हिमाचल प्रदेश की टॉप-ब्यूरोक्रेसी में नए साल में बड़ा फेरबदल होने वाला है। इसकी सुगबुगाहट रेरा यानी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. श्रीकांत बाल्दी के रिटायर होने की वजह से ज्यादा तेज हुई है। श्रीकांत बाल्दी बीते गुरुवार को ही रिटायर हुए हैं। रेरा चेयरमैन पद पर 5 साल के लिए तैनाती होती है। लिहाजा रेरा चेयरमैन के मलाइदार पद को लॉबिंग तेज हो गई है। सूत्र बताते हैं कि रेरा चेयरमैन के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना (1990 बैच) सरकार से तार भिड़ा रहे हैं। उन्हें इस पद की रेस में आगे माना जा रहा है। प्रबोध सक्सेना मार्च में रिटायर हो रहे हैं। मगर सरकार इससे पहले ही सक्सेना को रेरा में तैनाती दे सकती है। सरकार इसके लिए जल्द आवेदन मांगेगी। इसके बाद चेयरमैन पद के दूसरे दावेदार भी सामने आएंगे। सक्सेना के चेयरमैन बनने से मुख्य सचिव बदलना तय अगर प्रबोध सक्सेना रेरा चेयरमैन बने तो इससे सूबे का नया मुख्य सचिव बनना भी तय है। मुख्य सचिव की रेस में सीनियोरिटी की वजह से 1988 बैच के वरिष्ठ IAS संजय गुप्ता सबसे आगे हैं। सीनियोरिटी की वजह से उनकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। मगर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री सुक्खू को लेना है। प्रबोध सक्सेना को दो साल पहले जब मुख्य सचिव बनाया गया था, तब भी संजय गुप्ता की सीनियोरिटी को नजरअंदाज कर दिया था और उन्हें एडवाइजर लगाया था। गुप्ता के बाद केके पंत और ओंकार का नाम चर्चा में संजय गुप्ता के बाद मुख्य सचिव की दौड़ में 1993 बैच के IAS एवं दो महीने पहले ही सेंटर डेपुटेशन से लौटें अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) केके पंत हैं। केके पंत ने प्रदेश लौटने से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से दिल्ली में ही मुलाकात की थी। तब यह माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री सुक्खू पंत को अगला मुख्य सचिव बना सकते हैं। पंत के बाद वरिष्ठता में अनुराधा ठाकुर सीनियर IAS हैं। मगर वह अभी सेंटर डेपुटेशन पर हैं। अब तक उनके हिमाचल लौटने की संभावनाएं कम थी, क्योंकि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अनुराधा को हिमाचल का मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) नियुक्त कर चुका है। मगर अनुराधा ने जॉइन नहीं किया और वह दिल्ली में ही डटी हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि अब अनुराधा भी हिमाचल लौटने को तैयार है। अगले एक महीने में वह प्रदेश लौट सकती है। ओंकार के पक्ष में हिमाचली होना अनुराधा के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं 1994 बैच के IAS ओंकार चंद शर्मा का नाम भी अगले मुख्य सचिव की रेस में गिना जा रहा है। ओंकार शर्मा के पक्ष में उनका हिमाचली होना है। सरकार उन पर भी भरोसा दिखा सकतीं हैं। वर्मा की रिटायरमेंट के बाद खाली हो जाएगा रेरा वहीं रेरा में बाल्दी के बाद इकलौते मेंबर आरके वर्मा भी 31 दिसंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। रेरा के दूसरे मेंबर बीसी बडालिया पहले ही रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद रेरा खाली हो जाएगा। लिहाज़ा सरकार रेरा चेयरमैन और सदस्य की नियुक्ति के लिए जल्द चयन प्रक्रिया आरंभ करेगी। प्रबोध सक्सेना के अलावा दूसरे रिटायर अधिकारी भी गोटियां फिट करने में जुट गए हैं। यह कमेटी करेगी चेयरमैन का चयन रेरा चेयरमैन का चयन मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। इस कमेटी में शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और विधि सचिव सदस्य होते हैं। रेरा का ये काम? प्रदेश में काम करने वाले बिल्डरों का रेरा में पंजीकरण होता है। उसके बाद ही बिल्डर हिमाचल में आवासीय कॉलोनियां बना पाते हैं। बिल्डर अगर फ्लैट बेचने में लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है तो पीड़ितों की शिकायत भी रेरा में ही सुनी जाती है। गलती पाए जाने पर बिल्डरों पर जुर्माना लगाया जाता है। यहीं नहीं अगर बिल्डर मौके पर गलत काम कर रहा है तो इस स्थिति में रेरा के तहत ही बिल्डरों पर कार्रवाई होती है। बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह सरकार की ओर से रेरा के लिए लोगों से आवेदन मांगे जाएंगे। अध्यक्ष पद व एक सदस्य के लिए प्रशासनिक सेवाओं का अनुभव जरूरी होता है जबकि एक सदस्य के लिए वास्तुकार का अनुभव जरूरी है। हिमाचल प्रदेश की टॉप-ब्यूरोक्रेसी में नए साल में बड़ा फेरबदल होने वाला है। इसकी सुगबुगाहट रेरा यानी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. श्रीकांत बाल्दी के रिटायर होने की वजह से ज्यादा तेज हुई है। श्रीकांत बाल्दी बीते गुरुवार को ही रिटायर हुए हैं। रेरा चेयरमैन पद पर 5 साल के लिए तैनाती होती है। लिहाजा रेरा चेयरमैन के मलाइदार पद को लॉबिंग तेज हो गई है। सूत्र बताते हैं कि रेरा चेयरमैन के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना (1990 बैच) सरकार से तार भिड़ा रहे हैं। उन्हें इस पद की रेस में आगे माना जा रहा है। प्रबोध सक्सेना मार्च में रिटायर हो रहे हैं। मगर सरकार इससे पहले ही सक्सेना को रेरा में तैनाती दे सकती है। सरकार इसके लिए जल्द आवेदन मांगेगी। इसके बाद चेयरमैन पद के दूसरे दावेदार भी सामने आएंगे। सक्सेना के चेयरमैन बनने से मुख्य सचिव बदलना तय अगर प्रबोध सक्सेना रेरा चेयरमैन बने तो इससे सूबे का नया मुख्य सचिव बनना भी तय है। मुख्य सचिव की रेस में सीनियोरिटी की वजह से 1988 बैच के वरिष्ठ IAS संजय गुप्ता सबसे आगे हैं। सीनियोरिटी की वजह से उनकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। मगर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री सुक्खू को लेना है। प्रबोध सक्सेना को दो साल पहले जब मुख्य सचिव बनाया गया था, तब भी संजय गुप्ता की सीनियोरिटी को नजरअंदाज कर दिया था और उन्हें एडवाइजर लगाया था। गुप्ता के बाद केके पंत और ओंकार का नाम चर्चा में संजय गुप्ता के बाद मुख्य सचिव की दौड़ में 1993 बैच के IAS एवं दो महीने पहले ही सेंटर डेपुटेशन से लौटें अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) केके पंत हैं। केके पंत ने प्रदेश लौटने से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से दिल्ली में ही मुलाकात की थी। तब यह माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री सुक्खू पंत को अगला मुख्य सचिव बना सकते हैं। पंत के बाद वरिष्ठता में अनुराधा ठाकुर सीनियर IAS हैं। मगर वह अभी सेंटर डेपुटेशन पर हैं। अब तक उनके हिमाचल लौटने की संभावनाएं कम थी, क्योंकि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अनुराधा को हिमाचल का मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) नियुक्त कर चुका है। मगर अनुराधा ने जॉइन नहीं किया और वह दिल्ली में ही डटी हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि अब अनुराधा भी हिमाचल लौटने को तैयार है। अगले एक महीने में वह प्रदेश लौट सकती है। ओंकार के पक्ष में हिमाचली होना अनुराधा के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं 1994 बैच के IAS ओंकार चंद शर्मा का नाम भी अगले मुख्य सचिव की रेस में गिना जा रहा है। ओंकार शर्मा के पक्ष में उनका हिमाचली होना है। सरकार उन पर भी भरोसा दिखा सकतीं हैं। वर्मा की रिटायरमेंट के बाद खाली हो जाएगा रेरा वहीं रेरा में बाल्दी के बाद इकलौते मेंबर आरके वर्मा भी 31 दिसंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। रेरा के दूसरे मेंबर बीसी बडालिया पहले ही रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद रेरा खाली हो जाएगा। लिहाज़ा सरकार रेरा चेयरमैन और सदस्य की नियुक्ति के लिए जल्द चयन प्रक्रिया आरंभ करेगी। प्रबोध सक्सेना के अलावा दूसरे रिटायर अधिकारी भी गोटियां फिट करने में जुट गए हैं। यह कमेटी करेगी चेयरमैन का चयन रेरा चेयरमैन का चयन मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। इस कमेटी में शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और विधि सचिव सदस्य होते हैं। रेरा का ये काम? प्रदेश में काम करने वाले बिल्डरों का रेरा में पंजीकरण होता है। उसके बाद ही बिल्डर हिमाचल में आवासीय कॉलोनियां बना पाते हैं। बिल्डर अगर फ्लैट बेचने में लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है तो पीड़ितों की शिकायत भी रेरा में ही सुनी जाती है। गलती पाए जाने पर बिल्डरों पर जुर्माना लगाया जाता है। यहीं नहीं अगर बिल्डर मौके पर गलत काम कर रहा है तो इस स्थिति में रेरा के तहत ही बिल्डरों पर कार्रवाई होती है। बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह सरकार की ओर से रेरा के लिए लोगों से आवेदन मांगे जाएंगे। अध्यक्ष पद व एक सदस्य के लिए प्रशासनिक सेवाओं का अनुभव जरूरी होता है जबकि एक सदस्य के लिए वास्तुकार का अनुभव जरूरी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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