हरियाणा में निकाय चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। बीजेपी ने चुनाव को लेकर बुलाई कोर कमेटी की मीटिंग में निकाय चुनाव को लेकर मंथन किया। मीटिंग में तय किया गया कि बीजेपी मेयर और नगर परिषद के चुनाव पार्टी सिंबल (कमल के फूल) पर लड़ेगी। इसकी पुष्टि खुद हरियाणा बीजेपी प्रभारी सतीश पूनिया ने की है। पूनिया ने कहा है कि नगर निगम और नगर परिषद चुनाव बीजेपी सिंबल पर लड़ेगी। नगर पालिका चुनाव पर विचार करेंगें। पूनिया ने यह भी कहा, नगर निगमों को लेकर अलग-अलग संकल्प पत्र निकालें जाएंगे। कोर कमेटी मीटिंग में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली और प्रदेश प्रभारी सतीश पुनिया, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़, वरिष्ठ भाजपा नेता रामबिलास शर्मा, अर्चना गुप्ता, सुनीता दुग्गल, कृष्ण बेदी मौजूद रहे। निकाय चुनाव के बाद होंगे जिलाध्यक्ष के चुनाव हरियाणा में बीजेपी के इन दिनों संगठनात्मक चुनाव भी चल रहे हैं। 370 मंडल अध्यक्षों को चुने जाने के बाद बीजेपी में अब जिलाध्यक्षों के चुनाव होने तय थे, लेकिन निकाय चुनाव की घोषणा के बाद इन्हें अब टाल दिया गया है। बीजेपी प्रभारी सतीश पूनिया ने कहा है कि निकाय चुनाव के चलते हरियाणा में जिला अध्यक्ष चुनाव बाद में होंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत होना तय है। कांग्रेस ने कल बुलाई मीटिंग पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया है कि निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस की अहम बैठक होने जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने वीरवार को दिल्ली में बैठक बुलाने का फैसला लिया है। इसमें चर्चा की जाएगी कि निकाय चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ा जाएगा या नहीं। क्योंकि मेयर चुनाव कांग्रेस सिंबल पर लड़ती आई है। मेयर के अलावा पार्षद या चेयरमैन का चुनाव चुनाव सिंबल पर लड़ा जाए या नहीं, यह फैसला बैठक में चर्चा के बाद लिया जाएगा। बीजेपी सरकार ने चुनाव में की देरी पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चुनाव करवाने में बीजेपी सरकार ने बहुत देरी की है। सरकार लगातार इन महत्वपूर्ण चुनावों को टाल रही थी। लेकिन कांग्रेस चुनाव के लिए हमेशा से तैयार है। निकाय चुनाव पर कांग्रेस जल्द अपनी नीति पर फैसला ले लेगी। हरियाणा में निकाय चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। बीजेपी ने चुनाव को लेकर बुलाई कोर कमेटी की मीटिंग में निकाय चुनाव को लेकर मंथन किया। मीटिंग में तय किया गया कि बीजेपी मेयर और नगर परिषद के चुनाव पार्टी सिंबल (कमल के फूल) पर लड़ेगी। इसकी पुष्टि खुद हरियाणा बीजेपी प्रभारी सतीश पूनिया ने की है। पूनिया ने कहा है कि नगर निगम और नगर परिषद चुनाव बीजेपी सिंबल पर लड़ेगी। नगर पालिका चुनाव पर विचार करेंगें। पूनिया ने यह भी कहा, नगर निगमों को लेकर अलग-अलग संकल्प पत्र निकालें जाएंगे। कोर कमेटी मीटिंग में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली और प्रदेश प्रभारी सतीश पुनिया, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़, वरिष्ठ भाजपा नेता रामबिलास शर्मा, अर्चना गुप्ता, सुनीता दुग्गल, कृष्ण बेदी मौजूद रहे। निकाय चुनाव के बाद होंगे जिलाध्यक्ष के चुनाव हरियाणा में बीजेपी के इन दिनों संगठनात्मक चुनाव भी चल रहे हैं। 370 मंडल अध्यक्षों को चुने जाने के बाद बीजेपी में अब जिलाध्यक्षों के चुनाव होने तय थे, लेकिन निकाय चुनाव की घोषणा के बाद इन्हें अब टाल दिया गया है। बीजेपी प्रभारी सतीश पूनिया ने कहा है कि निकाय चुनाव के चलते हरियाणा में जिला अध्यक्ष चुनाव बाद में होंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत होना तय है। कांग्रेस ने कल बुलाई मीटिंग पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया है कि निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस की अहम बैठक होने जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने वीरवार को दिल्ली में बैठक बुलाने का फैसला लिया है। इसमें चर्चा की जाएगी कि निकाय चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ा जाएगा या नहीं। क्योंकि मेयर चुनाव कांग्रेस सिंबल पर लड़ती आई है। मेयर के अलावा पार्षद या चेयरमैन का चुनाव चुनाव सिंबल पर लड़ा जाए या नहीं, यह फैसला बैठक में चर्चा के बाद लिया जाएगा। बीजेपी सरकार ने चुनाव में की देरी पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चुनाव करवाने में बीजेपी सरकार ने बहुत देरी की है। सरकार लगातार इन महत्वपूर्ण चुनावों को टाल रही थी। लेकिन कांग्रेस चुनाव के लिए हमेशा से तैयार है। निकाय चुनाव पर कांग्रेस जल्द अपनी नीति पर फैसला ले लेगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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विनेश फोगाट मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल का दावा:साल्वे बोले- हम CAS के फैसले को स्विस कोर्ट में चुनौती देना चाहते थे, रेसलर ने इनकार किया
विनेश फोगाट मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल का दावा:साल्वे बोले- हम CAS के फैसले को स्विस कोर्ट में चुनौती देना चाहते थे, रेसलर ने इनकार किया रेसलर विनेश फोगाट के पेरिस ओलिंपिक में भारतीय दल के कोई मदद न करने के आरोप पर देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे मीडिया के सामने आए हैं। एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए साल्वे ने कहा कि खेल कोर्ट (CAS) के फैसले को वह स्विस कोर्ट में चैलेंज करना चाहते थे। मगर, इस बारे में विनेश ने अपने वकीलों के जरिए आगे कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। बता दें कि साल्वे ने खेल कोर्ट में सिल्वर मेडल के लिए विनेश के पक्ष में पैरवी की थी। साल्वे का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि कुछ दिन पहले विनेश फोगाट ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पेरिस ओलिंपिक में डिस्क्वालिफाई होने के बाद उन्हें कोई मदद नहीं मिली। खेल कोर्ट में भी उन्होंने खुद ही केस किया था। भारतीय दल ने तो उन्हें इसके बारे में बताया तक नहीं था। विनेश ने इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी ऊषा पर भी आरोप लगाए थे। विनेश ने कहा था कि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान बिना परमिशन के उनकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दी गई। विनेश फोगाट ओलिंपिक में 100 ग्राम बढ़े वजन की वजह से फाइनल मुकाबले से बाहर हो गई थीं। इसके बाद उन्हें बिना मेडल लौटना पड़ा। देश लौटकर वे कांग्रेस में शामिल हो गईं। अब वे हरियाणा विधानसभा चुनाव में जींद की जुलाना सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। विनेश फोगाट को लेकर पूर्व सॉलिसिटर जनरल से सवाल-जवाब
सवाल: विनेश फोगाट ने कहा कि डिस्क्वालिफिकेशन के बाद IOA और पीटी ऊषा से सहयोग नहीं मिला?
साल्वे: इस बारे में पीटी ऊषा ही बता सकती हैं। इस मामले में शुरुआत में तालमेल की बहुत कमी थी। IOA ने बहुत अच्छे वकीलों को इंगेज किया था, लेकिन विनेश के वकीलों ने कहा कि हम आपके साथ कुछ शेयर नहीं करेंगे। आपको कुछ नहीं देंगे। हमें सब कुछ मिलने में बहुत देरी हुई। हालांकि, बाद में हमें सब कुछ मिल गया था। हमने पूरी मजबूती से केस लड़ा। हमने विनेश को सुझाव दिया था कि खेल कोर्ट के फैसले को हम स्विस कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं। मुझे उनके वकीलों ने कहा कि वह इसे आगे नहीं ले जाना चाहती थीं। सवाल: विनेश ने कहा कि किसी भी मौके पर सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला?
साल्वे: इसमें सरकार का कोई रोल नहीं था। अगर सरकार को कोई रोल निभाना होता तो IOA बाहर हो जाती। IOA अपने आप में स्वतंत्र संस्था है। सवाल: क्या आपको लगता है कि यह मामला IOA की तरफ से बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकता था?
साल्वे: मुझे नहीं लगता। इसमें पीटी ऊषा से पूछ सकते हैं कि वह कितनी बेसब्री से विनेश फोगाट से मिलना चाहती थीं, लेकिन ओलिंपिक खत्म होने से पहले एथलीट को बाहर नहीं आने दिया जाता। विनेश ओलिंपिक गांव में थीं, वहां एक्सेस की प्रॉब्लम थी। पीटी ऊषा इस बारे में बता सकती हैं। सवाल: क्या आपको लगता है कि यह राजनीतिक मामला है, क्योंकि विनेश अब कांग्रेस में शामिल होकर हरियाणा चुनाव लड़ रही हैं?
साल्वे: मैं उन्हें नए करियर के लिए बेस्ट ऑफ लक कहता हूं। मैं सिर्फ उम्मीद करता हूं कि वह मिसगाइडेड कमेंट न करें। इस बारे में पीटी ऊषा बता सकती हैं कि हमने कितनी कोशिश की। विनेश ने कहा था- भारतीय दल ने मदद नहीं की
विनेश ने पिछले दिनों दावा किया था कि मेडल को लेकर उनके पास कानूनी विकल्प था, यह उन्हें भारतीय डेलिगेशन नहीं, बल्कि एक दोस्त ने बताया था। BJP वालों ने ओलिंपिक मेडल को मेरा मेडल समझा। मेरी कोई मदद नहीं की गई। केस भी मैंने किया था, ये लोग बाद में आए थे। वह मेरा नहीं, देश का मेडल था। देश चाहता तो ला सकता था। वह कौन नहीं लेकर आए, सबको पता है। विनेश फोगाट मामले में क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. पेरिस ओलिंपिक में 1 दिन में 3 पहलवानों को हराया
विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में 6 अगस्त को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं। 2. डाइट से वजन बढ़ा, पूरी रात कोशिश बेकार गई
सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के दौरान उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना-पानी दिया गया। जिससे उनका वजन 52.700 kg तक बढ़ गया। भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। पूरी टीम रातभर विनेश का वजन कम करने की कोशिश में लगी रही। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन 100 ग्राम ज्यादा मिला, वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट थे
7 अगस्त की सुबह नियम के अनुसार दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। उनका वजन ज्यादा निकला। उन्हें 15 मिनट मिले लेकिन आखिरी बार वजन में भी वे 100 ग्राम अधिक निकलीं। जिसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। 4. विनेश ने अयोग्य करार देने के खिलाफ अपील की
इसके बाद विनेश ने अयोग्य करार देने पर खेल कोर्ट (CAS) में अपील की। जिसमें विनेश ने फाइनल मुकाबला खेलने देने की अपील की। यह संभव नहीं था तो विनेश ने अपील बदलकर कहा कि सेमीफाइनल तक उसका वजन नियमों के अनुरूप था। उसे संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए। 5. विनेश ने संन्यास का ऐलान किया
विनेश फोगाट ने 8 अगस्त को कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया पोस्ट लिखी। विनेश ने लिखा, “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।”। 6. खेल कोर्ट ने याचिका खारिज की
विनेश फोगाट की याचिका पर खेल कोर्ट में सुनवाई चली। हालांकि पेरिस ओलिंपिक के बाद इसका फैसला आया, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई। जिसके बाद विनेश बिना मेडल के ही देश वापस लौटीं। यहां दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर पैतृक गांव बलाली तक उनका काफिला निकालकर स्वागत किया गया।
हरियाणा में अफसरों की भर्ती में बनेगी वेटिंग लिस्ट:ग्रुप B की भर्ती में पड़ेगा असर; पहले ग्रुप C-D में ही बनती थी वेटिंग लिस्ट
हरियाणा में अफसरों की भर्ती में बनेगी वेटिंग लिस्ट:ग्रुप B की भर्ती में पड़ेगा असर; पहले ग्रुप C-D में ही बनती थी वेटिंग लिस्ट हरियाणा सरकार ने अफसरों की भर्ती से संबंधित एक बड़ा फैसला किया है। हालांकि यह फैसला लगभग 2 महीने पहले कर लिया गया था। दो महीने पहले हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) को इसकी पालना करने के लिए भेज दिया था। मगर इस फैसले का असर अब आने वाली भर्तियों में दिखाई देगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सरकार ने ग्रुप बी अफसरों की सीधी भर्ती में वेटिंग लिस्ट तैयार करने के लिए कहा है। हालांकि आयोग ने 2021 में वेटिंग लिस्ट तैयार करने का आग्रह पत्र हरियाणा सरकार को भेजा था, मगर तब सरकार HPSC के इस आग्रह को ठुकरा दिया था। 3 साल पुराने फैसले को सैनी ने दी मंजूरी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सरकार ने 3 साल पुराने फैसले पर पुनर्विचार किया और जून 2024 में फैसला किया कि ग्रुप बी पदों के लिए भी HPSC वेटिंग लिस्ट तैयार करेगा। वैसे तो हरियाणा सरकार में HPSC को यह सूचना गत जून में भेज दी थी और यह भी बता दिया था कि 2019 के निर्देशानुसार वेटिंग लिस्ट तैयार होगी। मगर सरकार स्पष्टता के साथ दोबारा ये निर्देश जारी करेगी। अभी इसका मसौदा तैयार हो रहा है। ग्रुप A की नौकरी में लागू नहीं होगा फैसला मुख्य सचिव कार्यालय ने HPSC सचिव को 7 जून को भेजे पत्र में लिखा है, ‘सरकार ने पुनर्विचार कर फैसला किया है कि ग्रुप बी पदों के लिए भी वेटिंग लिस्ट तैयार की जाए। जैसे 25 जून 2019 के निर्देशों में लिखा हुआ है। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि ग्रुप ए पदों के लिए कोई भी वेटिंग लिस्ट तैयार नहीं की जाएगी, चाहे चयन एक ही परीक्षा से हो या न हो। यह निर्णय तुरंत लागू होगा।’ अब ग्रुप बी, सी और डी पदों की सीधी भर्ती में वेटिंग लिस्ट तैयार होगी। पहले ग्रुप सी और डी पदों की भर्ती में वेटिंग लिस्ट तैयार होती थी। HPSC ने सरकार से ये की थी रिक्वेस्ट हरियाणा लोक सेवा आयोग ने 2021 में प्रदेश सरकार को आग्रह पत्र भेजा था। इसमें लिखा था, ‘मुख्य सचिव के 28 अगस्त 1993 और 27 फरवरी1998 निर्देशानुसार, एचपीएससी द्वारा 25 रिक्तियों की संख्या के 25% के बराबर 25 से 50 तक की रिक्तियों के लिए 15 और 50 से अधिक की रिक्तियों के लिए 10 के बराबर, न्यूनतम दो अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा सूची तैयार की जानी है। मूल सूची 6 माह तक वैध रहेगी, इस दौरान विभाग रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया पूरी करेगा। इसके बाद मूल सूची वैध नहीं रहेगी। 6 महीने रहेगी मूल सूची की वैधता मूल सूची को वैधता समाप्त होने के बाद प्रतीक्षा सूची 6 माह तक वैध रहेगी प्रतीक्षा सूची तभी संचालित की जाएगी, जब मूल सूची में अनुशासित अभ्यार्थी कार्यभार ग्रहण नहीं करता है या अन्य कारणों से पद रिक्त रह जाता है। ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे। जहां विभिन्न सेवाओं के लिए एक सामान्य परीक्षा के आधार पर भर्ती की जाती है। ऐसे मामलों में कोई प्रतीक्षा सूची तैयार नहीं की जाएगी। ये निर्देश उन मामलों में भी लागू नहीं होंगे जहां नियमों में कोई विशिष्ट प्रावधान है।
करनाल में पुरानी टीम के साथ मनोहर लाल हुए एक्टिव:बिना संगठन कैसे होगी सुमिता सिंह की नैया पार, गुटबाजी से भीतरघात का खतारा
करनाल में पुरानी टीम के साथ मनोहर लाल हुए एक्टिव:बिना संगठन कैसे होगी सुमिता सिंह की नैया पार, गुटबाजी से भीतरघात का खतारा हरियाणा में करनाल विधानसभा चुनाव में एक बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर एक्टिव हो चुके है। ऐसे मे कांग्रेस प्रत्याशी सुमिता सिंह अब राह आसान नहीं है। क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल अब पूरे संगठन व पुरानी टीम के साथ करनाल विधासभा चुनाव में जगमोहन आनंद के प्रचार में उतर चुके है। वहीं अगर हम बात करे तो कांग्रेस पिछले 10 साल से अपना संगठन भी नहीं बना पाई है। करनाल कांग्रेस में कोई हुड्डा गुट से है तो कोई सैलजा-सुरजेवाला गुट से। टीम भी बिखरी पड़ी है। ऐसे में बिना संगठन सुमिता सिंह की नैया कैसे पार होगी? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। दूसरी ओर, बीजेपी मजबूत संगठन के सहारे मैदान में है। बीजेपी पन्ना प्रमुख तक उतार चुकी है। भीतरघात का भी कांग्रेस को खतरा करनाल की राजनीति में अच्छी समझ रखने वाले DAV कॉलेज के प्राचार्य आर.पी सैनी की मांने तो इस बार सिर्फ संगठन ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भीतरघात का शिकार भी होती नजर आ रही है। क्योंकि कई कांग्रेस के नेता मंचों पर तो दिख रहे है, लेकिन उनके मन में आज भी टिकट कटने की टिस है। अंदरूनी कलह कांग्रेस की प्रत्याशी के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त संगठन को लेकर कांग्रेस गंभीर भी नहीं दिख रही। चुनाव प्रचार के दौरान संगठन एक बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है। पंजाबी वोटर का दबदबा करनाल विधानसभा की अगर हम बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर पंजाबी समाज से आते है, उसके बाद वैश्य समाज फिर जाट और जट सिख है। सैनी का मानना है कि पूर्व विधायक सुमिता सिंह लंबे समय तक लोगों के बीच से गायब रही, लेकिन चुनावों से पहले एक्टिव हो गई। जिससे लोगों में भी नाराजगी जरूर दिखी। कांग्रेस की नजर पंजाबी वोटर पर है और पंजाबी वोटर साधने के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास में जुटी हुई है। दूसरी ओर, बीजेपी के करनाल सांसद एवं कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल भी एक्टिव हो चुके है, हालांकि पिछले दिनों पंजाबी समाज ने कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया था, लेकिन मनोहर लाल पंजाबी तबके को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए है। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मुश्किलें बढ़ रही है। करनाल में बीजेपी के पूर्व सीएम एक्टिव है, जबकि कांग्रेस की तरफ से ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा कि वह पंजाबी वोटर को साध सके। तरलोचन सिंह भी मैदान में नजर तो आ रहे है, लेकिन अंदर से इनको भी टिकट कटने का दर्द है। पूर्व मेयर को मानने में कायब रही भाजपा सैनी ने कहा कि दूसरी ओर, बीजेपी पूर्व मेयर को मनाने में भी कामयाब हो चुकी है और उनके पति बृज गुप्ता को कार्यकारी जिलाध्यक्ष नियुक्त करके राजनीति पैतरा फेंका है। इससे मेयर की नाराजगी तो दूर हुई, साथ ही उन्होंने भी बीजेपी को मजबूत करने के लिए प्रचार शुरू कर दिया। बीजेपी कांग्रेस को घेरने के लिए लगी हुई है। जिन पार्षदों ने अपने कार्यकाल में काम नहीं करवाए, और वे अब बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में जा रहे है, ऐसे पार्षदों से भी करनाल की जनता नाराज दिख रही है। ऐसे में दस साल से प्रदेश में कांग्रेस अपना संगठन नहीं बना पाई। दूसरा, पार्टी अलग-अलग धड़ों में बंटी है और गुटबाजी हावी है और तीसरा दिग्गज नेताओं के एक-दूसरे के क्षेत्र में मदद करने की संभावना कम नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनावी राह आसान नहीं है और यह 8 अक्तूबर को पता चलेगा कि लोग किसके पक्ष में वोट करते है।