हरियाणा में लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग से BJP और कांग्रेस दोनों दलों के नेता टेंशन में आ गए हैं। मतदान से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के किसान भाजपा से भारी नाराज हैं। वे वोटिंग डे पर रिकॉर्ड तोड़ मतदान करेंगे। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। लोग मतदान के लिए घरों से कम ही निकले, जिससे मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक सभी सीटों पर रात 8 बजे तक 65 प्रतिशत वोटिंग ही हो पाई। किसानों की नाराजगी से फायदा मिलने की आस लगाए बैठी कांग्रेस को इससे झटका लगा है, वहीं भाजपा इसे अपना फायदा समझ रही है। इस बार के आम चुनाव में जो ट्रेंड देश में था, वहीं हरियाणा में भी दिखा। देश के राज्यों राजस्थान में 64.56%, महाराष्ट्र में 54.33%, ओडिशा में 69.34% वोटिंग हुई, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग प्रतिशत है। हरियाणा में 2019 में 70.34% वोट लोकसभा चुनाव में पड़े थे, लेकिन इस बार के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत करीब 5% गिरा है। ऐसे में देश के बड़े राज्यों वाला ट्रेंड हरियाणा लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है। इन सीटों पर सबसे कम, सबसे ज्यादा वोटिंग हुई
हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट ऐसी रही, जहां सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत रहा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग 69 फीसदी सिरसा में तो सबसे कम 60.6 फीसदी गुरुग्राम में हुई। कुरुक्षेत्र में कम वोटिंग पर चर्चा शुरू
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर देश के जाने माने उद्योगपति नवीन जिंदल के भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से इस सीट की काफी चर्चाएं हैं। हालांकि, इस सीट पर भी वोटिंग प्रतिशत ज्यादा नहीं बढ़ पाया। शाम तक यहां 66.2% के करीब वोट पड़े। सियासी जानकारों का कहना है कि इस सीट पर कम वोटिंग प्रतिशत का कारण किसानों का विरोध भी रहा है। इसकी वजह यह रही कि यहां से किसान नेता गुरुनाम चढ़ूनी ने INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया था और भाजपा के खिलाफ खुलकर प्रचार किया था। इंडी गठबंधन की ओर से यहां AAP के पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा है। अलग-अलग सीटों पर मतदान करने पहुंचे स्टार और स्टार प्रचारकों के PHOTOS… कम वोटिंग परसेंटेज में गर्मी भी बड़ा फैक्टर
हरियाणा में कम वोटिंग परसेंटेज के लिए गर्मी भी बड़ा फैक्टर रहा। सूबे के 15 से अधिक जिलों में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। हालात इतने खराब हैं कि यहां का अधिकतम तापमान पिछले 10 दिनों से 46 के पार बना हुआ है। इसके साथ ही यहां लू भी चल रही है। गर्मी के कारण हरियाणा सरकार की ओर से 15 जिलों में स्कूल भी बंद किए जा चुके हैं। इस कारण से वोटिंग के लिए आने वाला बड़ा वर्ग घर ही बैठा रहा। किरण के जिले में कम वोटिंग क्यों?
कांग्रेस की तोशाम से विधायक किरण चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर कम वोटिंग भी कई सवाल खड़ कर रही है। यहां 57 प्रतिशत के करीब वोट पड़े हैं। सियासी जानकार इसकी वजह किरण की नाराजगी को बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अजय दीप लाठर का कहना है कि इस बार इस सीट से किरण की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसे लेकर वह काफी नाराज चल रही थीं। उन्होंने महेंद्रगढ़ दौरे के दौरान हुई पार्टी की चुनावी रैली में राहुल गांधी के सामने ही अपना विरोध प्रकट किया था। वोटिंग में नहीं दिखा विरोध
केंद्र के साथ ही हरियाणा में भी 10 सालों से भाजपा सत्तासीन है। इस कारण इस आम चुनाव में सरकार के विरोध में जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी थी। प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के विरोध से यह दिख रहा था कि सूबे में लोग अपना विरोध वोटिंग में भी दिखाएंगे, लेकिन वोटिंग में यह विरोध दिख नहीं पाया। जानकारों का कहना है कि हरियाणा का सबसे बड़ा वर्ग जाट इस चुनाव में विकल्प नहीं तलाश पाया। इस कारण से चुनाव में वोटिंग से वह दूर रहा। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग से BJP और कांग्रेस दोनों दलों के नेता टेंशन में आ गए हैं। मतदान से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के किसान भाजपा से भारी नाराज हैं। वे वोटिंग डे पर रिकॉर्ड तोड़ मतदान करेंगे। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। लोग मतदान के लिए घरों से कम ही निकले, जिससे मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक सभी सीटों पर रात 8 बजे तक 65 प्रतिशत वोटिंग ही हो पाई। किसानों की नाराजगी से फायदा मिलने की आस लगाए बैठी कांग्रेस को इससे झटका लगा है, वहीं भाजपा इसे अपना फायदा समझ रही है। इस बार के आम चुनाव में जो ट्रेंड देश में था, वहीं हरियाणा में भी दिखा। देश के राज्यों राजस्थान में 64.56%, महाराष्ट्र में 54.33%, ओडिशा में 69.34% वोटिंग हुई, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग प्रतिशत है। हरियाणा में 2019 में 70.34% वोट लोकसभा चुनाव में पड़े थे, लेकिन इस बार के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत करीब 5% गिरा है। ऐसे में देश के बड़े राज्यों वाला ट्रेंड हरियाणा लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है। इन सीटों पर सबसे कम, सबसे ज्यादा वोटिंग हुई
हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट ऐसी रही, जहां सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत रहा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग 69 फीसदी सिरसा में तो सबसे कम 60.6 फीसदी गुरुग्राम में हुई। कुरुक्षेत्र में कम वोटिंग पर चर्चा शुरू
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर देश के जाने माने उद्योगपति नवीन जिंदल के भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से इस सीट की काफी चर्चाएं हैं। हालांकि, इस सीट पर भी वोटिंग प्रतिशत ज्यादा नहीं बढ़ पाया। शाम तक यहां 66.2% के करीब वोट पड़े। सियासी जानकारों का कहना है कि इस सीट पर कम वोटिंग प्रतिशत का कारण किसानों का विरोध भी रहा है। इसकी वजह यह रही कि यहां से किसान नेता गुरुनाम चढ़ूनी ने INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया था और भाजपा के खिलाफ खुलकर प्रचार किया था। इंडी गठबंधन की ओर से यहां AAP के पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा है। अलग-अलग सीटों पर मतदान करने पहुंचे स्टार और स्टार प्रचारकों के PHOTOS… कम वोटिंग परसेंटेज में गर्मी भी बड़ा फैक्टर
हरियाणा में कम वोटिंग परसेंटेज के लिए गर्मी भी बड़ा फैक्टर रहा। सूबे के 15 से अधिक जिलों में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। हालात इतने खराब हैं कि यहां का अधिकतम तापमान पिछले 10 दिनों से 46 के पार बना हुआ है। इसके साथ ही यहां लू भी चल रही है। गर्मी के कारण हरियाणा सरकार की ओर से 15 जिलों में स्कूल भी बंद किए जा चुके हैं। इस कारण से वोटिंग के लिए आने वाला बड़ा वर्ग घर ही बैठा रहा। किरण के जिले में कम वोटिंग क्यों?
कांग्रेस की तोशाम से विधायक किरण चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर कम वोटिंग भी कई सवाल खड़ कर रही है। यहां 57 प्रतिशत के करीब वोट पड़े हैं। सियासी जानकार इसकी वजह किरण की नाराजगी को बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अजय दीप लाठर का कहना है कि इस बार इस सीट से किरण की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसे लेकर वह काफी नाराज चल रही थीं। उन्होंने महेंद्रगढ़ दौरे के दौरान हुई पार्टी की चुनावी रैली में राहुल गांधी के सामने ही अपना विरोध प्रकट किया था। वोटिंग में नहीं दिखा विरोध
केंद्र के साथ ही हरियाणा में भी 10 सालों से भाजपा सत्तासीन है। इस कारण इस आम चुनाव में सरकार के विरोध में जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी थी। प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के विरोध से यह दिख रहा था कि सूबे में लोग अपना विरोध वोटिंग में भी दिखाएंगे, लेकिन वोटिंग में यह विरोध दिख नहीं पाया। जानकारों का कहना है कि हरियाणा का सबसे बड़ा वर्ग जाट इस चुनाव में विकल्प नहीं तलाश पाया। इस कारण से चुनाव में वोटिंग से वह दूर रहा। हरियाणा | दैनिक भास्कर