हिमाचल प्रदेश में ट्रेजरी 83 दिन से बंद पड़ी है। इससे PWD और जल शक्ति विभाग के ठेकेदारों को पेमेंट का भुगतान नहीं हो रहा। कई कॉन्ट्रेक्टर ने काम बंद कर दिए है। सरकार के पास लगभग 920 करोड़ की पेमेंट पेंडिंग बताई जा रही है। आर्थिक संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार ने 21 नवंबर से ट्रेजरी में होल्ड लगा रखा है। इस वजह से लोक निर्माण और जल शक्ति विभाग द्वारा बिल क्लियर करने के बावजूद ठेकेदारों को पेमेंट नहीं दी जा रही। पेमेंट नहीं मिलने पर ठेकेदार ने उठाया BDO ऑफिस का फर्नीचर कुल्लू में पेमेंट नहीं मिलने पर एक ठेकेदार BDO ऑफिस बंजार का वह फर्नीचर ही उठाकर चला गया, जो उसने छह महीने पहले लगाया था। पेमेंट नहीं मिलने से दुखी ठेकेदार ने पूरा फर्नीचर ही उठा दिया। ठेकेदार ने बार बार पेमेंट देने का आग्रह किया, लेकिन जब पेमेंट नहीं मिली तो वह फर्नीचर ही अपने घर ले गया। 10 हजार कॉन्ट्रेक्टर परेशान ठीक ऐसे ही प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा PWD और जल शक्ति विभाग के कॉन्ट्रेक्टर भी परेशान है। खासकर छोटे व नया काम शुरू करने वाले कॉन्ट्रेक्टर ने तो काम ही बंद कर दिए है,क्योंकि ये लोग मजदूरों व स्टाफ की दिहाड़ी नहीं दे पा रहे हैं। जो नगदी इनके पास मौजूद है, उसे पहले ही काम में लगा चुके है। डिपॉजिट वर्क में भी पेमेंट नहीं आलम यह है कि डिपोजिट वर्क की भी पेमेंट नहीं दी जा रही। लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति महकमा दोनों किसी भी काम के बिल बनाकर ट्रेजरी के लिए भेज रहे है। मगर ट्रेजरी से ठेकेदारों को पेमेंट नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने दो सप्ताह पहले 80 करोड़ रुपए की पेमेंट जरूर रिलीज करवाई है। मगर उससे छोटी-छोटी पेमेंट का ही भुगतान किया जा सका है। ट्रेजरी से जल्द हटाया जाए होल्ड: विज हिमाचल कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश विज ने बताया कि ट्रेजरी में होल्ड की वजह से स्टाफ व मजदूरों की पेमेंट देना, बैंक के कर्ज की किश्त चुकाना और नए काम कर पाना मुश्किल हो गया है। सरकार से आग्रह है कि ट्रेजरी से होल्ड हटाकर ठेकेदारों की पेमेंट का भुगतान किया जाए। इस वजह से मुश्किल में सरकार बता दें कि हिमाचल सरकार पर 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। लगभग 9000 करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इसके विपरीत केंद्र से मिलने वाली मदद हर साल कम हो रही है। राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा को भी केंद्र सरकार ने कम किया है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट जो पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा थी, वह घटकर लगभग 6200 करोड़ रह गई है। अगले वित्त वर्ष में यह 3257 करोड़ रह जाएगी। GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर हर साल मिलने वाले लगभग 3000 करोड़ भी बंद कर दिए है। इससे राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। NPS के बदले मिलने वाला लगभग 1500 करोड़ का लोन भी बंद कर दिया है। अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर खर्च हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में ट्रेजरी 83 दिन से बंद पड़ी है। इससे PWD और जल शक्ति विभाग के ठेकेदारों को पेमेंट का भुगतान नहीं हो रहा। कई कॉन्ट्रेक्टर ने काम बंद कर दिए है। सरकार के पास लगभग 920 करोड़ की पेमेंट पेंडिंग बताई जा रही है। आर्थिक संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार ने 21 नवंबर से ट्रेजरी में होल्ड लगा रखा है। इस वजह से लोक निर्माण और जल शक्ति विभाग द्वारा बिल क्लियर करने के बावजूद ठेकेदारों को पेमेंट नहीं दी जा रही। पेमेंट नहीं मिलने पर ठेकेदार ने उठाया BDO ऑफिस का फर्नीचर कुल्लू में पेमेंट नहीं मिलने पर एक ठेकेदार BDO ऑफिस बंजार का वह फर्नीचर ही उठाकर चला गया, जो उसने छह महीने पहले लगाया था। पेमेंट नहीं मिलने से दुखी ठेकेदार ने पूरा फर्नीचर ही उठा दिया। ठेकेदार ने बार बार पेमेंट देने का आग्रह किया, लेकिन जब पेमेंट नहीं मिली तो वह फर्नीचर ही अपने घर ले गया। 10 हजार कॉन्ट्रेक्टर परेशान ठीक ऐसे ही प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा PWD और जल शक्ति विभाग के कॉन्ट्रेक्टर भी परेशान है। खासकर छोटे व नया काम शुरू करने वाले कॉन्ट्रेक्टर ने तो काम ही बंद कर दिए है,क्योंकि ये लोग मजदूरों व स्टाफ की दिहाड़ी नहीं दे पा रहे हैं। जो नगदी इनके पास मौजूद है, उसे पहले ही काम में लगा चुके है। डिपॉजिट वर्क में भी पेमेंट नहीं आलम यह है कि डिपोजिट वर्क की भी पेमेंट नहीं दी जा रही। लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति महकमा दोनों किसी भी काम के बिल बनाकर ट्रेजरी के लिए भेज रहे है। मगर ट्रेजरी से ठेकेदारों को पेमेंट नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने दो सप्ताह पहले 80 करोड़ रुपए की पेमेंट जरूर रिलीज करवाई है। मगर उससे छोटी-छोटी पेमेंट का ही भुगतान किया जा सका है। ट्रेजरी से जल्द हटाया जाए होल्ड: विज हिमाचल कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश विज ने बताया कि ट्रेजरी में होल्ड की वजह से स्टाफ व मजदूरों की पेमेंट देना, बैंक के कर्ज की किश्त चुकाना और नए काम कर पाना मुश्किल हो गया है। सरकार से आग्रह है कि ट्रेजरी से होल्ड हटाकर ठेकेदारों की पेमेंट का भुगतान किया जाए। इस वजह से मुश्किल में सरकार बता दें कि हिमाचल सरकार पर 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। लगभग 9000 करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इसके विपरीत केंद्र से मिलने वाली मदद हर साल कम हो रही है। राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा को भी केंद्र सरकार ने कम किया है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट जो पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा थी, वह घटकर लगभग 6200 करोड़ रह गई है। अगले वित्त वर्ष में यह 3257 करोड़ रह जाएगी। GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर हर साल मिलने वाले लगभग 3000 करोड़ भी बंद कर दिए है। इससे राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। NPS के बदले मिलने वाला लगभग 1500 करोड़ का लोन भी बंद कर दिया है। अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर खर्च हो रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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