राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक अशोक सैनी को भाजपा ने हिसार का जिला अध्यक्ष बनाया है। अशोक सैनी एक महीने पहले ही आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए थे। यह शिविर 20 दिनों का था। अशोक सैनी पेशे से व्यवसायी हैं। वे भाजपा में जिले के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। इसके अलावा वे पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश सचिव भी रह चुके हैं। अशोक सैनी की मां रोशनी देवी हांसी के सैनीपुरा गांव की सरपंच रह चुकी हैं और उनके पिता पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। वहीं, भाजपा ने पूर्व जिला अध्यक्ष आशा खेदड़ को महज 7 महीने में ही विदाई दे दी है। आशा खेदड़ को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी की जिले की कमान सौंपी गई थी। लेकिन वे पार्टी में खुद को बेहतर नहीं दिखा पाईं। आशा खेदड़ ने आज तक हिसार के सभी 22 मंडलों का दौरा नहीं किया है। लोकसभा चुनाव में भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र उकलाना में निष्क्रिय रहीं। यहां से भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला बुरी तरह पिछड़ गए। आशा खेदड़ ने रणजीत चौटाला का एक भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। यही कारण था कि रणजीत चौटाला ने भी अपनी रिपोर्ट में हार के लिए जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया था। आशा खेदड़ की आंतरिक रिपोर्ट खराब भाजपा सूत्रों के अनुसार पूर्व जिला अध्यक्ष सिर्फ फोटो सेशन तक ही सीमित थीं। पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनकी कोई पकड़ नहीं थी। वह अपने पति से सलाह मशविरा करने के बाद ही राजनीतिक फैसले ले रही थीं। भाजपा हाईकमान को यह रिपोर्ट लगातार मिल रही थी। आशा खेदड़ लंबे समय से पार्टी संगठन के लिए काम कर रही हैं और विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं। वह दो बार जिला महासचिव रह चुकी हैं। जिला अध्यक्ष बनने से पहले उनके पास प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी थी। वह हिसार के उकलाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं। आशा खेदड़ को सुभाष बराला की टीम का सदस्य माना जाता है। अशोक सैनी के जरिए 20.09% आबादी को साधने की कोशिश अशोक सैनी की नियुक्ति हिसार बीजेपी के लिए अहम मानी जा रही है। बीजेपी हिसार में ओबीसी वोटरों पर पूरी पकड़ बनाना चाहती है। हिसार में ओबीसी आबादी 20.09% है। अकेले सैनी समुदाय के 58 हजार वोटर हैं। जो हिसार और हांसी विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हिसार में ओबीसी आबादी वोटरों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। हिसार में जाट वोटर सबसे ज्यादा हैं। ये कुल का 32 फीसदी हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के वोटर करीब 23 फीसदी आबादी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। इनमें 1 लाख 20 हजार ब्राह्मण, 96 हजार पंजाबी, 84 हजार कुम्हार, 62 हजार वैश्य, 58 हजार सैनी, 51 हजार बिश्नोई, 52 हजार जांगड़ा, 35 हजार ओड, 32 हजार अहीर, 28 हजार सैन, 21 हजार गुर्जर, 17 हजार नायक, 17 हजार लोहार, 14 हजार सुनार तथा करीब साढ़े 10 हजार सिंधी मतदाता हैं। सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में बढ़ा जनाधार जिला अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश महासचिव रहे सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में 2019 में भाजपा ने हिसार में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके नेतृत्व में पार्टी का जनाधार हिसार में बढ़ा और विधानसभा से लेकर हिसार शहर में मेयर चुनाव तक में जीत हासिल की। इसके अलावा हांसी और नलवा में जीत हासिल की। इसके बाद 2020 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद कैप्टन भूपेंद्र को कमान सौंपी गई लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। वे पार्टी को पूरी तरह संगठित नहीं कर पाए। इसके बाद 2024 में आशा खेदड़ को पार्टी की कमान सौंपी गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक अशोक सैनी को भाजपा ने हिसार का जिला अध्यक्ष बनाया है। अशोक सैनी एक महीने पहले ही आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए थे। यह शिविर 20 दिनों का था। अशोक सैनी पेशे से व्यवसायी हैं। वे भाजपा में जिले के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। इसके अलावा वे पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश सचिव भी रह चुके हैं। अशोक सैनी की मां रोशनी देवी हांसी के सैनीपुरा गांव की सरपंच रह चुकी हैं और उनके पिता पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। वहीं, भाजपा ने पूर्व जिला अध्यक्ष आशा खेदड़ को महज 7 महीने में ही विदाई दे दी है। आशा खेदड़ को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी की जिले की कमान सौंपी गई थी। लेकिन वे पार्टी में खुद को बेहतर नहीं दिखा पाईं। आशा खेदड़ ने आज तक हिसार के सभी 22 मंडलों का दौरा नहीं किया है। लोकसभा चुनाव में भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र उकलाना में निष्क्रिय रहीं। यहां से भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला बुरी तरह पिछड़ गए। आशा खेदड़ ने रणजीत चौटाला का एक भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। यही कारण था कि रणजीत चौटाला ने भी अपनी रिपोर्ट में हार के लिए जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया था। आशा खेदड़ की आंतरिक रिपोर्ट खराब भाजपा सूत्रों के अनुसार पूर्व जिला अध्यक्ष सिर्फ फोटो सेशन तक ही सीमित थीं। पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनकी कोई पकड़ नहीं थी। वह अपने पति से सलाह मशविरा करने के बाद ही राजनीतिक फैसले ले रही थीं। भाजपा हाईकमान को यह रिपोर्ट लगातार मिल रही थी। आशा खेदड़ लंबे समय से पार्टी संगठन के लिए काम कर रही हैं और विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं। वह दो बार जिला महासचिव रह चुकी हैं। जिला अध्यक्ष बनने से पहले उनके पास प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी थी। वह हिसार के उकलाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं। आशा खेदड़ को सुभाष बराला की टीम का सदस्य माना जाता है। अशोक सैनी के जरिए 20.09% आबादी को साधने की कोशिश अशोक सैनी की नियुक्ति हिसार बीजेपी के लिए अहम मानी जा रही है। बीजेपी हिसार में ओबीसी वोटरों पर पूरी पकड़ बनाना चाहती है। हिसार में ओबीसी आबादी 20.09% है। अकेले सैनी समुदाय के 58 हजार वोटर हैं। जो हिसार और हांसी विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हिसार में ओबीसी आबादी वोटरों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। हिसार में जाट वोटर सबसे ज्यादा हैं। ये कुल का 32 फीसदी हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के वोटर करीब 23 फीसदी आबादी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। इनमें 1 लाख 20 हजार ब्राह्मण, 96 हजार पंजाबी, 84 हजार कुम्हार, 62 हजार वैश्य, 58 हजार सैनी, 51 हजार बिश्नोई, 52 हजार जांगड़ा, 35 हजार ओड, 32 हजार अहीर, 28 हजार सैन, 21 हजार गुर्जर, 17 हजार नायक, 17 हजार लोहार, 14 हजार सुनार तथा करीब साढ़े 10 हजार सिंधी मतदाता हैं। सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में बढ़ा जनाधार जिला अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश महासचिव रहे सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में 2019 में भाजपा ने हिसार में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके नेतृत्व में पार्टी का जनाधार हिसार में बढ़ा और विधानसभा से लेकर हिसार शहर में मेयर चुनाव तक में जीत हासिल की। इसके अलावा हांसी और नलवा में जीत हासिल की। इसके बाद 2020 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद कैप्टन भूपेंद्र को कमान सौंपी गई लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। वे पार्टी को पूरी तरह संगठित नहीं कर पाए। इसके बाद 2024 में आशा खेदड़ को पार्टी की कमान सौंपी गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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