हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी, घर से 15 लाख रुपये कैश मिलने का था दावा

हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी, घर से 15 लाख रुपये कैश मिलने का था दावा

<p style=”text-align: justify;”><strong>Justice Nirmal Yadav News:</strong> चंडीगढ़ की एक अदालत ने शनिवार (29 मार्च) को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस निर्मल यादव को 2008 के भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया. सीबीआई की ओर से उनके और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था. एडिशनल सेशन जज अलका मलिक की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में अन्य आरोपियों- रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी कर दिया. ‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक वकील हितेश पुरी ने बताया, “सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.” उन्होंने मामले में आरोपी निर्मल सिंह का प्रतिनिधित्व किया. फैसले की एक प्रति का इंतजार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2008 में शुरू हुआ था मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस निर्मल यादव, जो उस समय हाई कोर्ट की जज और पूर्व न्यायिक अधिकारी थीं. उनके खिलाफ मामला अगस्त 2008 में शुरू हुआ था, जब हाई कोर्ट की एक अन्य जज जस्टिस निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये से भरा एक बैग पहुंचाया गया था. जस्टिस कौर के चपरासी ने मामले की सूचना चंडीगढ़ पुलिस को दी थी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीबीआई ने 2011 में दाखिल किया था आरोप पत्र&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाद में पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्स के आदेश पर ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने शुरू में मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद उसने 2011 में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभियोजन पक्ष के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल के क्लर्क द्वारा दिया गया पैसा जस्टिस यादव के लिए था, लेकिन दो जजों के नाम में समानता के कारण यह गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के आवास पर पहुंच गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2010 में जस्टिस यादव का तबादला उत्तराखंड हाई कोर्ट में कर दिया गया, जहां से वह एक साल बाद रिटायर हुईं. साल 2014 में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. मुख्य आरोपियों में से एक बंसल की दिसंबर 2016 में मोहाली के एक अस्पताल में मौत हो गई. इसके बाद जनवरी 2017 में उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Justice Nirmal Yadav News:</strong> चंडीगढ़ की एक अदालत ने शनिवार (29 मार्च) को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस निर्मल यादव को 2008 के भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया. सीबीआई की ओर से उनके और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था. एडिशनल सेशन जज अलका मलिक की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में अन्य आरोपियों- रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी कर दिया. ‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक वकील हितेश पुरी ने बताया, “सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.” उन्होंने मामले में आरोपी निर्मल सिंह का प्रतिनिधित्व किया. फैसले की एक प्रति का इंतजार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2008 में शुरू हुआ था मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस निर्मल यादव, जो उस समय हाई कोर्ट की जज और पूर्व न्यायिक अधिकारी थीं. उनके खिलाफ मामला अगस्त 2008 में शुरू हुआ था, जब हाई कोर्ट की एक अन्य जज जस्टिस निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये से भरा एक बैग पहुंचाया गया था. जस्टिस कौर के चपरासी ने मामले की सूचना चंडीगढ़ पुलिस को दी थी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीबीआई ने 2011 में दाखिल किया था आरोप पत्र&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाद में पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्स के आदेश पर ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने शुरू में मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद उसने 2011 में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभियोजन पक्ष के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल के क्लर्क द्वारा दिया गया पैसा जस्टिस यादव के लिए था, लेकिन दो जजों के नाम में समानता के कारण यह गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के आवास पर पहुंच गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2010 में जस्टिस यादव का तबादला उत्तराखंड हाई कोर्ट में कर दिया गया, जहां से वह एक साल बाद रिटायर हुईं. साल 2014 में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. मुख्य आरोपियों में से एक बंसल की दिसंबर 2016 में मोहाली के एक अस्पताल में मौत हो गई. इसके बाद जनवरी 2017 में उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई.</p>  पंजाब इफ्तार बनाम फलाहार पर सियासत, BJP बोली- ‘समाज विरोधी नेताओं के चंगुल में न फंसे मुसलमान’