हरियाणा में SET (स्टूडेंट असेसमेंट टेस्ट) परीक्षा की डेटशीट जारी कर दी गई है और फिर उसे वापस ले लिया गया है। परीक्षा पहले से ही देरी से चल रही थी। SAT परीक्षा नवंबर में होने की बजाय दिसंबर में आयोजित करने के लिए डेटशीट जारी की गई थी। लेकिन विभाग को तुरंत प्रभाव से डेटशीट वापस लेनी पड़ी। बता दें कि प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 6वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की SAT परीक्षा नवंबर में होनी थी। लेकिन देरी के कारण विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने SAT परीक्षा दिसंबर में आयोजित करने के लिए 21 नवंबर को डेटशीट जारी कर दी थी। जिसके तहत परीक्षा 10 दिसंबर से शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगी। अलग-अलग विषयों की परीक्षाएं अलग-अलग दिन सुबह और शाम (लंच ब्रेक से पहले और लंच ब्रेक के बाद) आयोजित की जानी थी। लेकिन 21 नवंबर को ही विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने डेटशीट वापस लेने का पत्र भी जारी कर दिया। परीक्षा में लापरवाही न बरतें स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों, स्कूल प्रमुखों और इंचार्जों को डेटशीट पत्र जारी किया गया। जिसमें निर्देश दिए गए कि नवंबर माह में होने वाली SAT अब दिसंबर में आयोजित की जाएगी। जिसकी डेटशीट भी जारी कर दी गई। साथ ही निर्देश दिए गए कि सभी स्कूलों में परीक्षा आयोजित की जाए, किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए। वहीं, SAT परीक्षा के अंक अवसर ऐप या पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी स्कूल प्रमुख या इंचार्ज की होगी। हरियाणा में SET (स्टूडेंट असेसमेंट टेस्ट) परीक्षा की डेटशीट जारी कर दी गई है और फिर उसे वापस ले लिया गया है। परीक्षा पहले से ही देरी से चल रही थी। SAT परीक्षा नवंबर में होने की बजाय दिसंबर में आयोजित करने के लिए डेटशीट जारी की गई थी। लेकिन विभाग को तुरंत प्रभाव से डेटशीट वापस लेनी पड़ी। बता दें कि प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 6वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की SAT परीक्षा नवंबर में होनी थी। लेकिन देरी के कारण विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने SAT परीक्षा दिसंबर में आयोजित करने के लिए 21 नवंबर को डेटशीट जारी कर दी थी। जिसके तहत परीक्षा 10 दिसंबर से शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगी। अलग-अलग विषयों की परीक्षाएं अलग-अलग दिन सुबह और शाम (लंच ब्रेक से पहले और लंच ब्रेक के बाद) आयोजित की जानी थी। लेकिन 21 नवंबर को ही विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने डेटशीट वापस लेने का पत्र भी जारी कर दिया। परीक्षा में लापरवाही न बरतें स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों, स्कूल प्रमुखों और इंचार्जों को डेटशीट पत्र जारी किया गया। जिसमें निर्देश दिए गए कि नवंबर माह में होने वाली SAT अब दिसंबर में आयोजित की जाएगी। जिसकी डेटशीट भी जारी कर दी गई। साथ ही निर्देश दिए गए कि सभी स्कूलों में परीक्षा आयोजित की जाए, किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए। वहीं, SAT परीक्षा के अंक अवसर ऐप या पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी स्कूल प्रमुख या इंचार्ज की होगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा में दिवाली पर लड़की की लाश मिली:रात को गायब हुई, पानी के टैंकर में तैर रही थी; पिता बोले- परेशान रहती थी
