हरियाणा पुलिस के पारंपरिक तरीकों से परिवर्तन कर एफएसएल हरियाणा ने अब साक्ष्यों को संरक्षित रखने के लिए विशेष ‘टैंपर-प्रूफ’ और एक समान मानकीकृत पैकेजिंग सामग्री अपनाने जा रहा है। इस आधुनिक पैकेजिंग और सीलिंग सामग्री के उपयोग से साक्ष्य को इस प्रकार सील किया जाता है कि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ तुरंत पकड़ में आ जाएगी। इससे कोर्ट में साक्ष्य की विश्वसनीयता निर्विवादित रखने में सफलता मिलेगी, जिससे क्रिमनल को कानून के शिकंजे से बचना कठिन होगा। एफएसएल के डायरेक्टर ओपी सिंह ने बताया कि हरियाणा की एफएसएल अब केवल रिपोर्ट बनाने वाली संस्था नहीं, बल्कि वैज्ञानिक न्याय प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। ट्रेकिया पोर्टल अपग्रेड हुआ, रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी एफएसएल द्वारा 2019 से प्रयोग किए जा रहे ट्रेकिया फोरेंसिक केस मैनेजमेंट सिस्टम को 2024 में अपग्रेड किया गया। अब केस डॉकेट, आरसी बनाने, रिसीविंग से लेकर उसकी रिपोर्ट भेजने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, ऑटोमेटेड और ट्रैक करने योग्य है। केस संपत्ति प्रेषण, हस्तांतरण और प्राप्ति के प्रक्रिया को बायोमेट्रिक प्रमाणी के उपयोग द्वारा आधुनिक व जवाबदेह बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि हर साक्ष्य, हर रिपोर्ट, हर अपडेट को रियल टाइम में देखा और मॉनिटर किया जा सकता है। इससे न सिर्फ रिपोर्टिंग की गति बढ़ी है, बल्कि फाइलिंग में मानवीय गलती की संभावना भी लगभग समाप्त हो गई है। फॉरवर्ड रिक्वेस्ट का पोर्टल पर ऑप्शन केस की जांच के लिए प्राथमिकता अनुरोध आरंभ करने के लिए ट्रेकिया पोर्टल पर प्रावधान किया गया है, यह सुविधा फारवर्ड करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को पोर्टल पर प्रायरिटी रिक्वेस्ट भेजने में सक्षम बनाएगी, जो प्रयोग शाला में संबंधित अधिकारी को तुरंत दिखाई देगा। प्राथमिकता जांच के लिए अनुरोध भेजना पारंपरिक रूप से एक अर्ध सरकारी पत्र लिखकर किया जाता है, जिसमें आम तौर पर कार्रवाई करने के पॉइंट तक पहुंचने में 5 से 10 दिन लगते हैं। यह सुविधा इस समय अंतराल को कम करेगी। इस सुविधा में फॉरवर्ड करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों की आईडी में की गई कार्रवाई की सूचना देने के लिए रियल टाइम मैसेजिंग सुविधा भी है । कोर्ट में एविडेंस की विश्वसनीयता बढ़ी एफएसएल द्वारा तैयार डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन, डिजिटल सिग्नेचर, रिपोर्ट वेरिफिकेशन आदि की प्रक्रिया अब इस प्रकार डिजाइन की गई है कि अदालतों में इन वैज्ञानिक साक्ष्यों को कानूनी रूप से अधिक मजबूती से प्रस्तुत किया जा सकेगा। इन अप ग्रेड्स के जरिए हरियाणा न्यायिक व्यवस्था में वैज्ञानिक साक्ष्य की स्वीकार्यता को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में काम कर रहा है। राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को वैज्ञानिक साक्ष्य के महत्व, संग्रहण विधि और डिजिटलीकरण की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही, थानों और जिला स्तर पर केस फीडिंग, ट्रैकिंग और रिपोर्ट फॉलोअप की डिजिटल प्रणाली को अपनाने के लिए विशेष वर्कशॉप और कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। DGP ने FSL टीम को बधाई दी हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने एफएसएल के डिजिटल परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा, ‘ट्रेकिया पोर्टल और डिजिटल फोरेंसिक प्रणाली का उपयोग कर हरियाणा की एफएसएल की टीम ने यह साबित किया है कि तकनीक और न्याय साथ-साथ चल सकते हैं। आज केस फाइलिंग से लेकर अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और वैज्ञानिक हो चुकी है। हरियाणा पुलिस और एफएसएल की संयुक्त कोशिशें इस बात का उदाहरण हैं कि जब संकल्प और तकनीक साथ आते हैं तो न्याय और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होते हैं। उन्होंने एफएसएल की टीम को बधाई देते हुए आशा जताई कि आने वाले वर्षों में यह लैब देशभर के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी। हरियाणा पुलिस के पारंपरिक तरीकों से परिवर्तन कर एफएसएल हरियाणा ने अब साक्ष्यों को संरक्षित रखने के लिए विशेष ‘टैंपर-प्रूफ’ और एक समान मानकीकृत पैकेजिंग सामग्री अपनाने जा रहा है। इस आधुनिक पैकेजिंग और सीलिंग सामग्री के उपयोग से साक्ष्य को इस प्रकार सील किया जाता है कि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ तुरंत पकड़ में आ जाएगी। इससे कोर्ट में साक्ष्य की विश्वसनीयता निर्विवादित रखने में सफलता मिलेगी, जिससे क्रिमनल को कानून के शिकंजे से बचना कठिन होगा। एफएसएल के डायरेक्टर ओपी सिंह ने बताया कि हरियाणा की एफएसएल अब केवल रिपोर्ट बनाने वाली संस्था नहीं, बल्कि वैज्ञानिक न्याय प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। ट्रेकिया पोर्टल अपग्रेड हुआ, रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी एफएसएल द्वारा 2019 से प्रयोग किए जा रहे ट्रेकिया फोरेंसिक केस मैनेजमेंट सिस्टम को 2024 में अपग्रेड किया गया। अब केस डॉकेट, आरसी बनाने, रिसीविंग से लेकर उसकी रिपोर्ट भेजने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, ऑटोमेटेड और ट्रैक करने योग्य है। केस संपत्ति प्रेषण, हस्तांतरण और प्राप्ति के प्रक्रिया को बायोमेट्रिक प्रमाणी के उपयोग द्वारा आधुनिक व जवाबदेह बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि हर साक्ष्य, हर रिपोर्ट, हर अपडेट को रियल टाइम में देखा और मॉनिटर किया जा सकता है। इससे न सिर्फ रिपोर्टिंग की गति बढ़ी है, बल्कि फाइलिंग में मानवीय गलती की संभावना भी लगभग समाप्त हो गई है। फॉरवर्ड रिक्वेस्ट का पोर्टल पर ऑप्शन केस की जांच के लिए प्राथमिकता अनुरोध आरंभ करने के लिए ट्रेकिया पोर्टल पर प्रावधान किया गया है, यह सुविधा फारवर्ड करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को पोर्टल पर प्रायरिटी रिक्वेस्ट भेजने में सक्षम बनाएगी, जो प्रयोग शाला में संबंधित अधिकारी को तुरंत दिखाई देगा। प्राथमिकता जांच के लिए अनुरोध भेजना पारंपरिक रूप से एक अर्ध सरकारी पत्र लिखकर किया जाता है, जिसमें आम तौर पर कार्रवाई करने के पॉइंट तक पहुंचने में 5 से 10 दिन लगते हैं। यह सुविधा इस समय अंतराल को कम करेगी। इस सुविधा में फॉरवर्ड करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों की आईडी में की गई कार्रवाई की सूचना देने के लिए रियल टाइम मैसेजिंग सुविधा भी है । कोर्ट में एविडेंस की विश्वसनीयता बढ़ी एफएसएल द्वारा तैयार डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन, डिजिटल सिग्नेचर, रिपोर्ट वेरिफिकेशन आदि की प्रक्रिया अब इस प्रकार डिजाइन की गई है कि अदालतों में इन वैज्ञानिक साक्ष्यों को कानूनी रूप से अधिक मजबूती से प्रस्तुत किया जा सकेगा। इन अप ग्रेड्स के जरिए हरियाणा न्यायिक व्यवस्था में वैज्ञानिक साक्ष्य की स्वीकार्यता को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में काम कर रहा है। राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को वैज्ञानिक साक्ष्य के महत्व, संग्रहण विधि और डिजिटलीकरण की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही, थानों और जिला स्तर पर केस फीडिंग, ट्रैकिंग और रिपोर्ट फॉलोअप की डिजिटल प्रणाली को अपनाने के लिए विशेष वर्कशॉप और कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। DGP ने FSL टीम को बधाई दी हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने एफएसएल के डिजिटल परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा, ‘ट्रेकिया पोर्टल और डिजिटल फोरेंसिक प्रणाली का उपयोग कर हरियाणा की एफएसएल की टीम ने यह साबित किया है कि तकनीक और न्याय साथ-साथ चल सकते हैं। आज केस फाइलिंग से लेकर अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और वैज्ञानिक हो चुकी है। हरियाणा पुलिस और एफएसएल की संयुक्त कोशिशें इस बात का उदाहरण हैं कि जब संकल्प और तकनीक साथ आते हैं तो न्याय और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होते हैं। उन्होंने एफएसएल की टीम को बधाई देते हुए आशा जताई कि आने वाले वर्षों में यह लैब देशभर के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
