11 कमरों में रहते थे अब 1 कमरे में गुजारा:अकबरनगर के लोगों का दर्द- न बिजली न पानी; बच्चों की पढ़ाई भी छूटी

11 कमरों में रहते थे अब 1 कमरे में गुजारा:अकबरनगर के लोगों का दर्द- न बिजली न पानी; बच्चों की पढ़ाई भी छूटी

अकबरनगर वाले घर को मेरे ससुर ने 1973 में खरीदा था। मकान 12 सौ स्कवायर फीट में बना था। घर में 11 कमरे, 2 किचन, 2 बाशरुम थे। मेरी शादी, बच्चों के बड़े होने और परिवार के 7 लोगों के मौत की यादें उसी घर से जुड़ी हैं। पूरा जीवन वहीं बीता, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया है। हमारा 14 लोगों का परिवार है, इसलिए एक और फ्लैट के लिए आवेदन किया है। दूसरा फ्लैट अभी तक मिला नहीं है। अब 1 कमरे में कैसे गुजारा होगा? ये कहना है अकबरनगर से वसंत कुंज विस्थापित की गईं रफिया बेगम का। ये दर्द अकेले रफिया का ही नहीं, अकबरनगर के सैकड़ों लोगों की पीड़ा ऐसी ही है। सभी का यह कहना है कि खून-पसीने की कमाई से बनाया मकान तोड़कर हमें एक कमरे में शिफ्ट किया जा रहा है। जिनके परिवार बड़े थे, वे बंट गए। एक ही कमरा होने के कारण कहीं पिता तो कहीं बेटे को अलग जाकर रहना पड़ रहा है। एक तरफ अकबरनगर से पीढ़ियों की विरासत हाथ से चले जाने की तकलीफ है। वहीं, दूसरी तरफ वसंत कुंज में भी मुश्किलें कम नहीं। लोगों ने कहा, प्रशासन को वहां से भगाने की जल्दी थी लेकिन हम यहां किस हाल में बस रहे हैं? इसकी चिंता किसी को नहीं है। अब पढ़िए अकबरनगर से वसंत कुंज शिफ्ट किए गए परिवारों का दर्द न पंखा न लाइट, पानी कनेक्शन के मांगे पैसे
वसंत कुंज रहने के लिए पहुंचे लोग बताते हैं कि फ्लैट में फ्री बिजली के साथ पंखा देने की बात कही गई थी। लेकिन किसी घर में पंखा नहीं है, कई घरों में बल्ब तक नहीं है। मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि यहां बिजली की समस्या है। शिकायत की गई तो अधिकारियों ने कहा कि बिजली आ जाएगी। हर काम में समय लगता है। आरिफ बताते हैं कि परिवार में 5 बच्चे हैं। एक छोटे से कमरे और 10 फीट लंबे 8 फीट चौड़े हॉल में रहना मुश्किल है। अकबरनगर वाले घर में पांच कमरे थे। 500 स्कवायर फीट में मकान बना था। अपना कबाड़ी का धंधा था। अब न घर रहा न ही अपना काम। जो मिला वो इतना कम कि गुजारा कर पाना मुश्किल है। राशन के लिए 14 किलाेमीटर की लगानी पड़ रही दौड़
वसंत कुंज से राशन लेने के लिए लोगों को बटलर पैलेस या अकबरनगर आना पड़ रहा है। इससे लोग परेशान होते हैं। उनका कहना है कि एक बार सामान लेने जाने में 50 रुपए खर्च हो जाते हैं। घर-गृहस्थी है तो कई बार जाना ही पड़ता है। ​​ ​​​​उर्मिला देवी कहती हैं- तीन महीने पहले वसंत कुंज शिफ्ट हुई थी, लेकिन आज तक राशन कार्ड और गैस पासबुक नहीं बन पाया। घर में खाने-पीने और जरूरत की चीजों के लिए बार-बार दुकान पर जाना पड़ता है। दुकान भी दूर है। वहीं, अन्नू कहती हैं कि रसोई गैस की समस्या है। राशन यहां नहीं मिलता। बिजली-पानी की समस्या से भी रोज दुखी होना पड़ता है। स्कूल और अस्पताल का भी सवाल
