दिल्ली स्थित हिमाचल भवन कुर्क होने से बचा:सुक्खू सरकार ने ब्याज सहित चुकाए 64 करोड़, हाईकोर्ट ने दिए थे आदेश

दिल्ली स्थित हिमाचल भवन कुर्क होने से बचा:सुक्खू सरकार ने ब्याज सहित चुकाए 64 करोड़, हाईकोर्ट ने दिए थे आदेश

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने नई दिल्ली स्थित हिमाचल की पहचान हिमाचल भवन को कुर्क होने से बचा लिया है। हिमाचल सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड के पक्ष में ब्याज सहित 64 करोड़ रुपए की रकम जमा करवा दी है। इस संदर्भ में हिमाचल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सेली हाइड्रो पावर कंपनी को ब्याज सहित अपफ्रंट प्रीमियम की रकम वापस लौटाने के आदेश जारी किए थे, अब तय प्रक्रिया के अनुसार यह राशि हाईकोर्ट में सरकार की लंबित अपील में जमा करवाई गई है। 18 दिसंबर को निर्धारित हुई सुनवाई की तारीख
हिमाचल प्रदेश सरकार ने ये तथ्य हाईकोर्ट में अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष रखा। इसके बाद राज्य सरकार ने इस राशि को समय पर अदालत में जमा न करवाने के दोषियों व अधिकारियों से जुड़ी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए हाईकोर्ट से दो हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने राज्य सरकार की इस मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की। क्या है पूरा मामला?
हिमाचल के लाहौल में 320 मेगावाट के एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए टेंडर बुलाए गए थे. सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपफ्रंट प्रीमियम जमा किया था, लेकिन समय पर ये प्रोजेक्ट आरंभ नहीं हो सका. बाद में कंपनी ने सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम वापस मांगा। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां से कंपनी के पक्ष में फैसला आया. इसी सिलसिले में अदालत में अनुपालना याचिका भी दाखिल हुई थी. इसी केस में अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश जारी किए थे। दोषियों का पता लगाना जरूरी
हाईकोर्ट ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने ऊर्जा विभाग के सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए थे कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की रकम 7 फीसदी ब्याज सहित कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश दिए थे। 7% की ब्याज से 64 करोड़ रुपए वापस करने के निर्देश
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया था कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों यानी ऊर्जा विभाग को याचिकाकर्ता कंपनी द्वारा जमा किए गए 64 करोड़ रुपए के अग्रिम प्रीमियम को सात प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं, तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। 2 हफ्ते में पेश करनी है रिपोर्ट
इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी राज्य के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेशों को लागू किया जाना जरूरी है। इसलिए भी आदेश लागू करना जरूरी है कि सरकार द्वारा अवॉर्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लग रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना है। अब राज्य सरकार को कोर्ट के समक्ष रकम को देरी से जमा करवाने वाले अधिकारियों के बारे में दो हफ्ते में रिपोर्ट अदालत में पेश करनी है। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने नई दिल्ली स्थित हिमाचल की पहचान हिमाचल भवन को कुर्क होने से बचा लिया है। हिमाचल सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड के पक्ष में ब्याज सहित 64 करोड़ रुपए की रकम जमा करवा दी है। इस संदर्भ में हिमाचल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सेली हाइड्रो पावर कंपनी को ब्याज सहित अपफ्रंट प्रीमियम की रकम वापस लौटाने के आदेश जारी किए थे, अब तय प्रक्रिया के अनुसार यह राशि हाईकोर्ट में सरकार की लंबित अपील में जमा करवाई गई है। 18 दिसंबर को निर्धारित हुई सुनवाई की तारीख
हिमाचल प्रदेश सरकार ने ये तथ्य हाईकोर्ट में अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष रखा। इसके बाद राज्य सरकार ने इस राशि को समय पर अदालत में जमा न करवाने के दोषियों व अधिकारियों से जुड़ी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए हाईकोर्ट से दो हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने राज्य सरकार की इस मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की। क्या है पूरा मामला?
हिमाचल के लाहौल में 320 मेगावाट के एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए टेंडर बुलाए गए थे. सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपफ्रंट प्रीमियम जमा किया था, लेकिन समय पर ये प्रोजेक्ट आरंभ नहीं हो सका. बाद में कंपनी ने सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम वापस मांगा। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां से कंपनी के पक्ष में फैसला आया. इसी सिलसिले में अदालत में अनुपालना याचिका भी दाखिल हुई थी. इसी केस में अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश जारी किए थे। दोषियों का पता लगाना जरूरी
हाईकोर्ट ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने ऊर्जा विभाग के सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए थे कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की रकम 7 फीसदी ब्याज सहित कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश दिए थे। 7% की ब्याज से 64 करोड़ रुपए वापस करने के निर्देश
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया था कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों यानी ऊर्जा विभाग को याचिकाकर्ता कंपनी द्वारा जमा किए गए 64 करोड़ रुपए के अग्रिम प्रीमियम को सात प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं, तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। 2 हफ्ते में पेश करनी है रिपोर्ट
इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी राज्य के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेशों को लागू किया जाना जरूरी है। इसलिए भी आदेश लागू करना जरूरी है कि सरकार द्वारा अवॉर्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लग रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना है। अब राज्य सरकार को कोर्ट के समक्ष रकम को देरी से जमा करवाने वाले अधिकारियों के बारे में दो हफ्ते में रिपोर्ट अदालत में पेश करनी है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर