28 जिलों में क्यों नहीं बन पाए भाजपा जिलाध्यक्ष:कार्यकर्ता माने लेकिन नेता अड़े; पीएम मोदी, केशव मौर्य के क्षेत्र में भी चुनाव अटका

28 जिलों में क्यों नहीं बन पाए भाजपा जिलाध्यक्ष:कार्यकर्ता माने लेकिन नेता अड़े; पीएम मोदी, केशव मौर्य के क्षेत्र में भी चुनाव अटका

यूपी भाजपा ने रविवार को 70 जिलों में जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी। 28 जिलों में विरोध, गुटबाजी और नेताओं के दबाव के चलते ऐन वक्त पर चुनाव टाल दिया गया। इन जिलों में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र चंदौली और डिप्टी सीएम केशव मौर्य का गृह जनपद कौशांबी भी शामिल हैं। 70 जिलाध्यक्षों में से 44 नए चेहरे हैं। 5 महिलाएं हैं और 26 को दोबारा मौका दिया गया। हालांकि, भाजपा में लंबे समय बाद ऐसा देखने को मिला कि जब प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए एकमत नहीं हो सका। पहले जानते हैं किन जिलों में है विवाद इन जिलों में आपसी खींचतान से अटका चुनाव इस तरह से नाराजगी रोकने में सफल रही भाजपा
जिलों में भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा करने से हंगामा और विरोध-प्रदर्शन होने की आशंका थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने माहौल खराब होने से रोकने के लिए मजबूत रणनीति बनाई। चुनाव पर्यवेक्षक के साथ एक-एक वरिष्ठ पदाधिकारी, प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद या पूर्व मंत्री को जिलों में भेजा गया। पार्टी ने सभी जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति के लिए आयोजित बैठक का लाइव कवरेज कराया। जिले में बैठक से पहले ही ऐलान कर दिया गया कि इसका सीधा प्रसारण धर्मपाल सिंह खुद देख रहे हैं। धर्मपाल ने प्रदेश मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम में बैठक कर एक-एक जिले में नियुक्ति की घोषणा को लाइव देखा। बैठक के लाइव कवरेज और उस पर धर्मपाल सिंह की नजर के कारण कहीं भी विरोध नहीं हुआ। अब पढ़िए क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक चुनावी साल की वजह से ऐसा हुआ
राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का मानना है कि यह चुनावी साल है। इस कारण जो प्रभावी और ताकतवर नेता अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते थे, वे अपनी ताकत का इस्तेमाल कर बात मनवाने में सफल रहे। अब नए प्रदेश अध्यक्ष 28 जिलों में नियुक्त करेंगे जिलाध्यक्ष
राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय मानते हैं कि वरिष्ठ नेताओं को जिन जिलों में अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनवाना है, वहां चुनाव स्थगित कराने का रास्ता अपनाया गया। जिन 28 जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई, वहां अब भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष ही जिलाध्यक्ष नियुक्त करेंगे। उसके बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष मिलकर मंडल अध्यक्ष नियुक्त करेंगे। नेताओं के बीच सहमति नहीं बना सके नेता
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने यूपी में शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय को यूपी में संगठन चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था। डॉ.पांडेय को एक बार मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष नियुक्ति का अनुभव भी था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया में 2 महीने से अधिक का विलंब होने के बाद भी 200 से ज्यादा मंडल अध्यक्ष अभी तक घोषित नहीं हुए। वहीं, 28 जिलों में स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री और पदाधिकारियों की आपसी खींचतान के कारण जिलाध्यक्ष नियुक्त नहीं हो सके। यहां तक कि पांडेय खुद अपने गृह जिले चंदौली में भी जिलाध्यक्ष की नियुक्त कराने में सफल नहीं हुए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह जिलाध्यक्षों को लेकर नेताओं के बीच सहमति नहीं बना सके। ——————– यह खबर भी पढ़ें… योगी बोले- पहले के CM 12 बजे सोकर उठते थे, पिछली सरकारों ने वन डिस्ट्रिक-वन माफिया दिया सहारनपुर पहुंचे योगी ने कहा कि पिछली सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया दिया। हमने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट दिया। हस्तशिल्पी पहले भी थे लेकिन पिछली सरकारों ने उनके लिए कुछ नहीं किया। पब्लिक तरसती रहती थी और उनके गुर्गे प्रदेश को तबाह कर देते थे। पढ़ें पूरी खबर यूपी भाजपा ने रविवार को 70 जिलों में जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी। 28 जिलों में विरोध, गुटबाजी और नेताओं के दबाव के चलते ऐन वक्त पर चुनाव टाल दिया गया। इन जिलों में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र चंदौली और डिप्टी सीएम केशव मौर्य का गृह जनपद कौशांबी भी शामिल हैं। 70 जिलाध्यक्षों में से 44 नए चेहरे हैं। 5 महिलाएं हैं और 26 को दोबारा मौका दिया गया। हालांकि, भाजपा में लंबे समय बाद ऐसा देखने को मिला कि जब प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए एकमत नहीं हो सका। पहले जानते हैं किन जिलों में है विवाद इन जिलों में आपसी खींचतान से अटका चुनाव इस तरह से नाराजगी रोकने में सफल रही भाजपा
जिलों में भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा करने से हंगामा और विरोध-प्रदर्शन होने की आशंका थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने माहौल खराब होने से रोकने के लिए मजबूत रणनीति बनाई। चुनाव पर्यवेक्षक के साथ एक-एक वरिष्ठ पदाधिकारी, प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद या पूर्व मंत्री को जिलों में भेजा गया। पार्टी ने सभी जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति के लिए आयोजित बैठक का लाइव कवरेज कराया। जिले में बैठक से पहले ही ऐलान कर दिया गया कि इसका सीधा प्रसारण धर्मपाल सिंह खुद देख रहे हैं। धर्मपाल ने प्रदेश मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम में बैठक कर एक-एक जिले में नियुक्ति की घोषणा को लाइव देखा। बैठक के लाइव कवरेज और उस पर धर्मपाल सिंह की नजर के कारण कहीं भी विरोध नहीं हुआ। अब पढ़िए क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक चुनावी साल की वजह से ऐसा हुआ
राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का मानना है कि यह चुनावी साल है। इस कारण जो प्रभावी और ताकतवर नेता अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते थे, वे अपनी ताकत का इस्तेमाल कर बात मनवाने में सफल रहे। अब नए प्रदेश अध्यक्ष 28 जिलों में नियुक्त करेंगे जिलाध्यक्ष
राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय मानते हैं कि वरिष्ठ नेताओं को जिन जिलों में अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनवाना है, वहां चुनाव स्थगित कराने का रास्ता अपनाया गया। जिन 28 जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई, वहां अब भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष ही जिलाध्यक्ष नियुक्त करेंगे। उसके बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष मिलकर मंडल अध्यक्ष नियुक्त करेंगे। नेताओं के बीच सहमति नहीं बना सके नेता
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने यूपी में शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय को यूपी में संगठन चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था। डॉ.पांडेय को एक बार मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष नियुक्ति का अनुभव भी था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया में 2 महीने से अधिक का विलंब होने के बाद भी 200 से ज्यादा मंडल अध्यक्ष अभी तक घोषित नहीं हुए। वहीं, 28 जिलों में स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री और पदाधिकारियों की आपसी खींचतान के कारण जिलाध्यक्ष नियुक्त नहीं हो सके। यहां तक कि पांडेय खुद अपने गृह जिले चंदौली में भी जिलाध्यक्ष की नियुक्त कराने में सफल नहीं हुए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह जिलाध्यक्षों को लेकर नेताओं के बीच सहमति नहीं बना सके। ——————– यह खबर भी पढ़ें… योगी बोले- पहले के CM 12 बजे सोकर उठते थे, पिछली सरकारों ने वन डिस्ट्रिक-वन माफिया दिया सहारनपुर पहुंचे योगी ने कहा कि पिछली सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया दिया। हमने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट दिया। हस्तशिल्पी पहले भी थे लेकिन पिछली सरकारों ने उनके लिए कुछ नहीं किया। पब्लिक तरसती रहती थी और उनके गुर्गे प्रदेश को तबाह कर देते थे। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर