हिमाचल में लोगों पर भारी पटवारी-कानूनगो की हड़ताल:1.35 लाख से ज्यादा ऑनलाइन आवेदन पेंडिंग; आज काम पर नहीं लौटें तो गिरेगी निलंबन की गाज

हिमाचल में लोगों पर भारी पटवारी-कानूनगो की हड़ताल:1.35 लाख से ज्यादा ऑनलाइन आवेदन पेंडिंग; आज काम पर नहीं लौटें तो गिरेगी निलंबन की गाज

हिमाचल में पटवारी-कानूनगो की हड़ताल से लोग परेशान है। प्रदेश में लोगों के 1.30 लाख से ज्यादा ऑनलाइन आवेदन पेंडिंग हो गए है। मगर पटवारी-कानूनगो ने स्टेट कैडर बनाए जाने के विरोध में 15 दिन से ऑनलाइन सेवाएं ठप कर रखी हैं। छह दिन से एडिशनल चार्ज वाले पटवार और कानूनगो सर्कल दफ्तर का काम भी इन्होंने बंद कर दिया है। इससे लोगों के राजस्व से जुड़े जरूरी काम नहीं हो पा रहे। इस बीच राजस्व मंत्री जगत सिंह ने आज हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी और कानूनगो महासंघ के साथ मीटिंग बुलाई है। इसमें हड़ताल से समाधान की उम्मीद की जा रही है। महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि वह सरकार की हर मांग मानने को तैयार है। मगर अपने जिले से बाहर ट्रांसफर के लिए तैयार नहीं है और न ही स्टेट कॉडर की वजह से उनकी प्रमोशन प्रभावित हो। उन्होंने बताया कि उनकी यह मांगे मान ली जाती है तो हड़ताल वापस करने पर फैसला लेंगे। वहीं पटवारी-कानूनगो आज से काम पर नहीं लौटें तो इनके खिलाफ सस्पैंशन की कार्रवाई तय है, क्योंकि अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व डॉ. ओंकार शर्मा ने बीते वीरवार को ही एक ऑर्डर निकालकर इन्हें दो दिन के भीतर काम पर लौटने की चेतावनी दी है। ऐसा नहीं करने पर आज इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसे लेकर राजस्व सचिव ने सभी डीसी को आदेश दे रखे हैं। 12 जुलाई की कैबिनेट में लिया फैसला आपको बता दें कि बीते 12 जुलाई की कैबिनेट में हिमाचल सरकार ने पटवारी-कानूनगो को जिला से स्टेट कैडर बनाने का फैसला लिया है जबकि इनकी नियुक्ति जिला कैडर में हुई है। इनके भर्ती एवं पदोन्नति नियम भी जिला कैडर के है। कैबिनेट के फैसले के बाद महासंघ ने बीते 15 जुलाई से ऑनलाइन सेवाएं बंद कर दी है। यही नहीं इन्होंने सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप भी लेफ्ट कर दिए हैं। छह दिन पहले इन्होंने एडिशनल चार्ज वाले दफ्तरों की चाबियां भी संबंधित एसडीएम और तहसीलदार को सौंप दी है। 15 दिन से ये काम प्रभावित इनकी हड़ताल की वजह से बोनाफाइड सर्टिफिकेट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, कृषि प्रमाण पत्र, बेरोजगारी प्रमाण पत्र, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, पीएम किसान सम्मान निधि योजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग जैसे काम नहीं हो पा रहे हैं। हिमाचल में पटवारी-कानूनगो की हड़ताल से लोग परेशान है। प्रदेश में लोगों के 1.30 लाख से ज्यादा ऑनलाइन आवेदन पेंडिंग हो गए है। मगर पटवारी-कानूनगो ने स्टेट कैडर बनाए जाने के विरोध में 15 दिन से ऑनलाइन सेवाएं ठप कर रखी हैं। छह दिन से एडिशनल चार्ज वाले पटवार और कानूनगो सर्कल दफ्तर का काम भी इन्होंने बंद कर दिया है। इससे लोगों के राजस्व से जुड़े जरूरी काम नहीं हो पा रहे। इस बीच राजस्व मंत्री जगत सिंह ने आज हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी और कानूनगो महासंघ के साथ मीटिंग बुलाई है। इसमें हड़ताल से समाधान की उम्मीद की जा रही है। महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि वह सरकार की हर मांग मानने को तैयार है। मगर अपने जिले से बाहर ट्रांसफर के लिए तैयार नहीं है और न ही स्टेट कॉडर की वजह से उनकी प्रमोशन प्रभावित हो। उन्होंने बताया कि उनकी यह मांगे मान ली जाती है तो हड़ताल वापस करने पर फैसला लेंगे। वहीं पटवारी-कानूनगो आज से काम पर नहीं लौटें तो इनके खिलाफ सस्पैंशन की कार्रवाई तय है, क्योंकि अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व डॉ. ओंकार शर्मा ने बीते वीरवार को ही एक ऑर्डर निकालकर इन्हें दो दिन के भीतर काम पर लौटने की चेतावनी दी है। ऐसा नहीं करने पर आज इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसे लेकर राजस्व सचिव ने सभी डीसी को आदेश दे रखे हैं। 12 जुलाई की कैबिनेट में लिया फैसला आपको बता दें कि बीते 12 जुलाई की कैबिनेट में हिमाचल सरकार ने पटवारी-कानूनगो को जिला से स्टेट कैडर बनाने का फैसला लिया है जबकि इनकी नियुक्ति जिला कैडर में हुई है। इनके भर्ती एवं पदोन्नति नियम भी जिला कैडर के है। कैबिनेट के फैसले के बाद महासंघ ने बीते 15 जुलाई से ऑनलाइन सेवाएं बंद कर दी है। यही नहीं इन्होंने सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप भी लेफ्ट कर दिए हैं। छह दिन पहले इन्होंने एडिशनल चार्ज वाले दफ्तरों की चाबियां भी संबंधित एसडीएम और तहसीलदार को सौंप दी है। 15 दिन से ये काम प्रभावित इनकी हड़ताल की वजह से बोनाफाइड सर्टिफिकेट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, कृषि प्रमाण पत्र, बेरोजगारी प्रमाण पत्र, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, पीएम किसान सम्मान निधि योजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग जैसे काम नहीं हो पा रहे हैं।   हिमाचल | दैनिक भास्कर