हिमाचल में सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रचने से जुड़े केस में प्रदेश और हरियाणा पुलिस पुलिस में आमने-सामने हो गई हैं। राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ वोट करने वाले 9 विधायकों को हवाई सेवाएं देने वाली हेलिकॉप्टर कंपनी से पूछताछ के लिए शिमला पुलिस दो दिन पहले गुरुग्राम पहुंची थी। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम में शिमला पुलिस को फजीहत झेल कर वापस लौटना पड़ा है। शिमला पुलिस अदालत द्वारा जारी सर्च वारंट के आधार पर विमान कंपनी के गुरुग्राम स्थित दफ्तर में पूछताछ को गई थी। मगर वहां पर गुरुग्राम पुलिस पहले से मौजूद थी। इससे पहले की शिमला पुलिस कंपनी प्रबंधन से पूछताछ कर पाती और रिकॉर्ड कब्जे में लेती, गुरुग्राम पुलिस ने उल्टा शिमला पुलिस से सवाल कर दिए। सूत्रों के मुताबिक शिमला पुलिस से गुरुग्राम पुलिस ने लगभग 10 घंटे पूछताछ की। दरअसल, विमान कंपनी को रेड की पहले ही जानकारी मिल गई थी। इसलिए कंपनी ने पहले ही लोकल पुलिस मौके पर बुला दी थी। इसके बाद गुरुग्राम पुलिस शिमला पुलिस पर हावी हो गई। शिमला से चार सदस्यीय टीम DSP मानविंदर की अगुआई में गुरुग्राम गई थी। शिमला के SP संजीव गांधी ने बताया कि गुरुग्राम गई टीम वापस लौट रही है। कोर्ट से सर्च वारंट था। गुरुग्राम में जो भी हुआ होगा, उसकी जानकारी कोर्ट को दी जाएगी। उधर, गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि हमें इस बारे में जानकारी नहीं है। शिमला पुलिस के खिलाफ FIR देने को तैयार हो गई हरियाणा पुलिस
आमतौर पर एक राज्य की पुलिस जब दूसरे प्रदेश में इस तरह की कार्रवाई करती है तो लोकल पुलिस सहयोग करती है, मगर इस केस में हरियाणा और हिमाचल पुलिस आमने-सामने हो गई। बताया जा रहा है कि गुरुग्राम पुलिस तो शिमला पुलिस के खिलाफ एफआईआर देने को तैयार थी। इस विवाद की वजह से शिमला पुलिस विमान कंपनी से रिकॉर्ड भी कब्जे में नहीं ले सकी। शिमला पुलिस को इसलिए सहयोग नहीं मिला
सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल में कांग्रेस सरकार और हरियाणा में बीजेपी सरकार की वजह से इस मामले में लोकल पुलिस का सहयोग नहीं मिल पाया। कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने 10 मार्च को शिमला के बालूगंज थाना में FIR कराई थी। इस शिकायत में सरकार को गिराने के लिए करोड़ों रुपए के लेन-देन, बागियों को फाइव-सेवन स्टार होटलों में ठहराने और हेलिकॉप्टर से बागी विधायकों को ले जाने समेत जैसे गंभीर आरोप हैं। बालूगंज थाना में इन नेताओं के खिलाफ एफआईआर
यह एफआईआर हमीरपुर से बीजेपी विधायक आशीष शर्मा और गगरेट से पूर्व विधायक एवं बीजेपी टिकट पर उपचुनाव लड़ने वाले चैतन्य शर्मा के रिटायर आईएएस पिता राकेश शर्मा के खिलाफ दर्ज है। इस केस में शिमला पुलिस बीजेपी नेता एवं पूर्व में कांग्रेस के बागी विधायक राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के प्रचार सलाहाकार तरुण भंडारी समेत कई भाजपा नेताओं से पूछताछ कर चुकी है। अब पढ़िए पूरा मामला?
इस साल 27 फरवरी को हिमाचल में राज्यसभा चुनाव हुए। जब चुनाव हुआ तो 6 कांग्रेसी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। 3 निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में वोटिंग की। जिस वजह से भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट को 34-34 वोट मिले। इसके बाद लॉटरी से भाजपा के हर्ष महाजन चुनाव जीत गए, जबकि कांग्रेस के कैंडिडेट अभिषेक मनु सिंघवी हार गए थे। सरकार पर आया था संकट
इसके बाद सरकार पर संकट आ गया था। भाजपा ने गवर्नर से मिलकर कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। दोनों के पास बराबर 34-34 विधायक हो गए थे। इसके बाद तुरंत कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को शिमला भेजा। इसके बाद सरकार का संकट टालने के लिए विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस की शिकायत पर बागी हुए 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया। बाद में 3 निर्दलीयों ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से केस दर्ज कराया गया था। एक महीने तक प्रदेश से बाहर रहे थे बागी विधायक
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट के बाद कांग्रेस के छह बागी सहित तीन निर्दलीय विधायक भी करीब दो हफ्ते तक पंचकूला के एक होटल में ठहरे थे। इसके बाद ऋषिकेश गए। ऋषिकेश से गुरुग्राम पहुंचे। इस दौरान इनके ठहरने व खाने-पीने के बिलों का भुगतान जिन्होंने किया, पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। होटलों में ठहराया, हेलिकॉप्टर से बागियों को ले गए
आशीष शर्मा और चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा पर आरोप है कि इन्होंने सरकार को गिराने के लिए विधायकों के फाइव से सेवन स्टार होटलों में ठहराने की व्यवस्था की और हेलिकॉप्टर से बागी विधायकों को ले जाने में मदद की। हिमाचल में सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रचने से जुड़े केस में प्रदेश और हरियाणा पुलिस पुलिस में आमने-सामने हो गई हैं। राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ वोट करने वाले 9 विधायकों को हवाई सेवाएं देने वाली हेलिकॉप्टर कंपनी से पूछताछ के लिए शिमला पुलिस दो दिन पहले गुरुग्राम पहुंची थी। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम में शिमला पुलिस को फजीहत झेल कर वापस लौटना पड़ा है। शिमला पुलिस अदालत द्वारा जारी सर्च वारंट के आधार पर विमान कंपनी के गुरुग्राम स्थित दफ्तर में पूछताछ को गई थी। मगर वहां पर गुरुग्राम पुलिस पहले से मौजूद थी। इससे पहले की शिमला पुलिस कंपनी प्रबंधन से पूछताछ कर पाती और रिकॉर्ड कब्जे में लेती, गुरुग्राम पुलिस ने उल्टा शिमला पुलिस से सवाल कर दिए। सूत्रों के मुताबिक शिमला पुलिस से गुरुग्राम पुलिस ने लगभग 10 घंटे पूछताछ की। दरअसल, विमान कंपनी को रेड की पहले ही जानकारी मिल गई थी। इसलिए कंपनी ने पहले ही लोकल पुलिस मौके पर बुला दी थी। इसके बाद गुरुग्राम पुलिस शिमला पुलिस पर हावी हो गई। शिमला से चार सदस्यीय टीम DSP मानविंदर की अगुआई में गुरुग्राम गई थी। शिमला के SP संजीव गांधी ने बताया कि गुरुग्राम गई टीम वापस लौट रही है। कोर्ट से सर्च वारंट था। गुरुग्राम में जो भी हुआ होगा, उसकी जानकारी कोर्ट को दी जाएगी। उधर, गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि हमें इस बारे में जानकारी नहीं है। शिमला पुलिस के खिलाफ FIR देने को तैयार हो गई हरियाणा पुलिस
आमतौर पर एक राज्य की पुलिस जब दूसरे प्रदेश में इस तरह की कार्रवाई करती है तो लोकल पुलिस सहयोग करती है, मगर इस केस में हरियाणा और हिमाचल पुलिस आमने-सामने हो गई। बताया जा रहा है कि गुरुग्राम पुलिस तो शिमला पुलिस के खिलाफ एफआईआर देने को तैयार थी। इस विवाद की वजह से शिमला पुलिस विमान कंपनी से रिकॉर्ड भी कब्जे में नहीं ले सकी। शिमला पुलिस को इसलिए सहयोग नहीं मिला
सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल में कांग्रेस सरकार और हरियाणा में बीजेपी सरकार की वजह से इस मामले में लोकल पुलिस का सहयोग नहीं मिल पाया। कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने 10 मार्च को शिमला के बालूगंज थाना में FIR कराई थी। इस शिकायत में सरकार को गिराने के लिए करोड़ों रुपए के लेन-देन, बागियों को फाइव-सेवन स्टार होटलों में ठहराने और हेलिकॉप्टर से बागी विधायकों को ले जाने समेत जैसे गंभीर आरोप हैं। बालूगंज थाना में इन नेताओं के खिलाफ एफआईआर
यह एफआईआर हमीरपुर से बीजेपी विधायक आशीष शर्मा और गगरेट से पूर्व विधायक एवं बीजेपी टिकट पर उपचुनाव लड़ने वाले चैतन्य शर्मा के रिटायर आईएएस पिता राकेश शर्मा के खिलाफ दर्ज है। इस केस में शिमला पुलिस बीजेपी नेता एवं पूर्व में कांग्रेस के बागी विधायक राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के प्रचार सलाहाकार तरुण भंडारी समेत कई भाजपा नेताओं से पूछताछ कर चुकी है। अब पढ़िए पूरा मामला?
इस साल 27 फरवरी को हिमाचल में राज्यसभा चुनाव हुए। जब चुनाव हुआ तो 6 कांग्रेसी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। 3 निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में वोटिंग की। जिस वजह से भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट को 34-34 वोट मिले। इसके बाद लॉटरी से भाजपा के हर्ष महाजन चुनाव जीत गए, जबकि कांग्रेस के कैंडिडेट अभिषेक मनु सिंघवी हार गए थे। सरकार पर आया था संकट
इसके बाद सरकार पर संकट आ गया था। भाजपा ने गवर्नर से मिलकर कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। दोनों के पास बराबर 34-34 विधायक हो गए थे। इसके बाद तुरंत कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को शिमला भेजा। इसके बाद सरकार का संकट टालने के लिए विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस की शिकायत पर बागी हुए 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया। बाद में 3 निर्दलीयों ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से केस दर्ज कराया गया था। एक महीने तक प्रदेश से बाहर रहे थे बागी विधायक
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट के बाद कांग्रेस के छह बागी सहित तीन निर्दलीय विधायक भी करीब दो हफ्ते तक पंचकूला के एक होटल में ठहरे थे। इसके बाद ऋषिकेश गए। ऋषिकेश से गुरुग्राम पहुंचे। इस दौरान इनके ठहरने व खाने-पीने के बिलों का भुगतान जिन्होंने किया, पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। होटलों में ठहराया, हेलिकॉप्टर से बागियों को ले गए
आशीष शर्मा और चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा पर आरोप है कि इन्होंने सरकार को गिराने के लिए विधायकों के फाइव से सेवन स्टार होटलों में ठहराने की व्यवस्था की और हेलिकॉप्टर से बागी विधायकों को ले जाने में मदद की। हिमाचल | दैनिक भास्कर