हिमाचल प्रदेश में छात्रों का रीडिंग लेवल पूरे देश में सबसे बेहतर आंका गया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में थर्ड क्लास के 46.6 प्रतिशत छात्र-छात्राएं आसानी से दूसरी कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक को पढ़ लेते हैं। यह दावा भारत सरकार द्वारा अनुबंधित एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन (असर) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में किया गया। असर के अनुसार, पूरे देश में थर्ड क्लास के औसत मात्र 23.4 प्रतिशत छात्र-छात्राएं ही सेकेंड क्लास की पुस्तक पढ़ पाते हैं, जबकि हिमाचल में राष्ट्रीय औसत से दोगुणा ज्यादा स्टूडेंट सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ लेते हैं। हिमाचल में साल 2022 में तीसरी कक्षा के मात्र 23 प्रतिशत छात्र ही सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ पा रहे थे। मगर 2024 में दोगुणा से भी ज्यादा बच्चे ऐसा कर पा रहे हैं। प्रदेश में कोरोना काल में छात्रों के रीडिंग लेवल में बहुत ज्यादा गिरावट आ गई थी। मगर 2024 में इसमे सुधार आया है। केरला के बच्चों का रीडिंग लेवल भी अच्छा हिमाचल के बाद केरला के छात्रों का रीडिंग लेवल सबसे अच्छा है। केरल के 44.4 प्रतिशत, उड़िसा के 37.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र के 37 प्रतिशत, उत्तराखंड के 35.6 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 34 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश के 27.9 प्रतिशत, गुजरात के 24.7 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के 24.5 प्रतिशत थर्ड क्लास के बच्चे सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ पाते है। राजस्थान में स्थिति सबसे चिंताजनक राजस्थान में सबसे चिंताजनक आंकड़े हैं। यहां सबसे कम 12.1 प्रतिशत छात्र ही सेकेंड क्लास की टेक्स्ट बुक पढ़ पाते हैं। असम में मात्र 13.2 प्रतिशत, झारखंड में 14.1 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 14.8 प्रतिशत और बिहार में 20.1 प्रतिशत तीसरी कक्षा के विद्यार्थी ही दूसरी की पाठ्य पुस्तक पढ़ पाते हैं। हिमाचल में इससे हुआ सुधार प्रदेश में निपुण मिशन के तहत बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार समय समय पर टीचरों को ट्रेनिंग दे रही है। इसी तरह टीचरों को ऑनलाइन रीडिंग मटीरियल भी उपलब्ध कराया जाता है। समय समय पर बच्चों की मॉनिटरिंग की जा रही है। हिमाचल प्रदेश में छात्रों का रीडिंग लेवल पूरे देश में सबसे बेहतर आंका गया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में थर्ड क्लास के 46.6 प्रतिशत छात्र-छात्राएं आसानी से दूसरी कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक को पढ़ लेते हैं। यह दावा भारत सरकार द्वारा अनुबंधित एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन (असर) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में किया गया। असर के अनुसार, पूरे देश में थर्ड क्लास के औसत मात्र 23.4 प्रतिशत छात्र-छात्राएं ही सेकेंड क्लास की पुस्तक पढ़ पाते हैं, जबकि हिमाचल में राष्ट्रीय औसत से दोगुणा ज्यादा स्टूडेंट सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ लेते हैं। हिमाचल में साल 2022 में तीसरी कक्षा के मात्र 23 प्रतिशत छात्र ही सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ पा रहे थे। मगर 2024 में दोगुणा से भी ज्यादा बच्चे ऐसा कर पा रहे हैं। प्रदेश में कोरोना काल में छात्रों के रीडिंग लेवल में बहुत ज्यादा गिरावट आ गई थी। मगर 2024 में इसमे सुधार आया है। केरला के बच्चों का रीडिंग लेवल भी अच्छा हिमाचल के बाद केरला के छात्रों का रीडिंग लेवल सबसे अच्छा है। केरल के 44.4 प्रतिशत, उड़िसा के 37.