हरियाणा में VIP सीटों पर मतगणना के हाल:पहले राउंड में नायब सैनी, भूपेंद्र हुड्‌डा, विनेश फोगाट आगे; अनिल विज, गोपाल कांडा, दुष्यंत पीछे

हरियाणा में VIP सीटों पर मतगणना के हाल:पहले राउंड में नायब सैनी, भूपेंद्र हुड्‌डा, विनेश फोगाट आगे; अनिल विज, गोपाल कांडा, दुष्यंत पीछे

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग शुरू हो गई है। रुझान में कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है। इस चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जिन पर सबकी नजर लगी हुई हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी लाडवा से चुनाव लड़ रहे हैं। वह भाजपा की तरफ से CM फेस हैं। इसी तरह, भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की गढ़ी सांपला किलोई सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस में वह मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रबल दावेदार हैं। जुलाना से पहलवान विनेश फोगाट चुनाव लड़ रही हैं। 5 अक्टूबर को राज्य में 67.90% वोटिंग हुई। इस चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जिन पर सबकी नजर लगी हुई हैं। लाइव अपडेट्स… सिलसिलेवार ढंग से राज्य की 10 VIP सीटों पर वोटिंग % के मायने जानिए… लाडवा: वोटिंग % का ट्रेंड CM नायब सैनी के हक में
BJP सरकार में CM नायब सैनी करनाल से बदलकर कुरूक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर 74.96% मतदान हुआ। 2019 में यहां 75.4% वोटिंग हुई थी। सीएम सैनी की सीट पर 0.44% वोटिंग कम हुई है। 2014 की बात करें तो इस सीट पर 83.1% वोटिंग हुई थी। पिछले 2 चुनाव का ट्रेंड देखें तो यहां जब भी मतदान घटा तो नई पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीता है। इस लिहाज से सीएम सैनी के जीतने के अच्छे आसार नजर आ रहे हैं क्योंकि 2019 में यहां कांग्रेस के मेवा सिंह विधायक थे। गढ़ी सांपला किलोई : हुड्‌डा की जीत संभव, लेकिन अंतर घट सकता है
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्‌डा की गढ़ी सांपला किलोई में 67.02% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 73.3% और 2014 में यहां 74.8% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार भूपेंद्र हुड्‌डा की जीत हुई। 2019 में हुड्‌डा की जीत का अंतर 58312 और 2014 में 47,185 रहा था। यह सीट हुड्‌डा का गढ़ है। इस बार पिछले 2 चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। ऐसे में हुड्‌डा की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन उनकी जीत का अंतर घट सकता है। जुलाना : कम वोटिंग % विनेश के लिए टेंशन
विनेश फोगाट की जुलाना सीट पर 74.66% वोटिंग हुई। 2019 में जुलाना में 73% और 2014 में 78.1% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार यहां वोटिंग बढ़ी तो जीतने वाली पार्टी बदल गई। 2014 में इनेलो के परमिंदर ढुल तो 2019 में जजपा के अमरजीत ढांडा जीते। वोटिंग बढ़ी तो यह नई पार्टी और खास तौर पर विनेश के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि कांग्रेस के सामने इस सीट पर करीब 15 साल का सूखा है। आखिरी बार 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी। उचाना कलां : वोटिंग % घटने से दुष्यंत की राह आसान नहीं
दुष्यंत चौटाला की उचाना कलां सीट पर 75.44% वोटिंग हुई है। 2019 में यहां 76.9% और 2014 में 85.4% वोटिंग हुई थी। वोटिंग बढ़ने के बाद 2014 में जीती भाजपा की प्रेमलता की जगह 2019 में दुष्यंत चौटाला जीत गए। हालांकि इस बार वोटिंग % पिछले दोनों चुनावों से कम है। ऐसे में यहां पासा किसी भी तरफ जा सकता है। ऐसे में दुष्यंत चौटाला के लिए यहां जीत आसान नहीं लग रही। हिसार: सावित्री जिंदल की राह मुश्किल
देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल वाली हिसार सीट पर रात 12 बजे तक 61.44% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 59.9% और 2014 में 70.1% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार BJP के डॉ. कमल गुप्ता जीते थे। कमल गुप्ता इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले 2 चुनावों में उनके लिए कम और ज्यादा वोटिंग, दोनों ही फायदेमंद रही। ऐसी सूरत में सावित्री जिंदल की राह मुश्किल नजर आती है। अटेली : वोटिंग % और नया चेहरा आरती राव के हक में
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव वाली अटेली सीट पर 70.58% वोटिंग हुई। 2019 में इस सीट पर 67.8% और 2014 में 77.7% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार भाजपा जीती लेकिन उम्मीदवार अलग-अलग थे। इस बार भी वोटिंग % दोनों चुनावों के बीच का है लेकिन आरती नई उम्मीदवार हैं। ऐसे में इस सीट पर पॉलिटिकल डेब्यू में ही उनकी जीत की उम्मीद जताई जा रही है। अंबाला कैंट : वोटिंग% विज के लिए चिंता, जीते भी तो अंतर मामूली होगा
प्रदेश के दिग्गज पंजाबी नेता अनिल विज की अंबाला कैंट सीट पर 64.45% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 62.7% और 2014 में 72.8% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार अनिल विज यहां से चुनाव जीते। 2014 में उनकी जीत का अंतर 15,462 और 2019 में 20,165 रहा था। इन आंकड़ों को देखें तो विज कड़े मुकाबले में फंसे नजर आते हैं। अगर वे जीते तो फिर अंतर कम हो सकता है। तोशाम : बंसीलाल की विरासत का साथ मिला तो वोटिंग % श्रुति के हक में
पूर्व CM बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी वाली तोशाम सीट पर रात 12 बजे तक 72% वोटिंग हुई थी। यह आंकड़ा रविवार को बढ़कर 72.24% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 70.8% और 2014 में 82.3% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार कांग्रेस की किरण चौधरी ने चुनाव जीता था। किरण श्रुति की मां हैं जो विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ चुकी हैं। वोटिंग % फिलहाल उन्हीं के हक में दिख रहा है लेकिन यहां से कांग्रेस ने बंसीलाल परिवार से ही अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दी है। ऐसे में कम वोटिंग से किसी एक पक्ष में लहर की जगह यहां बंसीलाल की विरासत का फायदा जिसे मिलेगा, वही जीत सकता है। इस रेस में श्रुति चौधरी आगे दिख रही हैं। सिरसा : कम वोटिंग कांडा के पक्ष में लेकिन सेतिया की वजह से टेंशन हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) के सुप्रीमो गोपाल कांडा वाली सिरसा सीट पर शनिवार रात 12 बजे तक 64% वोटिंग थी। यह आंकड़ा रविवार को बढ़कर 67.76% हो गया। 2019 में यहां 69.5% और 2014 में 77.8% वोटिंग हुई थी। इस बार की वोटिंग पिछले 2 चुनावों के मुकाबले कम है। 2014 में ज्यादा वोटिंग हुई तो कांग्रेस के मक्खनलाल को फायदा हुआ था। 2019 में कम वोटिंग कांडा के पक्ष में गई थी। हालांकि इस बार अहम ये भी है कि कांडा ने पिछली बार जिस निर्दलीय गोकुल सेतिया को महज 602 वोटों से हराया, वही सेतिया इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में कांडा के लिए वोटिंग % टेंशन बढ़ाने वाले हैं। आदमपुर : बिश्नोई परिवार बड़ी पार्टी से उम्मीदवार को वोटिंग कम
पूर्व CM भजनलाल परिवार की विरासत वाली आदमपुर सीट पर भव्य बिश्नोई चुनाव लड़ रहे हैं। रात 12 बजे तक वोटर टर्नआउट एप पर यहां की वोटिंग 72.9% थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 75.47% हो गया है। 2019 में यहां 76.5% और 2014 में 78.4% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई जीते थे लेकिन 2014 में उन्होंने हजकां और 2019 में कांग्रेस से चुनाव जीता। इस बार उनके बेटे भव्य को भाजपा ने टिकट दी है। ऐसे में कम वोटिंग % उनकी थोड़ी चिंता बढ़ा सकता है क्योंकि 2014 में जब कुलदीप ने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा तो लोगों ने खूब वोट दिए। 2019 में वे कांग्रेस से लड़े तो वोटिंग % कम हो गया। इस बार भी वोटिंग % और कम हुआ है तो इसकी चिंता भजनलाल परिवार को ही हो सकती है। हालांकि उनके गढ़ की वजह से वह थोड़े आश्वस्त जरूर हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग शुरू हो गई है। रुझान में कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है। इस चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जिन पर सबकी नजर लगी हुई हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी लाडवा से चुनाव लड़ रहे हैं। वह भाजपा की तरफ से CM फेस हैं। इसी तरह, भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की गढ़ी सांपला किलोई सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस में वह मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रबल दावेदार हैं। जुलाना से पहलवान विनेश फोगाट चुनाव लड़ रही हैं। 5 अक्टूबर को राज्य में 67.90% वोटिंग हुई। इस चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जिन पर सबकी नजर लगी हुई हैं। लाइव अपडेट्स… सिलसिलेवार ढंग से राज्य की 10 VIP सीटों पर वोटिंग % के मायने जानिए… लाडवा: वोटिंग % का ट्रेंड CM नायब सैनी के हक में
BJP सरकार में CM नायब सैनी करनाल से बदलकर कुरूक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर 74.96% मतदान हुआ। 2019 में यहां 75.4% वोटिंग हुई थी। सीएम सैनी की सीट पर 0.44% वोटिंग कम हुई है। 2014 की बात करें तो इस सीट पर 83.1% वोटिंग हुई थी। पिछले 2 चुनाव का ट्रेंड देखें तो यहां जब भी मतदान घटा तो नई पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीता है। इस लिहाज से सीएम सैनी के जीतने के अच्छे आसार नजर आ रहे हैं क्योंकि 2019 में यहां कांग्रेस के मेवा सिंह विधायक थे। गढ़ी सांपला किलोई : हुड्‌डा की जीत संभव, लेकिन अंतर घट सकता है
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्‌डा की गढ़ी सांपला किलोई में 67.02% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 73.3% और 2014 में यहां 74.8% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार भूपेंद्र हुड्‌डा की जीत हुई। 2019 में हुड्‌डा की जीत का अंतर 58312 और 2014 में 47,185 रहा था। यह सीट हुड्‌डा का गढ़ है। इस बार पिछले 2 चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। ऐसे में हुड्‌डा की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन उनकी जीत का अंतर घट सकता है। जुलाना : कम वोटिंग % विनेश के लिए टेंशन
विनेश फोगाट की जुलाना सीट पर 74.66% वोटिंग हुई। 2019 में जुलाना में 73% और 2014 में 78.1% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार यहां वोटिंग बढ़ी तो जीतने वाली पार्टी बदल गई। 2014 में इनेलो के परमिंदर ढुल तो 2019 में जजपा के अमरजीत ढांडा जीते। वोटिंग बढ़ी तो यह नई पार्टी और खास तौर पर विनेश के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि कांग्रेस के सामने इस सीट पर करीब 15 साल का सूखा है। आखिरी बार 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी। उचाना कलां : वोटिंग % घटने से दुष्यंत की राह आसान नहीं
दुष्यंत चौटाला की उचाना कलां सीट पर 75.44% वोटिंग हुई है। 2019 में यहां 76.9% और 2014 में 85.4% वोटिंग हुई थी। वोटिंग बढ़ने के बाद 2014 में जीती भाजपा की प्रेमलता की जगह 2019 में दुष्यंत चौटाला जीत गए। हालांकि इस बार वोटिंग % पिछले दोनों चुनावों से कम है। ऐसे में यहां पासा किसी भी तरफ जा सकता है। ऐसे में दुष्यंत चौटाला के लिए यहां जीत आसान नहीं लग रही। हिसार: सावित्री जिंदल की राह मुश्किल
देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल वाली हिसार सीट पर रात 12 बजे तक 61.44% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 59.9% और 2014 में 70.1% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार BJP के डॉ. कमल गुप्ता जीते थे। कमल गुप्ता इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले 2 चुनावों में उनके लिए कम और ज्यादा वोटिंग, दोनों ही फायदेमंद रही। ऐसी सूरत में सावित्री जिंदल की राह मुश्किल नजर आती है। अटेली : वोटिंग % और नया चेहरा आरती राव के हक में
