लखनऊ ADJ कोर्ट ने नरभक्षी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने रायबरेली के रहने वाले मनोज सिंह (22) और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की साल 2000 में अपहरण के बाद हत्या में दोनों को दोषी माना। राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा हत्या की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। मांस खा जाता था, जबकि खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था। दरिंदगी की सारी हदें पार करने वाले राजा कोलंदर की दहशत को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज से 40Km दूर नैनी की गंगानगर कॉलोनी में पहुंची। यहां राजा कोलंदर का घर आज भी मौजूद है। FCI रोड से होते हुए हम राजा कोलंदर के घर तक आसानी से पहुंच गए। क्योंकि इस मकान के 400 मीटर के दायरे में कभी किसी ने घर बनाया ही नहीं। पढ़िए रिपोर्ट… जिस फार्म हाउस में नरमुंड दफन मिले, वो आज बंजर
साल 2000 तक राजा कोलंदर के घर के पास हरियाले खेत और फार्म हाउस हुआ करता था। अब यहां खेती नहीं होती, आखिरी बार इस जमीन को पुलिस वालों ने ही खोदकर नरमुंड निकाले थे। कोलंदर हत्या करने के बाद बॉडी के टुकड़े करके अपने फॉर्म हाउस की जमीन में ही दफन कर देता था। फॉर्म हाउस के करीब जिन खेतों से नरमुंड बरामद हुए थे। वह आज बंजर हो गए हैं। राजा कोलंदर का घर भी अब खंडहर नुमा हो गया है, बाउंड्री वॉल गिर चुकी है। एक ईट से बना हुआ कमरा दिखा, मगर उसमें कोई रहता नहीं है। यहां कोई आता-जाता भी नहीं। आस-पास के लोगों से बातचीत में पता चला कि कोलंदर के परिवार के सदस्य इस जमीन के बगल में बने मकान में रहते हैं। राजा कोलंदर के दोनों बेटे और बेटी लखनऊ कोर्ट गए हुए थे। घर पर हमारी मुलाकात राजा कोलंदर के नाती शशांक से हुई। पूरी बातचीत पढ़िए… सवाल: क्या राजा कोलंदर पर लगे आरोप सही हैं?
शशांक: मैं तब पैदा भी नहीं हुआ था। मगर अपने नाना से कई दफा मिल चुका हूं। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने ऐसा कुछ किया होगा। वह निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है। सवाल: कहा जाता है कि वह लोगों को मारकर खोपड़ी का सूप बनाकर पीते थे?
शशांक: ये तो लोग कहते हैं। यह बात पूरी तरह से झूठ है। सवाल: आप नाना से कैसे मिले हैं?
शशांक: मैं जेल में उनसे मिलने गया हूं। वह व्यवहार से बहुत अच्छे हैं। सवाल: नाना की सजा को लेकर क्या कहेंगे?
शशांक: मेरे नाना को अब छोड़ देना चाहिए, क्योंकि वह लंबी सजा काट चुके है। कोलंदर का बेटा बच्चों को ताइक्वांडो सिखा रहा
हमने शशांक से पूछा कि घर में कौन-कौन है? राजा कोलंदर के बेटा-बेटी कहां हैं? उन्होंने कहा- नाना के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे का नाम अदालत, छोटे का नाम जमानत है। बेटी यानी मेरी मां का नाम आन्दोलन उर्फ रेनू है। सभी लखनऊ गए हुए हैं। पहले मेरे दोनों मामा नैनी में ही एक्सिलेंट कोचिंग चलाते थे। मगर वह बंद हो चुकी है। अब बड़े मामा अदालत पुणे (महाराष्ट्र) में जॉब करते हैं। छोटे मामा जमानत बच्चों को ताइक्वांडो सिखाते हैं। अभी कुछ समय पहले मामा का कॉल आया था, उन्होंने बताया कि आज मेरी मां भी पुणे जाएंगी। सजा होने के बाद वह घर वापस नहीं आएंगी। नानी फूलन के जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद लोग उनके पीछे पड़े
शशांक ने कहा- शायद नाना की जमानत हो जाती, लेकिन अब सजा होने से उनके छूटने की उम्मीद ही नहीं है। लोग बताते हैं कि नानी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य रही हैं। तभी से लोग उनके पीछे पड़ गए थे। कोल जाति से होने के कारण बड़ी जाति के लोग मेरे नाना से घृणा रखते थे, जो कुछ कहा जा रहा है, वह सब उन्होंने नहीं किया, बल्कि फंसाया गया है। राम निरंजन कोल कैसे बना राजा कोलंदर प्रयागराज के यमुनानगर के रहने वाले जर्नलिस्ट अजय सिंह ने कहा- राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर नैनी के ऑर्डिनेंस डिपो में फोर्थ क्लास इंप्लाइ था। वह शुरू से अपराधी प्रवृत्ति का था। 1998 में प्रयागराज के धूमनगंज में हुए एक मर्डर में भी उसका नाम सामने आया था। अपने दबंगई के बल पर ही उसने 90 के दौर में अपनी पत्नी फूलन देवी को यमुनापार से जिला पंचायत सदस्य बनवा दिया। कोल समाज के लोग उसकी दबंगई से प्रभावित होकर उसे राजा कहने लगे थे, यहीं से उसका नाम राजा कोलंदर पड़ गया। अब पढ़िए डबल मर्डर, जिसमें राजा कोलंदर को सजा हुई मनोज सिंह हत्याकांड: अपहरण करके लाश चित्रकूट में फेंकी
मनोज कुमार सिंह रायबरेली के हरचंदपुर के रहने वाले थे। उनके पिता शिव हर्ष ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक, उनका बेटा मनोज कुमार सिंह और ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए टाटा सूमो से निकले थे। दोनों ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से यात्रियों को बैठाया था। इसमें एक महिला भी थी। इसके बाद मनोज और रवि लापता हो गए। कई दिन तक दोनों का कुछ पता नहीं चला तो नाका हिंडोला थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने मनोज और रवि की तलाश शुरू की। लखनऊ से रीवा तक के रास्ते को खंगाला, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। कई दिन बाद दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए। दोनों के शव नग्न थे। टाटा सूमो का कुछ पता नहीं चला। 2000 के इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, कुछ कानूनी वजह से मुकदमे की सुनवाई 2013 में शुरू हो पाई। अब पढ़िए मनोज सिंह हत्याकांड में कैसे कोलंदर तक पहुंची पुलिस पुलिस के मुताबिक, मनोज सिंह की हत्या में राजा कोलंदर का नाम तब खुला जब राजा कोलंदर ने प्रयागराज में एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। जब पुलिस ने पत्रकार की हत्या के मामले की जांच शुरू की तो राजा कोलंदर के फॉर्म हाउस में कई लोगों के कटे हुए सिर मिले। यहां से मनोज सिंह का कोट मिला, जिस पर रायबरेली के टेलर का नाम लिखा था। इसके अलावा, मनोज सिंह से लूटी हुई टाटा सूमो भी फॉर्म हाउस से मिली। उस पर फूलन देवी का नाम लिखा था। पुलिस ने जब कोट और टाटा सूमो की जांच की तो कड़ियां जुड़ती हुई मनोज सिंह तक पहुंची। इसके बाद मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव की हत्या में राजा कोलंदर का नाम सामने आया। कोलंदर ने 1500 रुपए में बुक की थी मनोज की टाटा सूमो
जांच और पूछताछ के दौरान पता चला कि मनोज और रवि टाटा सूमो की सर्विस करवाने लखनऊ आए थे। जब वो वापस लौट रहे थे तो चारबाग के पास राजा कोलंदर, उसकी पत्नी फूलन देवी और साले बच्छराज ने गाड़ी रुकवाई। राजा कोलंदर ने मनोज से कहा कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है। गाड़ी से प्रयागराज (तब इलाहाबाद) छोड़ दीजिए। राजा कोलंदर ने 1500 रुपए में टाटा सूमो बुक की। इसके बाद सब लोग इलाहाबाद के लिए चले गए। मनोज रायबरेली में हरचंदपुर में रुके। क्योंकि, जनवरी की ठंड थी। ऐसे में मनोज ने कोट और कुछ ऊनी कपडे़ रखे। फिर प्रयागराज के लिए रवाना हो गए थे। कई दिन तक दोनों वापस नहीं लौटे तो परिवार ने तलाश शुरू की। बाद में उनके क्षत-विपत शव प्रयागराज के बॉर्डर पर शंकरगढ़ के जंगल में मिले थे। पत्रकार धीरेंद्र सिंह हत्याकांड: लिंग और धड़ काटकर फेंका
प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह का 14 दिसंबर 2000 को शव मिला था। इस हत्याकांड की जांच करते हुए पुलिस पहली बार राजा कोलंदर तक पहुंची। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। राजा कोलंदर ने पूछताछ में पुलिस को बताया- एक मामले में पत्रकार धीरेंद्र के भाई ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। तभी तय कर लिया था कि धीरेंद्र सिंह की हत्या करनी है। राज कोलंदर ने बताया कि धीरेंद्र सिंह को प्रयागराज स्थित अपने पिपरी फार्म हाउस पर बुलाया। धीरेंद्र सिंह बाइक से पहुंचा था। सर्दी थी, इसलिए अलाव जला रखा था। धीरेंद्र सिंह अलाव के पास बैठा था तभी राजा कोलंदर के साले वक्षराज ने गोली मार दी। मौके पर ही धीरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया। कोलंदर और वक्षराज ने धीरेंद्र के शव को टाटा सूमो से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा में पहुंचे। वहां पहले धीरेंद्र का सिर और लिंग काट दिया। लिंग और धड़ को वहीं खेत में दफना दिया। जबकि, उसका सिर एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया। मर्डर केस की जांच के दौरान पुलिस को राजा कोलंदर के घर से तलाशी में डायरी मिली। इस डायरी ने 14 हत्याओं का राज खोल दिया। पुलिस ने जब राजा कोलंदर की डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए तो सन्न रह गए। पुलिस ने डायरी के आधार पर उससे पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई। इसके बाद पुलिस ने उसके फॉर्म हाउस में छापा मारा। वहां से अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद के नरमुंड बरामद हुए, इसकी हत्या का जिक्र डायरी में था। पूछताछ में पता चला कि राजा कोलंदर ने कुल 14 लोगों का कत्ल किया था। वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था। कोर्ट ने धीरेंद्र सिंह हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर माना
इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला। तब से कोलंदर उन्नाव जेल में बंद है। सजा सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत में लाए जाने तक वह खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया। हालांकि, तमाम पत्रकारों और गांव वालों की मौजूदगी में की गई छापेमारी में फार्म हाउस से 14 नरमुंड बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर राजा कोलंदर पर आधारित वेब सीरीज भी बनाई गई। इस सीरीज का नाम था- ‘इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर’। दिमाग तेज होता है मानकर कायस्थ कर्मचारी की हत्या कर खोपड़ी को भूनकर खा गया था
इस नरपिशाच की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था। प्रयागराज पुलिस ने जब कोल के फॉर्म हाउस में छापा मारा तो वहां काली प्रसाद श्रीवास्तव का नरमुंड भी बरामद होने की बात सामने आई थी। ——————————————————- ये भी पढ़ें: कायस्थ का दिमाग तेज…उसका सूप बनाकर पीया: बुजुर्ग महिलाओं की रेप के बाद हत्या की, 100 मर्डर के बाद गिनना छोड़ा; यूपी के 4 साइको किलर वह लोगों का खून कर उनके जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर देता। फिर मरने वाले की खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालता और सूप बनाकर पी जाता। उसका एक साथी कायस्थ था। उसने सुन रखा था, कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेज काम करता है। इसलिए उसने अपने साथी को भी नहीं बख्शा। एक दिन उसका कत्ल करने के बाद वह कई दिन तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके भेजे को उबालकर सूप बनाकर पीता रहा। उसका मानना था, इस सूप से उसका दिमाग तेज होगा और उसे अपार शक्ति मिलेगी। पूरी खबर पढ़ें लखनऊ ADJ कोर्ट ने नरभक्षी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने रायबरेली के रहने वाले मनोज सिंह (22) और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की साल 2000 में अपहरण के बाद हत्या में दोनों को दोषी माना। राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा हत्या की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। मांस खा जाता था, जबकि खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था। दरिंदगी की सारी हदें पार करने वाले राजा कोलंदर की दहशत को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज से 40Km दूर नैनी की गंगानगर कॉलोनी में पहुंची। यहां राजा कोलंदर का घर आज भी मौजूद है। FCI रोड से होते हुए हम राजा कोलंदर के घर तक आसानी से पहुंच गए। क्योंकि इस मकान के 400 मीटर के दायरे में कभी किसी ने घर बनाया ही नहीं। पढ़िए रिपोर्ट… जिस फार्म हाउस में नरमुंड दफन मिले, वो आज बंजर
साल 2000 तक राजा कोलंदर के घर के पास हरियाले खेत और फार्म हाउस हुआ करता था। अब यहां खेती नहीं होती, आखिरी बार इस जमीन को पुलिस वालों ने ही खोदकर नरमुंड निकाले थे। कोलंदर हत्या करने के बाद बॉडी के टुकड़े करके अपने फॉर्म हाउस की जमीन में ही दफन कर देता था। फॉर्म हाउस के करीब जिन खेतों से नरमुंड बरामद हुए थे। वह आज बंजर हो गए हैं। राजा कोलंदर का घर भी अब खंडहर नुमा हो गया है, बाउंड्री वॉल गिर चुकी है। एक ईट से बना हुआ कमरा दिखा, मगर उसमें कोई रहता नहीं है। यहां कोई आता-जाता भी नहीं। आस-पास के लोगों से बातचीत में पता चला कि कोलंदर के परिवार के सदस्य इस जमीन के बगल में बने मकान में रहते हैं। राजा कोलंदर के दोनों बेटे और बेटी लखनऊ कोर्ट गए हुए थे। घर पर हमारी मुलाकात राजा कोलंदर के नाती शशांक से हुई। पूरी बातचीत पढ़िए… सवाल: क्या राजा कोलंदर पर लगे आरोप सही हैं?
शशांक: मैं तब पैदा भी नहीं हुआ था। मगर अपने नाना से कई दफा मिल चुका हूं। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने ऐसा कुछ किया होगा। वह निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है। सवाल: कहा जाता है कि वह लोगों को मारकर खोपड़ी का सूप बनाकर पीते थे?
शशांक: ये तो लोग कहते हैं। यह बात पूरी तरह से झूठ है। सवाल: आप नाना से कैसे मिले हैं?
शशांक: मैं जेल में उनसे मिलने गया हूं। वह व्यवहार से बहुत अच्छे हैं। सवाल: नाना की सजा को लेकर क्या कहेंगे?
शशांक: मेरे नाना को अब छोड़ देना चाहिए, क्योंकि वह लंबी सजा काट चुके है। कोलंदर का बेटा बच्चों को ताइक्वांडो सिखा रहा
हमने शशांक से पूछा कि घर में कौन-कौन है? राजा कोलंदर के बेटा-बेटी कहां हैं? उन्होंने कहा- नाना के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे का नाम अदालत, छोटे का नाम जमानत है। बेटी यानी मेरी मां का नाम आन्दोलन उर्फ रेनू है। सभी लखनऊ गए हुए हैं। पहले मेरे दोनों मामा नैनी में ही एक्सिलेंट कोचिंग चलाते थे। मगर वह बंद हो चुकी है। अब बड़े मामा अदालत पुणे (महाराष्ट्र) में जॉब करते हैं। छोटे मामा जमानत बच्चों को ताइक्वांडो सिखाते हैं। अभी कुछ समय पहले मामा का कॉल आया था, उन्होंने बताया कि आज मेरी मां भी पुणे जाएंगी। सजा होने के बाद वह घर वापस नहीं आएंगी। नानी फूलन के जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद लोग उनके पीछे पड़े
शशांक ने कहा- शायद नाना की जमानत हो जाती, लेकिन अब सजा होने से उनके छूटने की उम्मीद ही नहीं है। लोग बताते हैं कि नानी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य रही हैं। तभी से लोग उनके पीछे पड़ गए थे। कोल जाति से होने के कारण बड़ी जाति के लोग मेरे नाना से घृणा रखते थे, जो कुछ कहा जा रहा है, वह सब उन्होंने नहीं किया, बल्कि फंसाया गया है। राम निरंजन कोल कैसे बना राजा कोलंदर प्रयागराज के यमुनानगर के रहने वाले जर्नलिस्ट अजय सिंह ने कहा- राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर नैनी के ऑर्डिनेंस डिपो में फोर्थ क्लास इंप्लाइ था। वह शुरू से अपराधी प्रवृत्ति का था। 1998 में प्रयागराज के धूमनगंज में हुए एक मर्डर में भी उसका नाम सामने आया था। अपने दबंगई के बल पर ही उसने 90 के दौर में अपनी पत्नी फूलन देवी को यमुनापार से जिला पंचायत सदस्य बनवा दिया। कोल समाज के लोग उसकी दबंगई से प्रभावित होकर उसे राजा कहने लगे थे, यहीं से उसका नाम राजा कोलंदर पड़ गया। अब पढ़िए डबल मर्डर, जिसमें राजा कोलंदर को सजा हुई मनोज सिंह हत्याकांड: अपहरण करके लाश चित्रकूट में फेंकी
मनोज कुमार सिंह रायबरेली के हरचंदपुर के रहने वाले थे। उनके पिता शिव हर्ष ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक, उनका बेटा मनोज कुमार सिंह और ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए टाटा सूमो से निकले थे। दोनों ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से यात्रियों को बैठाया था। इसमें एक महिला भी थी। इसके बाद मनोज और रवि लापता हो गए। कई दिन तक दोनों का कुछ पता नहीं चला तो नाका हिंडोला थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने मनोज और रवि की तलाश शुरू की। लखनऊ से रीवा तक के रास्ते को खंगाला, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। कई दिन बाद दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए। दोनों के शव नग्न थे। टाटा सूमो का कुछ पता नहीं चला। 2000 के इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, कुछ कानूनी वजह से मुकदमे की सुनवाई 2013 में शुरू हो पाई। अब पढ़िए मनोज सिंह हत्याकांड में कैसे कोलंदर तक पहुंची पुलिस पुलिस के मुताबिक, मनोज सिंह की हत्या में राजा कोलंदर का नाम तब खुला जब राजा कोलंदर ने प्रयागराज में एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। जब पुलिस ने पत्रकार की हत्या के मामले की जांच शुरू की तो राजा कोलंदर के फॉर्म हाउस में कई लोगों के कटे हुए सिर मिले। यहां से मनोज सिंह का कोट मिला, जिस पर रायबरेली के टेलर का नाम लिखा था। इसके अलावा, मनोज सिंह से लूटी हुई टाटा सूमो भी फॉर्म हाउस से मिली। उस पर फूलन देवी का नाम लिखा था। पुलिस ने जब कोट और टाटा सूमो की जांच की तो कड़ियां जुड़ती हुई मनोज सिंह तक पहुंची। इसके बाद मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव की हत्या में राजा कोलंदर का नाम सामने आया। कोलंदर ने 1500 रुपए में बुक की थी मनोज की टाटा सूमो
जांच और पूछताछ के दौरान पता चला कि मनोज और रवि टाटा सूमो की सर्विस करवाने लखनऊ आए थे। जब वो वापस लौट रहे थे तो चारबाग के पास राजा कोलंदर, उसकी पत्नी फूलन देवी और साले बच्छराज ने गाड़ी रुकवाई। राजा कोलंदर ने मनोज से कहा कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है। गाड़ी से प्रयागराज (तब इलाहाबाद) छोड़ दीजिए। राजा कोलंदर ने 1500 रुपए में टाटा सूमो बुक की। इसके बाद सब लोग इलाहाबाद के लिए चले गए। मनोज रायबरेली में हरचंदपुर में रुके। क्योंकि, जनवरी की ठंड थी। ऐसे में मनोज ने कोट और कुछ ऊनी कपडे़ रखे। फिर प्रयागराज के लिए रवाना हो गए थे। कई दिन तक दोनों वापस नहीं लौटे तो परिवार ने तलाश शुरू की। बाद में उनके क्षत-विपत शव प्रयागराज के बॉर्डर पर शंकरगढ़ के जंगल में मिले थे। पत्रकार धीरेंद्र सिंह हत्याकांड: लिंग और धड़ काटकर फेंका
प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह का 14 दिसंबर 2000 को शव मिला था। इस हत्याकांड की जांच करते हुए पुलिस पहली बार राजा कोलंदर तक पहुंची। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। राजा कोलंदर ने पूछताछ में पुलिस को बताया- एक मामले में पत्रकार धीरेंद्र के भाई ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। तभी तय कर लिया था कि धीरेंद्र सिंह की हत्या करनी है। राज कोलंदर ने बताया कि धीरेंद्र सिंह को प्रयागराज स्थित अपने पिपरी फार्म हाउस पर बुलाया। धीरेंद्र सिंह बाइक से पहुंचा था। सर्दी थी, इसलिए अलाव जला रखा था। धीरेंद्र सिंह अलाव के पास बैठा था तभी राजा कोलंदर के साले वक्षराज ने गोली मार दी। मौके पर ही धीरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया। कोलंदर और वक्षराज ने धीरेंद्र के शव को टाटा सूमो से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा में पहुंचे। वहां पहले धीरेंद्र का सिर और लिंग काट दिया। लिंग और धड़ को वहीं खेत में दफना दिया। जबकि, उसका सिर एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया। मर्डर केस की जांच के दौरान पुलिस को राजा कोलंदर के घर से तलाशी में डायरी मिली। इस डायरी ने 14 हत्याओं का राज खोल दिया। पुलिस ने जब राजा कोलंदर की डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए तो सन्न रह गए। पुलिस ने डायरी के आधार पर उससे पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई। इसके बाद पुलिस ने उसके फॉर्म हाउस में छापा मारा। वहां से अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद के नरमुंड बरामद हुए, इसकी हत्या का जिक्र डायरी में था। पूछताछ में पता चला कि राजा कोलंदर ने कुल 14 लोगों का कत्ल किया था। वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था। कोर्ट ने धीरेंद्र सिंह हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर माना
इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला। तब से कोलंदर उन्नाव जेल में बंद है। सजा सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत में लाए जाने तक वह खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया। हालांकि, तमाम पत्रकारों और गांव वालों की मौजूदगी में की गई छापेमारी में फार्म हाउस से 14 नरमुंड बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर राजा कोलंदर पर आधारित वेब सीरीज भी बनाई गई। इस सीरीज का नाम था- ‘इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर’। दिमाग तेज होता है मानकर कायस्थ कर्मचारी की हत्या कर खोपड़ी को भूनकर खा गया था
इस नरपिशाच की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था। प्रयागराज पुलिस ने जब कोल के फॉर्म हाउस में छापा मारा तो वहां काली प्रसाद श्रीवास्तव का नरमुंड भी बरामद होने की बात सामने आई थी। ——————————————————- ये भी पढ़ें: कायस्थ का दिमाग तेज…उसका सूप बनाकर पीया: बुजुर्ग महिलाओं की रेप के बाद हत्या की, 100 मर्डर के बाद गिनना छोड़ा; यूपी के 4 साइको किलर वह लोगों का खून कर उनके जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर देता। फिर मरने वाले की खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालता और सूप बनाकर पी जाता। उसका एक साथी कायस्थ था। उसने सुन रखा था, कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेज काम करता है। इसलिए उसने अपने साथी को भी नहीं बख्शा। एक दिन उसका कत्ल करने के बाद वह कई दिन तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके भेजे को उबालकर सूप बनाकर पीता रहा। उसका मानना था, इस सूप से उसका दिमाग तेज होगा और उसे अपार शक्ति मिलेगी। पूरी खबर पढ़ें उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
14 खोपड़ियों का सूप पीने वाले कोलंदर की दहशत:प्रयागराज में फार्म हाउस के पास कोई घर नहीं बनाता, जहां नरमुंड गाड़े वो जमीन बंजर
