चुनाव आयोग ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीख बदल दी है। अब यहां 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के साथ ही मतगणना होगी। पहले वोटिंग की तारीख 1 अक्टूबर और मतगणना की 4 अक्टूबर रखी गई थी। चुनाव की तारीख बदलने के लिए सबसे पहले भाजपा ने मांग उठाई थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने वोटिंग के दौरान वीकेंड की छुट्टियां और बिश्नोई समाज के कार्यक्रम का हवाला दिया था। इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने भी चुनाव तारीख बढ़ाने की मांग की। इसको लेकर चुनाव आयोग ने मीटिंग भी की थी। उस वक्त इस बारे में कोई फैसला नहीं दिया गया था। हालांकि शनिवार शाम को चुनाव तारीख बदलने का ऐलान कर दिया गया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा, ‘भाजपा इलेक्शन से भाग रही है। इलेक्शन कमीशन भाजपा के इशारों पर चल रहा है।’ चुनाव आयोग ने तारीख बदलने पर क्या कहा… ऑल इंडिया बिश्नोई महासभा ने मांग की चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने पर आयोग ने कहा कि इस बारे में राष्ट्रीय और राज्य की राजनीतिक पार्टियों के अलावा, ऑल इंडिया बिश्नोई महासभा ने मांग की थी। उनका कहना था कि कई पीढ़ियों से पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के कई परिवार गुरु जम्भेश्वर की याद में बीकानेर जिले में ‘आसोज’ महीने की अमावस्या के दौरान पैतृक गांव मुकाम में सालाना उत्सव में भाग लेते हैं। बिश्नोई समाज के लोग वोट नहीं डाल पाएंगे इस साल यह उत्सव 2 अक्टूबर को पड़ रहा है। इसके चलते सिरसा, फतेहाबाद और हिसार के हजारों बिश्नोई परिवार मतदान के दिन राजस्थान की यात्रा करेंगे, जिससे वे 1 अक्टूबर को वोट नहीं डाल पाएंगे। पहले भी तारीखों में बदलाव किया चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि इससे पहले भी हमने कई समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए चुनाव की तारीखों में बदलाव किया है। उदाहरण के लिए 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान हमने गुरु रविदास जयंती के लिए वाराणसी जाने वाले भक्तों की सुविधा की खातिर मतदान एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया था। मणिपुर में संडे प्रेयर के लिए तारीख बदली ठीक इसी तरह, मणिपुर में 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान ईसाई समुदाय की संडे प्रेयर का सम्मान करने के लिए वोटिंग की तारीख बदली गई थी। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में देवउठनी एकादशी के चलते वोटिंग की डेट बदली गई थी, क्योंकि यह दिन राजस्थान में सामूहिक विवाहों के लिए महत्व रखता है। 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बारावफात के कारण मतदान की तारीख बदली गई थी। तारीख बदलने पर किसने क्या कहा.. हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान चौधरी उदयभान ने कहा कि भाजपा इलेक्शन से भाग रही थी। वह तारीख आगे बढ़ना चाहती थी, हम चाहते थे कि पीछे हो जाए। चुनाव आयोग ने 4 दिन का और जीवन दान दे दिया। छुट्टियों के कारण कभी इलेक्शन की तारीख बदली है?। छुट्टी तो थी, छुट्टी तो आगे भी होगी। तारीख को पहले भी तो कर सकते थे, आगे क्यों बढ़ाया?। भाजपा इलेक्शन से भाग रही है, उसको समय चाहिए। इलेक्शन कमीशन भाजपा के इशारों पर चल रहा है। कांग्रेस तैयार है। ये लोग जितना डिले करेंगे, उनकी हवा खराब होगी। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘जब BJP ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा, तब मैंने कहा था कि BJP हार मान चुकी है। चुनाव आयोग का अधिकार है, उन्होंने डेट बढ़ा दी।’ कुमारी सैलजा सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा, ‘तारीख बदलने से परिणाम नहीं बदलेंगे।’ बिश्नोई समाज का 11 विधानसभा क्षेत्रों में असर बिश्नोई समाज की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक भिवानी, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिलों में बिश्नोई बाहुल्य गांव हैं। इनका असर करीब 11 विधानसभा क्षेत्रों में है। जिनमें करीब डेढ़ लाख वोट है। इसमें आदमपुर, उकलाना, नलवा, हिसार, बरवाला, फतेहाबाद, टोहाना, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, लोहारू विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। चुनाव की तारीख बदलने पर किसने क्या कहा था 1. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने चुनाव आयोग को लेटर लिखकर कहा था कि 28 और 29 सितंबर को शनिवार-रविवार है। 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी, जबकि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती की छुट्टी है। इतनी लंबी छुट्टियों में वोटर बाहर घूमने निकल जाएंगे। इससे वोटिंग कम हो सकती है। बड़ौली ने लेटर में यह भी बताया कि 2 अक्टूबर को राजस्थान में मुकाम धाम में आसोज का मेला शुरू होगा। यह बिश्नोई समाज का बड़ा धार्मिक कार्यक्रम है। इस मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली से लोग पहुंचते हैं। हरियाणा में बिश्नोई समाज की जनसंख्या अधिक है। इसका असर भी वोटिंग पर हो सकता है। 2. INLD के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर 1 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने की BJP की मांग को समर्थन दिया था। उन्होंने लेटर में लिखा, चूंकि लोग आमतौर पर वीकेंड पर छुट्टियों पर जाते हैं, इसलिए यह निश्चित रूप से मतदान को प्रभावित करेगा। मत प्रतिशत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और मतदान प्रतिशत में 15 से 20 प्रतिशत की कमी होने की संभावना है। इसके अलावा चुनाव के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ चुनाव की तैयारी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हरियाणा में मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने और मतदान प्रतिशत को अधिकतम करने के लिए मतदान की तारीख/दिन को एक या दो सप्ताह तक आगे बढ़ाया जाए। 3. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने भी मुख्य चुनाव आयुक्त को लेटर लिखकर चुनाव की डेट बदलने की मांग की थी। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुडिया ने कहा कि एक अक्टूबर को राजस्थान के बीकानेर में बड़े मेले का आयोजन होगा। इसमें बिश्नोई समाज के काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में चुनाव की डेट बदली जाए। राजस्थान के बीकानेर में मुकाम धाम स्थित है, जहां आसोज अमावस्या पर मेला लगता है। इस बार आसोज अमावस्या एक अक्टूबर को रात 9.39 बजे शुरू होगी और 3 अक्टूबर को 12:18 बजे समाप्त होगी। 4. हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भाजपा में मुख्यमंत्री से लेकर भूतपूर्व प्रदेश अध्यक्ष तक, हार से कोई अछूता नहीं है। इनके मुख्यमंत्री अपने बूथ और विधानसभा में हार गए। इनके पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ चुनाव हार गए थे। सुभाष बराला तक चुनाव हार गए थे। इसलिए भाजपा छुट्टियों का बहाना बनाकर चुनाव टालना चाहती है। जनता ने भाजपा की छुट्टी करने का फैसला कर लिया है। 5. हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और JJP नेता दुष्यंत चौटाला प्रदेश में समय से पहले मतदान की घोषणा होने से भाजपा बुरी तरह से घबरा गई है और इसी के चलते बीजेपी मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के दरबार में पहुंच गई है। भाजपा को इस चुनाव में हार का डर स्पष्ट सता रहा है, क्योंकि अब भाजपा का जनाधार प्रदेश में गिर चुका है और इसके चलते वह 20 सीट भी नहीं जीत पा रही। चुनाव से जुड़ी जरूरी जानकारी… चुनाव आयोग ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीख बदल दी है। अब यहां 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के साथ ही मतगणना होगी। पहले वोटिंग की तारीख 1 अक्टूबर और मतगणना की 4 अक्टूबर रखी गई थी। चुनाव की तारीख बदलने के लिए सबसे पहले भाजपा ने मांग उठाई थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने वोटिंग के दौरान वीकेंड की छुट्टियां और बिश्नोई समाज के कार्यक्रम का हवाला दिया था। इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने भी चुनाव तारीख बढ़ाने की मांग की। इसको लेकर चुनाव आयोग ने मीटिंग भी की थी। उस वक्त इस बारे में कोई फैसला नहीं दिया गया था। हालांकि शनिवार शाम को चुनाव तारीख बदलने का ऐलान कर दिया गया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा, ‘भाजपा इलेक्शन से भाग रही है। इलेक्शन कमीशन भाजपा के इशारों पर चल रहा है।’ चुनाव आयोग ने तारीख बदलने पर क्या कहा… ऑल इंडिया बिश्नोई महासभा ने मांग की चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने पर आयोग ने कहा कि इस बारे में राष्ट्रीय और राज्य की राजनीतिक पार्टियों के अलावा, ऑल इंडिया बिश्नोई महासभा ने मांग की थी। उनका कहना था कि कई पीढ़ियों से पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के कई परिवार गुरु जम्भेश्वर की याद में बीकानेर जिले में ‘आसोज’ महीने की अमावस्या के दौरान पैतृक गांव मुकाम में सालाना उत्सव में भाग लेते हैं। बिश्नोई समाज के लोग वोट नहीं डाल पाएंगे इस साल यह उत्सव 2 अक्टूबर को पड़ रहा है। इसके चलते सिरसा, फतेहाबाद और हिसार के हजारों बिश्नोई परिवार मतदान के दिन राजस्थान की यात्रा करेंगे, जिससे वे 1 अक्टूबर को वोट नहीं डाल पाएंगे। पहले भी तारीखों में बदलाव किया चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि इससे पहले भी हमने कई समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए चुनाव की तारीखों में बदलाव किया है। उदाहरण के लिए 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान हमने गुरु रविदास जयंती के लिए वाराणसी जाने वाले भक्तों की सुविधा की खातिर मतदान एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया था। मणिपुर में संडे प्रेयर के लिए तारीख बदली ठीक इसी तरह, मणिपुर में 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान ईसाई समुदाय की संडे प्रेयर का सम्मान करने के लिए वोटिंग की तारीख बदली गई थी। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में देवउठनी एकादशी के चलते वोटिंग की डेट बदली गई थी, क्योंकि यह दिन राजस्थान में सामूहिक विवाहों के लिए महत्व रखता है। 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बारावफात के कारण मतदान की तारीख बदली गई थी। तारीख बदलने पर किसने क्या कहा.. हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान चौधरी उदयभान ने कहा कि भाजपा इलेक्शन से भाग रही थी। वह तारीख आगे बढ़ना चाहती थी, हम चाहते थे कि पीछे हो जाए। चुनाव आयोग ने 4 दिन का और जीवन दान दे दिया। छुट्टियों के कारण कभी इलेक्शन की तारीख बदली है?। छुट्टी तो थी, छुट्टी तो आगे भी होगी। तारीख को पहले भी तो कर सकते थे, आगे क्यों बढ़ाया?। भाजपा इलेक्शन से भाग रही है, उसको समय चाहिए। इलेक्शन कमीशन भाजपा के इशारों पर चल रहा है। कांग्रेस तैयार है। ये लोग जितना डिले करेंगे, उनकी हवा खराब होगी। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘जब BJP ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा, तब मैंने कहा था कि BJP हार मान चुकी है। चुनाव आयोग का अधिकार है, उन्होंने डेट बढ़ा दी।’ कुमारी सैलजा सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा, ‘तारीख बदलने से परिणाम नहीं बदलेंगे।’ बिश्नोई समाज का 11 विधानसभा क्षेत्रों में असर बिश्नोई समाज की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक भिवानी, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिलों में बिश्नोई बाहुल्य गांव हैं। इनका असर करीब 11 विधानसभा क्षेत्रों में है। जिनमें करीब डेढ़ लाख वोट है। इसमें आदमपुर, उकलाना, नलवा, हिसार, बरवाला, फतेहाबाद, टोहाना, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, लोहारू विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। चुनाव की तारीख बदलने पर किसने क्या कहा था 1. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने चुनाव आयोग को लेटर लिखकर कहा था कि 28 और 29 सितंबर को शनिवार-रविवार है। 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी, जबकि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती की छुट्टी है। इतनी लंबी छुट्टियों में वोटर बाहर घूमने निकल जाएंगे। इससे वोटिंग कम हो सकती है। बड़ौली ने लेटर में यह भी बताया कि 2 अक्टूबर को राजस्थान में मुकाम धाम में आसोज का मेला शुरू होगा। यह बिश्नोई समाज का बड़ा धार्मिक कार्यक्रम है। इस मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली से लोग पहुंचते हैं। हरियाणा में बिश्नोई समाज की जनसंख्या अधिक है। इसका असर भी वोटिंग पर हो सकता है। 2. INLD के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर 1 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने की BJP की मांग को समर्थन दिया था। उन्होंने लेटर में लिखा, चूंकि लोग आमतौर पर वीकेंड पर छुट्टियों पर जाते हैं, इसलिए यह निश्चित रूप से मतदान को प्रभावित करेगा। मत प्रतिशत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और मतदान प्रतिशत में 15 से 20 प्रतिशत की कमी होने की संभावना है। इसके अलावा चुनाव के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ चुनाव की तैयारी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हरियाणा में मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने और मतदान प्रतिशत को अधिकतम करने के लिए मतदान की तारीख/दिन को एक या दो सप्ताह तक आगे बढ़ाया जाए। 3. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने भी मुख्य चुनाव आयुक्त को लेटर लिखकर चुनाव की डेट बदलने की मांग की थी। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुडिया ने कहा कि एक अक्टूबर को राजस्थान के बीकानेर में बड़े मेले का आयोजन होगा। इसमें बिश्नोई समाज के काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में चुनाव की डेट बदली जाए। राजस्थान के बीकानेर में मुकाम धाम स्थित है, जहां आसोज अमावस्या पर मेला लगता है। इस बार आसोज अमावस्या एक अक्टूबर को रात 9.39 बजे शुरू होगी और 3 अक्टूबर को 12:18 बजे समाप्त होगी। 4. हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भाजपा में मुख्यमंत्री से लेकर भूतपूर्व प्रदेश अध्यक्ष तक, हार से कोई अछूता नहीं है। इनके मुख्यमंत्री अपने बूथ और विधानसभा में हार गए। इनके पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ चुनाव हार गए थे। सुभाष बराला तक चुनाव हार गए थे। इसलिए भाजपा छुट्टियों का बहाना बनाकर चुनाव टालना चाहती है। जनता ने भाजपा की छुट्टी करने का फैसला कर लिया है। 5. हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और JJP नेता दुष्यंत चौटाला प्रदेश में समय से पहले मतदान की घोषणा होने से भाजपा बुरी तरह से घबरा गई है और इसी के चलते बीजेपी मतदान की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के दरबार में पहुंच गई है। भाजपा को इस चुनाव में हार का डर स्पष्ट सता रहा है, क्योंकि अब भाजपा का जनाधार प्रदेश में गिर चुका है और इसके चलते वह 20 सीट भी नहीं जीत पा रही। चुनाव से जुड़ी जरूरी जानकारी… हरियाणा | दैनिक भास्कर
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कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की 4 मीटिंग हुईं। उसके बाद 3 मीटिंग केंद्रीय चुनाव समिति की हुईं। आखिरी बैठक में राहुल गांधी की जगह खुद सोनिया गांधी पहुचीं थी। इसके बावजूद पार्टी बड़ी लिस्ट जारी करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई। 41 उम्मीदवारों की जो 2 लिस्ट जारी की, उनमें 28 नाम तो मौजूदा विधायकों के ही रहे। इन सबके टिकट पहले से तय थे और इनकी सीटों पर दूसरा कोई बड़ा दावेदार भी नहीं था। पार्टी ने सिर्फ 4 सीटों पर चेहरे बदले। दरअसल पार्टी ये असेसमेंट करना चाह रही है कि उसके यहां भी BJP जैसा कोई बवाल होता है या नहीं?। दोनों गुटों को अभी तक साधा
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हरियाणा में कांग्रेस से टिकटों के ऐलान को लेकर भाजपा आगे चल रही है। सूबे की 90 विधानसभा सीटों पर बीजेपी अब तक 87 उम्मीदवारों का नाम का ऐलान कर चुकी है। 3 सीटों की लिस्ट आज आनी है। इसमें सिरसा सीट पर गोपाल कांडा को बीजेपी कमल के सिंबल पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रही है, लेकिन कांडा अपनी हजपा पार्टी से ही चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, जिसके कारण अभी तक इस सीट पर बीजेपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। वहीं महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद एनआईटी पर भी राव के कारण टिकट का ऐलान अभी पार्टी ने नहीं किया है।
हरियाणा में BJP को इंटरनल रिपोर्ट ने चौंकाया:2 सीटों पर हालत खराब, 4 पर टफ फाइट; जीत का मार्जिन भी घटने की संभावना
हरियाणा में BJP को इंटरनल रिपोर्ट ने चौंकाया:2 सीटों पर हालत खराब, 4 पर टफ फाइट; जीत का मार्जिन भी घटने की संभावना हरियाणा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद अब राजनीतिक दलों ने समीक्षा शुरू कर दी है। 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2 सीटें सिरसा और रोहतक की रिपोर्ट खराब मिली है। वहीं, 4 सीटें सोनीपत, अंबाला, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ पर टफ फाइट निकलकर सामने आई है। हालांकि, समीक्षकों ने यह भी कहा है कि जीत पार्टी उम्मीदवार की ही होगी, लेकिन जीत का मार्जिन कम हो जाएगा। करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद की समीक्षा में रिपोर्ट सही मिली है। इसमें करनाल के समीक्षकों ने दावा किया है कि इस सीट को बड़े मार्जिन से भाजपा जीतेगी। इस लोकसभा सीट पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने उनके खिलाफ दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दी है। रोहतक और सिरसा की खराब रिपोर्ट की ये वजहें रोहतक : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट दिया। इस लोकसभा चुनाव में यहां 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 4.83% कम है। चूंकि 2019 में ही भाजपा का इस सीट पर मार्जिन मात्र 7500 वोटों का था, अब इस मार्जिन को कवर करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा इस सीट पर जाटों और किसानों के विरोध ने भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ दिया। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा 3 बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में मोदी लहर के बाद भी दीपेंद्र यहां से चुनाव जीत गए थे। इस बार अन्य सीटों की अपेक्षा कांग्रेस इस सीट को लेकर ज्यादा एक्टिव रही। सिरसा : सिरसा में कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा है। कुमारी सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से पहले भी 2 बार सांसद रह चुकी हैं। इस सीट से उनके मजबूत होने की एक वजह यह भी रही कि उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह सिरसा में कांग्रेस के बड़े नेता थे। वहीं, भाजपा के अशोक तंवर यहां से मैदान में हैं। अशोक तंवर कांग्रेस पृष्ठभूमि के ही हैं। 2019 में सिरसा लोकसभा सीट से अशोक तंवर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। पार्टी बदलने को लेकर यहां के लोग तंवर से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा किसानों का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा। अन्य सीटों की तरह इस सीट पर 2019 के मुकाबले 6.21% कम वोटिंग हुई। जानिए, 4 सीटों पर क्यों है फाइट सोनीपत : सोनीपत में कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने सीटिंग MP रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर विधायक मोहन लाल बड़ौली को उम्मीदवार बनाया। सतपाल ब्रह्मचारी सन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम हैं। मूलतः वह जींद के गांगोली गांव के रहने वाले हैं। कांग्रेस ने जींद जिले की जो 3 विधानसभाएं आती हैं, उनमें से लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर कड़ी चुनौती दी है। भाजपा की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। यह सीट जाट बाहुल्य है और जाट पहले से ही भाजपा का विरोध कर रहे थे। चूंकि इस सीट पर ब्राह्मण डिसाइडिंग फैक्टर है, इसलिए दोनों ब्राह्मणों में कड़ी टक्कर भी है। अंबाला : अंबाला लोकसभा से BJP के सांसद रहे रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया इस बार मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने मुलाना से MLA वरुण चौधरी को टिकट दी है। बंतो कटारिया को टिकट देने की वजह रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद भावनात्मक लहर से जीतने की उम्मीद थी। इसके अलावा भाजपा ने यहां मोदी मैजिक को लेकर चुनाव लड़ा। उनके मुकाबले में वरुण मुलाना युवा चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। वह विधानसभा में बेस्ट विधायक का खिताब जीत चुके हैं। वरुण मुलाना के पिता फूलचंद मुलाना कांग्रेस के बड़े नेता रहे और प्रदेश कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे हैं। यह उनके फेवर के लिए बड़ा फैक्टर है। कुरुक्षेत्र : भाजपा की रिव्यू मीटिंग में कुरुक्षेत्र में कड़ा मुकाबला दिखाया गया है। इसकी वजह कांग्रेस और AAP गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता रहे। इसके साथ ही यहां से INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला और उन्हें किसान नेता गुरनाम सिंह चढृूनी के समर्थन रहा है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में पार्टी को अच्छे वोट पड़े हैं, लेकिन गांवों में वोटिंग प्रतिशत अधिक होने से भाजपा चिंतित है। BJP ने उद्योगपति नवीन जिंदल पर दांव खेला है। कुरुक्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय है। भिवानी-महेंद्रगढ़ : इस सीट पर भाजपा की टिकट से 2 बार MP बन चुके धर्मबीर सिंह को मैदान उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह पर भरोसा जताया है। राव दान सिंह जहां अहीरवाल बेल्ट से आते हैं तो वहीं धर्मबीर जाट जाति से संबंध रखते हैं। ऐसे में चुनाव जाट बनाम यादव में बंटा रहा। यही वजह है कि भाजपा इस सीट को लेकर कांटे का मुकाबला मान रही है। करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद में जीत तय मान रहे
हरियाणा लोकसभा चुनाव में भाजपा की रिव्यू मीटिंग में करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद पर जीत तय मानी जा रही है। करनाल तो इस चुनाव की सबसे हॉट सीट रही। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चुनाव मैदान में हैं। उनके जीतने की सबसे बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि वह सूबे के करीब 10 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने उनके मुकाबले कोई बड़ा चेहरा मैदान में नहीं उतारा। वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट में राव इंद्रजीत सिंह का अच्छा प्रभाव है। साथ ही भाजपा का भी शहरी क्षेत्रों में कैडर अच्छा है। हिसार में भाजपा की समीक्षा में रणजीत सिंह चौटाला और फरीदाबाद से पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर की रिपोर्ट अच्छी बताई है।