अमृतसर| अमृतसर क्लब की ओर से अंडर-11 के तहत प्रतियोगिता करवाई गई। इसमें 17 खिलाड़ियों ने भाग लिया। इन खिलाड़ियों में स्टालवार्ट्स वर्ल्ड स्कूल की अनुशा ने भी हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतकर अपनी एक नई पहचान बनाई। प्रिंसिपल मनीषा धानुका की ओर से अनुशा के स्कूल पहुंचने पर उसका स्वागत किया। अमृतसर| अमृतसर क्लब की ओर से अंडर-11 के तहत प्रतियोगिता करवाई गई। इसमें 17 खिलाड़ियों ने भाग लिया। इन खिलाड़ियों में स्टालवार्ट्स वर्ल्ड स्कूल की अनुशा ने भी हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतकर अपनी एक नई पहचान बनाई। प्रिंसिपल मनीषा धानुका की ओर से अनुशा के स्कूल पहुंचने पर उसका स्वागत किया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में 19 नवंबर को शपथ लेंगे नए पंच:जिला स्तर पर आयोजित होंगे कार्यक्रम, मंत्री करेंगे शिरकत, 4 जगह बाद में होगा प्रोग्राम
पंजाब में 19 नवंबर को शपथ लेंगे नए पंच:जिला स्तर पर आयोजित होंगे कार्यक्रम, मंत्री करेंगे शिरकत, 4 जगह बाद में होगा प्रोग्राम पंजाब में नए चुने सरपंचों के बाद अब 19 नवंबर को पंचों का शपथ समारोह होगा। इस दौरान जिला स्तर पर प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे। प्रोग्राम में सरकार के मंत्री भी शिरकत करेंगे। पंचायत विभाग की तरफ से इस बारे में सभी जिलों के डीसी को आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि इस दौरान इंतजाम सरपंचों के राज्य स्तरीय शपथ समारोह जैसे होंगे। हालांकि चार जिलों में विधानसभा उप चुनाव हो रहे हैं। वहां के पंचों की शपथ नहीं होगी। उन्हें बाद में शपथ दिलाई जाएगी। इसलिए जिला स्तर पर होंगे समागम इन समागमों को करवाने की जिम्मेदारी डीसी निभाएंगे। इन समागमों में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। प्रदेश में कुल 83 हजार पंच चुने गए हैं। इससे पहले सरपंचों का शपथ समारोह लुधियाना में हुआ था। इसमें करीब 11 हजार सरपंच अपने परिवार सहित शामिल हुए थे। लेकिन पंचों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में इतने लोगों के लिए एक साथ इंतजाम करना उचित नहीं है। दूसरा 20 नवंबर को 4 विधान सभा सीटों बरनाला, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला में उप चुनाव में भी है। ऐसे में यह प्रोग्राम अब जिला स्तर पर होंगे।
पार्टी निशान पर नहीं हुए थे चुनाव इस बार पंजाब में पंचायत चुनाव पार्टी निशान पर नहीं हुए थे। क्योंकि सरकार की तरफ से इस बारे में विधानसभा में पंचायत राज संशोधन बिल पास किया गया था। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि गांवों में पार्टीबाजी के चक्कर में नुकसान नहीं होना। साथ ही सरपंच पार्टी का न होकर गांव का होना चाहिए। वहीं, इस दौरान सर्वसम्मति से चुनी गई पंचायतों को स्पेशल ग्रांट देने का ऐलान भी सरकार ने किया था। करीब तीन हजार पंच सर्वसम्मति से चुने गए हैं।
20.05 लाख रुपए जुर्माना दोषियों से पहले भी वसूला जा चूका
20.05 लाख रुपए जुर्माना दोषियों से पहले भी वसूला जा चूका भास्कर न्यूज | जालंधर डिप्टी कमिश्नर डॉ.हिमांशु अग्रवाल की तरफ से माइनिंग और पुलिस विभाग के अधिकारियों को जिले में नाजायज माइनिंग करने वालों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। जीरो-टालरैंस नीति पर जोर देते हुए डीसी ने गैर-कानूनी गतिविधि को रोकने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब माइनिंग एंड मिनरल एक्ट-2013 की धारा 21 के अंतर्गत गैर- कानूनी माइनिंग में शामिल व्यक्तियों के विरुद्ध इस साल कुल 19 एफआईआर दर्ज की गई है। जिसके तहत पांच साल तक की सजा, 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों की व्यवस्था है। इसके अलावा उल्लंघन करने वालों से कुल 20.05 लाख रुपए जुर्माना पहले भी वसूल किया जा चुका है। उन्होंने गैर-कानूनी माइनिंग वालों विरुद्ध पेंडिंग मामलों के बारे में संबंधित विभागों से विस्थारित रिपोर्ट की मांग भी की। डीसी ने गैर-कानूनी माइनिंग करने वालों से बकाया जुर्माने की वसूली में तेजी लाने की महत्ता पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में गैर-कानूनी माइनिंग सामने आने पर संबंधित अधिकारियों की निजी जिम्मेदारी तय की जाएगी। डिप्टी कमिश्नर ने अधिकारियों को जब्त किए वाहनों की नीलामी पॉलिसी के दिशा-निर्देशों अनुसार जल्द से जल्द करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास का उद्देश्य जब्त किए सामान का नियमों अनुसार तुरंत और पारदर्शी ढंग से निपटारा यकीनी बना कर गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकना है। बैठक में एसडीएम फिल्लौर अमनपाल सिंह, एसडीएम शाहकोट ऋषभ बांसल, एसडीएम-1 डॉ. जयइंद्र सिंह, एसडीएम-2 बलबीर राज सिंह और पुलिस और माइनिंग विभाग के अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे। गौर है कि बैठक में गैर-कानूनी माइनिंग विरुद्ध कानूनों को सख़्ती के साथ लागू करने और क्षेत्र के प्राकृतिक स्रोतों की सुरक्षा के लिए ज़िला प्रशासन की सामूहिक वचनबद्धता को रेखांकित किया गया। डॉ. अग्रवाल के निर्देश जालंधर में गैर-कानूनी माइनिंग के खत्म करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम की निशानदेही करते है, जिससे वातावरण के बढिय़ा स्तर को कायम रखने के लिए जिले के यत्नों को और मज़बूती मिलेगी।
प्राइवेट अस्पतालों में घट गए 80% मरीज, ये सरकारी में भी नहीं जा रहे
प्राइवेट अस्पतालों में घट गए 80% मरीज, ये सरकारी में भी नहीं जा रहे आयुष्मान स्कीम के तहत इलाज पिछले लगभग एक महीने से प्राइवेट हॉस्पिटल्स में नहीं मिल रहा है। इसके कारण जहां सरकारी में भी मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे हैं और प्राइवेट हॉस्पिटल में भी स्कीम के तहत इलाज करवाने वाले मरीज 80 फीसदी तक कम हो गए हैं। हॉस्पिटलों द्वारा इलाज के लिए मना करने के कारण लोग अब खुद भी हॉस्पिटलों में नहीं आ रहे हैं और इलाज की शुरुआत होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, सरकारी हॉस्पिटल में आयुष्मान स्कीम में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या उतनी है जितनी आम दिनों में रहती है। जिले के 17 सरकारी और 76 प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज मिलता है, लेकिन इन 76 प्राइवेट हॉस्पिटल में सिर्फ डायलिसिस के मरीजों और कीमोथैरेपी के मरीजों को ही इलाज दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य मरीज नहीं दाखिल किए जा रहे। सरकारी हॉस्पिटल में हर महीने 1600-1700 के तकरीबन मरीज इलाज हासिल करते हैं। जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल में हर महीने 3300-3400 मरीज इलाज हासिल करते थे। सिविल हॉस्पिटल में एक्सीडेंटल केस के तहत दाखिल मरीज के परिजन ने बताया कि पिछले दिनों उनके भाई का एक्सीडेंट हुआ था। खन्ना के प्राइवेट हॉस्पिटल में उन्हें फर्स्ट एड के बाद सिविल हॉस्पिटल में दाखिल कर दिया गया। इस हफ्ते ऑपरेशन की बात कही गई है, जिसमें घुटने से नीचे की टांग की सर्जरी होगी। जगराओं के एक मरीज ने बताया कि उनके बेटे का फ्रेक्चर हुआ था, जिसके लिए वो प्राइवेट हॉस्पिटल में गए तो पता चला कि कार्ड नहीं चलेगा। इस पर उन्होंने पहले पैसे जुटाना सही समझा, जिससे कि प्राइवेट में इलाज मिल सके। उन्होंने बताया कि वो प्राइवेट में ही इलाज करवाना चाहते हैं, जिससे कि उन्हें भी किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम एसोसिएशन के सेक्रेटरी दिव्यांशु ने बताया कि अब तक 30 फीसदी ही पेमेंट हासिल हुई है। जो अदायगी हो रही है, वो बहुत ही कम है और गति भी धीमी है। हमें अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट हल नहीं मिला है। एक महीना होने को है, लेकिन क्लेम के लिए अब भी बस इंतजार ही करना पड़ रहा है। डिप्टी मेडिकल कमिशनर डॉ. रीमा गोगिया ने बताया कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स की पेमेंट धीरे-धीरे क्लियर की जा रही है। सरकारी हॉस्पिटल्स में जो भी मरीज आ रहा है उसे आयुष्मान के तहत हम इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं। सेहत विभाग द्वारा पेमेंट जल्द अदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सिविल हॉस्पिटल में हर महीने 20 से ज्यादा मेजर सर्जरी सिविल हॉस्पिटल में हर महीने 20 से ज्यादा मरीजों की मेजर सर्जरी होती है। जबकि ऑर्थोपेडिक्स में भी एक हफ्ते में 1-4 तक ऑपरेशन होते हैं। सब डिविजनल हॉस्पिटल की बात की जाए तो यहां भी 10-12 मरीजों के मेजर ऑपरेशन होते हैं। सोमवार को सिविल हॉस्पिटल में 1300 के तकरीबन मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे। इनमें 300 के तकरीबन मरीज मेडिसिन, 100 से ज्यादा ऑर्थो के और सर्जरी के 70 के तकरीबन मरीज रहे।