हरियाणा में विधायक ने JJP छोड़ी, कल BJP जॉइन करेंगे:10 में से 6 MLA पहले पार्टी छोड़ चुके; जजपा में अब मां-बेटे समेत 3 बचे

हरियाणा में विधायक ने JJP छोड़ी, कल BJP जॉइन करेंगे:10 में से 6 MLA पहले पार्टी छोड़ चुके; जजपा में अब मां-बेटे समेत 3 बचे

हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला को भेजा है। चर्चा है कि वह कल जींद में होने वाली जन आशीर्वाद रैली में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। गौतम से पहले JJP के 6 विधायक पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। इनमें नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, उकलाना से अनूप धानक, टोहाना से देवेंद्र बबली, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह और बरवाला से जोगीराम सिहाग शामिल हैं। 2019 में जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। सरकार बनने के दो महीने बाद ही राजकुमार यादव ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उस समय राजकुमार मंत्रिमंडल में शामिल ना होने से काफी नाराज थे। नाराजगी में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा भी कर दी थी। इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए दुष्यंत चौटाला पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था-‘इसकी भी लाइन तो पूर्वजों जैसी है, अपने से बड़े को नेता नहीं देख सकते’। इतना ही नहीं उन्होंने जजपा से चुनाव लड़ना भी बहुत बड़ी भूल बताई थी। पिछले दिनों उन्होंने नारनौंद में कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुला कर ताकत दिखाई थी। नारनौंद से 2 बार विधायक बने
78 वर्षीय रामकुमार गौतम नारनौंद से 2 बार विधायक बने हैं। पहले 2005 में भाजपा और दूसरी बार 2019 में जेजेपी के टिकट पर बने। विधायक रामकुमार गौतम जेजेपी पार्टी के 10 विधायक जब भाजपा में के साथ सरकार में शामिल हुए तो मंत्री बनाने की जिज्ञासा उन्हें थी लेकिन दुष्यंत चौटाला ने अपने करीबी अनूप धानक व दूसरे देवेंद्र बबली को मंत्री बना दिया और रामकुमार गौतम इस बात को लेकर उनसे काफी नाराज रहे। सरकार में शामिल होने के बाद से ही उन्होंने पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। अक्सर उन्होंने किसी भी राजनीतिक मंच से उन्होंने हमेशा दुष्यंत चौटाला को निशाने पर रखा। उन्होंने अनेक बार दुष्यंत चौटाला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। वह हमेशा कहते नजर आए कि दुष्यंत चौटाला और उसका परिवार सिर्फ पैसा कमाने के लिए राजनीति में आए हुए हैं। गठबंधन टूटने के बाद विधायकों में टूट शुरू हुई
2019 विधानसभा चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीती थीं। बहुमत से चूकी BJP ने JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। उस दौरान मनोहर लाल मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया। JJP कोटे से अनूप धानक श्रम और रोजगार राज्यमंत्री और देवेंद्र बबली पंचायत मंत्री बने। 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। JJP विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और विधायक जोगीराम सिहाग भी भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आए। इसके बाद JJP ने दोनों विधायकों को नोटिस जारी किया। साथ ही सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लगाई। अभी याचिका पर फैसला नहीं आया है। इस्तीफा देने वाले विधायकों की नाराजगी की वजह…
अनूप धानक : अनूप धानक उकलाना से 2 बार विधायक बने हैं। पहले इनेलो और दूसरी बार JJP के टिकट पर। अनूप शुरू की गिनती दुष्यंत के करीबियों में होती थी। जब 6 विधायकों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला था तो वह हमेशा दुष्यंत के साथ नजर आए। लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद धीरे-धीरे वह पीछे हटते चले गए। आखिर में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया। जोगीराम सिहाग : हिसार में एयरपोर्ट के कारण तलवंडी राणा गांव की तरफ जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया था। बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग इस रोड को शुरू करवाना चाहते थे। ग्रामीणों ने धरना शुरू किया तो सिहाग वहां पहुंचे। उन्होंने वहां से दुष्यंत चौटाला (उस समय डिप्टी सीएम थे) को फोन लगाया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। ईश्वर सिंह : ईश्वर सिंह इस बात से नाराज थे कि वह अपने हलके की सड़कें नहीं बनवाए पाए। जो विभाग दुष्यंत के पास थे, लोगों के वहां भी काम नहीं हुए। इनके बेटे रणधीर सिंह ने डेयरी डेवलपमेंट के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह कुमारी सैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए। रामकरण काला : पिछले साल किसानों ने सूरजमुखी की फसल के उचित मूल्य को लेकर जीटी रोड जाम किया था। जाम खुलवाने के लिए किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। शाहबाद के किसानों की संख्या ज्यादा थी। इसके बाद रामकरण काला ने हरियाणा शुगर फेडरेशन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र बबली : देवेंद्र बबली 2019 में कांग्रेस छोड़कर जजपा में आए थे। विधायक बनने के बाद जब मंत्री नहीं बनाया गया तो वह नाराज हो गए। पार्टी मीटिंग में भी उनकी उपस्थिति कम हो गई। बाद में इन्हें पंचायत मंत्री बनाया गया। हालांकि इसके बाद भी दुष्यंत चौटाला से दूरी बनाए रहे। राम निवास सुरजाखेड़ा : जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला द्वारा अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। उन्होंने दुष्यंत चौटाला पर हलके के काम न करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला नरवाना में काम में बाधा डाल रहे हैं। रामकुमार गौतम : दुष्यंत चौटाला से शुरू से ही मतभेद थे। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराया था, लेकिन फिर भी उन्हें मंत्री पद नहीं मिला। इससे वे नाराज हो गए। दुष्यंत चौटाला ने अकेले ही सारे विभाग संभाल लिए। वे संसद से लेकर नारनौंद तक इस पर आवाज उठाते रहे। लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत ही वोट मिल पाए हैं। सबसे खराब स्थित सोनीपत, अंबाला, रोहतक, कुरुक्षेत्र और सोनीपत की रही। यहां JJP प्रत्याशी 10 हजार से ऊपर वोट नहीं ले पाए। सबसे कम फरीदाबाद में नलिन हुड्‌डा को 5361 वोट मिले। वहीं सबसे अधिक वोट हिसार में दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को मिले। नैना चौटाला को 22032 वोट मिले। इसके अलावा पार्टी तीसरे से लेकर पांचवें स्थान पर रही। वहीं बसपा और इनेलो का प्रदर्शन जजपा से बेहतर रहा। हालांकि बसपा और इनेलो की भी चुनाव में जमानत जब्त हुई। हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला को भेजा है। चर्चा है कि वह कल जींद में होने वाली जन आशीर्वाद रैली में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। गौतम से पहले JJP के 6 विधायक पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। इनमें नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, उकलाना से अनूप धानक, टोहाना से देवेंद्र बबली, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह और बरवाला से जोगीराम सिहाग शामिल हैं। 2019 में जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। सरकार बनने के दो महीने बाद ही राजकुमार यादव ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उस समय राजकुमार मंत्रिमंडल में शामिल ना होने से काफी नाराज थे। नाराजगी में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा भी कर दी थी। इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए दुष्यंत चौटाला पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था-‘इसकी भी लाइन तो पूर्वजों जैसी है, अपने से बड़े को नेता नहीं देख सकते’। इतना ही नहीं उन्होंने जजपा से चुनाव लड़ना भी बहुत बड़ी भूल बताई थी। पिछले दिनों उन्होंने नारनौंद में कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुला कर ताकत दिखाई थी। नारनौंद से 2 बार विधायक बने
78 वर्षीय रामकुमार गौतम नारनौंद से 2 बार विधायक बने हैं। पहले 2005 में भाजपा और दूसरी बार 2019 में जेजेपी के टिकट पर बने। विधायक रामकुमार गौतम जेजेपी पार्टी के 10 विधायक जब भाजपा में के साथ सरकार में शामिल हुए तो मंत्री बनाने की जिज्ञासा उन्हें थी लेकिन दुष्यंत चौटाला ने अपने करीबी अनूप धानक व दूसरे देवेंद्र बबली को मंत्री बना दिया और रामकुमार गौतम इस बात को लेकर उनसे काफी नाराज रहे। सरकार में शामिल होने के बाद से ही उन्होंने पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। अक्सर उन्होंने किसी भी राजनीतिक मंच से उन्होंने हमेशा दुष्यंत चौटाला को निशाने पर रखा। उन्होंने अनेक बार दुष्यंत चौटाला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। वह हमेशा कहते नजर आए कि दुष्यंत चौटाला और उसका परिवार सिर्फ पैसा कमाने के लिए राजनीति में आए हुए हैं। गठबंधन टूटने के बाद विधायकों में टूट शुरू हुई
