भास्कर न्यूज | अमृतसर अलग-अलग थानों की पुलिस ने दो मामलों 50 किलो लाहन और 22.05 लीटर अवैध शराब बरामद की एक महिला को काबू किया है, जबकि दूसरा आरोपी फरार होने में सफल हो गया। थाना ब्यास की पुलिस ने बताया कि बुधवार को हसनपुर में रेड कर आरोपी महिला राजविंदर कौर को काबू करके 50 किलो लाहन बरामद की गई। इसी तरह, थाना मजीठा की पुलिस ने गुप्त सूचना पर आरोपी वसण सिंह के घर गांव भंगवां में रेड कर 22.05 लीटर अवैध शराब बरामद की गई, लेकिन आरोपी घर से फरार होने में सफल हो गया। संबंधित थानों की पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। भास्कर न्यूज | अमृतसर अलग-अलग थानों की पुलिस ने दो मामलों 50 किलो लाहन और 22.05 लीटर अवैध शराब बरामद की एक महिला को काबू किया है, जबकि दूसरा आरोपी फरार होने में सफल हो गया। थाना ब्यास की पुलिस ने बताया कि बुधवार को हसनपुर में रेड कर आरोपी महिला राजविंदर कौर को काबू करके 50 किलो लाहन बरामद की गई। इसी तरह, थाना मजीठा की पुलिस ने गुप्त सूचना पर आरोपी वसण सिंह के घर गांव भंगवां में रेड कर 22.05 लीटर अवैध शराब बरामद की गई, लेकिन आरोपी घर से फरार होने में सफल हो गया। संबंधित थानों की पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पाकिस्तान में 47 साल में दूसरी बार लोहड़ी मनाई गई:जनरल जिया-उल-हक ने बंद कराई थी; गद्दाफी स्टेडियम में पंजाबियों ने भांगड़ा किया
पाकिस्तान में 47 साल में दूसरी बार लोहड़ी मनाई गई:जनरल जिया-उल-हक ने बंद कराई थी; गद्दाफी स्टेडियम में पंजाबियों ने भांगड़ा किया भारत के साथ पाकिस्तान के लहंदा पंजाब (पश्चिमी पंजाब) में भी सोमवार को लोहड़ी का त्योहार मनाया गया। यह 47 साल में दूसरा मौका है, जब पंजाबी कम्युनिटी के लोगों ने पाकिस्तान में लोहड़ी पर आग जलाई और भांगड़ा किया। लोग लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में त्योहार मनाने के लिए पहुंचे थे। साल 1978 में जनरल जिया-उल -हक के सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान में लोहड़ी का त्योहार मनाना बंद किया गया था। यह त्योहार राय अब्दुल्ला खान भट्टी (दुल्ला भट्टी) के नाम से जुड़ा है। लोहड़ी के गीत में भी दुल्ला भट्टी के नाम का जिक्र है। दुल्ला भट्टी को आजादी से पहले पंजाब का मुस्लिम रॉबिन हुड कहा जाता था। साल 1947 में विभाजन के बाद, मुस्लिम बहुल पश्चिमी पंजाब में दुल्ला भट्टी लगभग भुला दिए गए, लेकिन भारत में आज भी लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। अब पाकिस्तान में रह रही पंजाबी कम्युनिटी ने पिछले साल से लोहड़ी दोबारा मनानी शुरू की है। पाकिस्तान में लोहड़ी सेलिब्रेशन की तस्वीरें इतिहासकार बाजवा बोले- जिया उल हक ने बदलाव किए
पाकिस्तानी इतिहासकार अली उस्मान बाजवा ने कहा कि बैसाखी और लोहड़ी पंजाब के सांस्कृतिक त्योहार हैं। इन त्योहारों का न मनाना हमारे इतिहास से अलगाव के समान है। जनरल जिया-उल -हक के सत्ता संभालते ही पाकिस्तान में लोहड़ी का त्योहार मनाना बंद कर दिया गया। उन्होंने कई बदलाव किए, जिनसे बैसाखी और लोहड़ी पर असर पड़ा। दलित समुदाय और दुल्ला भट्टी का कनेक्शन
पाकिस्तानी लेखक और वकील नैन सुख (असली नाम खालिद महमूद) ने बताया कि लोहड़ी का त्योहार पाकिस्तान में दलित समुदाय, विशेष रूप से वाल्मीकि समाज में अधिक लोकप्रिय था। दुल्ला भट्टी ने अपनी बहन समान एक दलित लड़की के साथ खाना साझा किया था। वाल्मीकि समाज इस त्योहार पर जुलूस निकालता था और कुश्ती प्रतियोगिताएं कराता था। कौन हैं दुल्ला भट्टी, जिनका जिक्र लोहड़ी से जुड़ा
लोककथाओं के अनुसार, दुल्ला भट्टी का जन्म 16वीं सदी में वर्तमान पश्चिमी पंजाब के पिंडी भट्टियां गांव में हुआ था। उनके पिता और चाचा को मुगल बादशाह अकबर ने फांसी दे दी थी। यह बात दुल्ला से छिपाई गई, लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला तो वे विद्रोही बन गए। दुल्ला भट्टी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनका गरीब ब्राह्मण परिवार की बेटियां सुंदर और मुंदर को बचाना था। यह वही कहानी है, जिस पर प्रसिद्ध लोहड़ी गीत ‘सुंदरिए-मुंदरिए हो, तेरा कोन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो’ आधारित है।
संकीर्तन कर महाराजा गार्डन से निकली प्रभातफेरी
संकीर्तन कर महाराजा गार्डन से निकली प्रभातफेरी जालंधर| श्री चैतन्य महाप्रभु राधा माधव मंदिर के प्रबंधकों की ओर से बुधवार को 25वीं प्रभातफेरी चंद्र मोहन वैद, निवास स्थान महाराजा गार्डन से निकाली गई। संकीर्तन का शुभारंभ पुजारी दीनार्ती हर दास प्रभु, केवल कृष्ण, रेवती रमन गुप्ता, कपिल शर्मा व मिंटू कश्यप द्वारा गुरु वंदना, वैष्णव वंदना और पंचतत्व द्वारा किया गया। प्रभातफेरी में सबसे आगे श्री चैतन्य महाप्रभु श्री श्री राधा माधव जी की पालकी के साथ भक्त हाथों में रंग बिरंगे झंडे उठा कर नृत्य संकीर्तन करते हुए चले। मंदिर के महासचिव राजेश शर्मा ने बताया कि 8 नवंबर की प्रभातफेरी जगदीश राज, 417 गुरु तेग बहादुर नगर, नौ नवंबर को गौशाला टांडा रोड व 10 नवंबर की प्रभातफेरी विपिन ठुकराल के निवास स्थान दिलबाग नगर से निकाली जाएगी। इस दौरान सोनू शर्मा, अजय गोयल, योगेश पासी, राजू यादव, संजय कुमार, जगन्नाथ शर्मा, कृष्ण गोपाल, लवलीन कुमार, चेतन शर्मा, विकास ठुकराल, नवल ठुकराल, राजीव ढींगरा व अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।
अमृतपाल के पास जीत का संदेश लेकर पहुंची पत्नी:पंजाब की सबसे बड़ी जीत है खडूर साहिब; बाहर लाने के प्रयासों पर की चर्चा
अमृतपाल के पास जीत का संदेश लेकर पहुंची पत्नी:पंजाब की सबसे बड़ी जीत है खडूर साहिब; बाहर लाने के प्रयासों पर की चर्चा पंजाब की सबसे चर्चित सीट रही खडूर साहिब पर सबसे अधिक मार्जिन से जीत के बाद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर असम की डिब्रूगढ़ जेल पहुंच गई हैं। आज बुधवार किरणदीप कौर ने अपने पति व चुने गए सांसद अमृतपाल सिंह के साथ मुलाकात की है। मिली जानकारी के अनुसार अमृतपाल सिंह के साथ किरणदीप कौर ने अगली रणनीति पर चर्चा की है। किरणदीप कौर और अमृतपाल सिंह के वकील एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा बुधवार को डिब्रूगढ़ जेल पहुंचे और अमृतपाल के साथ-साथ सभी बंदी सिखों से मुलाकात की। मंलगवार को ही अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब सीट से पंजाब के सबसे अधिक वोट मार्जिन 1.97 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता है। परिवार की कोशिश है कि नियमों अनुसार अमृतपाल सिंह को अब बाहर लाने का प्रयास किया जाए। जिसमें अब अमृतपाल सिंह के पास जनमत भी है। पंजाब आने के प्रयासों के बाद चुनाव लड़ने का किया था ऐलान गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत बंद कर रखा। चुनावों से पहले अमृतपाल सिंह के परिवार ने उसे पंजाब लाने के कई प्रयास किए। जेल में अमृतपाल सिंह ने अपने 9 साथियों के साथ भूख हड़ताल भी रखी। लेकिन जब कोई हल ना निकला तो अचानक ही परिवार ने भारतीय संविधान के नीचे अमृतपाल के चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। जानें कौन है अमृतपाल सिंह अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लू खेड़ा गांव के रहने वाले हैं। अमृतपाल दुबई में रहते थे। वे लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटे। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे के चीफ बन गए। इसके बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया। उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसी दौरान अमृतपाल ने नशा छुड़ाओ मुहिम भी शुरू की। हालांकि इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया।