दो महीने बाद मेरी बेटी की शादी है। हमने गहने बनवाकर रख लिए थे। 13 अक्टूबर को हिंसा भड़की तो भीड़ मेरे घर तक आ गई। हम लोग भागे। मैं धान के खेत में छिप गई। बेटा गहने और पैसे लेकर बहू-बेटी के साथ भागा, लेकिन भीड़ ने उससे सब छीन लिया। बहुत मारा। बेटी का सिर फोड़ दिया। पोती को भी मारा। रात में घर आए तो सब कुछ जला हुआ मिला। ये शब्द मलिका के हैं। बहराइच के जिस महराजगंज में हिंसा हुई, वहां से मलिका का घर करीब 2 किलोमीटर दूर है। चांदपारा के इस गांव में करीब 20 घरों में आग लगा दी गई। लूटपाट हुई। जो मिला, उसे जमकर पीटा गया। दंगे के 4 दिन बीत चुके हैं। जिनके घर लूटे गए, वे अब तक नहीं लौटे। दैनिक भास्कर की टीम बहराइच हिंसा प्रभावित मोहल्लों और गांवों में गई। वहां क्या कुछ हुआ? कैसे हुआ? उस वक्त बचाव में लोगों ने क्या किया? अब स्थिति कैसी है? जानिए सब कुछ… जहां मंदिर, उसे छोड़कर सब कुछ जला दिया
13 अक्टूबर को महराजगंज में मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम था। आसपास के 10-12 गांव की 20 से ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं महराजगंज में इकट्ठा की जाती हैं। फिर यहीं से 2 किलोमीटर दूर गौरिया घाट में विसर्जन होता है। 13 अक्टूबर को पथराव और फिर लाठीचार्ज के बाद स्थिति बिगड़ गई। 22 साल के राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई। तुरंत तो स्थिति को कंट्रोल कर लिया गया, लेकिन 14 अक्टूबर को इलाके में जमकर आगजनी हुई। राम गोपाल मिश्रा के समर्थन में उतरी भीड़ ने कस्बे के आसपास के घरों पर धावा बोल दिया। महराजगंज में दुकान, घर और शोरूम को आग लगाते हुए भीड़ आगे बढ़ी। 2 किलोमीटर दूर चांदपारा गांव के कबरियन का पुरवा में टूट पड़ी। इस मोहल्ले में सड़क के एक ओर 12 घर और दूसरी ओर से 5-6 घर हैं। सभी घरों में तोड़-फोड़ हुई। लूटा गया और फिर आग लगा दी गई। लोगों ने पेट्रोल डालकर आग लगाई, हम धान के खेत में छिपे थे
कबरियन का पुरवा गांव में हमें नसीम मिले। नसीम का घर भी इस हिंसा में जला दिया गया। वह कहते हैं- विवाद महराजगंज में हुआ था। हमारा वहां से क्या लेना-देना था? हम लोगों को इसका आभास नहीं था कि इतनी दूर ऐसा हो सकता है। जब भीड़ आई तो पूरे परिवार के साथ धान में छिप गए। भीड़ में आए लोग पेट्रोल डाल-डालकर हमारे घरों को जलाने लगे। बोलेरो को भी जला दिया। कुछ नहीं बचा। घर से सिलेंडर वगैरह भी उठा ले गए। कई और सामान भी उठा ले गए। क्योंकि, उस वक्त कोई कुछ बोलने वाला नहीं था। बाद में गांव के लोगों ने मामला संभाला। हम हिंदू हैं लेकिन फिर भी जान बचाकर भागे
नसीम के ही पड़ोस में दौलत कुमार बैठे थे। ये नसीम के पड़ोसी हैं। हिंसक भीड़ ने इनके घर को नहीं जलाया। दंगे को लेकर वह कहते हैं- अपनी जान बचानी थी, इसलिए भाग गए थे, क्योंकि दंगाई हिंदू-मुस्लिम नहीं देखते। नसीम हमारे पड़ोसी हैं। हम नहीं चाहते कि इनका घर जलाया जाए। दंगाइयों ने हमारे छप्पर को तोड़ दिया, लेकिन आग नहीं लगाई। बेटे-बहू भागे, लेकिन उन्हें लूट लिया
कबरियन का पुरवा गांव के सामने ही मलिका का घर है। इनके घर में खड़े दो ट्रैक्टर और एक बोलेरो को हिंसक भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। घटना को लेकर मलिका कहती हैं- भीड़ पहले हमारे सामने वाले गांव में आग लगा रही थी। इसके बाद हमारे घर की तरफ बढ़ी। मेरी बेटी की दो महीने बाद शादी है। घर में गहने बनवाकर रखे थे। मेरे बेटे ने गहने और पैसे लिए। फिर बहू, बेटी और पोती के साथ धान के खेत की तरफ भागे। मलिका कहती हैं- वहां भीड़ मिल गई। उसने सब कुछ छीन लिया। बिटिया की खोपड़ी फोड़ दी। बेटे को भी मारा। पोती को हाथ पर मारा। हम लोग कुछ भी नहीं कर सके। मेरे घर पर आगजनी की, पति-बच्चों को पुलिस ले गई