2019 विधानसभा चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीती थीं। बहुमत से चूकी BJP ने JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। उस दौरान मनोहर लाल मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया। JJP कोटे से अनूप धानक श्रम और रोजगार राज्यमंत्री और देवेंद्र बबली पंचायत मंत्री बने। 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। JJP विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और विधायक जोगीराम सिहाग भी भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आए। इसके बाद JJP ने दोनों विधायकों को नोटिस जारी किया। साथ ही सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लगाई। अभी याचिका पर फैसला नहीं आया है। इस्तीफा देने वाले विधायकों की नाराजगी की वजह…
अनूप धानक : अनूप धानक उकलाना से 2 बार विधायक बने हैं। पहले इनेलो और दूसरी बार JJP के टिकट पर। अनूप शुरू की गिनती दुष्यंत के करीबियों में होती थी। जब 6 विधायकों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला था तो वह हमेशा दुष्यंत के साथ नजर आए। लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद धीरे-धीरे वह पीछे हटते चले गए। आखिर में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया। जोगीराम सिहाग : हिसार में एयरपोर्ट के कारण तलवंडी राणा गांव की तरफ जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया था। बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग इस रोड को शुरू करवाना चाहते थे। ग्रामीणों ने धरना शुरू किया तो सिहाग वहां पहुंचे। उन्होंने वहां से दुष्यंत चौटाला (उस समय डिप्टी सीएम थे) को फोन लगाया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। ईश्वर सिंह : ईश्वर सिंह इस बात से नाराज थे कि वह अपने हलके की सड़कें नहीं बनवाए पाए। जो विभाग दुष्यंत के पास थे, लोगों के वहां भी काम नहीं हुए। इनके बेटे रणधीर सिंह ने डेयरी डेवलपमेंट के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह कुमारी सैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए। रामकरण काला : पिछले साल किसानों ने सूरजमुखी की फसल के उचित मूल्य को लेकर जीटी रोड जाम किया था। जाम खुलवाने के लिए किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। शाहबाद के किसानों की संख्या ज्यादा थी। इसके बाद रामकरण काला ने हरियाणा शुगर फेडरेशन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र बबली : देवेंद्र बबली 2019 में कांग्रेस छोड़कर जजपा में आए थे। विधायक बनने के बाद जब मंत्री नहीं बनाया गया तो वह नाराज हो गए। पार्टी मीटिंग में भी उनकी उपस्थिति कम हो गई। बाद में इन्हें पंचायत मंत्री बनाया गया। हालांकि इसके बाद भी दुष्यंत चौटाला से दूरी बनाए रहे। राम निवास सुरजाखेड़ा : जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला द्वारा अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। उन्होंने दुष्यंत चौटाला पर हलके के काम न करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला नरवाना में काम में बाधा डाल रहे हैं। रामकुमार गौतम : दुष्यंत चौटाला से शुरू से ही मतभेद थे। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराया था, लेकिन फिर भी उन्हें मंत्री पद नहीं मिला। इससे वे नाराज हो गए। दुष्यंत चौटाला ने अकेले ही सारे विभाग संभाल लिए। वे संसद से लेकर नारनौंद तक इस पर आवाज उठाते रहे। लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत ही वोट मिल पाए हैं। सबसे खराब स्थित सोनीपत, अंबाला, रोहतक, कुरुक्षेत्र और सोनीपत की रही। यहां JJP प्रत्याशी 10 हजार से ऊपर वोट नहीं ले पाए। सबसे कम फरीदाबाद में नलिन हुड्‌डा को 5361 वोट मिले। वहीं सबसे अधिक वोट हिसार में दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को मिले। नैना चौटाला को 22032 वोट मिले। इसके अलावा पार्टी तीसरे से लेकर पांचवें स्थान पर रही। वहीं बसपा और इनेलो का प्रदर्शन जजपा से बेहतर रहा। हालांकि बसपा और इनेलो की भी चुनाव में जमानत जब्त हुई।   हरियाणा | दैनिक भास्कर