69000 सहायक शिक्षक भर्ती पर लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूरी चयन सूची रद्द कर दी है। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को कैंसिल कर दिया है। सिंगल बेंच ने 8 मार्च 2023 को फैसला दिया था कि 69000 शिक्षक भर्ती 2020 की लिस्ट को रद्द किया जाता है। सिंगल बेंच ने ATRE (अपेक्स टैलेंट रिवॉर्ड एग्जाम ) को पात्रता परीक्षा नहीं माना था। डबल बेंच ने इस आदेश को रद्द करते हुए आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का सरकार पालन करे। कोर्ट ने 3 महीने के अंदर नई लिस्ट रिजर्वेशन का पालन करते हुए सरकार से देने को कहा है। वहीं ATRE परीक्षा को पात्रता परीक्षा माना है। बता दें, सामान्य सीट पर अगर आरक्षित वर्ग का मेरीटोरियस कैंडिडेट सामान्य वर्ग के बराबर अंक पाता है, तो उसको सामान्य वर्ग में रखा जाएगा। बाकी की 27% और 21% सीटों को OBC/SC से भरा जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सीएम योगी ने कहा था कि 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी की और एससी की सीटों के साथ कोई घोटाला नहीं किया गया है। लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही हाईकोर्ट ने कहा कि बड़े स्तर पर 69000 शिक्षक भर्ती में सीटों का घोटाला हुआ है। खबर अपडेट की जा रही है… 69000 सहायक शिक्षक भर्ती पर लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूरी चयन सूची रद्द कर दी है। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को कैंसिल कर दिया है। सिंगल बेंच ने 8 मार्च 2023 को फैसला दिया था कि 69000 शिक्षक भर्ती 2020 की लिस्ट को रद्द किया जाता है। सिंगल बेंच ने ATRE (अपेक्स टैलेंट रिवॉर्ड एग्जाम ) को पात्रता परीक्षा नहीं माना था। डबल बेंच ने इस आदेश को रद्द करते हुए आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का सरकार पालन करे। कोर्ट ने 3 महीने के अंदर नई लिस्ट रिजर्वेशन का पालन करते हुए सरकार से देने को कहा है। वहीं ATRE परीक्षा को पात्रता परीक्षा माना है। बता दें, सामान्य सीट पर अगर आरक्षित वर्ग का मेरीटोरियस कैंडिडेट सामान्य वर्ग के बराबर अंक पाता है, तो उसको सामान्य वर्ग में रखा जाएगा। बाकी की 27% और 21% सीटों को OBC/SC से भरा जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सीएम योगी ने कहा था कि 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी की और एससी की सीटों के साथ कोई घोटाला नहीं किया गया है। लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही हाईकोर्ट ने कहा कि बड़े स्तर पर 69000 शिक्षक भर्ती में सीटों का घोटाला हुआ है। खबर अपडेट की जा रही है… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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विधानसभा चुनाव में भी अखिलेश करिश्मे की तैयारी में:PDA को पंचायत स्तर पर ले जाएंगे; बसपा से आए नेताओं का बेहतर इस्तेमाल होगा लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद सपा पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) फॉर्मूले को नए सिरे से लागू करने की तैयारी कर रही है। पार्टी इसको लेकर पंचायत स्तर पर कार्यक्रम शुरू करने जा जा रही है। दूसरे दलों से आए नेताओं को सक्रिय करते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। शुरुआत में नेताओं से पंचायत स्तर पर कार्यक्रम करने के लिए कहा गया है। अखिलेश यादव खुद इसकी रेगुलर बेसिस पर मॉनिटरिंग करेंगे। लोकसभा चुनाव में जाति समीकरणों का प्रयोग सफल होने से सपा उत्साहित है। वो यही फॉर्मूला 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी आजमाना चाहती है। क्या है पीडीए को लेकर सपा की पूरी रणनीति? कैसे ब्लॉक से लेकर पंचायत स्तर पर इस फॉर्मूले पर काम कर रही है पार्टी? ऐसे सभी सवालों का जवाब इस रिपोर्ट में जानिए- पहले इस ग्राफिक्स से समझिए पीडीए फॉर्मूले से मिला फायदा… दरअसल समाजवादी पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में जो जीत मिली है उसमें सभी जाति और खासकर पीडीए फॉर्मूले का बड़ा योगदान है। ऐसे में, जो वोट भाजपा से छिटककर समाजवादी पार्टी में आए हैं, उन्हें रोके रखने के लिए कौन-कौन से फॉर्मूले अपनाए जाएं इसको लेकर मंथन किया जा रहा है। इसी के तहत समाजवादी पार्टी जिलों में पंचायत स्तर पर कार्यक्रम करेगी। हर जाति और वर्ग के कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ेगी। जिस क्षेत्र में जिस नेता की पकड़ अधिक है, उस क्षेत्र में वह नेता खुद मौजूद रहेगा और अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ जोड़ेगा। तय किया गया है कि जो भी बड़े नेता दूसरे दलों से आए हैं, उनका भरपूर तरीके से पार्टी के विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। दूसरे दलों से आए नेताओं को उनके क्षेत्र में सक्रिय किया जाएगा और अधिक से अधिक लोगों को पार्टी के साथ जोड़ा जाएगा। सपा इससे उन नेताओं के संपर्क और प्रभाव को इस्तेमाल करना चाहती है। बसपा से आए नेताओं के लिए सपा की रणनीति
समाजवादी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता किया था, लेकिन गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो बसपा ने सपा से संबंध तोड़ लिए। बसपा के कई नेताओं को मायावती का यह तरीका रास नहीं आया। धीरे-धीरे कई नेताओं ने बसपा का साथ छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामना शुरू कर दिया। इसमें बसपा के तत्कालीन विधायक से लेकर महासचिव स्तर तक के नेता समाजवादी पार्टी जॉइन करने लगे। 2022 चुनाव से पहले बड़ी संख्या में बसपा के नेताओं ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। कई ऐसे नेता भी हैं जिन्हें टिकट नहीं दिया गया उन्हें अब संगठन में अहम जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है। पूर्वांचल में ज्यादातर बसपा के नेता आए सपा के साथ
पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई नेता बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ आए। बसपा में ये नेता विधायक, सांसद और मंत्री तक रहे हैं। बसपा में अनदेखी के चलते सपा में आए। इनमें से अधिकतर ने जीत दर्ज की है। ऐसे ही नेताओं की लिस्ट देखिए… तुष्टिकरण से बच रहे अखिलेश यादव, पीडीए का सहारा
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Himachal: ‘विपक्ष फैला रहा हिम केयर योजना बंद करने की अफवाह’, डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री ने बोला हमला
Himachal: ‘विपक्ष फैला रहा हिम केयर योजना बंद करने की अफवाह’, डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री ने बोला हमला <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal News:</strong> हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिम केयर योजना में अभी हाल ही में संशोधन किया है. पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की सरकार में शुरू की गई इस योजना का लाभ अब निजी अस्पतालों में बंद कर दिया गया है. इसके अलावा सरकारी मुलाजिम भी अब हिम केयर योजना का लाभ नहीं उठा सकते है. इसके बाद से ही विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य सरकार ने किया है कैबिनेट सब कमेटी का गठन</strong><br />मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 4 अगस्त को दिए अपने एक बयान में कहा था कि कई निजी अस्पतालों में हिम केयर योजना में गड़बड़ी पाई गई थी. इसी वजह से इसे निजी अस्पतालों से बंद करने का फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने इस संबंध में कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया हुआ है. इस कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री हैं. राज्य सचिवालय में उप मुख्यमंत्री ने ही कैबिनेट सब कमेटी बैठक की अध्यक्षता भी की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’विपक्ष फैला रहा हिम केयर योजना योजना बंद करने की अफवाह'</strong><br />उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि हिम केयर योजना को बंद करने की प्रदेश सरकार की कोई मंशा नहीं है. इस योजना की कुछ कमियों को दूर कर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि विपक्ष अफवाह फैला रहा है कि प्रदेश सरकार ने हिम केयर योजना को बंद कर दिया है, जो सरासर गलत है. सच्चाई यह है कि राज्य सरकार ने कुछ अनियमितताएं पाए जाने के बाद केवल निजी अस्पतालों को इस योजना के दायरे से बाहर करने का फैसला लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिल और उपचार की लागत में बहुत ज्यादा अंतर</strong><br />डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मेडिकल बिल और उपचार की लागत में बहुत ज्यादा अंतर पाया गया. प्रदेश सरकार की ओर से अभी निजी अस्पतालों को 150 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है, जबकि सरकारी अस्पतालों को 307 करोड़ की अदायगी की जाएगी. प्रदेश सरकार इस योजना के तहत कुल 457 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से करेंगे बात- अग्निहोत्री</strong><br />केंद्र सरकार की ओर से सीमा निर्धारित करने की वजह से प्रदेश में आयुष्मान भारत कार्ड का लाभ लेने वाले 5 लाख 32 हजार परिवार ही पंजीकृत हैं, जबकि प्रदेश में ऐसे 14 लाख 83 हजार परिवार हैं. इन्हें आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना को प्रदेश में संचालित करने के लिए हर साल सिर्फ 50 करोड़ रुपये ही देती है. इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीने में ही यह 50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है. बाकी बचे महीनों में आयुष्मान के तहत सभी देनदारियों का भुगतान प्रदेश सरकार को करना होगा, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक है. आयुष्मान से जुड़े व्यय के बारे में में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बातचीत की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”वक्फ बोर्ड बिल पर सुखबीर सिंह बादल का बड़ा बयान, ‘मुसलमानों से…'” href=”https://www.abplive.com/states/punjab/waqf-amendment-bill-2024-shiromani-akali-dal-sukhbir-singh-badal-said-central-government-should-take-muslims-in-confidence-2756785″ target=”_blank” rel=”noopener”>वक्फ बोर्ड बिल पर सुखबीर सिंह बादल का बड़ा बयान, ‘मुसलमानों से…'</a><br /></strong></p>