चांदपारा से हम मुख्य घटनास्थल महराजगंज पहुंचे। हिंसा को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कस्बे की एक भी दुकान नहीं खुली। सभी पर ताला लगा है। हिंसक भीड़ ने कुछ दुकानों के शटर भी तोड़ने की कोशिश की। हम कस्बे के अंदर गए। ज्यादातर घरों से लोग गायब मिले। बस कुछ महिलाएं और बच्चे मिले। पुरुष घर छोड़कर कहीं दूसरी जगह जा चुके हैं। यहां हमें शबनम मिलीं। वह कहती हैं- 14 अक्टूबर को मेरे घर में भी आग लगाई गई। नई गुमटी फूंक दी। दो तख्त रखे थे, वो भी जला दिए। उपद्रवी कांच की बोतल छतों पर फेंक रहे थे। हम लोग घर के अंदर हो गए थे। हमारे दो बेटे और पति को पुलिस ले गई। जिसने वहां किया, वो जाने। हम लोगों को झेलना पड़ा है। ऐसे कोई कैसे किसी के घर में घुस सकता है?
महराजगंज कस्बे में हम अंदर गए तो हमें अख्तर अली मिले। वह कहते हैं- वो लोग ट्रॉली में ईंट भरकर लाए थे। मारने की प्लानिंग करके आए थे। आखिर हमारे घर में भी तो बहू-बेटियां हैं। ऐसे कोई किसी के घर में कैसे घुस सकता है? पुलिसवाले भी थे, लेकिन क्या वह अपनी जान दे दें, क्योंकि इनकी संख्या बहुत ज्यादा थी। घर का पल्ला तोड़ दिया। अख्तर अली कहते हैं- अब्दुल हमीद (जहां राम गोपाल की हत्या हुई) के घर में कुछ दिन पहले ही बेटे की शादी हुई थी। घर में बहू-बेटी थीं। अब आखिर राम गोपाल छत पर क्यों गया? आंगन में बहू-बेटियां हैं। यही सब देखकर अब्दुल के लड़के को बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने गोली मार दी। इस पूरी घटना को लेकर रेहुआ मंसूर गांव के रामनाथ मिश्रा कहते हैं- महाराजगंज में इस बार सुरक्षा व्यवस्था बहुत कम थी। पिछले साल इससे कहीं ज्यादा थी। प्रशासन ने यह मान लिया था कि किसी भी तरह की अनहोनी नहीं होगी। तभी व्यवस्था नहीं की गई। हमारी तो मांग है कि इस मामले में दोषियों को पकड़ा जाए। पीड़ित परिवार को न्याय मिले। इसी चीज को लेकर प्रदर्शन था। नुकसान का जायजा लेने पहुंच रहे अधिकारी 14 अक्टूबर को हुए दंगे के बाद स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है। सरकारी अफसर हिंसा से प्रभावित गांव में जाकर लोगों से मिल रहे हैं। नुकसान का जायजा ले रहे हैं। एक अधिकारी कहते हैं कि जिनके घरों को जला दिया गया है या फिर लूटा गया है, उनके नुकसान को देखा जा रहा। जो भी उचित होगा, उस हिसाब से मदद दी जाएगी। ——————– ये भी पढ़ें… बहराइच हिंसा में युवक पर गोली चलाने वाले की तस्वीर:बंदूक तानकर खड़ा दिखा; नौकर बोला-हमीद ने बेटे से कहा था और कारतूस लाओ बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान राम गोपाल मिश्रा पर गोली चलाने वाले युवक का वीडियो सामने आया है। उसके हाथ में बंदूक है। उसने टारगेट पर बंदूक तान रखी है। वह जहां से फायरिंग कर रहा है, वह आरोपी अब्दुल हमीद का घर है। इसी घर में राम गोपाल की हत्या हुई थी। फुटेज उस वक्त का है, जब राम गोपाल को उसके साथी अब्दुल हमीद के घर से उठाकर पड़ोसी पप्पू जायसवाल के घर की छत से नीचे उतार रहे थे। हमलावर राम गोपाल के साथियों पर भी फायरिंग कर रहा था। पढ़ें पूरी खबर… दो महीने बाद मेरी बेटी की शादी है। हमने गहने बनवाकर रख लिए थे। 