हरियाणा में दिवाली पर लड़की की लाश मिली:रात को गायब हुई, पानी के टैंकर में तैर रही थी; पिता बोले- परेशान रहती थी हरियाणा के फरीदाबाद में दिवाली (31 अक्टूबर) के दिन नगर निगम द्वारा सड़कों पर पानी छिड़काव करने के लिए लगाए गए प्राइवेट टैंकर में लड़की की लाश मिली। मृतका की पहचान एसजीएम नगर की रहने वाली मुस्कान (17) के रूप में हुई है। युवती एक दिन पहले घर से लापता हुई थी। पुलिस के मुताबिक नगर निगम का एक टैंकर NIT 3 नंबर तिकोना पार्क के पास खड़ा रहता है। गुरुवार को सेक्टर 12 खेल परिसर में रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम था। मैदान में पानी का छिड़काव करके ड्राइवर टैंकर को दोबारा पानी भरने के लिए बड़ौली गांव के पास ट्यूबवेल पर पहुंचा। यहां पानी के पाइप में चुन्नी फंसी हुई मिली। जब ड्राइवर ने टैंकर पर चढ़कर देखा तो अंदर लड़की की लाश पड़ी हुई थी। इसके बाद ड्राइवर ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर FSL की टीम भी मौके पर पहुंची। टैंकर को काटकर युवती की लाश बाहर निकाली गई। पिता बोले- कई दिन से डिप्रेशन में थी
मुस्कान के पिता उस्मान ने बताया कि बेटी पिछले काफी दिनों से किसी बात को लेकर डिप्रेशन में थी। कई बार उससे पूछने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं बताती थी। देर रात करीब 9:30 बजे बिना बताए घर से निकल गई और उसके बाद घर वापस नहीं लौटी। उन्होंने पड़ोसियों और रिश्तेदारी में उसकी तलाश की, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं लगा। रात में ही मुस्कान के लापता होने की सूचना पुलिस दे दी। आज सुबह पुलिस का फोन आया कि सेक्टर 9 बाइपास के पास टैंकर के अंदर डेडबॉडी मिली है, आप पहचान करने के लिए आ जाओ। पहचान की तो बॉडी मुस्कान की थी। बेटी पानी के टैंकर के अंदर कैसे पहुंची और उसकी मृत्यु कैसे हुई, इसकी जांच होनी चाहिए। हत्या के एंगल पर भी हो रही जांच
कोतवाली थाना प्रभारी महावीर कुमार ने बताया कि डिप्रेशन के कारण लड़की घर से बाहर निकल गई थी, लेकिन यह जांच का विषय है कि लड़की की बॉडी पानी के टैंकर के अंदर कैसे पहुंची। हत्या के एंगल से भी जांच की जा रही है। बीपीटीपी थाना प्रभारी पूनम हुड्डा ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। इसमें हत्या का भी एंगल देखा जा रहा है। जिस टैंकर में महिला की डेडबॉडी मिली है, वह टैंकर एनआईटी तीन नंबर तिकोना पार्क के पास खड़ा रहता है।
गोद लेकर मुकरे तो पिता को कोर्ट में घसीटा:इंदिरा के न चाहते हुए भी 2 बार CM बने भगवत दयाल; 13 दिन में गिरी सरकार
गोद लेकर मुकरे तो पिता को कोर्ट में घसीटा:इंदिरा के न चाहते हुए भी 2 बार CM बने भगवत दयाल; 13 दिन में गिरी सरकार 26 जनवरी 1918, संयुक्त पंजाब के जींद जिले के बैरो गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ। सवा साल बाद उसकी मां नहीं रहीं। पिता हीरालाल शास्त्री ने कुछ साल बच्चे को संभाला, फिर रोहतक के मुरारीलाल को गोद दे दिया। गांव वालों की मौजूदगी में गोद देने कार्यक्रम भी हुआ। बच्चा 16 साल का हुआ, तो उसकी शादी करा दी गई। उसके बाद वो आजादी के आंदोलन में कूद गया, जेल भी गया। 