अकबरनगर की रहने वाली अन्नू बताती हैं- यहां पर न अस्पताल है न स्कूल। कहां इलाज कराएंगे। वहीं, रुबीना ने कहा कि एक घर में पानी का कनेक्शन चालू करने के लिए 50 रुपए मांगे जाते हैं। जब LDA अधिकारियों से शिकायत की तो वे आजकल हो जाने का भरोसा देकर टालते रहे। हमेशा इस बात से परेशान रहती हूं कि 10-12 लोगों का परिवार है तो एक फ्लैट में गुजारा कैसे हो पाएगा। अन्नू बताती हैं कि अकबरनगर में ही मेहनत-मजदूरी करते थे। वहां बड़ी आबादी थी। अमीर-गरीब सभी थे। हर किसी के लिए काम था। यहां सभी के हालात एक जैसे हैं और सब परेशान हैं। ऐसे में कौन क्या काम करे, कैसे गुजारा करे? यही चिंता रहती है। कोई छोटा-मोटा काम मिल भी गया तो वसंत कुंज से काम के लिए बहुत दूर जाना होगा। अब परिवार का गुजारा कैसे होगा। कई घरों में जमी है धूल-मिट्टी अकबरनगर से लोगों को हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है। प्रशासन तय समय से पहले ही इलाके को खाली करके वाहवाही लूटना चाहता है लेकिन वसंत कुंज में जहां लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है, वहां के हालात बद से बदतर हैं। कई घरों को बनाने का काम अभी तक पूरा भी नहीं हुआ है। कई घरों में अभी भी धूल-मिट्टी जमी है। खिड़की और दरवाजे तक नहीं लगे हैं। ऐसे में लोगों का यहां गुजर-बसर कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। यह खबर भी पढ़ें… अकबरनगर के लोग बोले-घर नहीं जिंदगी छूट रही:70 साल यहीं रहे, बिजली बिल और हाउस टैक्स भरे; एक झटके में उजाड़ दिया आशियाना अकबरनगर में बुलडोजर की गड़गड़ाहट। चीखते-चिल्लाते लोग। बिखरा हुआ मलबा। तस्वीरें यह समझने के लिए काफी हैं कि जो लोग 70 साल से यहां रह रहे थे, अब उनका आशियाना एक झटके में उजड़ गया। पिछले 2 दिन में निगम और LDA ने 150 से अधिक मकान तोड़ दिए। जिस घर को महनत मजदूरी करके बनाया उसे टूटते हुए देख आंखों से आंसू नहीं थम रहे। लोगों का कहना है- ‘घर नहीं जिंदगी छूट रही है।’ पूरी खबर पढ़ें अकबरनगर में घर टूटा, सड़क पर परिवार:मां बोली- फैमिली में 8 लोग एक कमरे में कैसे हो गुजारा, कैंप कार्यालय घेरा अकबरनगर की रहने वाली अमन ने कहा कि मेरे परिवार में 9 लोग हैं। एक कमरे में कहां रहें और सामान कहां रखें। अमन कहती हैं कि 4 पीढ़ियों से हमारा परिवार यहीं रहता था। 2 मंजिला मकान तोड़ दिया गया। अब रहने के लिए एक कमरे का फ्लैट मिला है। हमारा परिवार परेशानी में है। पूरी खबर पढ़ें.. यह खबरें भी पढ़ें… अयोध्या में 3900 KG की गदा लगेगी:राजस्थान के 20 कारीगरों ने 75 दिन में तैयार किया, धनुष-बाण तारों में फंसा, इसलिए होगा छोटा गंगा दशहरा पर काशी में 2 लाख लोगों का स्नान:दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर सबसे ज्यादा भीड़, गंगा को चढ़ेगी 5000 मीटर लंबी साड़ी लखनऊ में ICU में पिता के सामने बेटियों का निकाह:मुंबई से आए दूल्हे; एप्रेन पहनकर मौलवी ने कलमा पढ़ाया; डॉक्टर-नर्स बने बाराती अकबरनगर वाले घर को मेरे ससुर ने 1973 में खरीदा था। मकान 12 सौ स्कवायर फीट में बना था। घर में 11 कमरे, 2 किचन, 2 बाशरुम थे। मेरी शादी, बच्चों के बड़े होने और परिवार के 7 लोगों के मौत की यादें उसी घर से जुड़ी हैं। पूरा जीवन वहीं बीता, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया है। हमारा 14 लोगों का परिवार है, इसलिए एक और फ्लैट के लिए आवेदन किया है। दूसरा फ्लैट अभी तक मिला नहीं है। अब 1 कमरे में कैसे गुजारा होगा? ये कहना है अकबरनगर से वसंत कुंज विस्थापित की गईं रफिया बेगम का। ये दर्द अकेले रफिया का ही नहीं, अकबरनगर के सैकड़ों लोगों की पीड़ा ऐसी ही है। सभी का यह कहना है कि खून-पसीने की कमाई से बनाया मकान तोड़कर हमें एक कमरे में शिफ्ट किया जा रहा है। जिनके परिवार बड़े थे, वे बंट गए। एक ही कमरा होने के कारण कहीं पिता तो कहीं बेटे को अलग जाकर रहना पड़ रहा है। एक तरफ अकबरनगर से पीढ़ियों की विरासत हाथ से चले जाने की तकलीफ है। वहीं, दूसरी तरफ वसंत कुंज में भी मुश्किलें कम नहीं। लोगों ने कहा, प्रशासन को वहां से भगाने की जल्दी थी लेकिन हम यहां किस हाल में बस रहे हैं? इसकी चिंता किसी को नहीं है। अब पढ़िए अकबरनगर से वसंत कुंज शिफ्ट किए गए परिवारों का दर्द न पंखा न लाइट, पानी कनेक्शन के मांगे पैसे
वसंत कुंज रहने के लिए पहुंचे लोग बताते हैं कि फ्लैट में फ्री बिजली के साथ पंखा देने की बात कही गई थी। लेकिन किसी घर में पंखा नहीं है, कई घरों में बल्ब तक नहीं है। मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि यहां बिजली की समस्या है। शिकायत की गई तो अधिकारियों ने कहा कि बिजली आ जाएगी। हर काम में समय लगता है। आरिफ बताते हैं कि परिवार में 5 बच्चे हैं। एक छोटे से कमरे और 10 फीट लंबे 8 फीट चौड़े हॉल में रहना मुश्किल है। अकबरनगर वाले घर में पांच कमरे थे। 500 स्कवायर फीट में मकान बना था। अपना कबाड़ी का धंधा था। अब न घर रहा न ही अपना काम। जो मिला वो इतना कम कि गुजारा कर पाना मुश्किल है। राशन के लिए 14 किलाेमीटर की लगानी पड़ रही दौड़
वसंत कुंज से राशन लेने के लिए लोगों को बटलर पैलेस या अकबरनगर आना पड़ रहा है। इससे लोग परेशान होते हैं। उनका कहना है कि एक बार सामान लेने जाने में 50 रुपए खर्च हो जाते हैं। घर-गृहस्थी है तो कई बार जाना ही पड़ता है। ​​ ​​​​उर्मिला देवी कहती हैं- तीन महीने पहले वसंत कुंज शिफ्ट हुई थी, लेकिन आज तक राशन कार्ड और गैस पासबुक नहीं बन पाया। घर में खाने-पीने और जरूरत की चीजों के लिए बार-बार दुकान पर जाना पड़ता है। दुकान भी दूर है। वहीं, अन्नू कहती हैं कि रसोई गैस की समस्या है। राशन यहां नहीं मिलता। बिजली-पानी की समस्या से भी रोज दुखी होना पड़ता है। स्कूल और अस्पताल का भी सवाल
अकबरनगर की रहने वाली अन्नू बताती हैं- यहां पर न अस्पताल है न स्कूल। कहां इलाज कराएंगे। वहीं, रुबीना ने कहा कि एक घर में पानी का कनेक्शन चालू करने के लिए 50 रुपए मांगे जाते हैं। जब LDA अधिकारियों से शिकायत की तो वे आजकल हो जाने का भरोसा देकर टालते रहे। हमेशा इस बात से परेशान रहती हूं कि 10-12 लोगों का परिवार है तो एक फ्लैट में गुजारा कैसे हो पाएगा। अन्नू बताती हैं कि अकबरनगर में ही मेहनत-मजदूरी करते थे। वहां बड़ी आबादी थी। अमीर-गरीब सभी थे। हर किसी के लिए काम था। यहां सभी के हालात एक जैसे हैं और सब परेशान हैं। ऐसे में कौन क्या काम करे, कैसे गुजारा करे? यही चिंता रहती है। कोई छोटा-मोटा काम मिल भी गया तो वसंत कुंज से काम के लिए बहुत दूर जाना होगा। अब परिवार का गुजारा कैसे होगा। कई घरों में जमी है धूल-मिट्टी अकबरनगर से लोगों को हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है। प्रशासन तय समय से पहले ही इलाके को खाली करके वाहवाही लूटना चाहता है लेकिन वसंत कुंज में जहां लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है, वहां के हालात बद से बदतर हैं। कई घरों को बनाने का काम अभी तक पूरा भी नहीं हुआ है। कई घरों में अभी भी धूल-मिट्टी जमी है। खिड़की और दरवाजे तक नहीं लगे हैं। ऐसे में लोगों का यहां गुजर-बसर कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। यह खबर भी पढ़ें… अकबरनगर के लोग बोले-घर नहीं जिंदगी छूट रही:70 साल यहीं रहे, बिजली बिल और हाउस टैक्स भरे; एक झटके में उजाड़ दिया आशियाना अकबरनगर में बुलडोजर की गड़गड़ाहट। चीखते-चिल्लाते लोग। बिखरा हुआ मलबा। तस्वीरें यह समझने के लिए काफी हैं कि जो लोग 70 साल से यहां रह रहे थे, अब उनका आशियाना एक झटके में उजड़ गया। पिछले 2 दिन में निगम और LDA ने 150 से अधिक मकान तोड़ दिए। जिस घर को महनत मजदूरी करके बनाया उसे टूटते हुए देख आंखों से आंसू नहीं थम रहे। लोगों का कहना है- ‘घर नहीं जिंदगी छूट रही है।’ पूरी खबर पढ़ें अकबरनगर में घर टूटा, सड़क पर परिवार:मां बोली- फैमिली में 8 लोग एक कमरे में कैसे हो गुजारा, कैंप कार्यालय घेरा अकबरनगर की रहने वाली अमन ने कहा कि मेरे परिवार में 9 लोग हैं। एक कमरे में कहां रहें और सामान कहां रखें। अमन कहती हैं कि 4 पीढ़ियों से हमारा परिवार यहीं रहता था। 2 मंजिला मकान तोड़ दिया गया। अब रहने के लिए एक कमरे का फ्लैट मिला है। हमारा परिवार परेशानी में है। पूरी खबर पढ़ें.. यह खबरें भी पढ़ें… अयोध्या में 3900 KG की गदा लगेगी:राजस्थान के 20 कारीगरों ने 75 दिन में तैयार किया, धनुष-बाण तारों में फंसा, इसलिए होगा छोटा गंगा दशहरा पर काशी में 2 लाख लोगों का स्नान:दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर सबसे ज्यादा भीड़, गंगा को चढ़ेगी 5000 मीटर लंबी साड़ी लखनऊ में ICU में पिता के सामने बेटियों का निकाह:मुंबई से आए दूल्हे; एप्रेन पहनकर मौलवी ने कलमा पढ़ाया; डॉक्टर-नर्स बने बाराती   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर