हिमाचल प्रदेश विधानसभा में तीसरे दिन सदन में नई आबकारी नीति व नीलामी को लेकर बवाल हो गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन का वॉक आउट कर दिया। भाजपा विधायकों रणधीर शर्मा ,सुरेंद्र शौरी और डीएस ठाकुर ने विधानसभा में शराब के ठेकों के नीलामी हेतु रिजर्व धनराशि को लेकर विधानसभा में प्रश्न पूछा था। तीनों विधायकों की और से प्रश्नकाल के दौरान रणधीर शर्मा ने चर्चा में हिस्सा लिया है। रणधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार द्वारा लाई गई नई शराब नीति में महा-घोटाले की बू आ रही है। प्रदेश सरकार ने ठेकों की नीलामी के दौरान सरकार द्वारा शराब के रखे गए रिजर्व प्राइस से भी कम दामों पर बेची है। चहते ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रही सरकार रणधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 5 जिलों जिनमे शिमला ,कांगड़ा , ऊना ,नूरपुर और चंबा शामिल है। जहां पर रिजर्व प्राइस से कम दामों पर शराब की नीलामी हुई है । इसके अलावा कई ऐसे जिले है जहां रिजर्व प्राइस पर शराब की नीलामी हुई है। विधायक ने कहा कि सरकार ने अपने चहते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के विभिन्न जिलों में यूनिट की संख्या को कम किया गया है। प्रदेश में कई जिलों में जहां 5 – यूनिट नीलामी में हिस्सा लेती थी वहां पर एक ही यूनिट को शामिल किया गया है। जिससे साफ होता है शराब नीति में घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इसकी न्यायिक जांच करवानी चाइए। आत्म निर्भरता की तरफ बढ़ रहे आगे- सीएम सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार प्राथमिकता के आधार पर पारदर्शिता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश के खजाने को लुटाया है। उनकी सरकार व्यवस्था परिवर्तन करके प्रदेश को आत्म निर्भरता के तरफ आगे बढ़ा रहे है। सरकार ने एक साल में जुटाए 485.18 करोड़ रणधीर शर्मा के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चार सालों में शराब से 485.15 करोड़ राजस्व जुटाया जबकि उनकी नई नीति ने एक साल में उसमे 450 करोड़ की बढ़त हुई है। उन्होने कहा कि भाजपा के राज सरकार ने पूरे पांच साल में 665.42 करोड़ का राजस्व जुटाया। जबकि कांग्रेस सरकार ने एक साल में 485.18 करोड़ जुटा लिए है। वहीं रिजर्व प्राइस से कम दाम पर बेचने वाले आरोप पर मुख्य मंत्री ने कहा कि शराब का रिजर्व प्राइस बीते वर्ष को देखकर रखती है। उन्होंने कहा कि यह बीते वर्ष के आंकड़ों 7 से 8 % कम या ज्यादा हो सकता है । सीएम सुक्खू ने आगे कहा कि जहाँ उन्होंने रिजर्व प्राइस से कम भेचने का आरोप लगाया है उनमें से ऊना में 7 बार ,नूरपुर में 7 बार , शिमला में 9 बार निलामी हुई लेकिन कोई खरीदार नही मिला। इसलिए दामो को कम करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष भी सरकार को नई नीति से लाभ हुआ था और इस साल भी लाभ होने का अनुमान है हिमाचल प्रदेश विधानसभा में तीसरे दिन सदन में नई आबकारी नीति व नीलामी को लेकर बवाल हो गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन का वॉक आउट कर दिया। भाजपा विधायकों रणधीर शर्मा ,सुरेंद्र शौरी और डीएस ठाकुर ने विधानसभा में शराब के ठेकों के नीलामी हेतु रिजर्व धनराशि को लेकर विधानसभा में प्रश्न पूछा था। तीनों विधायकों की और से प्रश्नकाल के दौरान रणधीर शर्मा ने चर्चा में हिस्सा लिया है। रणधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार द्वारा लाई गई नई शराब नीति में महा-घोटाले की बू आ रही है। प्रदेश सरकार ने ठेकों की नीलामी के दौरान सरकार द्वारा शराब के रखे गए रिजर्व प्राइस से भी कम दामों पर बेची है। चहते ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रही सरकार रणधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 5 जिलों जिनमे शिमला ,कांगड़ा , ऊना ,नूरपुर और चंबा शामिल है। जहां पर रिजर्व प्राइस से कम दामों पर शराब की नीलामी हुई है । इसके अलावा कई ऐसे जिले है जहां रिजर्व प्राइस पर शराब की नीलामी हुई है। विधायक ने कहा कि सरकार ने अपने चहते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के विभिन्न जिलों में यूनिट की संख्या को कम किया गया है। प्रदेश में कई जिलों में जहां 5 – यूनिट नीलामी में हिस्सा लेती थी वहां पर एक ही यूनिट को शामिल किया गया है। जिससे साफ होता है शराब नीति में घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इसकी न्यायिक जांच करवानी चाइए। आत्म निर्भरता की तरफ बढ़ रहे आगे- सीएम सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार प्राथमिकता के आधार पर पारदर्शिता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश के खजाने को लुटाया है। उनकी सरकार व्यवस्था परिवर्तन करके प्रदेश को आत्म निर्भरता के तरफ आगे बढ़ा रहे है। सरकार ने एक साल में जुटाए 485.18 करोड़ रणधीर शर्मा के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चार सालों में शराब से 485.15 करोड़ राजस्व जुटाया जबकि उनकी नई नीति ने एक साल में उसमे 450 करोड़ की बढ़त हुई है। उन्होने कहा कि भाजपा के राज सरकार ने पूरे पांच साल में 665.42 करोड़ का राजस्व जुटाया। जबकि कांग्रेस सरकार ने एक साल में 485.18 करोड़ जुटा लिए है। वहीं रिजर्व प्राइस से कम दाम पर बेचने वाले आरोप पर मुख्य मंत्री ने कहा कि शराब का रिजर्व प्राइस बीते वर्ष को देखकर रखती है। उन्होंने कहा कि यह बीते वर्ष के आंकड़ों 7 से 8 % कम या ज्यादा हो सकता है । सीएम सुक्खू ने आगे कहा कि जहाँ उन्होंने रिजर्व प्राइस से कम भेचने का आरोप लगाया है उनमें से ऊना में 7 बार ,नूरपुर में 7 बार , शिमला में 9 बार निलामी हुई लेकिन कोई खरीदार नही मिला। इसलिए दामो को कम करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष भी सरकार को नई नीति से लाभ हुआ था और इस साल भी लाभ होने का अनुमान है हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली
हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है।
HPTDC के होटलों में 40% तक डिस्काउंट:15 जुलाई से दो महीने तक ऑफर; मिंजर मेले के दौरान तीन होटलों में नहीं मिलेगी छूट
HPTDC के होटलों में 40% तक डिस्काउंट:15 जुलाई से दो महीने तक ऑफर; मिंजर मेले के दौरान तीन होटलों में नहीं मिलेगी छूट राज्य सरकार के उपक्रम हिमाचल प्रदेश टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (HPTDC) ने अपने होटलों में मानसून डिस्काउंट का ऐलान कर दिया है। समर टूरिस्ट सीजन खत्म होते ही HPTDC ने 20 से 40 प्रतिशत छूट की घोषणा की है। देशभर से हिमाचल के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आने के इच्छुक पर्यटक अगले दो महीने तक इस छूट का फायदा उठा सकेंगे। यह छूट 13 सितंबर 2024 तक मिलती रहेगी। इसे लेकर HPTDC ने लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। मिंजर मेले के दौरान इन होटलों में छूट नहीं 28 जुलाई से 4 अगस्त तक चंबा में लगने वाले मिंजर मेले के दौरान चंबा के होटल इरावली, होटल चंपक और होटल गौरीकुंड भरमौर में छूट नहीं मिलेगी। इसी तरह 17 अगस्त से 15 सितंबर के बीच मणिमहेश यात्रा के दौरान भी छूट का फायदा नहीं मिलेगा। यहां देखे HPTDC के किस होटल में कितनी छूट..