14 साल बाद घर लौटा, तो गोद लेने वाले पिता मुरारीलाल के पास गया। उन्होंने उसे बेटा मानने से इनकार कर दिया। फिर वो हीरालाल के पास गया, उन्होंने कहा- ‘हम तो पहले ही तुम्हें गोद दे चुके हैं।’ दरअसल, जब लड़का जेल में था, तब ब्रितानिया हुकूमत की पुलिस हीरालाल और मुरारीलाल के घर पहुंची थी। दोनों डर गए थे कि उस लड़के की वजह से उन पर मुकदमा न हो जाए। इन सब के बीच लड़के को याद आया कि उसकी एक बहन है, जो गोद लेने वाले पिता की बेटी थी। गांव वालों से पता चला कि उसकी शादी दिल्ली में हुई है। वो बहन से मिलने दिल्ली पहुंचा। उसे आपबीती सुनाई। दोनों भाई-बहन मुरारीलाल के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने लड़के को बेटा मानने से फिर इनकार कर दिया। थक हारकर लड़के ने रोहतक कोर्ट में मुरारीलाल के खिलाफ केस कर दिया। गांव वाले उसके पक्ष में थे, लेकिन कोर्ट गोद लिए जाने का सबूत मांग रहा था। लड़के ने कोर्ट के सामने एक तस्वीर पेश की, जिसमें वो गोद लेने वाले पिता की गोद में बैठा था। फैसला लड़के के पक्ष में आया। मुरारीलाल रो पड़े। लड़के ने उन्हें प्रणाम किया, गले लगाया और कहा- ‘मुझे आपकी संपत्ति नहीं चाहिए, मैं बस ये चाहता था कि आपको अपनी गलती का एहसास हो।’ आगे चलकर यही लड़का हरियाणा का पहला मुख्यमंत्री बना, नाम- भगवत दयाल शर्मा। उनकी बेटी डॉ. भारती शर्मा ने अपनी किताब ‘स्मृतियों के आइने में पंडित भगवत दयाल शर्मा’ में इस किस्से का जिक्र किया है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘मैं हरियाणा का सीएम’ के पहले एपिसोड में भगवत दयाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने की कहानी… डॉ. भारती शर्मा लिखती हैं- साल 1962, प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों से कहा- मैं दिल्ली को स्विट्जरलैंड बनाना चाहता हूं। वे अपनी बात पूरी करते, उससे पहले ही कैरों बोल पड़े- पंडित जी मुझसे पंजाब का टुकड़ा मत मांगो, क्योंकि स्विट्जरलैंड के चारों तरफ तो 40 मील तक फैक्ट्रियां हैं। नेहरू ने तब के श्रम मंत्री रहे खंडू भाई देसाई से कहा कि प्रताप बहुत मजबूत हो चुका है। मुझे इसका विकल्प दो। खंडू भाई ने कहा- एक पढ़ा-लिखा शख्स है, इंदिरा से मिलने रोज जाता है। पंजाब का ही रहने वाला है। आप उसे मौका दो, भगवत दयाल नाम है। कुछ दिनों बाद… भगवत दयाल, इंदिरा से मिलकर दिल्ली के तीन मूर्ति भवन से बाहर निकल रहे थे। अचानक पंडित नेहरू की कार आ गई। कार रोककर नेहरू ने भगवत दयाल से उनका नाम पूछा। फिर अंदर बुला लिया। तीन मूर्ति भवन में दोनों के बीच देर तक बातचीत हुई। इस दौरान भगवत दयाल ने पंडित नेहरू से कहा- ‘मुझे झज्जर से शेर सिंह के सामने चुनाव लड़ना है।’ शेर सिंह झज्जर के कद्दावर नेता थे। लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके थे। नेहरू ने कहा कि उनके सामने तो मैं भी चुनाव हार जाऊंगा। आखिरकार भगवत दयाल शर्मा को टिकट मिला और वे करीब 16 हजार वोट से जीते। शेर सिंह के समर्थक हंगामे पर उतारू थे। भगवत दयाल ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने शेर सिंह से कहा कि बाहर जाकर कह दो कि शेर सिंह चुनाव जीत गया है। शेर सिंह ने वैसा ही किया। शेर सिंह के समर्थकों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया। हालांकि, कुछ देर बाद समर्थक जान गए कि शेर सिंह हार गए हैं। समर्थकों ने शेर सिंह को नीचे उतार दिया। इंदिरा ने देवीलाल की मदद से अलग हरियाणा के लिए भगवत दयाल को मनाया
1960 के दशक की शुरुआत में ही पंजाब के बंटवारे की सुगबुगाहट होने लगी थी। भाषा के आधार पर नया राज्य हरियाणा बनना था, लेकिन भगवत दयाल शर्मा इसके विरोध में थे। उनके निजी सुरक्षा अधिकारी रहे दादा राम स्वरूप बताते हैं- ‘इंदिरा गांधी ने भगवत दयाल शर्मा को बुलाकर कहा कि वे अलग हरियाणा राज्य की मांग करें, लेकिन पंडित जी ने इनकार कर दिया। उनका मानना था कि पंजाब को बड़े स्तर पर आर्थिक मदद दी गई है। बंटवारे से पहले हरियाणा को भी आर्थिक तौर पर मजबूत किया जाना चाहिए।’ इसके बाद इंदिरा ने चौधरी देवीलाल से कहा कि वे भगवत दयाल शर्मा से बात करें। आखिरकार देवीलाल ने भगवत दयाल को मना लिया। डॉ. भारती शर्मा लिखती हैं- ‘पंडित जी हरियाणा निर्माण के नहीं, बल्कि पंजाब के बंटवारे के खिलाफ थे। तब वे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थे। वे कांग्रेस से बाहर आकर ही हरियाणा बनने का समर्थन कर सकते थे। साथ ही वे जातिवाद और भाषाई संकीर्णता के हामी नहीं थे। जब एक बार राष्ट्रीय नेतृत्व ने पंजाब विभाजन का मन बना लिया, तो इतिहास गवाह है कि उन्होंने हरियाणा के हितों के लिए कांग्रेस आलाकमान से टक्कर लेने में गुरेज नहीं किया।’ इंदिरा के न चाहने के बाद भी हरियाणा के पहले CM बने भगवत दयाल
1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना। उस दौरान संयुक्त पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भगवत दयाल शर्मा थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा पहले से थी कि जो नए राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष होगा, उसे ही CM बनाया जाएगा। भगवत दयाल शर्मा, जाट नेताओं के विरोध के बावजूद अब्दुल गफ्फार खान को हराकर हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। इधर, दिल्ली में इंदिरा पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं। ये वो दौर था जब कांग्रेस में मोरारजी देसाई, गुलजारी लाल नंदा जैसे नेताओं का दबदबा था। गुलजारी लाल नंदा उस समय केंद्रीय गृहमंत्री थे और पंजाब के मामलों को देख रहे थे। भगवत दयाल के साथ ही पंजाब कैबिनेट में मंत्री रहे चौधरी रणबीर सिंह और राव बीरेंद्र सिंह भी CM की रेस में थे। वरिष्ठ पत्रकार सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- ‘इंदिरा गांधी जिस नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं, वे राव बीरेंद्र सिंह थे। इंदिरा ने भगवत दयाल को बुलाकर कहा था कि वे राव को CM बनाना चाहती हैं और बेहतर होगा कि शर्मा इसमें बाधा न बनें। इस पर भगवत दयाल ने कहा- राव विधायक भी नहीं हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया, तो गलत परंपरा शुरू हो जाएगी। ज्यादातर विधायक भी मेरे साथ हैं। इंदिरा ने भगवत दयाल का रुख भांपते हुए ज्यादा जोर नहीं दिया।’ दूसरी तरफ चौधरी रणबीर सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की। इसके अलावा हरियाणा को अलग राज्य बनाने और हिंदी आंदोलन के अगुवा रहे चौधरी देवीलाल और शेर सिंह 1962 से ही कांग्रेस से निष्कासित चल रहे थे। ऐसे में उनकी दावेदारी अपने आप खारिज हो गई। गुलजारी लाल नंदा, पंडित भगवत दयाल शर्मा को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। इंदिरा उनकी बात मानती थीं। उन्होंने पंडित भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। इस तरह भगवत दयाल शर्मा 1 नवंबर 1966 को हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने। CM बनने के बाद भगवत दयाल का पार्टी में दबदबा बढ़ने लगा। उन्होंने अपने करीबी रामकृष्ण गुप्ता को हरियाणा कांग्रेस का निर्विरोध अध्यक्ष बनवाया, ताकि राव बीरेंद्र सिंह और रणबीर सिंह का वर्चस्व न चले। 1967 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के चुनाव की घोषणा हुई। वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार वैद्य बताते हैं- भगवत दयाल शर्मा कोताही नहीं बरतना चाहते थे। उन्होंने टिकट वितरण पर बारीकी से नजर रखी। उनकी कोशिश थी कि किसी भी ऐसे उम्मीदवार को टिकट न मिले, जो आगे चलकर उनके खिलाफ बगावत कर दे। मुख्यमंत्री भगवत दयाल कहते थे- ‘कुछ भी करो, लेकिन बंसीलाल को हराओ’
बंसीलाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे रिटायर्ड IAS अफसर एसके मिश्रा अपनी किताब ‘फ्लाइंग इन हाई विंड्स’ में लिखते हैं- ‘हरियाणा बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे थे। मुख्यमंत्री भगवत दयाल मुझे पसंद करते थे। उन्होंने कहा कि आप साफ-सुथरा चुनाव कराइए, लेकिन दो लोगों को किसी भी तरह हराना होगा। पहला देवीलाल और दूसरा बंसीलाल। मैंने कहा- किसी को हराना या जिताना मेरे हाथ में नहीं है। मैं इसमें आपकी मदद नहीं कर सकता।’ भगवत दयाल ने देवीलाल का टिकट कटवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। उन्होंने मोरारजी देसाई की मदद से देवीलाल का टिकट कटवा दिया। मजबूरन देवीलाल ने बेटे प्रताप सिंह को ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़ाया। हालांकि, भगवत दयाल के न चाहने के बावजूद रणबीर सिंह और राव बीरेंद्र सिंह को टिकट मिल गया। चुनाव से पहले चौधरी देवीलाल और शेर सिंह भी वापस कांग्रेस में आ गए। भगवत दयाल ने नई सियासी चाल चली और जिन सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवार नहीं थे, वहां निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण रोहतक की किलोई सीट पर देखने को मिला, जहां से महंत श्रेयानाथ निर्दलीय उतरे। इसी सीट से चौधरी रणबीर सिंह चुनाव लड़ रहे थे। नतीजे आए तो रणबीर सिंह 8673 वोटों से हार गए। ये रणबीर सिंह की पहली हार थी। कांग्रेस ने 81 सीटों में से 48 सीटें जीत लीं। जनसंघ को 12, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को 2, स्वतंत्र पार्टी को 3 और 16 सीटें निर्दलीय को मिलीं। अब भगवत दयाल के सामने सिर्फ राव बीरेंद्र सिंह ही चुनौती थे। राव पटौदी विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। इंदिरा गांधी इस बार भी उन्हें CM बनाना चाहती थीं, लेकिन मोरारजी देसाई और गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने फिर से भगवत दयाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनवा दिया। 10 मार्च 1967 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। पहली बार किसी राज्य में CM का प्रस्ताव गिरा
CM बनने के बाद भगवत दयाल ने विरोधियों को किनारे करते हुए अपने करीबी नेताओं को मंत्री बनाया। इससे उनके प्रति विधायकों की नाराजगी और बढ़ गई। अब बारी थी विधानसभा स्पीकर चुनने की। इधर टिकट कटने से नाराज देवीलाल तय कर चुके थे कि किसी भी तरह भगवत दयाल की सरकार गिरानी है। उन्हें पता था कि इस काम में राव बीरेंद्र सिंह उनके साझेदार बन सकते हैं, लेकिन दोनों में पहले से तकरार चल रही थी। देवीलाल ने दिल्ली के एक बिल्डर की मदद ली। बिल्डर ने राव बीरेंद्र सिंह को डिनर के लिए घर बुलाया। जब राव बीरेंद्र सिंह उसके घर पहुंचे, तो वहां देवीलाल पहले से मौजूद थे। देवीलाल को देखते ही राव लौटने लगे, लेकिन बिल्डर ने जैसे-तैसे उन्हें रोक लिया। इसके बाद हिम्मत जुटाकर बताया कि देवीलाल उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। राव ने जवाब दिया कि वे देवीलाल पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने पहले भी उनके साथ धोखा किया है। इसके बाद देवीलाल ने आगे बढ़कर राव बीरेंद्र सिंह को मनाया और स्पीकर का चुनाव लड़ने के लिए राजी कर लिया। 17 मार्च 1967, स्पीकर चुनने की तारीख तय हुई। CM भगवत दयाल शर्मा ने स्पीकर पद के लिए जींद के विधायक लाला दयाकिशन के नाम का प्रस्ताव रखा। उसी समय उन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने राव बीरेंद्र सिंह का नाम भी प्रपोज कर दिया। मुख्यमंत्री दंग रह गए। वोटिंग हुई, राव बीरेंद्र सिंह जीत गए। आजाद भारत के इतिहास में ये पहला मौका था, जब किसी सदन में मुख्यमंत्री का प्रस्ताव खारिज हुआ। इससे हरियाणा में संवैधानिक संकट पैदा हो गया। कांग्रेस के बागी 12 विधायकों ने हरियाणा कांग्रेस नाम से नया ग्रुप बनाया। 16 निर्दलीय विधायकों ने मिलकर नवीन हरियाणा कांग्रेस बनाई। ये दोनों ग्रुप साथ मिल गए। भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने इनका समर्थन कर दिया। मजबूरन CM बनने के 13 दिन बाद ही भगवत दयाल को इस्तीफा देना पड़ गया। 24 मार्च 1967 को राव बीरेंद्र सिंह पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 9 महीने बाद ही राज्यपाल ने बार-बार विधायकों के दल बदलने की बात कहकर विधानसभा भंग कर दी। जिस आधार पर भगवत दयाल ने राव को CM बनने से रोका, उसी आधार पर खुद फंस गए
मई 1968 में हरियाणा में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। इस बार भी कांग्रेस ने 81 में से 48 सीटें जीतीं। राव बीरेंद्र सिंह विशाल हरियाणा पार्टी नाम से अलग पार्टी बना चुके थे। अब CM की रेस में भगवत दयाल शर्मा के साथ चौधरी देवीलाल, शेर सिंह, गुलजारी लाल नंदा और रामकृष्ण गुप्ता शामिल थे। इस बार भगवत दयाल विधायक नहीं थे, लेकिन विधायक दल के नेता के लिए उनका दावा सबसे मजबूत था। विधायकों पर उनकी मजबूत पकड़ थी। इंदिरा गांधी को छोड़कर केंद्र में कांग्रेस के कई दिग्गज उनके साथ थे। संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप के हवाले से सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- ‘भगवत दयाल कांग्रेस हाईकमान को 37 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंप चुके थे। उसमें आग्रह किया गया था कि शर्मा को विधायक दल का नेता बनाया जाए, लेकिन पार्टी के संसदीय बोर्ड ने फैसला लिया कि जो विधायक नहीं हैं, उन्हें विधायक दल के नेतृत्व से दूर रखा जाएगा। ऐसे में चौधरी देवीलाल, शेर सिंह, गुलजारी लाल नंदा के साथ भगवत दयाल शर्मा भी विधायक दल के नेता की दौड़ से बाहर हो गए। ये भी अजीब संयोग है कि 1966 में जब इंदिरा, राव बीरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं, तब भगवत दयाल ने ही विधायक नहीं होने की दलील देते हुए राव को CM नहीं बनने दिया था।
नारनौल में एक बदमाश ने की 3 वारदातें:अटेली पुलिस पर संरक्षण देने के आरोप; पीडित की MLR में कांट-छांट, SHO बदले गए
नारनौल में एक बदमाश ने की 3 वारदातें:अटेली पुलिस पर संरक्षण देने के आरोप; पीडित की MLR में कांट-छांट, SHO बदले गए हरियाणा के नारनौल के अटेली शहर में बदमाशों का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह है कि बदमाश खुलेआम मारपीट कर लूट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद कुछ नहीं कर पा रही। हालात यह है कि एक ही बदमाश ने 3 वारदात की, लेकिन अभी तक पुलिस उसे पकड़ने में सफल नहीं हो पाई है। पीड़ित ने पूर्व थाना इंचार्ज ब्रह्म प्रकाश पर बदमाशों को शह देने का गंभीर आरोप लगाया है। अटेली के गांव चंद्रपुरा रहने वाले रोहित ने बताया कि वह खेतों में जुताई कर रहा था। तभी गांव के यशवंत और उसके दोस्त अमित व अंकित ने उसके साथ मारपीट की और 2300 रुपए लूट कर फरार हो गए। जाते हुए बदमाशों ने धमकी दी कि यदि पुलिस में शिकायत कि तो उसे जान से मार देंगे। रोहित ने बताया कि बार-बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन पुलिस मामले को लेकर गंभीर नहीं है। उसने बताया कि इसके पहले भी इन बदमाशों ने इसी प्रकार की लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया, लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज एक प्रकार से बदमाशों का साथ दे रही है। उसकी जान को खतरा है और बदमाशों को गिरफ्तार करने के बजाय जांच अधिकारी प्रदीप ने एमएलआर में ही कांट छांट कर बदमाशों का साथ देने की कोशिश की है। तीनों मामले में एक ही आरोपी, गिरफ्तारी नहीं होने से उठ रहे सवाल हॉस्पिटल में एडिमट रोहित ने बताया कि यशवंत व उसके साथियों ने 3 वारदातों को अंजाम दिया है। तीनों घटनाओं में मारपीट कर लूटपाट की। लेकिन पुलिस यशवंत पर हाथ डालने से भी घबरा रही है। रोहित ने बताया कि इन तीन मामलों में से 2 में जांच अधिकारी प्रदीप है और कार्रवाई नहीं होने से उनकी कार्य शैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। साथ ही पूर्व थाना इंचार्च ब्रह्म प्रकाश ने भी उनका साथ नहीं दिया। चर्चा है कि संभवत राजनीति प्रेशर के चलते बदमाशों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस उन पर हाथ डालने से कतरा रही है। हालांकि बढ़ते अपराध के चलते 2 दिन पहले ही थाना इंचार्ज ब्रह्मप्रकाश का तबादला कर दिया गया है। हैरानी की बात है एक ही व्यक्ति लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहा है, लेकिन लगातार 3 एफआईआर दर्ज होने के बाद भी न तो जांच अधिकारी दीपक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर पाए और न ही दो एफआईआर में जांच अधिकारी प्रदीप ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने की जहमत उठाई। इसको लेकर लगातार पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्यों घटना को अंजाम दे आरोपी पुलिस गिरफ्त में नही आ रहे। 2 दिन पहले ही चार्ज संभाला, जल्द करेंगे गिरफ्तार
अटेली थाना इंचार्ज धर्मबीर ने बताया कि उन्होंने दो दिन पहले ही चार्ज संभाला है। मामला संज्ञान में आया है और एफआईआर दर्ज कर बदमाशों की धरपकड़ के लिए टीम गठित कर दी गई है। CIA की स्पेशल टीम कर रही है काम अर्श वर्मा
महेंद्रगढ़ के पुलिस अधीक्षक (SP) अर्श वर्मा ने बताया की मामले में थाना प्रभारी का तबादला कर दिया गया है। सीआईए की विशेष टीम छापेमारी कर रही है। जल्द ही आरोपी गिरफ्तार कर लिए जाएगा।