IPS अमित कुमार आनंद यूपी पुलिस फोर्स में वह अफसर हैं, जो स्पोर्ट्स मैन की पहचान रखते हैं। उन्हें शूटिंग के साथ वेट लिफ्टिंग का भी शौक है। बॉडी बिल्डिंग के लिए भी फेमस हैं। पढ़ाई के दौरान उन्होंने जिला और मंडल स्तर पर अलग-अलग प्रतियोगिता में 7 गोल्ड मेडल भी जीते। अमित आनंद बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे। IIT कानपुर से बीटेक करने के बाद उनकी एक कंपनी में जॉब लगी। लेकिन, किस्मत में खाकी वर्दी लिखी थी। कदम बढ़े और 2016 में वह IPS बन गए। प्रयागराज में साइको किलर की गिरफ्तारी हो या मुरादाबाद में 5 साल के बच्चे की किडनैपिंग केस में मां की गिरफ्तारी। 6 साल के करियर में अमित आनंद ने कई बड़े केस सॉल्व किए। इन दिनों कन्नौज में एसपी हैं। सपा नेता नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में हैं। कौन हैं अमित कुमार आनंद? कैसे IPS बने? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS अमित कुमार आनंद की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… यूपी के गाजीपुर जिला मुख्यालय से 28 किमी की दूर बडे़सर गांव पड़ता है। इसी गांव में महेंद्र राम के घर 27 जून, 1988 को दूसरे बेटे ने जन्म लिया। मां प्रभावती ने बेटे का नाम रखा अमित। पिता महेंद्र राम CPWD में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर थे। अमित के बड़े भाई अशोक कुमार आनंद SBI में कार्यरत हैं। अमित आनंद बताते हैं- मेरी बचपन की पढ़ाई अहमदाबाद में हुई। उस समय पिता की वहीं पर पोस्टिंग थी। केंद्रीय विद्यालय (KV) अहमदाबाद में 7वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद पिता का ट्रांसफर हो गया। हम लोग नोएडा आ गए। यहां से मैंने आगे की पढ़ाई की। साल 2003 में इंग्लिश मीडियम से 88.8% नंबर के साथ हाईस्कूल पास किया। 2005 में 79% के साथ 12वीं पास की। मुझे इंजीनियर बनना था। इसलिए IIT के लिए तैयारी शुरू की। इसमें क्वालिफाई हो गया। कॉलेज कानपुर IIT मिला। यहां मैंने साल 2010 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। कैंपस प्लेसमेंट में मुझे टाटा स्टील कंपनी में टेक्निकल मैनेजर के पद पर जॉब मिल गई। पैकेज था 12 लाख रुपए। IPS अमित आनंद बताते हैं- जब टाटा स्टील कंपनी जमशेदपुर में जॉब लगी, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उस समय 12 लाख रुपए का पैकेज भी कम नहीं था। परिवार में बड़े भाई, मां और पिता भी खुश थे। डेढ़ साल तक यहां जॉब की। इसके बाद इसी कंपनी ने ओडिशा में बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं वहां चला गया। वहां नए प्लांट के बड़े प्रोजेक्ट पर कंपनी काम कर रही थी। मेरे पिताजी चाहते थे, मैं अधिकारी बनूं। साल 2012 में एक दिन पिता ने कहा- बेटा प्राइवेट सेक्टर में एक ही शहर के होकर रह जाओगे। अभी पढ़ाई में उम्र नहीं निकली है। UPSC की तैयारी के लिए अभी भी समय है। तब मैंने अपने पिता से कहा- मैं ऐसी परिस्थिति में नहीं हूं कि अभी जॉब भी नहीं छोड़ सकता। लेकिन, UPSC के लिए कोशिश कर सकता हूं। इसके बाद मैंने जॉब के साथ ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी। सुबह 10 से शाम 6 बजे तक ऑफिस में काम करता। फिर घर लौट कर पढ़ाई। कई बार वर्क-लोड ज्यादा होता, तो रूटीन बिगड़ जाता। अमित आनंद बताते हैं- 2012 में ही मन में ठान लिया था कि बिना जॉब छोड़े मैं भी IAS या IPS बन सकता हूं। इसके लिए पूरी मेहनत से तैयारी शुरू कर दी। यह भी तय किया कि तैयारी के लिए कोचिंग का भी सहारा नहीं लूंगा। इसलिए सुबह 5 बजे उठ जाता। 5 से 6 बजे तक पढ़ाई करता। इसके बाद मॉर्निंग वॉक पर जाकर ऑफिस जाने की तैयारी करता। रात में फिर 8 से 12 बजे तक पढ़ाई करता। पहले प्रयास में मुझे UPSC में सफलता नहीं मिली। लेकिन, मैं हमेशा यह प्लान लेकर चला कि अभी समय है। जॉब के साथ रेगुलर पढ़ाई होनी चाहिए। इससे मैं 3-4 साल में सफल हो पाऊंगा। कई बार रात में 4 घंटे ही सो पाता था। यह मेरे चेहरे पर दिखाई देने लगा था। दोस्त और साथ काम करने वाले पूछते कि क्या हो रहा है, सोते क्यों नहीं? मैं कुछ नहीं बोलता। 2014 में UPSC से ही इंडियन पोस्टल सर्विस में मेरा सिलेक्शन हुआ, लेकिन मन में था कि अभी पढ़ाई और तैयारी से हार नहीं माननी। UPSC के चौथे प्रयास में उम्मीद थी कि सिलेक्शन हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 5वें प्रयास में मुझे सफलता मिली और 2016 बैच मिला। जब IPS बना, तो मानो पूरे परिवार में दिवाली जैसी रौनक आ गई। सभी ने मुझे बधाई दी। इस सफलता के बाद घर पहुंचा तो मां-पिता ने गले लगा लिया। अमित आनंद बताते हैं- ट्रेनिंग के बाद जनवरी, 2018 में मेरी पहली पोस्टिंग मेरठ में हुई। उस समय मंजिल सैनी दहल मैम वहां की SSP थीं। मेरठ में आया तो देखा कि यहां दूसरे शहरों की अपेक्षा क्राइम ज्यादा है। छोटी-छोटी घटनाओं पर जाना शुरू कर दिया। साइबर क्राइम की घटनाओं पर भी वर्क करना शुरू किया। यहां SSP मैम ने मुझे खरखौदा थाना प्रभारी की जिम्मेदारी दी। एक रात सूचना मिली, हर्ष फायरिंग में किसी को गोली लग गई है। जब मौके पर पहुंचा तो पता चला कि घायल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। घटनास्थल पर पुलिस के साथ क्राइम सीन देखा, लोगों से बात की। उसके बाद अस्पताल पहुंचकर जानकारी ली। जब CCTV फुटेज और दूसरे वीडियो देखे। इसमें पता चला कि यह गैर इरादतन हत्या का मामला है। पुलिस ने तत्काल केस दर्ज किया। इस केस को वर्कआउट करते हुए मरने वाले अरशान के दोस्त को अरेस्ट किया। सभी दोस्त शादी में रात में डांस कर रहे थे। तभी पिस्टल से चली गोली 22 साल के अरशान के सीने में जा लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। अमित आनंद बताते हैं- मेरठ में मर्डर की कई बड़ी वारदात पर मौके पर जाकर क्राइम सीन देखा। अगर ब्लाइंड मर्डर है, तो उसके क्या कारण हो सकते हैं? इन पहलुओं पर काम किया। कई घटनाओं को बारीकी से समझकर उनका खुलासा किया। साल 2019 में मैं ASP, प्रयागराज था। उस समय नितिन तिवारी SSP थे। मुझे बहराना सर्किल में CO बनाया गया। प्रयागराज में एक के बाद एक हत्याएं हो रही थीं। सभी हत्याओं में क्राइम सीन एक जैसा था। यहां वह सीरियल किलर लगातार मर्डर कर रहा था। मर्डर करने का तरीका एक जैसा था। धारदार हथियार से हत्या करता था। सीरियल किलर करीब 6 महीने में 9 हत्याएं कर चुका था। इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर पुलिस टीमें बनाई गईं। पुलिस ने CCTV फुटेज भी देखे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। सादा कपड़ों में अलग-अलग स्थानों पर पुलिस के जवान उतार दिए। एक दिन पुलिस को सूचना मिली, एक संदिग्ध लकड़ी का बेंत लेकर आ रहा