हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में शिमला में तैनात एक कार्यक्रम अधिकारी पर कुल्लू जिले के मनाली की महिला ने उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। महिला द्वारा इस संबंध में कुल्लू के महिला थाना में आरोपी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। पुलिस के मुताबिक, पीड़ित महिला द्वारा महिला थाने में दी गई शिकायत में कहा गया है कि, शिमला स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक कार्यक्रम अधिकारी वर्ष 2022 से लगातार उसे फोन के माध्यम से यौन संबंधी टिप्पणियां करता आ रहा है। मनाली की 42 वर्षीय महिला के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी लगातार उसे फोन व इंटरनेट कॉल के माध्यम से यौन संबंधी टिप्पणियां करके प्रताड़ित करता आ रहा है। इतना ही नहीं वह उसे ब्लैकमेल भी करता रहा है। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी अधिकारी उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां भी दे रहा है। पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में शिमला में तैनात एक कार्यक्रम अधिकारी पर कुल्लू जिले के मनाली की महिला ने उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। महिला द्वारा इस संबंध में कुल्लू के महिला थाना में आरोपी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। पुलिस के मुताबिक, पीड़ित महिला द्वारा महिला थाने में दी गई शिकायत में कहा गया है कि, शिमला स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक कार्यक्रम अधिकारी वर्ष 2022 से लगातार उसे फोन के माध्यम से यौन संबंधी टिप्पणियां करता आ रहा है। मनाली की 42 वर्षीय महिला के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी लगातार उसे फोन व इंटरनेट कॉल के माध्यम से यौन संबंधी टिप्पणियां करके प्रताड़ित करता आ रहा है। इतना ही नहीं वह उसे ब्लैकमेल भी करता रहा है। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी अधिकारी उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां भी दे रहा है। पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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चीनी और तिब्बती परंपरा के बीच विवाद बढ़ा:दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को बिगाड़ सकता है चीन, 17 साल से कर रहा तैयारी
चीनी और तिब्बती परंपरा के बीच विवाद बढ़ा:दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को बिगाड़ सकता है चीन, 17 साल से कर रहा तैयारी तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु 89 वर्षीय दलाई लामा की सेहत ठीक है, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी को लेकर तिब्बतियों में चिंताएं हैं। तिब्बती परंपरा में दलाई लामा तुल्कुओं या प्रबुद्ध व्यक्तियों में सबसे प्रमुख होते हैं, जो आध्यात्मिक शिक्षाओं की परंपरा को बनाए रखने के लिए मानव रूप धारण करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में मान्यता है कि कि देहत्याग के बाद वे पुनर्जन्म लेते हैं और ऐसे संकेत छोड़ जाते हैं, जो उनके उत्तराधिकारी को खोजने में मदद करते हैं। वर्तमान दलाई लामा को उनके पूर्ववर्ती 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में तब पहचाना गया था जब वे मात्र दो साल के थे। लेकिन ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ द्वारा तिब्बत पर अनाधिकृत कब्जे के चलते चिंता है कि इस बार इस प्रक्रिया में खलल आ सकता है। दलाई लामा बौद्ध भिक्षुओं से परामर्श के बाद लेंगे फैसला
दलाई लामा के देहत्याग के बाद चीनी निश्चित रूप से उनकी संस्था पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे, इसलिए दलाई लामा भविष्य की सावधानीपूर्वक योजना बना रहे हैं। 24 सितंबर, 2011 को दलाई लामा ने घोषणा की थी कि जब वह 90 साल के होंगे तो वे वह तिब्बत बौद्ध परम्परा के शीर्ष लामा, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले अन्य संबंधित लोगों के साथ परामर्श करेंगे और यह मूल्यांकन करेंगे कि दलाई लामा की संस्था उनके बाद जारी रहे अथवा नहीं। यदि ऐसा निर्णय लिया गया कि एक 15वें दलाई लामा को मान्यता दी जानी चाहिए तो ऐसा करने का उत्तरदायित्व प्रमुख रूप से दलाई लामा के ‘गदेन फोडंग ट्रस्ट’ के संबंधित अधिकारियों पर होगा। यह निर्णय इस वर्ष होगा। दलाई लामा के कार्यालय ने पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया है। 1950 में चीन ने तिब्बत पर किया हमला
गौरतलब है कि वर्ष 2011 के बाद भी तिब्बत का धार्मिक नेतृत्व दलाई लामा के पास ही बना रहा। लेकिन राजनीतिक नेतृत्व प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति या सिकयोंग को हस्तांरित कर दिया गया। वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया और वर्ष 1959 में इसके खिलाफ आंदोलन हुआ, जिसका चीन ने क्रूरता से दमन किया। इस घटना के बाद दलाई लामा अपने कई समर्थकों के साथ भारत भाग आए और उसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित संसद की स्थापना की। चीन कर सकता है हस्तक्षेप
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति या सिकयोंग पेन्पा त्सेरिंग ने कहा कि हमारा मानना है कि निश्चित तौर पर चीन दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में हस्तक्षेप करेगा। वह इसकी पिछले 17 साल से तैयारी कर रहा है। चीन की सरकार ने वर्ष 2007 में एक आदेश जारी किया था जिसमें सभी अवतरित लामाओं के उत्तराधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया में उसकी मौजूदगी की जरूरत बताई गई थी। पंचेन लामा को कर दिया गया गायब
त्सेरिंग ने कहा कि जिसका उद्देश्य धर्म को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना था। हालांकि न तो चीन की और न ही किसी अन्य सरकार की इसमें कोई भूमिका होनी चाहिए। चीनियों ने वर्ष 1995 में तब हस्तक्षेप किया जब एक लड़के (ज्ञानचेन नोरबू) को पंचेन लामा के तौर पर चुना गया। महामहिम (दलाई लामा) द्वारा चुने गए पंचेन लामा (गेधुन छोयी न्यिमा) को गायब कर दिया गया और हमें अब तक पता नहीं कि वह जिंदा भी है या नहीं। तिब्बत में चीनी दमनचक्र
दूसरी तरफ, तिब्बत में चीनी दमनचक्र और बढ़ गया है। बीजिंग अब तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी बनाने की आवश्यकता की बात कर रहा है। छोटे बच्चों को अपनी भाषा से परिचित होने से पहले चीनी सीखने के लिए बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जा रहा है। अमेरिका चीनियों से बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बतियों से बातचीत के बाद समझौता करने का आग्रह कर रहा है। ‘यूएस तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट 2020’ के तहत अमेरिका ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मामला चीनियों के हस्तक्षेप के बिना तिब्बतियों द्वारा स्वयं संभाला जाना चाहिए। अभी तक भारत इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से दूर रहा है। लेकिन चूंकि भारत तिब्बत के साथ 4,000 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, इसलिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह मसला भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
डीआईजी नॉर्थ ने तीसा सैक्टर में की पेट्रोलिंग:पुलिस व्यवस्था की ली जानकारी, बाहरी लोगों पर निगरानी के दिए निर्देश
डीआईजी नॉर्थ ने तीसा सैक्टर में की पेट्रोलिंग:पुलिस व्यवस्था की ली जानकारी, बाहरी लोगों पर निगरानी के दिए निर्देश चंबा जिले में डीआईजी नॉर्थ अभिषेक दुल्लर ने आतंकवाद की दृष्टि से बेहद संवेदनशील सेक्टर तीसा का दौरा किया। डीजी ने उस स्थान का भी दौरा किया जहां 1998 में अंतरराज्यीय सीमा पार जम्मू-कश्मीर से आतंकियों ने तीसा सेक्टर में प्रवेश कर कालाबन-सतरुंडी में 38 मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया था। डीआईजी नॉर्थ धर्मशाला ने तीसा सेक्टर के बैरागढ़ मौजूद आई.आर.बी. की पुलिस चौकी का मौका किया और वहां तैनात पुलिस जवानों के साथ बातचीत करी। पुलिसकर्मियों से ली जानकारी आगे बढ़ते हुए अभिषेक दुल्लर ने सतरुंडी तक लंबी दूरी की पेट्रोलिंग की अगुवाई करते हुए क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति के साथ वहां तैनात पुलिसकर्मियों की तैयारी बारे भी जानकारी प्राप्त की। जिला चंबा के साथ सटी जम्मू-कश्मीर के डोडा जिला में जब भी आतंकियों ने अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हैं, तो जिला चंबा की सीमा पर तैनात हिमाचल पुलिस व आई.आर.बी. के जवानों को हाई अर्ल्ट जारी कर दिया जाता है। यही वजह है कि इन दिनों कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। बीते कुछ हफ्तों से जिस प्रकार से डोडा में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो रही है उसे देखते हुए इन दिनों जिला चंबा के खैरी, किहार व तीसा सेक्टर में स्थापित आई.आर.बी. की ओसीपी पर तैनात पुलिस कर्मियों को हाई अर्ल्ट पर रखा गया है। बाहरी लोगों पर नजर रखने के निर्देश इन सेक्टरों में मौजूद पुलिस थानों के पुलिस कर्मियों को विशेष सतर्कता बरतने और क्षेत्र के बाहरी लोगों की आवाजाही पर पैनी निगाह रखने के निर्देश जारी है। डीसी चंबा व एसपी चंबा स्वयं जिला के उपरोक्त सीमावर्ती क्षेत्रों को दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले चुके है। शनिवार को डीआईजी अभिषेक दुल्लर ने तीसा पहुंच कर सतरुंडी तक पेट्रोलिंग की। इस मौके पर एडीपीओ सलूणी रंजन शर्मा, डीएसपी किहार सेक्टर अनिल दत्त, प्रभारी थाना तीसा अशोक कुमार सहित अन्य पुलिसकर्मी मौजूद रहे।
हिमाचल के बागवानी विकास प्रोजेक्ट को 4 महीने की एक्सटेंशन:बच गई 250 कर्मचारियों की नौकरी; पूरे होंगे मार्केट यार्ड और सीए स्टोर के काम
हिमाचल के बागवानी विकास प्रोजेक्ट को 4 महीने की एक्सटेंशन:बच गई 250 कर्मचारियों की नौकरी; पूरे होंगे मार्केट यार्ड और सीए स्टोर के काम हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित 1134 करोड़ रुपये की बागवानी विकास परियोजना (एचडीपी) को चार महीने का विस्तार मिल गया है। इस परियोजना की अवधि कल ही समाप्त हो गई थी। अब इस परियोजना को अक्तूबर 2024 तक विस्तार मिल गया है। विस्तार के बाद परियोजना में तैनात 250 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी भी कुछ समय के लिए बच गई है और 50 करोड़ रुपये की राशि जो बागवानी विभाग अब तक खर्च नहीं कर पाया था। उसे खर्च कर सकेगा। हालांकि कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है। राज्य सरकार ने अप्रैल माह में ही आर्थिक मामलों के मंत्रालय से परियोजना को विस्तार देने का अनुरोध किया था। अब केंद्र ने हिमाचल के अनुरोध पर इस परियोजना को विस्तार दे दिया है। राज्य सरकार को अब शेष चार माह में परियोजना का पूरा काम पूरा करना होगा। ऐसा न करने पर बजट लैप्स हो जाएगा। 50 करोड़ रुपए से मार्केट यार्ड और सीए स्टोर का होगा निर्माण इस परियोजना में शेष 50 करोड़ रुपए से मेहदली में मार्केट यार्ड, जरोल-टिक्कर में सीए (वातानुकूलित) स्टोर का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के तहत सेब बहुल क्षेत्रों में नई मंडियां बनाई जाएंगी, पुरानी मंडियों को अपग्रेड किया जाएगा, नए सीए स्टोर बनाए जाएंगे और बड़ी मात्रा में प्लाटिंग सामग्री अमेरिका और इटली से आयात की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य सेब का उत्पादन बढ़ाना है। इसके लिए सेब के उच्च घनत्व वाले बगीचे (एचडीपी) लगाए गए हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2017 में स्वीकृत इस परियोजना को पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2017 में स्वीकृत किया गया था। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम छह महीने तक चला था। 2018 में ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इस परियोजना को छह साल में पूरा किया जाना था। इसकी समय सीमा पिछले साल पूरी हो गई थी। लेकिन पिछले साल भी इस परियोजना को एक बार विस्तार मिला था।