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र के 37 प्रतिशत, उत्तराखंड के 35.6 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 34 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश के 27.9 प्रतिशत, गुजरात के 24.7 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के 24.5 प्रतिशत थर्ड क्लास के बच्चे सेकेंड क्लास की पाठ्य पुस्तक पढ़ पाते है। राजस्थान में स्थिति सबसे चिंताजनक राजस्थान में सबसे चिंताजनक आंकड़े हैं। यहां सबसे कम 12.1 प्रतिशत छात्र ही सेकेंड क्लास की टेक्स्ट बुक पढ़ पाते हैं। असम में मात्र 13.2 प्रतिशत, झारखंड में 14.1 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 14.8 प्रतिशत और बिहार में 20.1 प्रतिशत तीसरी कक्षा के विद्यार्थी ही दूसरी की पाठ्य पुस्तक पढ़ पाते हैं। हिमाचल में इससे हुआ सुधार प्रदेश में निपुण मिशन के तहत बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार समय समय पर टीचरों को ट्रेनिंग दे रही है। इसी तरह टीचरों को ऑनलाइन रीडिंग मटीरियल भी उपलब्ध कराया जाता है। समय समय पर बच्चों की मॉनिटरिंग की जा रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल में पंजाबी को दूसरी भाषा बनाने की मांग:पूर्व सीएम चन्नी बोले- मैं मुख्यमंत्री सुक्खू से मिला, विचार करने का दिया आश्वासन
हिमाचल में पंजाबी को दूसरी भाषा बनाने की मांग:पूर्व सीएम चन्नी बोले- मैं मुख्यमंत्री सुक्खू से मिला, विचार करने का दिया आश्वासन हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से पंजाब के पूर्व सीएम और जालंधर लोकसभा सीट से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने दो दिन पहले मुलाकात की थी। ये मुलाकात हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुई थी। इस मुलाकात का मकसद पंजाबी भाषा को बढ़ावा देना था। कांग्रेस पार्टी से संबंध रखने वाले दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच पंजाबी भाषा को हिमाचल प्रदेश की दूसरी भाषा के तौर पर पहचान देने को लेकर चन्नी ने मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से चर्चा की है। इसे लेकर आज पूर्व सीएम और जालंधर से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने जानकारी सांझा की है। चन्नी ने कहा- हिमाचल प्रदेश में बड़ा तबका ऐसा जो पंजाबी भाषी है, जिसके चलते राज्य में पंजाब भाषा को दूसरी भाषा के तौर पर दर्जा दिया जाना चाहिए। चन्नी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की पोस्ट दो दिन पहले हुई मुलाकात को लेकर चन्नी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की। जिसमें वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ नजर आ रहे हैं। पोस्ट में चन्नी ने लिखा- “शिमला में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात हुई। इस अवसर पर उनसे पंजाबी भाषा को हिमाचल प्रदेश की दूसरी भाषा बनाने का आग्रह किया गया। क्योंकि हिमाचल के बड़े हिस्से में आज भी पंजाबी भाषा बोली और समझी जाती है। उन्होंने इस मामले पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया।” शिमला में पौने घंटे तक हुई थी मुलाकात पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में दोनों नेताओं में करीब पौने एक घंटा तक बातचीत की थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच हिमाचल और पंजाब के मौजूदा राजनीति हालात को लेकर भी चर्चा हुई थी।
हिमाचल: रामपुर में फिर फटा बादल:तकलेच क्षेत्र में तबाही; घरों से भागे लोग, ऊना-मंडी में भी बारिश का कहर, चंडीगढ़-मनाली NH 2 जगह बंद
हिमाचल: रामपुर में फिर फटा बादल:तकलेच क्षेत्र में तबाही; घरों से भागे लोग, ऊना-मंडी में भी बारिश का कहर, चंडीगढ़-मनाली NH 2 जगह बंद हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में बाढ़ की चेतावनी के बीच बीती रात को भारी बारिश से तबाही हुई है। शिमला जिला के रामपुर के डमराली में बीती रात बादल फटा। इससे रातभर तकलेच क्षेत्र में अफरा-तफरी मची रही। जिला प्रशासन आधी रात में घटना स्थल पर पहुंचा। ऊना जिला में भी भारी बारिश ने कहर बरपाया है। ऊना को संतोषगढ़ कस्बे से जोड़ने वाला पुल भारी बारिश से टूट गया है। एक बाइक सवार भी इसकी चपेट में आ गया। उसे वहां मौजूद लोगों ने रेस्क्यू कर दिया है। वहीं मंडी में भारी बारिश के बाद चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे 2 जगह बंद हो गया। मंडी के 4 मील और 9 मील में हाईवे अभी सभी प्रकार के वाहनों के लिए बंद पड़ा है। बीती शाम को भारी बारिश के बाद मंडी बाजार की सभी सड़कें भी जलमग्न हो गई है। मंडी के चैलचौक का गणना बाजार पानी का तालाब बन गया। तकलेज नाला की आवाजे सुनकर भागे लोग शिमला जिला के डमराली में बादल फटने के बाद तकलेच नाला में जल स्तर कई गुणा बढ़ गया। इससे डमराली क्षेत्र से पानी का भारी सैलाब तकलेच नाला में आ गया। इस नाले की आवाजें व गड़गड़ाहट सुनकर लोग रात में ही घरों से बाहर भागे। अभी तक किसी भी प्रकार के जान व माल के नुकसान की सूचना नहीं है। बादल फटने के बाद तकलेच में मोबाइल सिंग्नल ठप्प तकलेच क्षेत्र की 6 पंचायतों में कई टेलीकोम कंपनियों के मोबाइल सिंगल भी भी गायब और बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई। क्षेत्रवासियों को पूरी रात अंधेरे में बितानी पड़ी। इस वजह से रात में लोग एक दूसरे संपर्क भी नहीं कर पाए। एक कंपनी का ही मोबाइल नेटवर्क काम कर रहा है। रामपुर से स्थानीय प्रशासन एसडीएम निशांत तोमर की अगुआई में आधी रात में ही घटना स्थल को रवाना हुआ। भारी बारिश से प्रभावित आधे क्षेत्र का तो जायजा ले लिया, लेकिन जिस जगह नाले की बाढ़ से भारी तबाही हुई, वहां प्रशासन सड़क टूटने की वजह से रात में नहीं पहुंच। अब तक कहीं से भी जान व माल के नुकसान की सूचना नहीं है। प्रशासन की टीम अभी घटनास्थल पर जाएगी और नुकसान का जायजा लेगी। रामपुर क्षेत्र के लोग इसलिए ज्यादा दहशत में आ गए क्योंकि 17 दिन पहले ही रामपुर के समेज खड्ड ने भारी तबाही मचाई और 36 लोग गांव समेत बह गए। DC-SP आधी रात में घटनास्थल पर पहुंचे बादल फटने की घटना के बाद देर रात ही डीसी शिमला अनुपम कश्यप और पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी भी नोगली पहुंचे। यहां पर उपायुक्त ने डमराली में फटे बादल से नाले में बढ़े पानी की स्थिति का जायजा लिया। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि इस घटना से अभी तक जान माल का नुकसान नहीं हुआ है। सुबह मौके का निरीक्षण करेंगे। जिला प्रशासन हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। किन्नौर का फिर कटा राजधानी से संपर्क उधर, किन्नौर को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-5 फिर से वाहनों के लिए बंद हो गया है। निगुलसरी में सड़क चार से पांच फीट नीचे धंस गई है। इससे पूरा जिला राजधानी शिमला से कट गया है। यहां पर 10 दिन से बार बार लैंडस्लाइड हो रहा है और इन 10 दिनों में मुश्किल से 25 घंटे हाईवे खुल पाया है। मगर बीती शाम को पूरी सड़क ही धंस गई है। इससे हाईवे के जल्द बहाल होने की उम्मीद नहीं है।
हिमाचल में मजबूत नेता के तौर उभरे सुक्खू:उप चुनाव के नतीजों ने बचाई CM की कुर्सी; पार्टी में अंदरुनी बगावत शांत
हिमाचल में मजबूत नेता के तौर उभरे सुक्खू:उप चुनाव के नतीजों ने बचाई CM की कुर्सी; पार्टी में अंदरुनी बगावत शांत हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए। मगर विधानसभा उप चुनाव में छह में से चार सीटों पर जीतकर सुक्खू मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं। इस जीत ने पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वरों पर विराम लगाया है। सरकार पर आया सियासी संकट भी टला है। यही वजह है कि दो रोज पहले कांग्रेस विधायक दल ने भी प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में भरोसा जाहिर किया और चट्टान की तरह मुख्यमंत्री के साथ खड़े होने का दावा किया। सुक्खू सरकार को आगामी 10 जुलाई को एक ओर इम्तिहान देना है। इस इम्तिहान में भी सबसे ज्यादा साख सीएम सुक्खू की दाव पर लगी हुई है, क्योंकि हमीरपुर और देहरा दो विधानसभा सीटें मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में पड़ती है। 2022 में इन सीटों पर कांग्रेस को मिली थी हार इन दोनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी और इस बार लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों से बीजेपी प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को बढ़त मिली है। अब इन सीटों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। देहरा और हमीरपुर के अलावा नालागढ़ में भी सरकार की परीक्षा होने वाली है। इन चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो हिमाचल से पूरे देश में कांग्रेस की मजबूती का संदेश जाएगा। 6 बागियों की बगावत भी काम नहीं आई राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस के छह बागी विधायकों की बगावत के बाद सरकार पर सियासी संकट टालना आसान नहीं था। उप चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो CM सुक्खू की कुर्सी खतरे में पड़ जाती। मगर अब 65 विधायकों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस के पास 5 विधायक ज्यादा हो गए हैं। यदि 10 जुलाई को प्रस्तावित तीनों सीटों पर कांग्रेस उप चुनाव हार भी जाती है तब भी कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत से तीन विधायक ज्यादा हो गए हैं। कांग्रेस के पास अभी 38 विधायक और भाजपा के पास 27 MLA है, जबकि तीन पर उप चुनाव चल रहा है। भविष्य में कोई विधायक बगावत की हिम्मत नहीं कर पाएगा: संजीव हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने बताया कि लोकसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस की हार हुई है। मगर विधानसभा उप चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन रहा। इससे कांग्रेस बहुमत में आ गई है। अब सरकार पर कोई खतरा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि जिस तरह छह विधायक अनसीट किए गए, उससे आगे भी कोई विधायक पार्टी छोड़ने या बगावत कि हिम्मत नहीं करेगा। बीजेपी ने भी अब हिमाचल सरकार बदलेगा, यह कहना छोड़ दिया है। लोकसभा में इसलिए हुई सुक्खू सरकार की किरकिरी लोकसभा चुनाव की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्यमंत्री की देशभर में किरकिरी हुई है, क्योंकि पूरे देश में जब I.N.D.I.A. गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में हिमाचल की सत्तारूढ़ कांग्रेस से गठबंधन को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी। मगर प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का सुपड़ा साफ किया है। आर्थिक मोर्चे पर घिरेंगे सुक्खू जानकारों की माने तो उप चुनाव के नतीजों से सरकार पर सियासी संकट तो टाल दिया है। मगर आर्थिक मोर्चे पर सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। प्रदेश सरकार पर लगभग 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों व पेंशनर के छठे वेतनमान के एरियर की देनदारी बकाया है। इस बीच सरकार ने 18 साल से अधिक आयु की सभी महिलाओं को 1500 रुपए देने की घोषणा और इसकी नोटिफिकेशन जारी कर रखी है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ ओर बढ़ेगा। मुख्यमंत्री सुक्खू के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों की सैलरी व पेंशनर की पेंशन देने और विकास कार्य निरंतर जारी रखने की होगी।