है, उसके पास धारदार हथियार भी है। वह सुनसान रास्ते पर देखा गया है। यहां पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने उसके पास कुल्हाड़ी, चाकू और बड़ा-सा चापड़ देखा तो शक हुआ। पहले वह पूछताछ में अलग-अलग कहानी सुनाता रहा। फिर कबूल किया कि वह हत्या करके पैदल ही भाग जाता है। जो भी अकेला मिलता, उसकी हत्या करता है। इस सीरियल किलर का नाम कलवा पटेल था। उसने यह भी बताया कि कोई अकेला मुझे घूरकर देखता है, तो उसे भी मार देता हूं। अमित आनंद बताते हैं- 2020 में SP सिटी मुरादाबाद था। उस समय प्रभाकर चौधरी SSP थे। नागफनी क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर नजारत हुसैन और उनकी बेटी समरीन की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। डबल मर्डर की सूचना पर थाना पुलिस पहुंची। मैं भी पहुंच गया, कुछ देर में SSP भी आ गए। इस दोहरे हत्याकांड की लखनऊ तक गूंज हुई। इस केस को वर्कआउट करने के लिए बारीकी से घटनास्थल को देखा। पीड़ित परिवार से घटनाक्रम की जानकारी ली। अलग-अलग स्थानों पर CCTV की फुटेज का सहारा लिया। इसमें एक बात साफ हो गई कि कत्ल को अंजाम देने वाला पड़ोसी है। रात में पूरी प्लानिंग के साथ पिता और बेटी का कत्ल किया गया है। दोनों की हत्या गला रेतकर की गई। SSP ने क्राइम सीन देखकर ही बता दिया था कि हत्या में जानवर कटाने वाले चाकू का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने पड़ोसी मन्नान और उसके दोस्त को अरेस्ट कर घटना का खुलासा किया था। पुलिस की जांच में आया था, प्रॉपर्टी डीलर एक बार मीट लेने दुकान पर गए थे। यहीं पर मन्नान से उनका विवाद और मारपीट हुई थी। इसीलिए हत्या की गई। अमित आनंद बताते हैं- अभी तक मेरे समय का सबसे बड़ा मामला मुरादाबाद का ही था। अगस्त, 2020 की बात है। उस समय भी मैं SP सिटी था। 5 साल के ध्रुव का अपहरण कर लिया गया। जब किडनैपर्स ने 30 लाख की फिरौती मांगी, तो SSP प्रभाकर चौधरी ने मुझे बुलाया। सबसे पहले पुलिस की अलग-अलग टीमों को CCTV फुटेज के लिए लगाया गया। पीड़ित परिवार से जब बात गई तो बच्चे का पिता पूरी तरह से बिलख पड़ा। जब बच्चे की मां को देखा तो शक होने लगा। लेकिन, बच्चे को बचाना हमारी प्राथमिकता थी। इस घटना में 6 टीमों को लगाया। तीन CO भी लगाए गए। एक कार का नंबर पुलिस ने ट्रेस कर लिया। पुलिस की एक टीम कार का पीछा करने के लिए लगा दी। पता चला, कार लंबे रूट की तरफ बढ़ रही है। अलग-अलग तरह से पुलिस की मदद ली गई। 24 घंटे में ही बच्चे को बरामद करते हुए उसकी मां शिखा को अरेस्ट किया। अपहरण के मुख्य आरोपी अशफाक को तेलंगाना से अरेस्ट किया गया। बच्चे की मां ने पुलिस को बताया था, उसके पति से संबंध ठीक नहीं थे। इसी के चलते मेरी दोस्ती फेसबुक पर तेलांगना के अशफाक खान से हो गई। अपने प्रेमी से कई बार मिल भी चुकी थी। मैंने टीवी सीरियल क्राइम पेट्रोल देखकर पति से मोटी फिरौती की रकम वसूलने के लिए प्रेमी के साथ मिलकर अपहरण कराया था। आरोपी कार में बच्चे को डालकर ले गए थे। फिर फर्जी आईडी पर लिए गए नंबर से वॉट्सऐप कॉल की थी। उसे बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था। इसमें कहा था- अगर 30 लाख रुपए नहीं मिले, तो बच्चा जान से चला जाएगा। अमित आनंद बताते हैं- साल 2021 में मैं लखनऊ में DCP पूर्वी था। उस समय डीके डाकुर पुलिस कमिश्नर थे। डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के कर्मचारी श्रीराम यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या भी इस तरह से की गई कि हत्यारों ने सारे साक्ष्यों में पुलिस को उलझाने का प्रयास किया। पुलिस ने शव को एक नहर से बरामद किया। इस केस को वर्कआउट करने के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें बनाई गईं। पुलिस ने जब कॉल डिटेल निकाली तो उसमें कुछ नहीं मिला। फिर हमने गोपनीय जांच शुरू की। हमें पता चला, श्रीराम यादव के अपनी पत्नी से संबंध ठीक नहीं थे। हमने अपनी इन्वेस्टिगेशन की दिशा बदल दी। उसकी पत्नी से पूछताछ की तो वह अलग-अलग कहानी सुनाने लगी। राजधानी लखनऊ में हत्या का मामला था, इसलिए लगातार उच्च अधिकारी मॉनिटरिंग कर रहे थे। हमें लीड मिली कि श्रीराम की पत्नी संगीता एक अलग फोन चलाती है। जब पुलिस ने इस नंबर की कॉल डिटेल खंगाली, तो यहीं से घटना की परतें खुलने लगीं। इसके चार दिन बाद श्रीराम की कार को बरामद किया। संगीता ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कराई थी। हत्या भी इतनी सफाई से कि पहले कार बेचने की बात कहकर दूसरे लोगों को बुलाया। फिर अलग-अलग लोग इसमें जोड़े गए। इस केस में पुलिस ने श्रीराम की पत्नी संगीता और उसके प्रेमी को अरेस्ट किया था। साल 2022 में अमित आनंद को सिद्धार्थनगर का SP बनाया गया। यहां वह 2023 तक तैनात रहे। उन्होंने ई-ऑफिस की शुरुआत की। जिससे सभी विभागों की सरकारी फाइलों के लिए ऑनलाइन काम शुरू हुआ। DGP और सरकार ने इस प्रयास को सरहा। यहां पुलिस वेलफेयर को मजबूत करने के साथ अवैध शराब माफियाओं पर काम किया। भू-माफिया और अवैध शराब के कारोबार में जुड़े माफियाओं की करोड़ों की संपत्ति जब्त की। अमित आनंद एक अगस्त 2023 से कन्नौज के SP हैं। यहां उन्होंने पुलिस लाइन में शूटिंग रेंज बनवाई। साथ ही पुलिस प्रतियोगिताओं के लिए अलग से काम किया। यहां पुलिस लिए जिम भी शुरू कराया। जनवरी, 2024 में बदमाशों ने यहां ज्वेलर पिता-पुत्र से 20 लाख के जेवर लूट लिए। विरोध करने पर बेटे अयाज की गोली मारकर हत्या कर दी थी, पिता घायल हो गए। इस घटना के खुलासे के लिए SOG और पुलिस की टीमों को लगाया। पुलिस ने एनकाउंटर में कुख्यात इजहार को ढेर किया, उसका दूसरा साथी तालिब पैर में गोली लगने से घायल हुआ। पुलिस ने लूटा हुआ सोना बरामद कर इस केस को वर्क आउट किया। 11 अगस्त को कन्नौज में सपा नेता नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी को लेकर अमित कुमार आनंद सुर्खियों में हैं। डेढ़ बजे रात को रंगे हाथ पकड़े गए सपा नेता को तत्काल जेल भिजवाया। नाबालिग पीड़िता की शिकायत पर तत्काल एक्शन लिया गया। परिवार की पसंद की लड़की से शादी की
अमित आनंद बताते हैं- मम्मी-पापा की मर्जी से शादी की। 2018 में मेरी शादी कामिनी कौशल से हुई। IPS बनने के बाद भी मैं चाहता था कि शादी के लिए परिवार जिस लड़की को पसंद करेगा, उसी से शादी करूंगा। कामिनी कौशल इंडियन बैंक में असिस्टेंट मैनेजर हैं। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें… 2 सिपाहियों की हत्या का बदला लेने वाले IPS: विपिन ताडा ने डॉक्टर की नौकरी छोड़ पुलिस जॉइन की IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। पढ़ें 6 चैप्टर में इनकी कहानी IPS अमित कुमार आनंद यूपी पुलिस फोर्स में वह अफसर हैं, जो स्पोर्ट्स मैन की पहचान रखते हैं। उन्हें शूटिंग के साथ वेट लिफ्टिंग का भी शौक है। बॉडी बिल्डिंग के लिए भी फेमस हैं। पढ़ाई के दौरान उन्होंने जिला और मंडल स्तर पर अलग-अलग प्रतियोगिता में 7 गोल्ड मेडल भी जीते। अमित आनंद बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे। IIT कानपुर से बीटेक करने के बाद उनकी एक कंपनी में जॉब लगी। लेकिन, किस्मत में खाकी वर्दी लिखी थी। कदम बढ़े और 2016 में वह IPS बन गए। प्रयागराज में साइको किलर की गिरफ्तारी हो या मुरादाबाद में 5 साल के बच्चे की किडनैपिंग केस में मां की गिरफ्तारी। 6 साल के करियर में अमित आनंद ने कई बड़े केस सॉल्व किए। इन दिनों कन्नौज में एसपी हैं। सपा नेता नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में हैं। कौन हैं अमित कुमार आनंद? कैसे IPS बने? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS अमित कुमार आनंद की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… यूपी के गाजीपुर जिला मुख्यालय से 28 किमी की दूर बडे़सर गांव पड़ता है। इसी गांव में महेंद्र राम के घर 27 जून, 1988 को दूसरे बेटे ने जन्म लिया। मां प्रभावती ने बेटे का नाम रखा अमित। पिता महेंद्र राम CPWD में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर थे। अमित के बड़े भाई अशोक कुमार आनंद SBI में कार्यरत हैं। अमित आनंद बताते हैं- मेरी बचपन की पढ़ाई अहमदाबाद में हुई। उस समय पिता की वहीं पर पोस्टिंग थी। केंद्रीय विद्यालय (KV) अहमदाबाद में 7वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद पिता का ट्रांसफर हो गया। हम लोग नोएडा आ गए। यहां से मैंने आगे की पढ़ाई की। साल 2003 में इंग्लिश मीडियम से 88.8% नंबर के साथ हाईस्कूल पास किया। 2005 में 79% के साथ 12वीं पास की। मुझे इंजीनियर बनना था। इसलिए IIT के लिए तैयारी शुरू की। इसमें क्वालिफाई हो गया। कॉलेज कानपुर IIT मिला। यहां मैंने साल 2010 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। कैंपस प्लेसमेंट में मुझे टाटा स्टील कंपनी में टेक्निकल मैनेजर के पद पर जॉब मिल गई। पैकेज था 12 लाख रुपए। IPS अमित आनंद बताते हैं- जब टाटा स्टील कंपनी जमशेदपुर में जॉब लगी, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उस समय 12 लाख रुपए का पैकेज भी कम नहीं था। परिवार में बड़े भाई, मां और पिता भी खुश थे। डेढ़ साल तक यहां जॉब की। इसके बाद इसी कंपनी ने ओडिशा में बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं वहां चला गया। वहां नए प्लांट के बड़े प्रोजेक्ट पर कंपनी काम कर रही थी। मेरे पिताजी चाहते थे, मैं अधिकारी बनूं। साल 2012 में एक दिन पिता ने कहा- बेटा प्राइवेट सेक्टर में एक ही शहर के होकर रह जाओगे। अभी पढ़ाई में उम्र नहीं निकली है। UPSC की तैयारी के लिए अभी भी समय है। तब मैंने अपने पिता से कहा- मैं ऐसी परिस्थिति में नहीं हूं कि अभी जॉब भी नहीं छोड़ सकता। लेकिन, UPSC के लिए कोशिश कर सकता हूं। इसके बाद मैंने जॉब के साथ ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी। सुबह 10 से शाम 6 बजे तक ऑफिस में काम करता। फिर घर लौट कर पढ़ाई। कई बार वर्क-लोड ज्यादा होता, तो रूटीन बिगड़ जाता। अमित आनंद बताते हैं- 2012 में ही मन में ठान लिया था कि बिना जॉब छोड़े मैं भी IAS या IPS बन सकता हूं। इसके लिए पूरी मेहनत से तैयारी शुरू कर दी। यह भी तय किया कि तैयारी के लिए कोचिंग का भी सहारा नहीं लूंगा। इसलिए सुबह 5 बजे उठ जाता। 5 से 6 बजे तक पढ़ाई करता। इसके बाद मॉर्निंग वॉक पर जाकर ऑफिस जाने की तैयारी करता। रात में फिर 8 से 12 बजे तक पढ़ाई करता। पहले प्रयास में मुझे UPSC में सफलता नहीं मिली। लेकिन, मैं हमेशा यह प्लान लेकर चला कि अभी समय है। जॉब के साथ रेगुलर पढ़ाई होनी चाहिए। इससे मैं 3-4 साल में सफल हो पाऊंगा। कई बार रात में 4 घंटे ही सो पाता था। यह मेरे चेहरे पर दिखाई देने लगा था। दोस्त और साथ काम करने वाले पूछते कि क्या हो रहा है, सोते क्यों नहीं? मैं कुछ नहीं बोलता। 2014 में UPSC से ही इंडियन पोस्टल सर्विस में मेरा सिलेक्शन हुआ, लेकिन मन में था कि अभी पढ़ाई और तैयारी से हार नहीं माननी। UPSC के चौथे प्रयास में उम्मीद थी कि सिलेक्शन हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 5वें प्रयास में मुझे सफलता मिली और 2016 बैच मिला। जब IPS बना, तो मानो पूरे परिवार में दिवाली जैसी रौनक आ गई। सभी ने मुझे बधाई दी। इस सफलता के बाद घर पहुंचा तो मां-पिता ने गले लगा लिया। अमित आनंद बताते हैं- ट्रेनिंग के बाद जनवरी, 2018 में मेरी पहली पोस्टिंग मेरठ में हुई। उस समय मंजिल सैनी दहल मैम वहां की SSP थीं। मेरठ में आया तो देखा कि यहां दूसरे शहरों की अपेक्षा क्राइम ज्यादा है। छोटी-छोटी घटनाओं पर जाना शुरू कर दिया। साइबर क्राइम की घटनाओं पर भी वर्क करना शुरू किया। यहां SSP मैम ने मुझे खरखौदा थाना प्रभारी की जिम्मेदारी दी। एक रात सूचना मिली, हर्ष फायरिंग में किसी को गोली लग गई है। जब मौके पर पहुंचा तो पता चला कि घायल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। घटनास्थल पर पुलिस के साथ क्राइम सीन देखा, लोगों से बात की। उसके बाद अस्पताल पहुंचकर जानकारी ली। जब CCTV फुटेज और दूसरे वीडियो देखे। इसमें पता चला कि यह गैर इरादतन हत्या का मामला है। पुलिस ने तत्काल केस दर्ज किया। इस केस को वर्कआउट करते हुए मरने वाले अरशान के दोस्त को अरेस्ट किया। सभी दोस्त शादी में रात में डांस कर रहे थे। तभी पिस्टल से चली गोली 22 साल के अरशान के सीने में जा लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। अमित आनंद बताते हैं- मेरठ में मर्डर की कई बड़ी वारदात पर मौके पर जाकर क्राइम सीन देखा। अगर ब्लाइंड मर्डर है, तो उसके क्या कारण हो सकते हैं? इन पहलुओं पर काम किया। कई घटनाओं को बारीकी से समझकर उनका खुलासा किया। साल 2019 में मैं ASP, प्रयागराज था। उस समय नितिन तिवारी SSP थे। मुझे बहराना सर्किल में CO बनाया गया। प्रयागराज में एक के बाद एक हत्याएं हो रही थीं। सभी हत्याओं में क्राइम सीन एक जैसा था। यहां वह सीरियल किलर लगातार मर्डर कर रहा था। मर्डर करने का तरीका एक जैसा था। धारदार हथियार से हत्या करता था। सीरियल किलर करीब 6 महीने में 9 हत्याएं कर चुका था। इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर पुलिस टीमें बनाई गईं। पुलिस ने CCTV फुटेज भी देखे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। सादा कपड़ों में अलग-अलग स्थानों पर पुलिस के जवान उतार दिए। एक दिन पुलिस को सूचना मिली, एक संदिग्ध लकड़ी का बेंत लेकर आ रहा है, उसके पास धारदार हथियार भी है। वह सुनसान रास्ते पर देखा गया है। यहां पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने उसके पास कुल्हाड़ी, चाकू और बड़ा-सा चापड़ देखा तो शक हुआ। पहले वह पूछताछ में अलग-अलग कहानी सुनाता रहा। फिर कबूल किया कि वह हत्या करके पैदल ही भाग जाता है। जो भी अकेला मिलता, उसकी हत्या करता है। इस सीरियल किलर का नाम कलवा पटेल था। उसने यह भी बताया कि कोई अकेला मुझे घूरकर देखता है, तो उसे भी मार देता हूं। अमित आनंद बताते हैं- 2020 में SP सिटी मुरादाबाद था। उस समय प्रभाकर चौधरी SSP थे। नागफनी क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर नजारत हुसैन और उनकी बेटी समरीन की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। डबल मर्डर की सूचना पर थाना पुलिस पहुंची। मैं भी पहुंच गया, कुछ देर में SSP भी आ गए। इस दोहरे हत्याकांड की लखनऊ तक गूंज हुई। इस केस को वर्कआउट करने के लिए बारीकी से घटनास्थल को देखा। पीड़ित परिवार से घटनाक्रम की जानकारी ली। अलग-अलग स्थानों पर CCTV की फुटेज का सहारा लिया। इसमें एक बात साफ हो गई कि कत्ल को अंजाम देने वाला पड़ोसी है। रात में पूरी प्लानिंग के साथ पिता और बेटी का कत्ल किया गया है। दोनों की हत्या गला रेतकर की गई। SSP ने क्राइम सीन देखकर ही बता दिया था कि हत्या में जानवर कटाने वाले चाकू का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने पड़ोसी मन्नान और उसके दोस्त को अरेस्ट कर घटना का खुलासा किया था। पुलिस की जांच में आया था, प्रॉपर्टी डीलर एक बार मीट लेने दुकान पर गए थे। यहीं पर मन्नान से उनका विवाद और मारपीट हुई थी। इसीलिए हत्या की गई। अमित आनंद बताते हैं- अभी तक मेरे समय का सबसे बड़ा मामला मुरादाबाद का ही था। अगस्त, 2020 की बात है। उस समय भी मैं SP सिटी था। 5 साल के ध्रुव का अपहरण कर लिया गया। जब किडनैपर्स ने 30 लाख की फिरौती मांगी, तो SSP प्रभाकर चौधरी ने मुझे बुलाया। सबसे पहले पुलिस की अलग-अलग टीमों को CCTV फुटेज के लिए लगाया गया। पीड़ित परिवार से जब बात गई तो बच्चे का पिता पूरी तरह से बिलख पड़ा। जब बच्चे की मां को देखा तो शक होने लगा। लेकिन, बच्चे को बचाना हमारी प्राथमिकता थी। इस घटना में 6 टीमों को लगाया। तीन CO भी लगाए गए। एक कार का नंबर पुलिस ने ट्रेस कर लिया। पुलिस की एक टीम कार का पीछा करने के लिए लगा दी। पता चला, कार लंबे रूट की तरफ बढ़ रही है। अलग-अलग तरह से पुलिस की मदद ली गई। 24 घंटे में ही बच्चे को बरामद करते हुए उसकी मां शिखा को अरेस्ट किया। अपहरण के मुख्य आरोपी अशफाक को तेलंगाना से अरेस्ट किया गया। बच्चे की मां ने पुलिस को बताया था, उसके पति से संबंध ठीक नहीं थे। इसी के चलते मेरी दोस्ती फेसबुक पर तेलांगना के अशफाक खान से हो गई। अपने प्रेमी से कई बार मिल भी चुकी थी। मैंने टीवी सीरियल क्राइम पेट्रोल देखकर पति से मोटी फिरौती की रकम वसूलने के लिए प्रेमी के साथ मिलकर अपहरण कराया था। आरोपी कार में बच्चे को डालकर ले गए थे। फिर फर्जी आईडी पर लिए गए नंबर से वॉट्सऐप कॉल की थी। उसे बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था। इसमें कहा था- अगर 30 लाख रुपए नहीं मिले, तो बच्चा जान से चला जाएगा। अमित आनंद बताते हैं- साल 2021 में मैं लखनऊ में DCP पूर्वी था। उस समय डीके डाकुर पुलिस कमिश्नर थे। डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के कर्मचारी श्रीराम यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या भी इस तरह से की गई कि हत्यारों ने सारे साक्ष्यों में पुलिस को उलझाने का प्रयास किया। पुलिस ने शव को एक नहर से बरामद किया। इस केस को वर्कआउट करने के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें बनाई गईं। पुलिस ने जब कॉल डिटेल निकाली तो उसमें कुछ नहीं मिला। फिर हमने गोपनीय जांच शुरू की। हमें पता चला, श्रीराम यादव के अपनी पत्नी से संबंध ठीक नहीं थे। हमने अपनी इन्वेस्टिगेशन की दिशा बदल दी। उसकी पत्नी से पूछताछ की तो वह अलग-अलग कहानी सुनाने लगी। राजधानी लखनऊ में हत्या का मामला था, इसलिए लगातार उच्च अधिकारी मॉनिटरिंग कर रहे थे। हमें लीड मिली कि श्रीराम की पत्नी संगीता एक अलग फोन चलाती है। जब पुलिस ने इस नंबर की कॉल डिटेल खंगाली, तो यहीं से घटना की परतें खुलने लगीं। इसके चार दिन बाद श्रीराम की कार को बरामद किया। संगीता ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कराई थी। हत्या भी इतनी सफाई से कि पहले कार बेचने की बात कहकर दूसरे लोगों को बुलाया। फिर अलग-अलग लोग इसमें जोड़े गए। इस केस में पुलिस ने श्रीराम की पत्नी संगीता और उसके प्रेमी को अरेस्ट किया था। साल 2022 में अमित आनंद को सिद्धार्थनगर का SP बनाया गया। यहां वह 2023 तक तैनात रहे। उन्होंने ई-ऑफिस की शुरुआत की। जिससे सभी विभागों की सरकारी फाइलों के लिए ऑनलाइन काम शुरू हुआ। DGP और सरकार ने इस प्रयास को सरहा। यहां पुलिस वेलफेयर को मजबूत करने के साथ अवैध शराब माफियाओं पर काम किया। भू-माफिया और अवैध शराब के कारोबार में जुड़े माफियाओं की करोड़ों की संपत्ति जब्त की। अमित आनंद एक अगस्त 2023 से कन्नौज के SP हैं। यहां उन्होंने पुलिस लाइन में शूटिंग रेंज बनवाई। साथ ही पुलिस प्रतियोगिताओं के लिए अलग से काम किया। यहां पुलिस लिए जिम भी शुरू कराया। जनवरी, 2024 में बदमाशों ने यहां ज्वेलर पिता-पुत्र से 20 लाख के जेवर लूट लिए। विरोध करने पर बेटे अयाज की गोली मारकर हत्या कर दी थी, पिता घायल हो गए। इस घटना के खुलासे के लिए SOG और पुलिस की टीमों को लगाया। पुलिस ने एनकाउंटर में कुख्यात इजहार को ढेर किया, उसका दूसरा साथी तालिब पैर में गोली लगने से घायल हुआ। पुलिस ने लूटा हुआ सोना बरामद कर इस केस को वर्क आउट किया। 11 अगस्त को कन्नौज में सपा नेता नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी को लेकर अमित कुमार आनंद सुर्खियों में हैं। डेढ़ बजे रात को रंगे हाथ पकड़े गए सपा नेता को तत्काल जेल भिजवाया। नाबालिग पीड़िता की शिकायत पर तत्काल एक्शन लिया गया। परिवार की पसंद की लड़की से शादी की
अमित आनंद बताते हैं- मम्मी-पापा की मर्जी से शादी की। 2018 में मेरी शादी कामिनी कौशल से हुई। IPS बनने के बाद भी मैं चाहता था कि शादी के लिए परिवार जिस लड़की को पसंद करेगा, उसी से शादी करूंगा। कामिनी कौशल इंडियन बैंक में असिस्टेंट मैनेजर हैं। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें… 2 सिपाहियों की हत्या का बदला लेने वाले IPS: विपिन ताडा ने डॉक्टर की नौकरी छोड़ पुलिस जॉइन की IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। पढ़ें 6 चैप्टर में इनकी कहानी उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर