किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल शुक्रवार देर शाम रिहा हो गए। इसके बाद वह खनौरी बॉर्डर पहुंचे। अब खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल और सुखजीत सिंह हरदो झंडे मरणव्रत जारी रखेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के पास बातचीत के लिए 5 दिन का समय है। 6 दिसंबर को तय कार्यक्रम के अनुसार किसान दिल्ली कूच करेंगे। जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि आज दोनों फोरम की खनौरी बॉर्डर पर बैठक होगी। जिसमें एक दिसंबर को संगरूर में होने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान के निवास के घेराव कार्यक्रम पर फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। लुधियाना DMC अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा- मुझे रात खनौरी से उठाया और अस्पताल में दाखिल किया। मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी। दूसरे मरीजों को भी मोबाइल नहीं लाने दिया। सच्चाई ये थी कि मुझे यहां नजरबंद रखा गया। मैं किसानों की मेहनत की वजह से बाहर आया हूं। ये लोग बहुत कोशिश करते रहे कि मुझे ट्रीटमेंट दे दें। ब्लड टेस्ट, दवा देने, टेस्ट करने की कई कोशिशें की। अगर मुझे मरणव्रत पर नहीं बैठना होता तो पुलिसवालों की चाय पी लेता। बोले- हमारा पंजाब से कोई झगड़ा नहीं डल्लेवाल ने आगे कहा कि लड़ाई 13 फरवरी से शुरू हुई। ये लड़ाई किसानी का फ्यूचर बचाने के लिए है। इस लड़ाई को शांतिमय तरीके से ऊपर ले जाने का एक ही तरीका बचता है कि नेता अपने प्राणों की आहूति देने की तैयारी करें। पंजाब सरकार ने जो किया, वो केंद्र की बुक्कल में बैठकर किया। हमारा पंजाब से कोई झगड़ा ही नहीं है। पंजाब सरकार को हमसे कोई लेना देना ही नहीं है। आज जब मुझे रिहा होना था तो इससे पहले अस्पताल की महिला स्टाफ ने मुझे पोते का वीडियो दिखाया। इस पर उस बेचारी का नंबर लग गया कि उसने उसने मुझे वीडियो क्यों दिखाया। मेडिकल बुलेटिन जारी करने वाले डॉक्टरों को मेरे सामने लाओ कि मेरा मेडिकल कहां हुआ है। कब मेरे टेस्ट हुए। मुझे इस दौरान कई बार कहा गया कि अनशन छोड़ दो। मेरे साथ सबसे ज्यादा बुरा यह हुआ कि दूसरे मरीजों को परेशान किया। आंदोलन को रोकने के लिए ये सब किया गया एक दिसंबर को प्रदर्शन का ऐलान किया 26 नवंबर को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत शुरू करना था। इससे पहले रात 2 बजे पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें खनौरी बॉर्डर पर टेंट से हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें लुधियाना के DMC अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डल्लेवाल ने वहां अपना अनशन शुरू कर दिया। इसके विरोध में 28 नवंबर को किसानों ने 1 दिसंबर को संगरूर में सीएम भगवंत मान के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया था। उनका आरोप है कि उनकी लड़ाई 10 महीने से केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ चल रही थी, लेकिन पंजाब सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया। किसान नेताओं ने कहा कि वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में लेने से यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार की तरह पंजाब सरकार भी आंदोलन को दबाने में लगी हुई है। सीएम भगवंत मान पहले कहते थे कि मैं किसानों का वकील हूं। मैं किसानों की तरफ से बोलता हूं। इसके साथ ही उन्होंने किसानों के मुद्दों को हल करवाने के लिए चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों को बुलाया था। अब सीएम को बताना चाहिए कि उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर अब तक केंद्र से क्या चर्चा की है। पंधेर बोले- 6 को दिल्ली कूच करेंगे सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच की तैयारी में हैं और हर जिले में किसानों को इसके लिए लामबंद किया जा रहा है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, केंद्र के खिलाफ किसानों की लामबंदी तेज होती जा रही है। केंद्र के साथ-साथ किसान अब राज्य सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल रहे हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल शुक्रवार देर शाम रिहा हो गए। इसके बाद वह खनौरी बॉर्डर पहुंचे। अब खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल और सुखजीत सिंह हरदो झंडे मरणव्रत जारी रखेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के पास बातचीत के लिए 5 दिन का समय है। 6 दिसंबर को तय कार्यक्रम के अनुसार किसान दिल्ली कूच करेंगे। जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि आज दोनों फोरम की खनौरी बॉर्डर पर बैठक होगी। जिसमें एक दिसंबर को संगरूर में होने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान के निवास के घेराव कार्यक्रम पर फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। लुधियाना DMC अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा- मुझे रात खनौरी से उठाया और अस्पताल में दाखिल किया। मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी। दूसरे मरीजों को भी मोबाइल नहीं लाने दिया। सच्चाई ये थी कि मुझे यहां नजरबंद रखा गया। मैं किसानों की मेहनत की वजह से बाहर आया हूं। ये लोग बहुत कोशिश करते रहे कि मुझे ट्रीटमेंट दे दें। ब्लड टेस्ट, दवा देने, टेस्ट करने की कई कोशिशें की। अगर मुझे मरणव्रत पर नहीं बैठना होता तो पुलिसवालों की चाय पी लेता। बोले- हमारा पंजाब से कोई झगड़ा नहीं डल्लेवाल ने आगे कहा कि लड़ाई 13 फरवरी से शुरू हुई। ये लड़ाई किसानी का फ्यूचर बचाने के लिए है। इस लड़ाई को शांतिमय तरीके से ऊपर ले जाने का एक ही तरीका बचता है कि नेता अपने प्राणों की आहूति देने की तैयारी करें। पंजाब सरकार ने जो किया, वो केंद्र की बुक्कल में बैठकर किया। हमारा पंजाब से कोई झगड़ा ही नहीं है। पंजाब सरकार को हमसे कोई लेना देना ही नहीं है। आज जब मुझे रिहा होना था तो इससे पहले अस्पताल की महिला स्टाफ ने मुझे पोते का वीडियो दिखाया। इस पर उस बेचारी का नंबर लग गया कि उसने उसने मुझे वीडियो क्यों दिखाया। मेडिकल बुलेटिन जारी करने वाले डॉक्टरों को मेरे सामने लाओ कि मेरा मेडिकल कहां हुआ है। कब मेरे टेस्ट हुए। मुझे इस दौरान कई बार कहा गया कि अनशन छोड़ दो। मेरे साथ सबसे ज्यादा बुरा यह हुआ कि दूसरे मरीजों को परेशान किया। आंदोलन को रोकने के लिए ये सब किया गया एक दिसंबर को प्रदर्शन का ऐलान किया 26 नवंबर को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत शुरू करना था। इससे पहले रात 2 बजे पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें खनौरी बॉर्डर पर टेंट से हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें लुधियाना के DMC अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डल्लेवाल ने वहां अपना अनशन शुरू कर दिया। इसके विरोध में 28 नवंबर को किसानों ने 1 दिसंबर को संगरूर में सीएम भगवंत मान के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया था। उनका आरोप है कि उनकी लड़ाई 10 महीने से केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ चल रही थी, लेकिन पंजाब सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया। किसान नेताओं ने कहा कि वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में लेने से यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार की तरह पंजाब सरकार भी आंदोलन को दबाने में लगी हुई है। सीएम भगवंत मान पहले कहते थे कि मैं किसानों का वकील हूं। मैं किसानों की तरफ से बोलता हूं। इसके साथ ही उन्होंने किसानों के मुद्दों को हल करवाने के लिए चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों को बुलाया था। अब सीएम को बताना चाहिए कि उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर अब तक केंद्र से क्या चर्चा की है। पंधेर बोले- 6 को दिल्ली कूच करेंगे सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच की तैयारी में हैं और हर जिले में किसानों को इसके लिए लामबंद किया जा रहा है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, केंद्र के खिलाफ किसानों की लामबंदी तेज होती जा रही है। केंद्र के साथ-साथ किसान अब राज्य सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल रहे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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SGPC चुनाव वोटर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई:2011 के चुनावों से आधी रह गई वोटरों की संख्या; कारण- पंथक जत्थेबंदियों से नाराजगी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के चुनावों के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित है। इस बार पंजीकरण कराने वाले सिखों की संख्या 2011 में हुई चुनावों की तुलना में लगभग आधी रह गई है। गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा वोटर पंजीकरण की समय सीमा को तीन बार आगे बढ़ाने के बावजूद पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 50% से अधिक नहीं हो पा रही। बीती 25 जुलाई तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 27.87 लाख रही, जबकि 2011 में हुए पिछले SGPC चुनाव के दौरान लगभग 52 लाख मतदाता थे। SGPC चुनाव भारत सरकार द्वारा गठित गुरुद्वारा चुनाव आयोग की देखरेख में कराए जाते हैं। मतदाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया 21 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई थी। शुरुआत में, अंतिम तिथि 15 नवंबर 2023 निर्धारित थी। पंजीकरण की प्रक्रिया में वोटरों की दिलचस्पी को ना देखते हुए इसे 29 फरवरी 2024 तक और फिर 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया। अब एक बार फिर इसी अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित की गई। सिख विशेषज्ञों का मानना है कि ढीली प्रतिक्रिया SGPC से घटता विश्वास, मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया और विदेशों में पलायन के प्रभाव के कारण है। बीते समय में हुई घटनाओं से उभरे नहीं सिख तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि कई अप्रिय घटनाओं के बाद सिख मामलों में विश्वास की कमी हो गई है। जिसमें डेरा सिरसा के राम रहीम को माफी देना, इसके बाद बेअदबी की घटनाएं शामिल हैं। इनमें लोगों को अभी तक न्याय नहीं मिला। जिससे सिख निराश हो रहे हैं। SGPC सदस्य किरनजोत कौर का मानना है कि SGPC के कुछ गलत कदमों और कुछ नीतियों के अलावा सरकार द्वारा तैयार की गई मतदान पंजीकरण प्रक्रिया के चलते पंजीकरण कम हुआ है। सही से जानकारी सांझा नहीं की गई SGPC सदस्य किरनजोत कौर ने बताया कि प्रशासन द्वारा आयोजित किए जा रहे शिविरों के बारे में कोई प्रचार ही नहीं हुआ। वोटरों को यह नहीं पता था कि पंजीकरण कराने के लिए कहां जाएं। यह भी स्पष्ट नहीं था कि वे किस वार्ड से संबंधित हैं। जब वे कैंप में जाएंगे तो वार्डों में गड़बड़ी के कारण उनका आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। साथ ही, पंजीकरण प्रक्रिया समय के दौरान वोटर, चाहे वे बुजुर्ग हों या महिला, का खुद पहुंचना जरूरी था। बाद में, प्रशासन ने अपने पटवारियों और ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों को घर-घर जाकर मतदाताओं का पंजीकरण करने के लिए कहा। लेकिन उन पर पहले से ही काफी अधिक काम का बोझ है। दूसरी बात यह है कि पहले सिख युवाओं में उत्साह देखा गया था। अब, उनमें से बड़ी संख्या में लोग विदेश चले गए हैं। अकाली दल सबसे कम दिलचस्पी ले रहा है मौजूदा समय में सिख न तो SGPC से खुश हैं और न ही अकाली दल से। सिखों के लिए यही दो सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाएं हैं। लेकिन अकाली दल ने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए कि उलटा असर हुआ। 2017 के बाद लोकसभा व विधानसभा चुनावों के परिणामों में जो हालात पैदा हुए, उसके बाद अकाली दल खुद ही इसमें सबसे कम रूचि ले रहा है। जबकि पहले अकाली दल के वर्कर वोट बनाने की प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग देते थे। जानें वोट बनवाने के लिए क्या है नियम SGPC चुनावों के लिए पंजीकरण करवाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के आवेदकों को ‘साबत सूरत’ (बिना बाल और दाढ़ी कोट) और 21 वर्ष से अधिक (21 अक्टूबर, 2023 तक) होना चाहिए। जो लोग अपने बाल काटते हैं, धूम्रपान करते हैं और तम्बाकू या शराब का सेवन करते हैं (पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लागू) या सिख पुरुष जो अपनी दाढ़ी काटते या कटवाते हैं, उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया जाता है।
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इंडिया-पाक बॉर्डर पर तैनाती बढ़ाने की तैयारी में BSF:घुड़सवार महिला जवान करेंगी गश्त; नदी मार्गों पर चौकसी बढ़ाने की तैयारी
इंडिया-पाक बॉर्डर पर तैनाती बढ़ाने की तैयारी में BSF:घुड़सवार महिला जवान करेंगी गश्त; नदी मार्गों पर चौकसी बढ़ाने की तैयारी पंजाब में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) नशा, गोला-बारूद तस्करी और घुसपैठ को रोकने के मकसद से चौकसी बढ़ाने की तैयारी में है। बीते दिनों पठानकोट एरिया से आतंकियों की घुसपैठ की अटकलों के बाद अब संवेदनशील इलाकों में बीएसएफ अपने जवानों की गिनती बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, बॉर्डर पर घुड़सवार जवान भी तैनात करने पर विचार चल रहा है। राजस्थान- पाकिस्तान बॉर्डर पर जिस तरह ऊंट पर जवान गश्त करते हैं, उसी तरह घुड़सवार जवानों को पंजाब बॉर्डर के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए महिला जवानों की एक ईकाई को स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जा रही है। पठानकोट में पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ की सूचना मिलने के बाद से गुरदासपुर सेक्टर (अमृतसर के अजनाला से पठानकोट तक) में अधिक सैनिकों को तैनात किया गया, ताकि घुसपैठ को रोका जा सके। 500 किमी. एरिया की सुरक्षा करती हैं 20 बटालियन पंजाब में बीएसएफ के पास 500 किलोमीटर से अधिक लंबा बॉर्डर है। इस समय लगभग बीएसएफ की 20 बटालियन हैं, जो पंजाब में सक्रिय है। इनमें से 18 सीमा पर तैनात हैं, जबकि बाकी 2 को अमृतसर में अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट और गुरदासपुर जिले के करतारपुर कॉरिडोर डेरा बाबा नानक में जरूरत के अनुसार तैनात किया गया है। ड्रोन मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बटालियन की मांग बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पंजाब बॉर्डर पर ड्रोन मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बीएसएफ की एक बटालियन को बढ़ाने की मांग केंद्र को भेजी गई है। अमृतसर और तरनतारन के सीमावर्ती जिलों में वर्ष 2019 से ड्रोन मूवमेंट काफी अधिक बढ़ चुकी है। जिसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मांग पर विचार करने को कहा गया है। पंजाब और दिल्ली के अधिकारियों के अनुसार पंजाब के बॉर्डर पर नदी क्षेत्रों की प्रभावी ढंग से रक्षा करने के लिए और अधिक जवानों को तैनात किया जाना है। पंजाब सीमा पर रावी और सतलुज नदियों पर 48 पुलियों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 25 का काम पूरा हो चुका है। छोटे ड्रोन बने चिंता का विषय बीते दिनों पंजाब दौरे पर आए राज्य के पूर्व गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने भी ड्रोन मूवमेंट पर चिंता जाहिर की थी। ये भी संकेत दिए थे कि बॉर्डर पर सतर्कता बढ़ाई जा रही है। वहीं, जल्द ही नवीनतम तकनीकों का भी प्रयोग किया जाएगा ताकि ड्रोन मूवमेंट पर नजर रखी जा सके। बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर के महानिरीक्षक अतुल फुलजले ने बीते दिनों मीडिया से बातचीत में छोटे ड्रोन की मूवमेंट पर चिंता जाहिर की थी। उनका कहना था कि ये ड्रोन दिन में भी तस्करी करने में सफल रहते हैं। इसका कारण इनका ऊंचाई पर उड़ना और आवाज ना करना है।