13 अक्टूबर को हिंसा भड़की तो भीड़ मेरे घर तक आ गई। हम लोग भागे। मैं धान के खेत में छिप गई। बेटा गहने और पैसे लेकर बहू-बेटी के साथ भागा, लेकिन भीड़ ने उससे सब छीन लिया। बहुत मारा। बेटी का सिर फोड़ दिया। पोती को भी मारा। रात में घर आए तो सब कुछ जला हुआ मिला। ये शब्द मलिका के हैं। बहराइच के जिस महराजगंज में हिंसा हुई, वहां से मलिका का घर करीब 2 किलोमीटर दूर है। चांदपारा के इस गांव में करीब 20 घरों में आग लगा दी गई। लूटपाट हुई। जो मिला, उसे जमकर पीटा गया। दंगे के 4 दिन बीत चुके हैं। जिनके घर लूटे गए, वे अब तक नहीं लौटे। दैनिक भास्कर की टीम बहराइच हिंसा प्रभावित मोहल्लों और गांवों में गई। वहां क्या कुछ हुआ? कैसे हुआ? उस वक्त बचाव में लोगों ने क्या किया? अब स्थिति कैसी है? जानिए सब कुछ… जहां मंदिर, उसे छोड़कर सब कुछ जला दिया
13 अक्टूबर को महराजगंज में मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम था। आसपास के 10-12 गांव की 20 से ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं महराजगंज में इकट्ठा की जाती हैं। फिर यहीं से 2 किलोमीटर दूर गौरिया घाट में विसर्जन होता है। 13 अक्टूबर को पथराव और फिर लाठीचार्ज के बाद स्थिति बिगड़ गई। 22 साल के राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई। तुरंत तो स्थिति को कंट्रोल कर लिया गया, लेकिन 14 अक्टूबर को इलाके में जमकर आगजनी हुई। राम गोपाल मिश्रा के समर्थन में उतरी भीड़ ने कस्बे के आसपास के घरों पर धावा बोल दिया। महराजगंज में दुकान, घर और शोरूम को आग लगाते हुए भीड़ आगे बढ़ी। 2 किलोमीटर दूर चांदपारा गांव के कबरियन का पुरवा में टूट पड़ी। इस मोहल्ले में सड़क के एक ओर 12 घर और दूसरी ओर से 5-6 घर हैं। सभी घरों में तोड़-फोड़ हुई। लूटा गया और फिर आग लगा दी गई। लोगों ने पेट्रोल डालकर आग लगाई, हम धान के खेत में छिपे थे
कबरियन का पुरवा गांव में हमें नसीम मिले। नसीम का घर भी इस हिंसा में जला दिया गया। वह कहते हैं- विवाद महराजगंज में हुआ था। हमारा वहां से क्या लेना-देना था? हम लोगों को इसका आभास नहीं था कि इतनी दूर ऐसा हो सकता है। जब भीड़ आई तो पूरे परिवार के साथ धान में छिप गए। भीड़ में आए लोग पेट्रोल डाल-डालकर हमारे घरों को जलाने लगे। बोलेरो को भी जला दिया। कुछ नहीं बचा। घर से सिलेंडर वगैरह भी उठा ले गए। कई और सामान भी उठा ले गए। क्योंकि, उस वक्त कोई कुछ बोलने वाला नहीं था। बाद में गांव के लोगों ने मामला संभाला। हम हिंदू हैं लेकिन फिर भी जान बचाकर भागे
नसीम के ही पड़ोस में दौलत कुमार बैठे थे। ये नसीम के पड़ोसी हैं। हिंसक भीड़ ने इनके घर को नहीं जलाया। दंगे को लेकर वह कहते हैं- अपनी जान बचानी थी, इसलिए भाग गए थे, क्योंकि दंगाई हिंदू-मुस्लिम नहीं देखते। नसीम हमारे पड़ोसी हैं। हम नहीं चाहते कि इनका घर जलाया जाए। दंगाइयों ने हमारे छप्पर को तोड़ दिया, लेकिन आग नहीं लगाई। बेटे-बहू भागे, लेकिन उन्हें लूट लिया
कबरियन का पुरवा गांव के सामने ही मलिका का घर है। इनके घर में खड़े दो ट्रैक्टर और एक बोलेरो को हिंसक भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। घटना को लेकर मलिका कहती हैं- भीड़ पहले हमारे सामने वाले गांव में आग लगा रही थी। इसके बाद हमारे घर की तरफ बढ़ी। मेरी बेटी की दो महीने बाद शादी है। घर में गहने बनवाकर रखे थे। मेरे बेटे ने गहने और पैसे लिए। फिर बहू, बेटी और पोती के साथ धान के खेत की तरफ भागे। मलिका कहती हैं- वहां भीड़ मिल गई। उसने सब कुछ छीन लिया। बिटिया की खोपड़ी फोड़ दी। बेटे को भी मारा। पोती को हाथ पर मारा। हम लोग कुछ भी नहीं कर सके। मेरे घर पर आगजनी की, पति-बच्चों को पुलिस ले गई
चांदपारा से हम मुख्य घटनास्थल महराजगंज पहुंचे। हिंसा को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कस्बे की एक भी दुकान नहीं खुली। सभी पर ताला लगा है। हिंसक भीड़ ने कुछ दुकानों के शटर भी तोड़ने की कोशिश की। हम कस्बे के अंदर गए। ज्यादातर घरों से लोग गायब मिले। बस कुछ महिलाएं और बच्चे मिले। पुरुष घर छोड़कर कहीं दूसरी जगह जा चुके हैं। यहां हमें शबनम मिलीं। वह कहती हैं- 14 अक्टूबर को मेरे घर में भी आग लगाई गई। नई गुमटी फूंक दी। दो तख्त रखे थे, वो भी जला दिए। उपद्रवी कांच की बोतल छतों पर फेंक रहे थे। हम लोग घर के अंदर हो गए थे। हमारे दो बेटे और पति को पुलिस ले गई। जिसने वहां किया, वो जाने। हम लोगों को झेलना पड़ा है। ऐसे कोई कैसे किसी के घर में घुस सकता है?
महराजगंज कस्बे में हम अंदर गए तो हमें अख्तर अली मिले। वह कहते हैं- वो लोग ट्रॉली में ईंट भरकर लाए थे। मारने की प्लानिंग करके आए थे। आखिर हमारे घर में भी तो बहू-बेटियां हैं। ऐसे कोई किसी के घर में कैसे घुस सकता है? पुलिसवाले भी थे, लेकिन क्या वह अपनी जान दे दें, क्योंकि इनकी संख्या बहुत ज्यादा थी। घर का पल्ला तोड़ दिया। अख्तर अली कहते हैं- अब्दुल हमीद (जहां राम गोपाल की हत्या हुई) के घर में कुछ दिन पहले ही बेटे की शादी हुई थी। घर में बहू-बेटी थीं। अब आखिर राम गोपाल छत पर क्यों गया? आंगन में बहू-बेटियां हैं। यही सब देखकर अब्दुल के लड़के को बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने गोली मार दी। इस पूरी घटना को लेकर रेहुआ मंसूर गांव के रामनाथ मिश्रा कहते हैं- महाराजगंज में इस बार सुरक्षा व्यवस्था बहुत कम थी। पिछले साल इससे कहीं ज्यादा थी। प्रशासन ने यह मान लिया था कि किसी भी तरह की अनहोनी नहीं होगी। तभी व्यवस्था नहीं की गई। हमारी तो मांग है कि इस मामले में दोषियों को पकड़ा जाए। पीड़ित परिवार को न्याय मिले। इसी चीज को लेकर प्रदर्शन था। नुकसान का जायजा लेने पहुंच रहे अधिकारी 14 अक्टूबर को हुए दंगे के बाद स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है। सरकारी अफसर हिंसा से प्रभावित गांव में जाकर लोगों से मिल रहे हैं। नुकसान का जायजा ले रहे हैं। एक अधिकारी कहते हैं कि जिनके घरों को जला दिया गया है या फिर लूटा गया है, उनके नुकसान को देखा जा रहा। जो भी उचित होगा, उस हिसाब से मदद दी जाएगी। ——————– ये भी पढ़ें… बहराइच हिंसा में युवक पर गोली चलाने वाले की तस्वीर:बंदूक तानकर खड़ा दिखा; नौकर बोला-हमीद ने बेटे से कहा था और कारतूस लाओ बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान राम गोपाल मिश्रा पर गोली चलाने वाले युवक का वीडियो सामने आया है। उसके हाथ में बंदूक है। उसने टारगेट पर बंदूक तान रखी है। वह जहां से फायरिंग कर रहा है, वह आरोपी अब्दुल हमीद का घर है। इसी घर में राम गोपाल की हत्या हुई थी। फुटेज उस वक्त का है, जब राम गोपाल को उसके साथी अब्दुल हमीद के घर से उठाकर पड़ोसी पप्पू जायसवाल के घर की छत से नीचे उतार रहे थे। हमलावर राम गोपाल के साथियों पर भी फायरिंग कर रहा था। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर