हरियाणा में तेजी से बढ़ रहे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (NPK) के उपयोग पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नाराजगी जताई है। पता चला है कि इस सीजन में चरखी दादरी जिले में 184% यूरिया का यूज हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि हरियाणा की यूरिया और डीएपी के पंजाब, उत्तर प्रदेश भेजे जाने का इनपुट सामने आया है। इसके अलावा प्रदेश की प्लाईवुड इंडस्ट्री में भी यूरिया का यूज किए जाने के सबूत मिले हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हरियाणा में रबी सीजन (2024-25) के दौरान यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की खपत में तेज वृद्धि पर चिंता भी जताई है। केंद्र ने हरियाणा को लेटर लिखा यूरिया और डीएपी दोनों ही कृषि उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हैं और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इनका आयात किया जाना चाहिए। हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कुछ जिलों में उर्वरक की खपत न केवल अनुमानित मासिक आवश्यकता से बल्कि पिछले वर्ष के उपयोग से भी काफी अधिक हो गई है। उन्होंने लिखा है कि इसके अलावा, आपके राज्य के कुछ जिलों में राज्य की औसत खपत की तुलना में खपत बहुत अधिक थी और उर्वरक का असंतुलित उपयोग भी है।” केंद्र ने आंकड़े जारी कर दिया सबूत 1. यूरिया का यूज 18% तक बढ़ा केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के रबी सीजन में हरियाणा में यूरिया का उपयोग पिछले तीन वर्षों के औसत की तुलना में 18% बढ़ा है। राज्य ने इस सीजन में 11,07,205 मीट्रिक टन यूरिया की खपत की, जो पिछले तीन वर्षों के औसत 9,40,549 मीट्रिक टन से अधिक है। सबसे अधिक वृद्धि वाले जिलों में चरखी दादरी (107%), यमुनानगर (32%) और सोनीपत (30%) शामिल हैं। 2, चरखी-दादरी में DAP 184% अधिक यूज इसी तरह, हरियाणा में डीएपी की खपत पिछले तीन वर्षों में औसतन 2,75,934 मीट्रिक टन से बढ़कर 2024-25 में 3,25,416 मीट्रिक टन हो गई, जो 18% की वृद्धि को दर्शाता है। कुछ जिलों में तो और भी अधिक उछाल देखा गया, चरखी दादरी में 184% की वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद महेंद्रगढ़ (65%), यमुनानगर (55%), अंबाला (48%), पंचकूला (39%), रेवाड़ी (34%) और झज्जर (30%) का स्थान रहा। इसलिए हो रहा शक कृषि विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि खाद की असंतुलित आपूर्ति से पता चलता है कि औद्योगिक उपयोग या आसपास के राज्यों में यूरिया की अवैध आपूर्ति की जा रही है। एक अधिकारी ने बताया, हरियाणा में किसानों को 1,000 रुपए की सब्सिडी के बाद 266.50 रुपए प्रति बैग की रियायती दर पर यूरिया बैग मिल रहे हैं। अगर यूरिया उद्योग या आसपास के राज्यों में जा रहा है, तो यह हरियाणा के किसानों के साथ साथ सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। वहीं भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के मीडिया को-आर्डिनेटर राकेश बैंस ने दावा किया है कि खाद को हरियाणा से सटे जिलों, खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश के जिलों में ले जाया जा रहा है, और इसे प्लाईवुड उद्योग में भी भेजा जा रहा है। BJP सांसद उठा चुकी मुद्दा यूरिया की कम आपूर्ति की रिपोर्ट के बाद, राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर भिवानी जिले में इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि भिवानी जिले में मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति 1,066 मीट्रिक टन कम हो गई है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त मात्रा में यूरिया की समय पर उपलब्धता पैदावार को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और किसी भी तरह की देरी या कमी से पैदावार पर गंभीर असर पड़ सकता है। उन्होंने यूरिया की असमान आपूर्ति का मुद्दा भी उठाया तथा जिलों में संतुलित वितरण प्रणाली की मांग की। हरियाणा ने दिए ये दो तर्क… 1. हरियाणा की ओर से खपत बढ़ने के पीछे ये तर्क दिया है कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए, किसान अब प्रति एकड़ 25-45 किलोग्राम यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, एनपीके उर्वरक की खपत पिछले साल के 26 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर इस सीजन में 66 हजार मीट्रिक टन हो गई है। चूंकि एनपीके में डीएपी की तुलना में नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है, इसलिए किसान नाइट्रोजन की कमी की भरपाई के लिए अतिरिक्त यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। 2. किसान इस वृद्धि का श्रेय उच्च नाइट्रोजन वाली गेहूं की किस्मों को भी देते हैं। डब्ल्यूएच 1270 और डीबीडब्ल्यू 187, 303 और 327 जैसी गेहूं की किस्मों को अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पिछली किस्मों की तुलना में 1.5 गुना अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। हालांकि, अनजान किसान अधिक उपज की उम्मीद में अधिक यूरिया का उपयोग करते हैं। हरियाणा में तेजी से बढ़ रहे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (NPK) के उपयोग पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नाराजगी जताई है। पता चला है कि इस सीजन में चरखी दादरी जिले में 184% यूरिया का यूज हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि हरियाणा की यूरिया और डीएपी के पंजाब, उत्तर प्रदेश भेजे जाने का इनपुट सामने आया है। इसके अलावा प्रदेश की प्लाईवुड इंडस्ट्री में भी यूरिया का यूज किए जाने के सबूत मिले हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हरियाणा में रबी सीजन (2024-25) के दौरान यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की खपत में तेज वृद्धि पर चिंता भी जताई है। केंद्र ने हरियाणा को लेटर लिखा यूरिया और डीएपी दोनों ही कृषि उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हैं और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इनका आयात किया जाना चाहिए। हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कुछ जिलों में उर्वरक की खपत न केवल अनुमानित मासिक आवश्यकता से बल्कि पिछले वर्ष के उपयोग से भी काफी अधिक हो गई है। उन्होंने लिखा है कि इसके अलावा, आपके राज्य के कुछ जिलों में राज्य की औसत खपत की तुलना में खपत बहुत अधिक थी और उर्वरक का असंतुलित उपयोग भी है।” केंद्र ने आंकड़े जारी कर दिया सबूत 1. यूरिया का यूज 18% तक बढ़ा केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के रबी सीजन में हरियाणा में यूरिया का उपयोग पिछले तीन वर्षों के औसत की तुलना में 18% बढ़ा है। राज्य ने इस सीजन में 11,07,205 मीट्रिक टन यूरिया की खपत की, जो पिछले तीन वर्षों के औसत 9,40,549 मीट्रिक टन से अधिक है। सबसे अधिक वृद्धि वाले जिलों में चरखी दादरी (107%), यमुनानगर (32%) और सोनीपत (30%) शामिल हैं। 2, चरखी-दादरी में DAP 184% अधिक यूज इसी तरह, हरियाणा में डीएपी की खपत पिछले तीन वर्षों में औसतन 2,75,934 मीट्रिक टन से बढ़कर 2024-25 में 3,25,416 मीट्रिक टन हो गई, जो 18% की वृद्धि को दर्शाता है। कुछ जिलों में तो और भी अधिक उछाल देखा गया, चरखी दादरी में 184% की वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद महेंद्रगढ़ (65%), यमुनानगर (55%), अंबाला (48%), पंचकूला (39%), रेवाड़ी (34%) और झज्जर (30%) का स्थान रहा। इसलिए हो रहा शक कृषि विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि खाद की असंतुलित आपूर्ति से पता चलता है कि औद्योगिक उपयोग या आसपास के राज्यों में यूरिया की अवैध आपूर्ति की जा रही है। एक अधिकारी ने बताया, हरियाणा में किसानों को 1,000 रुपए की सब्सिडी के बाद 266.50 रुपए प्रति बैग की रियायती दर पर यूरिया बैग मिल रहे हैं। अगर यूरिया उद्योग या आसपास के राज्यों में जा रहा है, तो यह हरियाणा के किसानों के साथ साथ सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। वहीं भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के मीडिया को-आर्डिनेटर राकेश बैंस ने दावा किया है कि खाद को हरियाणा से सटे जिलों, खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश के जिलों में ले जाया जा रहा है, और इसे प्लाईवुड उद्योग में भी भेजा जा रहा है। BJP सांसद उठा चुकी मुद्दा यूरिया की कम आपूर्ति की रिपोर्ट के बाद, राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर भिवानी जिले में इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि भिवानी जिले में मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति 1,066 मीट्रिक टन कम हो गई है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त मात्रा में यूरिया की समय पर उपलब्धता पैदावार को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और किसी भी तरह की देरी या कमी से पैदावार पर गंभीर असर पड़ सकता है। उन्होंने यूरिया की असमान आपूर्ति का मुद्दा भी उठाया तथा जिलों में संतुलित वितरण प्रणाली की मांग की। हरियाणा ने दिए ये दो तर्क… 1. हरियाणा की ओर से खपत बढ़ने के पीछे ये तर्क दिया है कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए, किसान अब प्रति एकड़ 25-45 किलोग्राम यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, एनपीके उर्वरक की खपत पिछले साल के 26 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर इस सीजन में 66 हजार मीट्रिक टन हो गई है। चूंकि एनपीके में डीएपी की तुलना में नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है, इसलिए किसान नाइट्रोजन की कमी की भरपाई के लिए अतिरिक्त यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। 2. किसान इस वृद्धि का श्रेय उच्च नाइट्रोजन वाली गेहूं की किस्मों को भी देते हैं। डब्ल्यूएच 1270 और डीबीडब्ल्यू 187, 303 और 327 जैसी गेहूं की किस्मों को अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पिछली किस्मों की तुलना में 1.5 गुना अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। हालांकि, अनजान किसान अधिक उपज की उम्मीद में अधिक यूरिया का उपयोग करते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
