हिमाचल हाईकोर्ट में राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज से बहस शुरू होगी। प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी ने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची सिस्टम से विजय घोषित करने के नियम को चुनौती दे रखी है। इस केस में पिछले कल ही कोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने 3 सितंबर को तेलंगाना में राज्यसभा चुनाव के दृष्टिगत इस मामले की सुनवाई टालने का आग्रह किया था। हर्ष महाजन ने कोर्ट में एप्लिकेशन देकर कहा, अभिषेक मनु सिंघवी तेलंगाना से राज्यसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसका हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे केस में असर पड़ेगा। इसलिए इस केस की सुनवाई को डैफर किया जाए। मगर कोर्ट ने महाजन की इस अर्जी को अस्वीकार करते हुए आज से बहस शुरू करने को कहा है। दरअसल, कांग्रेस हाईकमान अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस तेलंगाना से राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है। 3 सितंबर को तेलंगाना में राज्यसभा चुनाव है। इसकी आड़ में हर्ष महाजन ने अदालत में अर्जी देकर केस को डैफर करने का आग्रह किया था। सिंघवी ने दायर की थी याचिका बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि दो प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फॉर्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला बराबरी पर होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलेक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला बराबर होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे। हिमाचल हाईकोर्ट में राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज से बहस शुरू होगी। प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी ने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची सिस्टम से विजय घोषित करने के नियम को चुनौती दे रखी है। इस केस में पिछले कल ही कोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने 3 सितंबर को तेलंगाना में राज्यसभा चुनाव के दृष्टिगत इस मामले की सुनवाई टालने का आग्रह किया था। हर्ष महाजन ने कोर्ट में एप्लिकेशन देकर कहा, अभिषेक मनु सिंघवी तेलंगाना से राज्यसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसका हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे केस में असर पड़ेगा। इसलिए इस केस की सुनवाई को डैफर किया जाए। मगर कोर्ट ने महाजन की इस अर्जी को अस्वीकार करते हुए आज से बहस शुरू करने को कहा है। दरअसल, कांग्रेस हाईकमान अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस तेलंगाना से राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है। 3 सितंबर को तेलंगाना में राज्यसभा चुनाव है। इसकी आड़ में हर्ष महाजन ने अदालत में अर्जी देकर केस को डैफर करने का आग्रह किया था। सिंघवी ने दायर की थी याचिका बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि दो प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फॉर्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला बराबरी पर होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलेक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला बराबर होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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