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव वाली अटेली सीट पर 70.58% वोटिंग हुई। 2019 में इस सीट पर 67.8% और 2014 में 77.7% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार भाजपा जीती लेकिन उम्मीदवार अलग-अलग थे। इस बार भी वोटिंग % दोनों चुनावों के बीच का है लेकिन आरती नई उम्मीदवार हैं। ऐसे में इस सीट पर पॉलिटिकल डेब्यू में ही उनकी जीत की उम्मीद जताई जा रही है। अंबाला कैंट : वोटिंग% विज के लिए चिंता, जीते भी तो अंतर मामूली होगा
प्रदेश के दिग्गज पंजाबी नेता अनिल विज की अंबाला कैंट सीट पर 64.45% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 62.7% और 2014 में 72.8% वोटिंग हुई थी। दोनों ही बार अनिल विज यहां से चुनाव जीते। 2014 में उनकी जीत का अंतर 15,462 और 2019 में 20,165 रहा था। इन आंकड़ों को देखें तो विज कड़े मुकाबले में फंसे नजर आते हैं। अगर वे जीते तो फिर अंतर कम हो सकता है। तोशाम : बंसीलाल की विरासत का साथ मिला तो वोटिंग % श्रुति के हक में
पूर्व CM बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी वाली तोशाम सीट पर रात 12 बजे तक 72% वोटिंग हुई थी। यह आंकड़ा रविवार को बढ़कर 72.24% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 70.8% और 2014 में 82.3% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार कांग्रेस की किरण चौधरी ने चुनाव जीता था। किरण श्रुति की मां हैं जो विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ चुकी हैं। वोटिंग % फिलहाल उन्हीं के हक में दिख रहा है लेकिन यहां से कांग्रेस ने बंसीलाल परिवार से ही अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दी है। ऐसे में कम वोटिंग से किसी एक पक्ष में लहर की जगह यहां बंसीलाल की विरासत का फायदा जिसे मिलेगा, वही जीत सकता है। इस रेस में श्रुति चौधरी आगे दिख रही हैं। सिरसा : कम वोटिंग कांडा के पक्ष में लेकिन सेतिया की वजह से टेंशन हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) के सुप्रीमो गोपाल कांडा वाली सिरसा सीट पर शनिवार रात 12 बजे तक 64% वोटिंग थी। यह आंकड़ा रविवार को बढ़कर 67.76% हो गया। 2019 में यहां 69.5% और 2014 में 77.8% वोटिंग हुई थी। इस बार की वोटिंग पिछले 2 चुनावों के मुकाबले कम है। 2014 में ज्यादा वोटिंग हुई तो कांग्रेस के मक्खनलाल को फायदा हुआ था। 2019 में कम वोटिंग कांडा के पक्ष में गई थी। हालांकि इस बार अहम ये भी है कि कांडा ने पिछली बार जिस निर्दलीय गोकुल सेतिया को महज 602 वोटों से हराया, वही सेतिया इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में कांडा के लिए वोटिंग % टेंशन बढ़ाने वाले हैं। आदमपुर : बिश्नोई परिवार बड़ी पार्टी से उम्मीदवार को वोटिंग कम
पूर्व CM भजनलाल परिवार की विरासत वाली आदमपुर सीट पर भव्य बिश्नोई चुनाव लड़ रहे हैं। रात 12 बजे तक वोटर टर्नआउट एप पर यहां की वोटिंग 72.9% थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 75.47% हो गया है। 2019 में यहां 76.5% और 2014 में 78.4% वोटिंग हुई थी। हालांकि दोनों ही बार भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई जीते थे लेकिन 2014 में उन्होंने हजकां और 2019 में कांग्रेस से चुनाव जीता। इस बार उनके बेटे भव्य को भाजपा ने टिकट दी है। ऐसे में कम वोटिंग % उनकी थोड़ी चिंता बढ़ा सकता है क्योंकि 2014 में जब कुलदीप ने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा तो लोगों ने खूब वोट दिए। 2019 में वे कांग्रेस से लड़े तो वोटिंग % कम हो गया। इस बार भी वोटिंग % और कम हुआ है तो इसकी चिंता भजनलाल परिवार को ही हो सकती है। हालांकि उनके गढ़ की वजह से वह थोड़े आश्वस्त जरूर हो सकते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर