हरियाणा में सिरसा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रोहताश जांगड़ा आज अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। भाजपा इस सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) के उम्मीदवार गोपाल कांडा को समर्थन दे सकती है। रोहताश जांगड़ा ने खुद इसके संकेत दिए हैं। रोहताश जांगड़ा का कहना है कि पार्टी कार्यालय में मीटिंग बुलाई गई है। इसमें हरियाणा के प्रवासी प्रभारी सुरेंद्र सिंह टीटी मौजूद रहेंगे। पार्टी जो भी आदेश देगी, वह मानने के लिए तैयार हैं। हमारा बस एक ही लक्ष्य है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बननी चाहिए। वहीं एक दिन पहले गोपाल कांडा ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अब भी NDA का हिस्सा हैं। जीतने के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। उनका परिवार शुरू से ही RSS से जुड़ा हुआ है। पिता मुरलीधर कांडा जनसंघ की टिकट पर 1952 में डबवाली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और मेरी माता आज भी भाजपा को ही वोट डालती हैं। राज्य में 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएगा। भाजपा के उम्मीदवार उतारते ही इनेलो-बसपा से गठबंधन किया गोपाल कांडा 2019 में सिरसा सीट से विधायक बने थे। जिसके बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया। 2024 विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान चर्चा थी कि भाजपा गोपाल कांडा को सिरसा सीट पर समर्थन दे सकती है। हालांकि भाजपा ने यहां से रोहताश जांगड़ा को उम्मीदवार घोषित कर दिया। अगले ही दिन गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) में गठबंधन हो गया। INLD पहले ही बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। जिसके बाद इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कांडा को सिरसा सीट से गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांडा बोले- एक दूसरे की मदद को समझौता गठबंधन के बाद गोपाल कांडा ने कहा था कि सिरसा से बाहर रानियां और ऐलनाबाद हलके में हलोपा का जनाधार है। ऐलनाबाद उपचुनाव में गोबिंद कांडा को अच्छे वोट मिले थे। इसलिए अभय चाहते हैं कि हलोपा ऐलनाबाद और रानियां में मदद करे, बदले में वह सिरसा में मदद करेंगे। हम दोनों ही पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ हैं। मैंने कभी भाजपा से कोई सीट नहीं मांगी। हमारा शुरू से ही बिना शर्त समझौता है। इस बार हरियाणा में कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा की सरकार आएगी। भाजपा प्रदेश में जीत की हैट्रिक बनाएगी और हमारा गठबंधन भाजपा को सपोर्ट करेगा। ओपी चौटाला के करीबी रहे गोपाल कांडा के करोड़पति बनने का असली सफर वर्ष 2000 के आसपास गुरुग्राम से शुरू हुआ। उस समय हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की अगुआई में इनेलो की सरकार थी। उस दौर में गोपाल कांडा इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला के बेहद करीब थे। चौटाला सरकार के दौरान ही कांडा ने सिरसा जिले में तैनात रहे एक IAS अफसर से हाथ मिलाया। वह IAS अफसर गुरुग्राम में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा, अब इसका नाम HSVP हो चुका है।) प्रशासक लग गया। उस अफसर से दोस्ती का फायदा उठाते हुए गोपाल कांडा ने गुरुग्राम में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। यह वो दौर था जब गुरुग्राम में डेवलपमेंट शुरू ही हुई थी। दिल्ली से सटा होने के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों ने वहां अपने कॉर्पोरेट दफ्तर बनाने शुरू किए तो गुरुग्राम के प्रॉपर्टी बाजार में ऐसा बूम आया कि रातोंरात लोगों के वारे न्यारे हो गए। गोपाल कांडा को इसका जमकर फायदा मिला। चौटाला सरकार के दौरान ही गोपाल कांडा के बाकी राजनेताओं से भी अच्छे संबंध बन गए। साल 2000 में कांडा ने ओपी चौटाला को नोटों की गडि्डयों से तोला था। तब ऐसी चर्चा रही कि कांडा ने चौटाला के वजन के बराबर तराजू में 80 लाख रुपए रखे थे। 2009 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते 2004 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी, इनेलो हार गई और राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। बिजनेस की समझ रखने वाले गोपाल कांडा ने जल्दी ही हुड्डा सरकार में पैठ बना ली। उसके साथ ही वह इनेलो और चौटाला परिवार से दूर होते चले गए। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। वह 2005 से 2009 तक हुड्डा सरकार में उद्योगमंत्री रहे सिरसा के दिग्गज लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराकर विधानसभा पहुंचे। विधानसभा चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई। तब कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं। इनेलो 32 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उस समय गोपाल कांडा ने सियासी हालात का फायदा उठाते हुए निर्दलीय जीतने वाले 5-6 विधायकों को रातोंरात हुड्डा को समर्थन दिलवा दिया। लगातार दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बने हुड्डा ने कांडा को बतौर ईनाम अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए गृह राज्यमंत्री बनाया। हरियाणा में सिरसा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रोहताश जांगड़ा आज अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। भाजपा इस सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) के उम्मीदवार गोपाल कांडा को समर्थन दे सकती है। रोहताश जांगड़ा ने खुद इसके संकेत दिए हैं। रोहताश जांगड़ा का कहना है कि पार्टी कार्यालय में मीटिंग बुलाई गई है। इसमें हरियाणा के प्रवासी प्रभारी सुरेंद्र सिंह टीटी मौजूद रहेंगे। पार्टी जो भी आदेश देगी, वह मानने के लिए तैयार हैं। हमारा बस एक ही लक्ष्य है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बननी चाहिए। वहीं एक दिन पहले गोपाल कांडा ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अब भी NDA का हिस्सा हैं। जीतने के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। उनका परिवार शुरू से ही RSS से जुड़ा हुआ है। पिता मुरलीधर कांडा जनसंघ की टिकट पर 1952 में डबवाली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और मेरी माता आज भी भाजपा को ही वोट डालती हैं। राज्य में 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएगा। भाजपा के उम्मीदवार उतारते ही इनेलो-बसपा से गठबंधन किया गोपाल कांडा 2019 में सिरसा सीट से विधायक बने थे। जिसके बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया। 2024 विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान चर्चा थी कि भाजपा गोपाल कांडा को सिरसा सीट पर समर्थन दे सकती है। हालांकि भाजपा ने यहां से रोहताश जांगड़ा को उम्मीदवार घोषित कर दिया। अगले ही दिन गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) में गठबंधन हो गया। INLD पहले ही बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। जिसके बाद इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कांडा को सिरसा सीट से गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांडा बोले- एक दूसरे की मदद को समझौता गठबंधन के बाद गोपाल कांडा ने कहा था कि सिरसा से बाहर रानियां और ऐलनाबाद हलके में हलोपा का जनाधार है। ऐलनाबाद उपचुनाव में गोबिंद कांडा को अच्छे वोट मिले थे। इसलिए अभय चाहते हैं कि हलोपा ऐलनाबाद और रानियां में मदद करे, बदले में वह सिरसा में मदद करेंगे। हम दोनों ही पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ हैं। मैंने कभी भाजपा से कोई सीट नहीं मांगी। हमारा शुरू से ही बिना शर्त समझौता है। इस बार हरियाणा में कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा की सरकार आएगी। भाजपा प्रदेश में जीत की हैट्रिक बनाएगी और हमारा गठबंधन भाजपा को सपोर्ट करेगा। ओपी चौटाला के करीबी रहे गोपाल कांडा के करोड़पति बनने का असली सफर वर्ष 2000 के आसपास गुरुग्राम से शुरू हुआ। उस समय हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की अगुआई में इनेलो की सरकार थी। उस दौर में गोपाल कांडा इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला के बेहद करीब थे। चौटाला सरकार के दौरान ही कांडा ने सिरसा जिले में तैनात रहे एक IAS अफसर से हाथ मिलाया। वह IAS अफसर गुरुग्राम में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा, अब इसका नाम HSVP हो चुका है।) प्रशासक लग गया। उस अफसर से दोस्ती का फायदा उठाते हुए गोपाल कांडा ने गुरुग्राम में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। यह वो दौर था जब गुरुग्राम में डेवलपमेंट शुरू ही हुई थी। दिल्ली से सटा होने के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों ने वहां अपने कॉर्पोरेट दफ्तर बनाने शुरू किए तो गुरुग्राम के प्रॉपर्टी बाजार में ऐसा बूम आया कि रातोंरात लोगों के वारे न्यारे हो गए। गोपाल कांडा को इसका जमकर फायदा मिला। चौटाला सरकार के दौरान ही गोपाल कांडा के बाकी राजनेताओं से भी अच्छे संबंध बन गए। साल 2000 में कांडा ने ओपी चौटाला को नोटों की गडि्डयों से तोला था। तब ऐसी चर्चा रही कि कांडा ने चौटाला के वजन के बराबर तराजू में 80 लाख रुपए रखे थे। 2009 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते 2004 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी, इनेलो हार गई और राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। बिजनेस की समझ रखने वाले गोपाल कांडा ने जल्दी ही हुड्डा सरकार में पैठ बना ली। उसके साथ ही वह इनेलो और चौटाला परिवार से दूर होते चले गए। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। वह 2005 से 2009 तक हुड्डा सरकार में उद्योगमंत्री रहे सिरसा के दिग्गज लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराकर विधानसभा पहुंचे। विधानसभा चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई। तब कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं। इनेलो 32 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उस समय गोपाल कांडा ने सियासी हालात का फायदा उठाते हुए निर्दलीय जीतने वाले 5-6 विधायकों को रातोंरात हुड्डा को समर्थन दिलवा दिया। लगातार दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बने हुड्डा ने कांडा को बतौर ईनाम अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए गृह राज्यमंत्री बनाया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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