हरियाणा में JJP को हर विधानसभा सीट पर झटका:चुनाव में जमानत नहीं बचा पाए कैंडिडेट, इनेलो-बसपा से कम वोट शेयर

हरियाणा में JJP को हर विधानसभा सीट पर झटका:चुनाव में जमानत नहीं बचा पाए कैंडिडेट, इनेलो-बसपा से कम वोट शेयर

हरियाणा में इनेलो पार्टी से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी (JJP) को लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। एक भी सीट जीतना तो दूर, पार्टी के कैंडिडेट अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। इतना ही नहीं पार्टी 90 विधानसभा में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। जजपा का वोट शेयर 0.87% रहा, जो बसपा और इनेलो से भी कम है। इस साल के लास्ट में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में पार्टी की टेंशन बढ़ गई है। जजपा के बागी विधायक JJP के विधायक ही उसके खिलाफ
2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के 10 विधायक बने थे, लेकिन इसमें से 6 विधायक पार्टी से बगावत कर अलग-अलग पार्टियों को हरियाणा में समर्थन कर रहे हैं। कुछ विधायक तो 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नाराज हो गए थे। इसमें दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने थे। दुष्यंत के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में सबसे पहले विधायक नारनौंद के रामकुमार गौतम थे। इसके बाद धीरे-धीरे आधे से ज्यादा विधायक दुष्यंत चौटाला के खिलाफ हो गए। बागी विधायकों में टोहाना से देवेंद्र बबली, बरवाला से जोगीराम सिहाग, गुहला से ईश्वर सिंह, नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, शाहबाद से रामकरण काला है। अब सिर्फ 4 विधायक ही जेजेपी के साथ है। इसमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, उकलाना से अनूप धानक और जुलाना से अमरजीत ढांडा शामिल हैं। 3 महीने पहले सीट शेयरिंग पर टूटा था गठबंधन
लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सीट शेयरिंग को लेकर हरियाणा में तकरीबन साढ़े 4 साल से मिलकर सरकार चला रहीं BJP और JJP का गठबंधन टूट गया था। जजपा भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए लोकसभा की 2 सीटें मांग रही थी, मगर भाजपा खुद के दम पर चुनाव लड़ने के पक्ष में थी। दुष्यंत के सरकार विरोधी तेवर से बढ़ी बगावत
लोकसभा में सीट शेयरिंग पर समझौता न होने के बाद दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन टूटने की बात कही। इसके बाद हरियाणा में मनोहर लाल खट्‌टर को हटाकर नायब सैनी की अगुआई में नई सरकार बनी। हालांकि असली बात तब बिगड़ी, जब 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने सरकार को अल्पमत में बता कांग्रेस को सरकार गिराने के बदले समर्थन का ऑफर दे दिया। दुष्यंत ने यह भी कहा कि उनके सभी विधायकों को पार्टी व्हिप का पालन करना होगा। जिसके बाद बागी विधायकों के तेवर सख्त हो गए। चुनाव में जजपा को 0.87 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 10 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, लेकिन सभी हार गए। जेजेपी को 0.87% ही वोट मिल पाए हैं। सबसे खराब स्थित सोनीपत, अंबाला, रोहतक और कुरुक्षेत्र में रही। यहां JJP कैंडिडेट्स 10 हजार से ऊपर वोट नहीं ले पाए। सबसे कम फरीदाबाद में नलिन हुड्‌डा को 5361 वोट मिले। वहीं सबसे अधिक वोट हिसार में दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को मिले। नैना चौटाला को 22,032 वोट मिले। इसके अलावा पार्टी तीसरे से लेकर पांचवें स्थान पर रही। वहीं बसपा और इनेलो का प्रदर्शन जजपा से बेहतर रहा। हालांकि बसपा और इनेलो के कैंडिडेट्स की भी जमानत जब्त हुई। एडवोकेट योगेश सिहाग बोले- जजपा को अभी कोई खतरा नहीं
हिसार के वकील व राजनीतिक जानकार एडवोकेट योगेश सिहाग के अनुसार किसी भी पार्टी को स्टेट पार्टी का दर्जा बचाने के लिए 6 प्रतिशत से वोट हासिल करना जरूरी है। नियमों के हिसाब से अभी JJP को किसी तरह का खतरा नहीं है। मगर आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्रदर्शन सुधारना होगा। आगामी लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत 6 प्रतिशत से ऊपर रखना होगा। हरियाणा में इनेलो पार्टी से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी (JJP) को लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। एक भी सीट जीतना तो दूर, पार्टी के कैंडिडेट अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। इतना ही नहीं पार्टी 90 विधानसभा में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। जजपा का वोट शेयर 0.87% रहा, जो बसपा और इनेलो से भी कम है। इस साल के लास्ट में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में पार्टी की टेंशन बढ़ गई है। जजपा के बागी विधायक JJP के विधायक ही उसके खिलाफ
2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के 10 विधायक बने थे, लेकिन इसमें से 6 विधायक पार्टी से बगावत कर अलग-अलग पार्टियों को हरियाणा में समर्थन कर रहे हैं। कुछ विधायक तो 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नाराज हो गए थे। इसमें दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने थे। दुष्यंत के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में सबसे पहले विधायक नारनौंद के रामकुमार गौतम थे। इसके बाद धीरे-धीरे आधे से ज्यादा विधायक दुष्यंत चौटाला के खिलाफ हो गए। बागी विधायकों में टोहाना से देवेंद्र बबली, बरवाला से जोगीराम सिहाग, गुहला से ईश्वर सिंह, नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, शाहबाद से रामकरण काला है। अब सिर्फ 4 विधायक ही जेजेपी के साथ है। इसमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, उकलाना से अनूप धानक और जुलाना से अमरजीत ढांडा शामिल हैं। 3 महीने पहले सीट शेयरिंग पर टूटा था गठबंधन
लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सीट शेयरिंग को लेकर हरियाणा में तकरीबन साढ़े 4 साल से मिलकर सरकार चला रहीं BJP और JJP का गठबंधन टूट गया था। जजपा भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए लोकसभा की 2 सीटें मांग रही थी, मगर भाजपा खुद के दम पर चुनाव लड़ने के पक्ष में थी। दुष्यंत के सरकार विरोधी तेवर से बढ़ी बगावत
लोकसभा में सीट शेयरिंग पर समझौता न होने के बाद दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन टूटने की बात कही। इसके बाद हरियाणा में मनोहर लाल खट्‌टर को हटाकर नायब सैनी की अगुआई में नई सरकार बनी। हालांकि असली बात तब बिगड़ी, जब 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने सरकार को अल्पमत में बता कांग्रेस को सरकार गिराने के बदले समर्थन का ऑफर दे दिया। दुष्यंत ने यह भी कहा कि उनके सभी विधायकों को पार्टी व्हिप का पालन करना होगा। जिसके बाद बागी विधायकों के तेवर सख्त हो गए। चुनाव में जजपा को 0.87 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 10 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, लेकिन सभी हार गए। जेजेपी को 0.87% ही वोट मिल पाए हैं। सबसे खराब स्थित सोनीपत, अंबाला, रोहतक और कुरुक्षेत्र में रही। यहां JJP कैंडिडेट्स 10 हजार से ऊपर वोट नहीं ले पाए। सबसे कम फरीदाबाद में नलिन हुड्‌डा को 5361 वोट मिले। वहीं सबसे अधिक वोट हिसार में दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को मिले। नैना चौटाला को 22,032 वोट मिले। इसके अलावा पार्टी तीसरे से लेकर पांचवें स्थान पर रही। वहीं बसपा और इनेलो का प्रदर्शन जजपा से बेहतर रहा। हालांकि बसपा और इनेलो के कैंडिडेट्स की भी जमानत जब्त हुई। एडवोकेट योगेश सिहाग बोले- जजपा को अभी कोई खतरा नहीं
हिसार के वकील व राजनीतिक जानकार एडवोकेट योगेश सिहाग के अनुसार किसी भी पार्टी को स्टेट पार्टी का दर्जा बचाने के लिए 6 प्रतिशत से वोट हासिल करना जरूरी है। नियमों के हिसाब से अभी JJP को किसी तरह का खतरा नहीं है। मगर आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्रदर्शन सुधारना होगा। आगामी लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत 6 प्रतिशत से ऊपर रखना होगा।   हरियाणा | दैनिक भास्कर