हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के लिए GT रोड बेल्ट के बाद अब BJP ने दक्षिणी हरियाणा को साधने की प्लानिंग शुरू कर दी है। जिसकी कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली है। शाह 16 जुलाई को दक्षिणी हरियाणा के सेंटर पॉइंट कहे जाने वाले महेंद्रगढ़ में आ रहे हैं। जहां वे OBC मोर्चा के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शाह का 17 दिन में हरियाणा का ये दूसरा दौरा होगा। इससे पहले वे पंचकूला में वर्कर सम्मेलन कर चुके हैं। सबसे पहले पढ़िए… BJP की बहुमत की प्लानिंग
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। भाजपा इसकी भरपाई जीटी रोड और दक्षिणी हरियाणा से करने की कोशिश में है। जीटी रोड बेल्ट पर 30 और दक्षिणी हरियाणा में 19 विधानसभा सीटें हैं। अगर भाजपा ये सीटें जीतने में कामयाब रही तो हैट्रिक तय है। सभी 90 सीटों पर मारामारी के बजाय भाजपा इन्हीं 49 सीटों पर माइक्रो वर्किंग कर रही है। इनमें से 2-3 सीटें हार भी गए तो भाजपा को बहुमत मिल जाएगा। GT रोड बेल्ट साधने के लिए BJP ने क्या किया
हरियाणा की GT रोड बेल्ट शहरी इलाका है। इस बेल्ट में अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट-बैंक है, जो अमूमन BJP के साथ रहता है। चूंकि लगातार 2 बार BJP सरकार बना चुकी है, इसलिए एंटी इनकंबेसी न हो, इसका तोड़ निकालने के लिए भाजपा ने 3 बड़े कदम उठाए हैं। 1. नायब सैनी को CM बनाया
मनोहर लाल खट्टर की केंद्र में भूमिका तय करने के बाद BJP ने नायब सैनी को सीएम बनाया। नायब सैनी कुरूक्षेत्र से सांसद थे। उनका क्षेत्र इसी जीटी रोड बेल्ट में आता है। उन्हें चुनाव भी करनाल से लड़वाया ताकि इस बेल्ट से CM की कुर्सी कहीं दूसरी जगह न जाए। 2. खट्टर को पहली बार में केंद्रीय मंत्री बनाया
साढ़े 9 साल CM रहे मनोहर लाल खट्टर ने पहला लोकसभा चुनाव करनाल से जीता। फिर उन्हें केंद्र की मोदी 3.0 सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया। खट्टर भी इसी जीटी रोड बेल्ट से आते करनाल से हैं। खट्टर को सीएम कुर्सी से हटाने के बाद पंजाबी वोट बैंक नाराज न हो, इसलिए केंद्रीय मंत्री बना उन्हें भी साध लिया। 3. मोहन बड़ौली को प्रधान बनाया
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले CM नायब सैनी से अध्यक्ष पद लेकर मोहन लाल बड़ौली को दे दिया। बड़ौली सोनीपत की राई सीट से विधायक हैं। सोनीपत भी इसी जीटी रोड बेल्ट में आता है। बड़ौली को प्रधान बनाने का दांव तब खेला गया जबकि वे इसी साल हुआ लोकसभा चुनाव हार गए थे। उन्हें सिटिंग सांसद रमेश कौशिक की टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया था। दक्षिणी हरियाणा पर फोकस क्यों?
दक्षिण हरियाणा में 6 जिले रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, नूंह और भिवानी हैं। इनमें कुल 19 सीटें हैं। इनमें से 11 पर अहीरवाल का दबदबा है। नूंह की 3 सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। इसके अलावा भिवानी-चरखी दादरी में 5 सीटें जाट बाहुल्य हैं लेकिन यहां जाटों के वोट बंटने की सूरत में अहीरवाल डिसाइडिंग फैक्टर साबित होते हैं। 2014 में भाजपा ने दक्षिणी हरियाणा से 15 सीटें जीती थी। जिसमें अहीरवाल बेल्ट की सभी 11 सीटें शामिल थी। इस चुनाव में भाजपा ने अकेले बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में भाजपा को दक्षिणी हरियाणा 19 में से 10 सीटें मिली। जिनमें अहीरवाल बेल्ट यानी रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ की 11 सीटों में से 8 ही सीटों पर जीत मिली थी। तब 40 विधायकों ही रह गई और जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। अहीरवाल में राव चुनौती बन रहे, इसलिए शाह की एंट्री
दक्षिणी हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में 3 जिलों की 14 विधानसभा सीटें हैं। इन जिलों में रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ शामिल हैं। यूं तो इस बेल्ट में भाजपा का बढ़िया आधार है लेकिन उसके लिए राव इंद्रजीत पर निर्भरता जरूरी है। राव को केंद्र में इस बार भी राज्य मंत्री बनाया गया। जिसको लेकर वे खुद भी नाखुश हैं। वह समर्थकों के जरिए सीएम कुर्सी पर तक दावेदारी ठोक रहे थे। यही वजह है कि राज्य के किसी नेता के बजाय सीधे शाह की यहां एंट्री हो रही है। भिवानी-चरखी दादरी के लिए किरण चौधरी आ चुकी
दक्षिणी हरियाणा में आते 2 जाट बाहुल्य जिले भिवानी और चरखी दादरी में 5 सीटें हैं। यहां जाटों की वजह से भाजपा के लिए चुनौती थी लेकिन उससे निपटने के लिए भाजपा कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को पार्टी में ला चुकी हैं। किरण चौधरी पूर्व सीएम बंसीलाल की पुत्रवधू हैं। इन 5 सीटों पर अहीरवाल समुदाय का भी अच्छा वोट बैंक है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि किरण चौधरी के जरिए जाट और राव के जरिए अहीरवाल को एकजुट कर इन 5 सीटों पर भी उन्हें जीत मिल सकती है। जातीय संतुलन पहले बिठा चुकी भाजपा
हरियाणा में BJP गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 2009 में जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो दूसरी पार्टियों के उलट पंजाबी चेहरे मनोहर लाल खट्टर को सीएम बना दिया। दूसरी बार सरकार बनी तो भी उन्हें ही सीएम बनाए रखा। अब लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें हटाया तो किसी जाट नेता की जगह OBC वर्ग से नायब सैनी को सीएम बना दिया। मौजूदा स्थिति में भाजपा ने राजस्थान के जाट नेता डॉ. सतीश पुनिया को पार्टी का प्रभारी बनाया गया है। सीएम नायब सैनी ओबीसी वर्ग से हैं। अब भाजपा ने ब्राह्मण वोट बैंक को देखते हुए मोहन बड़ौली को प्रदेश प्रधान बना दिया। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के लिए GT रोड बेल्ट के बाद अब BJP ने दक्षिणी हरियाणा को साधने की प्लानिंग शुरू कर दी है। जिसकी कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली है। शाह 16 जुलाई को दक्षिणी हरियाणा के सेंटर पॉइंट कहे जाने वाले महेंद्रगढ़ में आ रहे हैं। जहां वे OBC मोर्चा के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शाह का 17 दिन में हरियाणा का ये दूसरा दौरा होगा। इससे पहले वे पंचकूला में वर्कर सम्मेलन कर चुके हैं। सबसे पहले पढ़िए… BJP की बहुमत की प्लानिंग
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। भाजपा इसकी भरपाई जीटी रोड और दक्षिणी हरियाणा से करने की कोशिश में है। जीटी रोड बेल्ट पर 30 और दक्षिणी हरियाणा में 19 विधानसभा सीटें हैं। अगर भाजपा ये सीटें जीतने में कामयाब रही तो हैट्रिक तय है। सभी 90 सीटों पर मारामारी के बजाय भाजपा इन्हीं 49 सीटों पर माइक्रो वर्किंग कर रही है। इनमें से 2-3 सीटें हार भी गए तो भाजपा को बहुमत मिल जाएगा। GT रोड बेल्ट साधने के लिए BJP ने क्या किया
हरियाणा की GT रोड बेल्ट शहरी इलाका है। इस बेल्ट में अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट-बैंक है, जो अमूमन BJP के साथ रहता है। चूंकि लगातार 2 बार BJP सरकार बना चुकी है, इसलिए एंटी इनकंबेसी न हो, इसका तोड़ निकालने के लिए भाजपा ने 3 बड़े कदम उठाए हैं। 1. नायब सैनी को CM बनाया
मनोहर लाल खट्टर की केंद्र में भूमिका तय करने के बाद BJP ने नायब सैनी को सीएम बनाया। नायब सैनी कुरूक्षेत्र से सांसद थे। उनका क्षेत्र इसी जीटी रोड बेल्ट में आता है। उन्हें चुनाव भी करनाल से लड़वाया ताकि इस बेल्ट से CM की कुर्सी कहीं दूसरी जगह न जाए। 2. खट्टर को पहली बार में केंद्रीय मंत्री बनाया
साढ़े 9 साल CM रहे मनोहर लाल खट्टर ने पहला लोकसभा चुनाव करनाल से जीता। फिर उन्हें केंद्र की मोदी 3.0 सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया। खट्टर भी इसी जीटी रोड बेल्ट से आते करनाल से हैं। खट्टर को सीएम कुर्सी से हटाने के बाद पंजाबी वोट बैंक नाराज न हो, इसलिए केंद्रीय मंत्री बना उन्हें भी साध लिया। 3. मोहन बड़ौली को प्रधान बनाया
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले CM नायब सैनी से अध्यक्ष पद लेकर मोहन लाल बड़ौली को दे दिया। बड़ौली सोनीपत की राई सीट से विधायक हैं। सोनीपत भी इसी जीटी रोड बेल्ट में आता है। बड़ौली को प्रधान बनाने का दांव तब खेला गया जबकि वे इसी साल हुआ लोकसभा चुनाव हार गए थे। उन्हें सिटिंग सांसद रमेश कौशिक की टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया था। दक्षिणी हरियाणा पर फोकस क्यों?
दक्षिण हरियाणा में 6 जिले रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, नूंह और भिवानी हैं। इनमें कुल 19 सीटें हैं। इनमें से 11 पर अहीरवाल का दबदबा है। नूंह की 3 सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। इसके अलावा भिवानी-चरखी दादरी में 5 सीटें जाट बाहुल्य हैं लेकिन यहां जाटों के वोट बंटने की सूरत में अहीरवाल डिसाइडिंग फैक्टर साबित होते हैं। 2014 में भाजपा ने दक्षिणी हरियाणा से 15 सीटें जीती थी। जिसमें अहीरवाल बेल्ट की सभी 11 सीटें शामिल थी। इस चुनाव में भाजपा ने अकेले बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में भाजपा को दक्षिणी हरियाणा 19 में से 10 सीटें मिली। जिनमें अहीरवाल बेल्ट यानी रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ की 11 सीटों में से 8 ही सीटों पर जीत मिली थी। तब 40 विधायकों ही रह गई और जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। अहीरवाल में राव चुनौती बन रहे, इसलिए शाह की एंट्री
दक्षिणी हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में 3 जिलों की 14 विधानसभा सीटें हैं। इन जिलों में रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ शामिल हैं। यूं तो इस बेल्ट में भाजपा का बढ़िया आधार है लेकिन उसके लिए राव इंद्रजीत पर निर्भरता जरूरी है। राव को केंद्र में इस बार भी राज्य मंत्री बनाया गया। जिसको लेकर वे खुद भी नाखुश हैं। वह समर्थकों के जरिए सीएम कुर्सी पर तक दावेदारी ठोक रहे थे। यही वजह है कि राज्य के किसी नेता के बजाय सीधे शाह की यहां एंट्री हो रही है। भिवानी-चरखी दादरी के लिए किरण चौधरी आ चुकी
दक्षिणी हरियाणा में आते 2 जाट बाहुल्य जिले भिवानी और चरखी दादरी में 5 सीटें हैं। यहां जाटों की वजह से भाजपा के लिए चुनौती थी लेकिन उससे निपटने के लिए भाजपा कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को पार्टी में ला चुकी हैं। किरण चौधरी पूर्व सीएम बंसीलाल की पुत्रवधू हैं। इन 5 सीटों पर अहीरवाल समुदाय का भी अच्छा वोट बैंक है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि किरण चौधरी के जरिए जाट और राव के जरिए अहीरवाल को एकजुट कर इन 5 सीटों पर भी उन्हें जीत मिल सकती है। जातीय संतुलन पहले बिठा चुकी भाजपा
हरियाणा में BJP गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 2009 में जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो दूसरी पार्टियों के उलट पंजाबी चेहरे मनोहर लाल खट्टर को सीएम बना दिया। दूसरी बार सरकार बनी तो भी उन्हें ही सीएम बनाए रखा। अब लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें हटाया तो किसी जाट नेता की जगह OBC वर्ग से नायब सैनी को सीएम बना दिया। मौजूदा स्थिति में भाजपा ने राजस्थान के जाट नेता डॉ. सतीश पुनिया को पार्टी का प्रभारी बनाया गया है। सीएम नायब सैनी ओबीसी वर्ग से हैं। अब भाजपा ने ब्राह्मण वोट बैंक को देखते हुए मोहन बड़ौली को प्रदेश प्रधान बना दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर