भिवानी जिले के बवानी खेड़ा में सरकार की प्राण वायु देवता योजना के तहत 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के पेड़ की सेवा करने वाले मालिक को बुढ़ापा पेंशन दी जाएगी। ये पेंशन वर्ष में एक बार दी जाएगी। बीते वर्ष तक बवानी खेड़ा में 94 पेंशन वितरित की जा रही है। फोरेस्ट विभाग से राजेश कुमार ने बताया कि सरकार इस और विशेष ध्यान दे रही है, ताकि सुविधा मुहैया कराई जा सके। हरियाणा में 70 साल पुराने पेड़ को पेंशन दी जानी है। जिसके लिए वन विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है और डेटा एकत्रित करने में लगा हुआ है। हालांकि डेटा विभाग को सौंपा भी गया है और विभाग ने और डिमांड की है। रिपोर्ट हुई तैयार, फिर से मांग वन विभाग की ओर से बवानी खेड़ा में 70 साल से अधिक पुराने वृक्षों को तलाश की गई थी और रिपोर्ट तक तैयार की गई थी। उसके बाद पुराने वृक्षों के पालन हार को बुढ़ापा पेंशन जितनी राशि वितरित की जा रही है। पेंशन के रूप में मिलने वाली राशि का हकदार वह होता, जिसकी जमीन पर वृक्ष छाया दे रहा है। इस पेंशन से पुराने वृक्षों की देखरेख की जानी थी, जो वृक्ष पंचायत के क्षेत्र में हैं, उसका पैसा पंचायती फंड में जाता। यदि किसी की निजी जमीन पर वृक्ष हैं, तो उसका पैसा मालिक को मिलना है। बताया जाता है कि 70 वर्ष से पुराना वृक्ष किसी के घर में खेत, बाड़े, स्कूल में, अस्पताल में है, तो संबंधित के खाते में राशि वितरित की जाएगी। ये पेंशन वर्ष में एक बार मिलेगी। यदि भमि नगर पालिका जमीन है, तो नपा के खाते में रूपए आएंगे। पर्यावरण बचाने को पहल पर्यावरण को बचाए रखने के लिए शुरू की गई थी इस योजना के तहत पुराने वृक्षों का सर्वे किया था, सर्वे के लिए टीमें बनाई गई हैं। जिसमें छल्लों के आधार पर उम्र का आकलन होता है। जिस क्षेत्र में पुराने वृक्ष हैं, उन जगहों के सरपंच, ग्रामीण खासकर बुजुर्गों से जानकारी जुटाकर वृक्षों की आयु का अनुमान लगाया था। वहीं वृक्षों की उम्र गणितीय व अनुमान के आधार पर निकाली गई थी। इसके अलावा ड्रिल का इस्तेमाल कर तने के छल्लों के आधार पर भी उम्र का आकलन किया था। क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी फोरेस्ट गार्ड राजेश कुमार ने बताया कि किसी की जानकारी में 70 वर्ष या उससे अधिक आयु का वृक्ष की जानकारी होने पर उनसे संपर्क किया जा सकता है। टीम स्वयं पहुंचकर निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट विभाग के पास भेजकर पेंशन दिलवाने का कार्य करेगी। भिवानी जिले के बवानी खेड़ा में सरकार की प्राण वायु देवता योजना के तहत 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के पेड़ की सेवा करने वाले मालिक को बुढ़ापा पेंशन दी जाएगी। ये पेंशन वर्ष में एक बार दी जाएगी। बीते वर्ष तक बवानी खेड़ा में 94 पेंशन वितरित की जा रही है। फोरेस्ट विभाग से राजेश कुमार ने बताया कि सरकार इस और विशेष ध्यान दे रही है, ताकि सुविधा मुहैया कराई जा सके। हरियाणा में 70 साल पुराने पेड़ को पेंशन दी जानी है। जिसके लिए वन विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है और डेटा एकत्रित करने में लगा हुआ है। हालांकि डेटा विभाग को सौंपा भी गया है और विभाग ने और डिमांड की है। रिपोर्ट हुई तैयार, फिर से मांग वन विभाग की ओर से बवानी खेड़ा में 70 साल से अधिक पुराने वृक्षों को तलाश की गई थी और रिपोर्ट तक तैयार की गई थी। उसके बाद पुराने वृक्षों के पालन हार को बुढ़ापा पेंशन जितनी राशि वितरित की जा रही है। पेंशन के रूप में मिलने वाली राशि का हकदार वह होता, जिसकी जमीन पर वृक्ष छाया दे रहा है। इस पेंशन से पुराने वृक्षों की देखरेख की जानी थी, जो वृक्ष पंचायत के क्षेत्र में हैं, उसका पैसा पंचायती फंड में जाता। यदि किसी की निजी जमीन पर वृक्ष हैं, तो उसका पैसा मालिक को मिलना है। बताया जाता है कि 70 वर्ष से पुराना वृक्ष किसी के घर में खेत, बाड़े, स्कूल में, अस्पताल में है, तो संबंधित के खाते में राशि वितरित की जाएगी। ये पेंशन वर्ष में एक बार मिलेगी। यदि भमि नगर पालिका जमीन है, तो नपा के खाते में रूपए आएंगे। पर्यावरण बचाने को पहल पर्यावरण को बचाए रखने के लिए शुरू की गई थी इस योजना के तहत पुराने वृक्षों का सर्वे किया था, सर्वे के लिए टीमें बनाई गई हैं। जिसमें छल्लों के आधार पर उम्र का आकलन होता है। जिस क्षेत्र में पुराने वृक्ष हैं, उन जगहों के सरपंच, ग्रामीण खासकर बुजुर्गों से जानकारी जुटाकर वृक्षों की आयु का अनुमान लगाया था। वहीं वृक्षों की उम्र गणितीय व अनुमान के आधार पर निकाली गई थी। इसके अलावा ड्रिल का इस्तेमाल कर तने के छल्लों के आधार पर भी उम्र का आकलन किया था। क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी फोरेस्ट गार्ड राजेश कुमार ने बताया कि किसी की जानकारी में 70 वर्ष या उससे अधिक आयु का वृक्ष की जानकारी होने पर उनसे संपर्क किया जा सकता है। टीम स्वयं पहुंचकर निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट विभाग के पास भेजकर पेंशन दिलवाने का कार्य करेगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में डॉक्टरों की हड़ताल, फर्श पर डिलीवरी:प्रसव पीड़ा से कराहते सरकारी अस्पताल से रेफर किया, इमरजेंसी के बाहर जन्मी बच्ची हरियाणा के पानीपत में शुक्रवार को महिला ने सरकारी अस्पताल में फर्श पर बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से डिलीवरी कराने आई महिला को डॉक्टरों ने रेफर कर दिया था। नर्स, महिला को इमरजेंसी गेट के फर्श पर बैठा कर चली गई। यहां महिला दर्द में कराहती रही। आखिर में महिला ने खुद ही फर्श पर बच्ची को जन्म दिया। कंचन कुमारी के पति दिनेश कुमार ने बताया की वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उसके पहले 2 बच्चे हैं और वह पानीपत के विकास नगर में रहते हैं। शुक्रवार को उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। वह उसे लेकर पानीपत के सिविल अस्पताल में पहुंचा। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते उसे करनाल रेफर कर दिया। बोला- किसी ने सुनवाई नहीं की दिनेश ने बताया कि उसने वहां मौजूद स्टाफ से गुहार लगाई कि उसकी पत्नी को ज्यादा दर्द है, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। इसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर प्रसूता वार्ड से इमरजेंसी वार्ड तक ही पहुंचे थे। साथ आई नर्स उन्हें वहीं छोड़कर चली गई। कुछ देर बाद कंचन ने वहीं फर्श पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। लोगों के कहने पर पहुंची नर्स
दिनेश ने आरोप लगाया कि डिलवरी के बाद भी मौके पर नर्स या डॉक्टर नहीं पहुंचे। जिसके बाद वहां खड़े पत्रकारों व अन्य लोगों ने स्टाफ की नर्स को इस बारे में बताया। जिसके बाद नर्स मौके पर आई। उन्होंने महिला को चारों से कवर किया। इसके बाद महिला और बच्ची को प्रसूता वार्ड में ले जाकर भर्ती कर लिया गया। इस मामले में CMO जयंत आहूजा का कहना है कि जैसे ही मुझे पता लगा, वैसे ही स्टाफ को तुरंत आदेश दिए गए। दोनों को भर्ती कर लिया गया है। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते हर व्यवस्था को सुचारू रूप से संभालने की हर कोशिश की जा रही है। हड़ताल का आज दूसरा दिन दरअसल, हरियाणा के सरकारी अस्पतालों के करीब 3 हजार डॉक्टर गुरुवार से हड़ताल पर हैं। आज उनकी हड़ताल का दूसरा दिन है। प्रदेश में कुल 159 सरकारी अस्पताल हैं, जिनकी ओपीडी में भी मरीज नहीं देखे जा रहे। कई अस्पतालों में पोस्टमॉर्टम भी बंद है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की सुविधा भी बंद है। इसके चलते मरीजों को अस्पतालों में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
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किसान आंदोलन के चलते बंद शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कहा- यथास्थिति बनाए रखें, स्वंत्रत कमेटी बनाई जाए; बॉर्डर 5 महीने से बंद
किसान आंदोलन के चलते बंद शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कहा- यथास्थिति बनाए रखें, स्वंत्रत कमेटी बनाई जाए; बॉर्डर 5 महीने से बंद हरियाणा और पंजाब के बीच अंबाला के पास स्थित शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 जुलाई) को कहा, ‘शंभू बॉर्डर पर यथास्थिति बनाए रखी जाए।’ दरअसल, किसान आंदोलन की वजह से हरियाणा सरकार ने इसे 5 महीने से बैरिकेडिंग कर बंद कर रखा है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया था। यहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक स्वत्रंत कमेटी गठित करने का प्रस्ताव करता है। इसमें प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे। ये किसानों और सरकारों से संपर्क कर उनकी मांगों का ऐसा व्यावहारिक समाधान खोज सकेगी जो सभी को स्वीकार होगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उजाल भुइयां की बेंच ने एक हफ्ते में पंजाब और हरियाणा सरकारों से स्वतंत्र समिति के लिए सदस्यों के नाम सुझाने को कहा। कोर्ट रूम लाइव जस्टिस सूर्यकांत- किसानों तक पहुंच बनाने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे। किसान दिल्ली क्यों आना चाहेंगे? क्या आपने किसानों से बातचीत की कोशिश की है। क्या किसी निष्पक्ष व्यक्ति के माध्यम से बातचीत की कोशिश की गई? नेशनल हाईवे को कब तक बंद रखेंगे? बिना ट्रेक्टर के आने की अनुमति में क्या दिक्कत है? हरियाणा सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- 2020-21 के किसान आंदोलन में हमने देख लिया है। केवल सोते हुए को ही जगाया जा सकता है,कोई सोने का नाटक कर रहा हो तो उसे नहीं जगा सकते। जस्टिस सूर्यकांत- आप यहां से मंत्री भेज रहे हैं। किसान सोचते हैं कि आप केवल खुद के भले की बात कर रहे हैं। मंत्रियों को स्थानीय मुद्दों के बारे में जानकारी नहीं है। जस्टिस भुइयां- आप हाईवे को ब्लॉक नहीं कर सकते, एक साल से अधिक समय हो गया है। मेहता – किसान दिल्ली आएं इससे सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन टैंक,क्रेन, जेसीबी के साथ आने से परेशानी होती है। 500-600 से अधिक गाड़ियां, जिन्हें बख्तरबंद टैंक जैसा बना लिया है, बॉर्डर पर हैं। यदि उन्हें दिल्ली की ओर जाने की अनुमति दी गई, तो कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है। जस्टिस सूर्यकांत- किसानों और सरकार के बीच भरोसे की कमी है। हम कुछ स्वतंत्र व्यक्तियों के बारे में सोचेंगे, जो विवाद के प्रति तटस्थ हों। मेहता- स्वतंत्र कमेटी का सुझाव हम सरकार के सामने रखेंगे। किसानों को मनाने की कोशिश की जा रही है। जस्टिस भुइयां- क्या जेसीबी, ट्रैक्टरों के सीमा पार करने पर प्रतिबंध है? मेहता- हम संवेदनशील मामलों से निपटते समय अप्रिय चीजें बर्दाश्त नहीं कर सकते। टैंक,क्रेन, जेसीबी केवल नेशनल हाईवे पर बैन हैं। कोई अधिनियम इसकी अनुमति नहीं देता। एमवी (मोटर वाहन) अधिनियम में इन्हें हाईवे पर लाना बैन है। लेकिन जेसीबी को युद्ध टैंक में बदल दिया गया है। मैं ये बात जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। वहां बख्तरबंद गाड़ियां हैं। हमारे पास तस्वीरें हैं। जस्टिस भुइयां- प्रदर्शनकारियों को भी कुछ शेल्टर की जरूरत हो सकती है। जस्टिस सूर्यकांत- ट्रैक्टरों में कुछ बदलाव करना उस इलाके के किसानों की एक आम प्रथा है। आप सरकार हैं। आप किसानों से मिलें, समस्या का हल निकालने की कोशिश करें। पंजाब सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह- बॉर्डर सील करने से पंजाब सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है। जस्टिस सूर्यकांत- हम पंजाब और हरियाणा के बीच लड़ाई नहीं चाहते। दोनों राज्य चर्चा करेंगे और स्टेप्स में शंभू बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाने के लिए कदम उठाएंगे, ताकि जनता को असुविधा न हो। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को एक हफ्ते में बॉर्डर खोलने को कहा था
10 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक सप्ताह के भीतर बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाने को कहा था, ताकि लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो। हाईकोर्ट ने एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था, क्योंकि शंभू बॉर्डर बंद होने से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। बॉर्डर बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट लगा चुका फटकार
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी बॉर्डर बंद करने पर हरियाणा सरकार को फटकार लगा चुका है। वासु रंजन ने कहा कि बहस के दौरान वह राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने वालों के खिलाफ सख्त दिशा-निर्देशों की भी मांग करेंगे। कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार द्वारा चुनौती दिए गए हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी मुहर लगाएगा और शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश देगा। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों के MSP को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से संघर्ष पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने बॉर्डर पर पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इसके चलते अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।