अतीक ने 3 हजार करोड़ का साम्राज्य बनाया…सब तबाह:प्रयागराज में पुश्तैनी घर तक नहीं बचा, माफिया बनने से खौफनाक अंत तक की कहानी अतीक अहमद गरीब परिवार में पैदा हुआ। पिता तांगा चलाते थे। 3 कमरों का घर था। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि सभी बच्चों की जरूरत पूरी कर पाएं। 27 साल की उम्र में अतीक निर्दलीय विधायक बन गया। इसके बाद तो मानों उसके हाथ अलादीन का चिराग लग गया हो। खूब संपत्तियां बनाई। आसपास प्राइम लोकेशन पर खाली जमीनों को अपने नाम करवा लिया। किसी को पैसा दिया तो किसी को धौंस दिखाकर शांत करवा दिया। अतीक ने 1989 से 2020 तक 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति इकट्ठा कर ली। प्रयागराज में होटल-कॉम्पलेक्स बनवाए। लखनऊ-नोएडा में आलीशान कोठियां बनवाई। दुबई-सिंगापुर तक के बिजनेस में पैसा लगाया। नौकरों तक के नाम जमीन खरीद ली। हालत यह है कि प्रशासन पिछले 5 सालों से हर महीने कहीं न कहीं अतीक की संपत्तियां कुर्क करता नजर आता है। अतीक की मौत को 15 अप्रैल को 2 साल हो जाएंगे। अतीक का उभार और अंत कैसे हुआ, कितनी संपत्तियां कुर्क हुईं, कितना कब्जा मुक्त हुआ, अतीक के घर का हाल, आलीशान ऑफिस और चमकती कोठी किस स्थिति में है? इन चीजों को जानने दैनिक भास्कर की टीम प्रयागराज पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… जहां अतीक का जन्म, वहां सब कुछ तबाह
इलाहाबाद हाईकोर्ट से करीब 4 किलोमीटर दूर अतीक अहमद का गांव चकिया है। टीम अतीक के घर पहुंची। करीब दो बीघे के बीचों-बीच बना घर प्रशासन ने तोड़ दिया है। आज से 63 साल पहले यानी 1962 में यहीं अतीक अहमद का जन्म हुआ था। पिता हाजी फिरोज अहमद उस वक्त तांगा चलाते थे। फिरोज घर में अकेले कमाने वाले थे, इसलिए अतीक को पढ़ाकर कुछ बनाना चाहते थे। अतीक ने पढ़ाई शुरू की, लेकिन उसका मन रंगबाजी में ज्यादा लगता। किसी तरह से 10वीं क्लास में पहुंचा। परीक्षा दी, लेकिन फेल हो गया। फिर अतीक ने पढ़ाई छोड़ दी। पिता पढ़ाई के लिए कहते रहे, लेकिन अतीक अहमद पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। अतीक ने अमीर बनने के लिए शॉर्ट कट रास्ते को चुन लिया। इस शॉर्टकट में लूट, हत्या और अपहरण शामिल था। 17 साल की उम्र में अतीक का पहली बार एक हत्या में नाम आया। यहीं से अतीक के क्रिमिनल बनने की कहानी शुरू होती है। पुश्तैनी घर पर बुलडोजर चला…मलबा तक नहीं हटा
एक समय अतीक अहमद अपने चकिया वाले घर से पूरे प्रयागराज सहित पूर्वांचल की राजनीति को नियंत्रित करता था। यहीं बैठका बनवाया था। बाद में उसे एक हॉल में तब्दील कर दिया गया। अब ये घर पूरी तरह से खंडहर में बदल चुका है। हम मलबे से होते हुए अंदर पहुंचे। यहां अतीक का गैराज था। पहले इसमें महंगी विदेशी गाड़ियां खड़ी होती थी, अब एक लैंड क्रूजर खड़ी है, लेकिन पूरी गाड़ी पर धूल पड़ी हुई है। गाड़ी के अंदर के सारे पार्ट्स लगभग गायब हैं। यहीं 2 और कमरे हैं जिन्हें नहीं तोड़ा गया है। इसमें जो कुर्सियां और बेड लगाए गए हैं उस पर गंदगी फैली हुई है। चकिया इलाके में हमें निसार अहमद मिले। निसार ट्रॉली रिक्शा चलाते हैं। पिछले 30 सालों से वह इसी चकिया इलाके में काम कर रहे हैं। हमने उसके ऑफिस और अतीक के व्यवहार को लेकर पूछा तो वह कहते हैं- अतीक बुरा आदमी नहीं था। वह हमेशा गरीबों की मदद करता था। जो भी यहां अपनी फरियाद लेकर आता, वह उसे अपनी तरफ से मदद करता था। कभी किसी को खाली हाथ नहीं जाने दिया। 200 मीटर दूर साढ़ू का भी घर जमींदोज
इसके बाद हम अतीक के घर से चकिया साइड आगे बढ़े। अतीक के घर से 200 मीटर दूर उसके साढ़ू इमरान का भव्य मकान बना था, लेकिन अब यह भी जमींदोज कर दिया गया है। इमरान पर अपहरण, लूट और मारपीट के डेढ़ दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं। 2021 में इमरान ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। उसके बाद से वह अभी जेल में ही है। इमरान के घर के ही ठीक सामने करीब 6 बीघे का प्लॉट है। यह प्लॉट भी अतीक अहमद का है। करीब 10 साल पहले अतीक ने इसकी बाउंड्री करवा ली थी, उस वक्त आसपास के लोगों का घर छिप गया था। हम यहां पहुंचे और बात करने की कोशिश की तो ज्यादातर लोगों ने कैमरे के सामने बात करने से मना कर दिया। नरेश नाम के एक व्यक्ति कैमरे पर आए और कहते हैं- पहले इस जमीन पर हम लोग खेती करते थे। अतीक अहमद ने बाउंड्री करवा ली। उनके सामने हम तो बोल नहीं सकते, किसे आखिर जूता-लात खाना है। इसके बाद उन्होंने कुछ बात नहीं की। इसी जमीन पर गोबर के कंडे बना रही एक बुजुर्ग महिला से बात हुई। उन्होंने भी कहा कि कैमरा पर बोलेंगे तो वो लोग कहेंगे कि हमने कुछ बोला है। हालांकि इसके बाद वह कहती हैं- पहले यह जमीन लाला की थी, फिर अतीक ने हड़प लिया। जब बाउंड्री करवाया तो हमारा भी घर गिरा दिया। अब यह जमीन सरकारी हो गई। सरकार ने दो बोर्ड भी लगाया, लेकिन वह गिरा दिया गया। हम ज्यादा कुछ नहीं बोलेंगे, यहां रहकर उनसे कोई बैर नहीं ले सकता। अतीक के आलीशान ऑफिस में देवी-देवताओं की मूर्तियां
हम अब चकिया से निकलकर लूकरगंज पहुंचे। यह जगह अतीक के घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है। यहां अतीक अहमद ने अपना भव्य ऑफिस तैयार कराया था। इसी ऑफिस पर वह विधायक और सांसद बनने के बाद क्षेत्र के लोगों से मिलता था। जिले में इतनी बड़ी ऑफिस पार्टियों के पास भी नहीं थी। इसे शानदार तरीके से डिजाइन करके तैयार करवाया गया था। ऊपर बड़े नेताओं के सोने तक की व्यवस्था की गई थी। प्रशासन ने इसे भी ध्वस्त कर दिया है। यहां चारों तरफ कचरा ही नजर आया। हमारे साथ एक स्थानीय व्यक्ति थे, वह कहते हैं- कुछ दिन पहले इस ऑफिस में आग लगी थी, इसलिए चारों तरफ जला हुआ नजर आ रहा है। ऊपर हाल में 2014 लोकसभा चुनाव के लिए अतीक ने जो टोपी बनवाई थी वह मिली। यहीं अलमारी पर देवी-देवताओं की करीब 10 से ज्यादा मूर्तियां रखी हुई थी। सरकार ने अतीक की जमीन पर गरीबों का घर बनाया
अतीक अहमद ने लूकरगंज में बहुत सारी जमीनों पर कब्जा किया था। इसी में 15 हजार स्क्वायर फिट जमीन को सरकार ने सितंबर 2020 में उससे छुड़ाया। उस जमीन पर प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 76 फ्लैट बनाए। 4 मंजिला इस टावर में एक फ्लैट की कीमत साढ़े 7 लाख रुपए रखी गई थी। लाभार्थी को 3.5 लाख रुपए देना था बाकी का पैसा सरकार ने सब्सिडी के तौर पर दिया। लकी ड्रॉ के जरिए इसमें आवास आवंटित किया गया है। हम यहां पहुंचे, हमारी मुलाकात कालोनी के प्रमुख महेंद्र मेहता से हुई। वह कहते हैं, सभी फ्लैट यहां आवंटित हो चुके हैं। 15-16 परिवार अभी यहां शिफ्ट नहीं हुए हैं। पहले हम किराए के मकान पर रहते थे। अब हमें यह मिल गया। इसमें सीएम योगी और पीएम मोदी का बहुत सहयोग रहा। अब तक 3 हजार करोड़ की संपत्ति कुर्क
अतीक अहमद और उसके गुर्गों के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई को लेकर हम प्रयागराज प्राधिकरण पहुंचे। हमें पता चला अतीक अहमद की 3 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क या फिर जब्त हुई है। अतीक ने 70% संपत्तियां अपने गुर्गों और नौकरों के नाम पर खरीदी थी, इसलिए जैसे-जैसे जानकारी मिल रही वैसे-वैसे कार्रवाई की जा रही है। अधिकारी तो यहां तक दावा करते हैं कि अतीक की बेनामी संपत्तियां 10 हजार करोड़ रुपए तक है। अतीक ने पत्नी के नाम ज्यादा संपत्तियां बनाई
अतीक अहमद की ज्यादातर संपत्तियां उसकी फरार पत्नी शाइस्ता परवीन के नाम हैं। शाहापुर उर्फ पीपलगांव में 1.945 हेक्टेयर, अकबरपुर मिर्जापुर गांव में 1.835 हेक्टेयर जमीन कुर्क की गई है। दोनों शाइस्ता के नाम थीं। रहीमाबाद में 1.524 हेक्टेयर जमीन कुर्क की गई। जहां अतीक का घर है वहीं कसारी मसारी में 15 हजार 550 वर्ग मीटर का प्लॉट कुर्क किया गया। यह 2002 में अतीक और अशरफ के नाम था। नसीरपुर सिलना गांव में 8,750 वर्ग मीटर जमीन, कौशांबी के रसूलाबाद कोइलहा में 6 बीघा जमीन, नैनी के अरैल में 6 करोड़ की, झूंसी के हवेलिया में 128 करोड़ की जमीन कुर्क की गई। बेनीगंज दरियाबाद की तीन संपत्ति जब्त की गईं। प्रयागराज के अलावा अतीक ने लखनऊ और नोएडा के सेक्टर-36 में बांग्ला बना रखा था। उसका नाम शाहरुख खान के बंगले के नाम मन्नत पर रखा था। लखनऊ के फैजुल्लागंज की इंद्रापुरी कॉलोनी में जो 800 वर्ग मीटर में बंगला बना था, उसमें स्विमिंग पूल तक था। यह शाइस्ता परवीन के नाम 2018 में खरीदा गया था। लखनऊ के ही गोमतीनगर विस्तार के भैसौरा में भी अतीक का दो बड़ा प्लॉट था, उसे भी कुर्क किया गया है। अतीक का रसूख और कैसे हुआ उसका अंत कभी प्रशासन का खास हुआ करता था अतीक
80 के दशक में अतीक उभरा। उस वक्त शहर में चांद बाबा नाम का गुंडा हुआ करता था। दबदबा ऐसा कि जिस सेठ से जितना रुपया मांग ले वह दे देता था। कोई पुलिस से शिकायत करने नहीं जाता था। हालत यह थी कि पुलिस चौक एरिया और रानी मंडी में कोई अपराध हो तो पुलिस जाने से डरती थी। उस वक्त पुलिस चांद बाबा से छुटकारा चाहती थी। इसलिए उसने उभरते हुए अतीक पर अपना हाथ रखा। जिले में कुछ बड़े नेताओं ने भी इस नए उम्र के क्रिमिनल की मदद की। अतीक चांद बाबा के लोगों से निपटता गया और गैंग बढ़ाता चला गया। 7 साल बीत गए, अब अतीक अहमद चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका था। इन सात सालों में हत्या, हत्या के प्रयास के साथ लूट और अपहरण की दर्जनभर से ज्यादा खबरें आईं। सभी में अतीक अहमद का रोल रहा। जिन पुलिस अधिकारियों ने उसे समर्थन दिया था, अब वह उन्हीं के लिए सिर दर्द बन चुका था। आखिरकार अतीक अहमद को गिरफ्तार किया गया। तब प्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी और केंद्र में राजीव गांधी की। पुलिस के ही एक अधिकारी कहते हैं, उस वक्त दिल्ली से एक फोन आया था। उस फोन में भाषा तल्ख थी। कहा गया- ‘अतीक अहमद को छोड़ दिया जाए।’ फोन कटा और दूसरी तरफ अतीक अहमद जेल से बाहर आ गया। पहली बार निर्दलीय विधायक बना, सांसद तक चुना गया
जेल से बाहर आने पर अतीक को यह समझ आ गया कि अपराध की दुनिया में रहकर बचने के लिए नेता बनना जरूरी है। उसने तय किया कि नेता बनेगा। साल 1989 तक उसके खिलाफ 20 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके थे। तब तक अतीक की शादी भी नहीं हुई थी। उसने कांग्रेस समेत कई पार्टियों से टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला। अतीक इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट पर निर्दलीय चुनाव में उतर गया। नतीजे आए तो सब हैरान रह गए। अतीक ने कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल दास यादव को 8 हजार 102 वोट से हरा दिया। इस चुनाव में चांद बाबा भी प्रत्याशी था, लेकिन वह बहुत नीचे रहा। जीत के बाद अतीक अहमद रॉबिनहुड बनने लगा। गरीबों को सीधी मदद देनी शुरू की। इससे चांद बाबा चिढ़ गया। लेकिन वह समझ चुका था कि अतीक सिर्फ क्रिमिनल नहीं है, वह विधायक बन चुका है। विधायक बनने के तीन महीने बीत गए। एक दिन चांद बाबा रोशन बाग में चाय की एक टपरी पर पूरे गैंग के साथ बैठा था। तभी अतीक अहमद गैंग ने हमला किया। जमकर बमबाजी हुई और गोलियां चलीं। शहर का सबसे व्यस्त इलाका धुआं-धुआं हो गया। इस गैंगवार में चांद बाबा मारा गया। कुछ ही दिनों में चांद बाबा से जुड़े लोग भी मार दिए गए। अपने नक्शे कदम पर अपने भाई को राजनीति में उतारा
अतीक अहमद शहर की पश्चिमी विधानसभा सीट पर राजनीति करता था। 1989, 1991 और 1993 के विधानसभा चुनाव में वह निर्दलीय रहते हुए जीता। 1996 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने उसे अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। 1996 के चुनाव में अतीक ने सपा के टिकट पर चुनाव जीत लिया। अतीक के अब दो चेहरे हो गए। एक तरफ तो वह गरीबों के लिए मददगार था तो दूसरी तरफ उसके लोग अवैध कब्जे करने लगे। इसीलिए मुलायम सिंह ने अतीक से दूरी बना ली। 2003 के चुनाव में अतीक सोने लाल पटेल की अपना दल पार्टी से चुनाव लड़ा और लगातार 5वीं बार चुनाव जीत गया। एक पुलिस अधिकारी कहते हैं, किसी माफिया का 5 बार लगातार विधायक बनना बड़ी बात थी। इससे अपराध में उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। यही कारण है कि अतीक ने साल दर साल बड़े अपराध को अंजाम दिया। 2002 में नस्सन की हत्या। 2004 में मुरली मनोहर जोशी के खास रहे अशरफ की हत्या और फिर 2005 में शहर पश्चिमी के नए विधायक राजू पाल की हत्या। इन सारी हत्याओं में अतीक सीधे शामिल रहा, लेकिन डेढ़ दशक तक उस पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हो पाया। 2004 में अतीक अहमद की फिर से सपा में वापसी हुई। मुलायम सिंह ने उसे फूलपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया। अतीक अहमद जीत गया। इसके बाद शहर पश्चिमी सीट खाली हो गई। अतीक ने अपने छोटे भाई अशरफ को यहां सपा के टिकट पर उतारा। बसपा से उतरे राजू पाल ने अशरफ को हरा दिया। जिस सीट पर अतीक पिछले 15 सालों से जीत रहा वहां अपने भाई की हार देखकर आग बबूला हो गया। 25 जनवरी 2005 को दिन दहाड़े राजू पाल की हत्या कर दी गई। गोली चलाने वालों में अशरफ भी था। जज तक ने केस लेने से कर दिया मना
यह अतीक के माफिया से विधायक और फिर बाहुबली बनने का दौर था। राजनीति में इतना दबदबा हो गया कि प्रशासन और कोर्ट भी अब नतमस्तक होने लगे। 2012 में अतीक अहमद जेल में बंद था। उसने शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। हाईकोर्ट में याचिका डाली। 10 जजों ने केस पर सुनवाई करने से ही मना कर दिया। 11वें जज ने अतीक के पक्ष में फैसला सुनाया। अतीक 2012 में अपना दल के टिकट से चुनाव लड़ा। लेकिन राजू पाल की पत्नी पूजा पाल से 8,885 वोटों से हार गया। इस चुनाव के बाद अतीक की राजनीतिक सियासत कमजोर होती चली गई। 2014 में अतीक ने लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार सीट श्रावस्ती थी। सपा के टिकट से चुनाव हार गया। यहां से अतीक को समझ आ गया कि एक बार जब पहचान क्रिमिनल के रूप में हो जाए तो चुनाव जीतना लगभग मुश्किल हो जाता है, इसलिए वापस दबंगई की शुरुआत कर दी। इस बार ठिकाना जेल को बनाया। 2017 में नैनी के शुआट्स कॉलेज में पहुंचकर मारपीट की। इसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत को रद्द करके जेल में डालने का आदेश दिया। अगले 8 साल तक अतीक फिर जेल में ही रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अतीक को यूपी के बाहर शिफ्ट करिए
26 दिसंबर 2018 को लखनऊ से कारोबारी मोहित जायसवाल को उठाया गया। उन्हें 300 किलोमीटर दूर देवरिया जेल ले जाया गया, जहां अतीक बंद था। मोहित जायसवाल की जमकर पिटाई की गई। फिर सादे कागज में सिग्नेचर करवाया गया, इसका वीडियो बनाकर वायरल किया गया, ताकि लोगों में भय बना रहे। मोहित कहते हैं- ‘जेल के अंदर 15-20 लोगों ने मुझे लाठी-डंडो से मारा। मेरी एसयूवी छीन ली। कहा कि तुम जेल के अंदर हो इसलिए तुम्हारी हत्या नहीं कर रहे हैं, नहीं तो मार देते।’ इस कांड से योगी सरकार पर सवाल खड़ा हुआ। अतीक को बरेली जेल शिफ्ट करने को कहा गया, जिसने अतीक को रखने से साफ मना कर दिया। इसके बाद अतीक को नैनी जेल भेजा गया। मोहित की किडनैपिंग मामले में अतीक के साथ उसके बड़े बेटे पर भी मामला दर्ज हुआ। 23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि अतीक अहमद को यूपी के बाहर कहीं शिफ्ट कीजिए। सरकार ने 3 जून 2019 को उसे अहमदाबाद के साबरमती जेल शिफ्ट किया। उमेश पाल की हत्या बनी खात्मे की वजह
24 फरवरी 2023 की शाम को धूमनगंज इलाके में वकील उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। सुरक्षा में लगे सिपाही संदीप निषाद और राघवेंद्र की भी मौत हो गई। इस कांड में अतीक के बेटे असद अहमद ने उमेश पाल पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। सीसीटीवी फुटेज सामने आए तो विधानसभा में उस वक्त के नेता प्रतिपक्ष और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल खड़े किए। सीएम योगी ने कहा- हम मिट्टी में मिला देंगे। इसके बाद प्रशासन एक्टिव हो गया। पुलिस ने एक के बाद एक एनकाउंटर किया। 13 अप्रैल 2023 को झांसी में अतीक अहमद के बेटे असद अहमद का एनकाउंटर कर दिया। जब एनकाउंटर हुआ तो अतीक अहमद शहर की कचहरी में मौजूद था। उसे जैसे ही पता चला वह मायूस हो गया। अशरफ उसे संभालता नजर आया। मेन बात यह कि गुड्डू मुस्लिम…
असद के एनकाउंटर के दो दिन बाद यानी 15 अप्रैल 2023 की शाम करीब साढ़े 6 बजे अतीक और अशरफ से धूमनगंज थाने में एसटीएफ और यूपी एटीएस ने पूछताछ की। रात साढ़े 8 बजे उमेश पाल हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए हथियार को बरामद करने के लिए कसारी-मसारी के जंगल में ले गए। वहां से दो पिस्टल मिली। एक अमेरिकी पिस्टल थी। 55 कारतूस भी। हथियार मिलने के बाद दोनों को कॉल्विन हॉस्पिटल ले जाया गया। रात के साढ़े 10 बजे दोनों को गाड़ी से उतारा गया। हाथ में हथकड़ी थी। अतीक से एक पत्रकार ने पूछा- आप दोनों असद के जनाजे में क्यों नहीं गए? अतीक ने कहा- नहीं ले गए तो नहीं गए। इतना कहने के बाद चुप हो गया। रात 10 बजकर 35 मिनट पर मीडिया ने गुड्डू मुस्लिम को लेकर सवाल किया। अशरफ ने जैसे ही कहा- मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम…तभी एक हमलावर ने अतीक की कनपटी पर फायर झोंक दिया। तीनों बदमाशों ने एक के बाद एक कुल 14 फायर झोंक दिए। अतीक-अशरफ गिर पड़े। तीनों बदमाशों ने पिस्टल फेंककर दोनों हाथ ऊपर कर लिया और धार्मिक नारे लगाने लगे। पुलिस ने तीनों को पकड़ लिया। पार्ट-2 में कल पढ़िए-किस हाल में है अतीक का परिवार —————— ये खबर भी पढ़ें… PM ने कमिश्नर से पूछा- गैंगरेप मामले में क्या हुआ:वाराणसी एयरपोर्ट पर उतरते ही एक्शन में दिखे मोदी प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को काशी दौरे पर थे। सुबह सवा दस बजे एयरपोर्ट पर उतरते ही PM मोदी एक्शन के मूड में दिखे। उन्होंने पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से छात्रा से गैंगरेप को लेकर सवाल-जवाब किए। उन्होंने कमिश्नर से वारदात की पूरी जानकारी ली। कहा- सभी दोषियों पर सख्त एक्शन हो। साथ ही, ऐसी घटना दोबारा न होने पाए। पढ़ें पूरी खबर