मेलन में कांग्रेस की सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के फोटो पोस्टर लगाए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाईकमान ने दोनों नेताओं को सख्ती भरे लहजे में हिदायत है। मगर कांग्रेस में गुटबाजी की खाई को कम करना आसान नहीं है। सैलजा ने पोस्टर पर बीरेंद्र सिंह को जगह दी
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा गुट के खिलाफ कांग्रेस में सैलजा, सुरजेवाला और किरण चौधरी का SRK गुट मजबूत था। हालांकि लोकसभा में किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट काट दी गई। जिसके बाद किरण चौधरी BJP में शामिल हो चुकी हैं। हुड्डा गुट के खिलाफ खुद को मजबूत रखने के लिए सैलजा और सुरजेवाला अब पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह को साथ जोड़ने में जुटे हुए हैं। सैलजा ने SRK गुट की जगह नया गुट SRB गुट बना लिया है। बीरेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव से पहले BJP छोड़ कांग्रेस में आए। हालांकि कांग्रेस ने हिसार से उनके सिटिंग सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह की टिकट काट दी। वहीं जब हुड्डा गुट ने चंडीगढ़ में हरियाणा मांगे इंसाफ कैंपेन लॉन्च किया तो बीरेंद्र सिंह को मार्गदर्शक कह दिया। हालांकि बीरेंद्र ने खुद को एक्टिव पॉलिटिशियन बताया। लोकसभा नतीजे देख लड़ाई CM कुर्सी की
हरियाणा कांग्रेस की यह लड़ाई संगठन की मजबूती से ज्यादा 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव में सरकार बनने की सूरत में CM कुर्सी की है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें जीती लेकिन इस रिजल्ट को विधानसभा वाइज देखें तो 90 में से 46 सीटों पर कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले। हरियाणा में BJP की लगातार 2 बार से सरकार है। कांग्रेस को एंटी इनकंबेंसी के भी फायदे की उम्मीद है। ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को लग रहा है कि राज्य में उनकी सरकार बननी तय है। इसके बाद सीएम कुर्सी पर दावेदारी मजबूत हो, इसलिए दोनों गुट अलग-अलग जोर लगा रहे हैं। इसके जरिए वह एक तरफ पार्टी हाईकमान के आगे यात्रा और कैंपेन का क्रेडिट ले सकेंगे, वहीं उनके समर्थक ज्यादा MLA जीतकर आए तो सीएम कुर्सी के लिए दावा मजबूती से रख सकेंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर