हिमाचल में श्रीखंड यात्रा में गए युवक की मौत:पैर फिसलने से खाई में गिरा, लंगर सेवा करने आया; 5 साल की बेटी, पत्नी गर्भवती

हिमाचल में श्रीखंड यात्रा में गए युवक की मौत:पैर फिसलने से खाई में गिरा, लंगर सेवा करने आया; 5 साल की बेटी, पत्नी गर्भवती

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मशहूर श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान लंगर सेवा के लिए जा रहे एक सेवादार की पहाड़ी से गिरकर मौत हो गई। मृतक की पहचान रामपुर के रहने वाले सिद्धार्थ शर्मा (31) के रूप में हुई है। सिद्धार्थ को शुक्रवार शाम को ही रामपुर के खनेरी अस्पताल से IGMC शिमला रेफर किया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया। सिद्धार्थ शर्मा अपने पीछे 5 साल की बेटी, गर्भवती पत्नी, माता-पिता और बहन को छोड़ गए हैं। परिजनों का घर पर रो रोकर बुरा हाल है। परिवार के मुताबिक सिद्धार्थ शर्मा श्रीखंड यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए लंगर सेवा के लिए घर से निकला था। सामान ले जाते वक्त गुरुवार दोपहर चढ़ाई चढ़ते वक्त बराहटी नाला के समीप पैर फिसलने के बाद करीब 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद सिद्धार्थ को सिंहगाड बेस कैंप तक पहुंचाया गया। यहां से गुरुवार रात करीब ढाई बजे उसे घायल अवस्था में निरमंड अस्पताल लाया गया। हालत खराब होने की वजह से डॉक्टरों ने उसे खनेरी अस्पताल भेज दिया। यहां भी जब सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ तो शिमला IGMC रेफर किया गया। यहां उनकी मौत हो गई। पहले 4 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी बीते डेढ़ महीने में श्रीखंड यात्रा के दौरान यह पांचवें व्यक्ति की मौत हो गई है। चार श्रद्धालुओं की जान आधिकारिक यात्रा शुरू होने से पहले गई है। निरमंड पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। रामपुर में दुकान चलाता था सिद्धार्थ परिवार के मुताबिक सिद्धार्थ शर्मा रामपुर बाजार में दुकान चलाता था। वह रामपुर की एक समिति का भी सदस्य है। यह समिति हर साल श्रीखंड यात्रा के दौरान लंगर सेवा करती है। सिद्धार्थ सहित समिति के दूसरे सदस्य गुरुवार को लंगर के लिए सामान लेकर जा रहे था। इस दौरान सिद्धार्थ के साथ यह हादसा हो गया। 27 जुलाई तक चलेगी श्रीखंड यात्रा श्रीखंड यात्रा 14 जुलाई से शुरू हुई थी और 27 जुलाई तक चलेगी। श्रीखंड में महादेव रूप पिंडी समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर है। इस वजह से यात्रा को दुनिया की सबसे खतरनाक ट्रैकिंग वाली धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है। श्रीखंड पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर के संकरे व खतरनाक रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है। इस दौरान उन्हें बर्फ के 4 ग्लेशियर और चट्‌टाननुमा पहाड़ियां पार करनी पड़ती हैं। यही नहीं ढांक (खाई के ऊपर खड़ी पहाड़ी) से भी गुजरना पड़ता है। इस दौरान यहां ऑक्सीजन की भी कमी की दिक्कत होती है। खासकर, यात्रा के मार्ग में पार्वती बाग के आगे कुछ इलाकों में यह परेशानी ज्यादा होती है। ऐसी सूरत में श्रद्धालुओं को इलाज या फिर वापस नीचे उतारना पड़ जाता है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रहता है। कैसे पहुंचे श्रीखंड श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओ तक गाड़ियों व बस में पहुंच सकते हैं। शिमला से रामपुर की दूरी 130 किमी, रामपुरा से निरमंड 17 किमी, निरमंड से बागीपुल 17 किमी और बागीपुल से जाओ की दूरी 12 किमी है। यहां से आगे 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। श्रीखंड यात्रा को लेकर प्रशासन की तैयारियां…. 1. 5 जगह बेस कैंप, यहां स्वास्थ्य जांच के बाद आगे जाने की इजाजत यात्रा की कठिनाई को लेकर प्रशासन भी अलर्ट मोड पर रहता है। श्रीखंड ट्रस्ट समिति और कुल्लू जिला प्रशासन ने यात्रा के रास्तों पर 5 जगह बेस कैंप बनाए गए हैं। पहला बेस कैंप सिंहगड़ है। इसके बाद थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में बेस कैंप बनाए गए हैं। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी या इंचार्ज के अलावा मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें भी तैनात की गई हैं। यहां दवाओं और ऑक्सीजन की भी व्यवस्था रहती है। जहां स्वास्थ्य जांच के बाद ही श्रद्धालुओं को आगे भेजा जाएगा। यहां ठहरने व खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है। ठहरने के लिए प्राइवेट टैंट तथा खाने के लिए ट्रस्ट द्वारा जगह-जगह लंगर लगाए गए हैं। 2. पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट तैनात इस यात्रा में पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट को पार्वती बाग में तैनात किया गया है, क्योंकि संकरे रास्ते की वजह से इस यात्रा के दौरान कई बार हादसे हो जाते हैं। खासकर बरसात की वजह से इस यात्रा में बाधा आती है। 3. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बनाया किसी भी श्रद्धालु को बिना पंजीकरण के श्रीखंड नहीं भेजा जा रहा। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया गया है। ऑफलाइन भी इसके लिए पंजीकरण किया जा रहा है। पंजीकरण की फीस 250 रुपए रखी गई है। श्रीखंड यात्रा के लिए आए श्रद्धालुओं की रजिस्ट्रेशन की जांच करते पुलिसकर्मी। इसके बाद यहां से उन्हें पैदल आगे बढ़ने की परमिशन दी जाती है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मशहूर श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान लंगर सेवा के लिए जा रहे एक सेवादार की पहाड़ी से गिरकर मौत हो गई। मृतक की पहचान रामपुर के रहने वाले सिद्धार्थ शर्मा (31) के रूप में हुई है। सिद्धार्थ को शुक्रवार शाम को ही रामपुर के खनेरी अस्पताल से IGMC शिमला रेफर किया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया। सिद्धार्थ शर्मा अपने पीछे 5 साल की बेटी, गर्भवती पत्नी, माता-पिता और बहन को छोड़ गए हैं। परिजनों का घर पर रो रोकर बुरा हाल है। परिवार के मुताबिक सिद्धार्थ शर्मा श्रीखंड यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए लंगर सेवा के लिए घर से निकला था। सामान ले जाते वक्त गुरुवार दोपहर चढ़ाई चढ़ते वक्त बराहटी नाला के समीप पैर फिसलने के बाद करीब 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद सिद्धार्थ को सिंहगाड बेस कैंप तक पहुंचाया गया। यहां से गुरुवार रात करीब ढाई बजे उसे घायल अवस्था में निरमंड अस्पताल लाया गया। हालत खराब होने की वजह से डॉक्टरों ने उसे खनेरी अस्पताल भेज दिया। यहां भी जब सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ तो शिमला IGMC रेफर किया गया। यहां उनकी मौत हो गई। पहले 4 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी बीते डेढ़ महीने में श्रीखंड यात्रा के दौरान यह पांचवें व्यक्ति की मौत हो गई है। चार श्रद्धालुओं की जान आधिकारिक यात्रा शुरू होने से पहले गई है। निरमंड पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। रामपुर में दुकान चलाता था सिद्धार्थ परिवार के मुताबिक सिद्धार्थ शर्मा रामपुर बाजार में दुकान चलाता था। वह रामपुर की एक समिति का भी सदस्य है। यह समिति हर साल श्रीखंड यात्रा के दौरान लंगर सेवा करती है। सिद्धार्थ सहित समिति के दूसरे सदस्य गुरुवार को लंगर के लिए सामान लेकर जा रहे था। इस दौरान सिद्धार्थ के साथ यह हादसा हो गया। 27 जुलाई तक चलेगी श्रीखंड यात्रा श्रीखंड यात्रा 14 जुलाई से शुरू हुई थी और 27 जुलाई तक चलेगी। श्रीखंड में महादेव रूप पिंडी समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर है। इस वजह से यात्रा को दुनिया की सबसे खतरनाक ट्रैकिंग वाली धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है। श्रीखंड पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर के संकरे व खतरनाक रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है। इस दौरान उन्हें बर्फ के 4 ग्लेशियर और चट्‌टाननुमा पहाड़ियां पार करनी पड़ती हैं। यही नहीं ढांक (खाई के ऊपर खड़ी पहाड़ी) से भी गुजरना पड़ता है। इस दौरान यहां ऑक्सीजन की भी कमी की दिक्कत होती है। खासकर, यात्रा के मार्ग में पार्वती बाग के आगे कुछ इलाकों में यह परेशानी ज्यादा होती है। ऐसी सूरत में श्रद्धालुओं को इलाज या फिर वापस नीचे उतारना पड़ जाता है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रहता है। कैसे पहुंचे श्रीखंड श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओ तक गाड़ियों व बस में पहुंच सकते हैं। शिमला से रामपुर की दूरी 130 किमी, रामपुरा से निरमंड 17 किमी, निरमंड से बागीपुल 17 किमी और बागीपुल से जाओ की दूरी 12 किमी है। यहां से आगे 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। श्रीखंड यात्रा को लेकर प्रशासन की तैयारियां…. 1. 5 जगह बेस कैंप, यहां स्वास्थ्य जांच के बाद आगे जाने की इजाजत यात्रा की कठिनाई को लेकर प्रशासन भी अलर्ट मोड पर रहता है। श्रीखंड ट्रस्ट समिति और कुल्लू जिला प्रशासन ने यात्रा के रास्तों पर 5 जगह बेस कैंप बनाए गए हैं। पहला बेस कैंप सिंहगड़ है। इसके बाद थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में बेस कैंप बनाए गए हैं। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी या इंचार्ज के अलावा मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें भी तैनात की गई हैं। यहां दवाओं और ऑक्सीजन की भी व्यवस्था रहती है। जहां स्वास्थ्य जांच के बाद ही श्रद्धालुओं को आगे भेजा जाएगा। यहां ठहरने व खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है। ठहरने के लिए प्राइवेट टैंट तथा खाने के लिए ट्रस्ट द्वारा जगह-जगह लंगर लगाए गए हैं। 2. पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट तैनात इस यात्रा में पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट को पार्वती बाग में तैनात किया गया है, क्योंकि संकरे रास्ते की वजह से इस यात्रा के दौरान कई बार हादसे हो जाते हैं। खासकर बरसात की वजह से इस यात्रा में बाधा आती है। 3. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बनाया किसी भी श्रद्धालु को बिना पंजीकरण के श्रीखंड नहीं भेजा जा रहा। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया गया है। ऑफलाइन भी इसके लिए पंजीकरण किया जा रहा है। पंजीकरण की फीस 250 रुपए रखी गई है। श्रीखंड यात्रा के लिए आए श्रद्धालुओं की रजिस्ट्रेशन की जांच करते पुलिसकर्मी। इसके बाद यहां से उन्हें पैदल आगे बढ़ने की परमिशन दी जाती है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर