प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाटिका लिमिटेड से जुड़े एक बड़े बिल्डर-निवेशक धोखाधड़ी मामले में 68.59 करोड़ रुपए की लगभग 27.36 एकड़ कृषि भूमि सहित नौ अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई, जिसमें 600 से अधिक निवेशकों के कथित शोषण किया गया है। ईडी की जांच 2021 में आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली द्वारा वाटिका लिमिटेड, इसके प्रमोटरों अनिल भल्ला और गौतम भल्ला और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई कई एफआईआर के बाद हुई है। इन आरोपों में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और निवेशकों और घर खरीदने वालों को बेईमानी से लुभाने के आरोप शामिल हैं। ईडी ने कहा कि वाटिका लिमिटेड ने निवेशकों को भविष्य की परियोजनाओं के लिए उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाया, जिसमें निर्माण के दौरान सुनिश्चित भुगतान और पूरा होने के बाद लीज-रेंट रिटर्न शामिल थे। अक्टूबर में रेड की थी ईडी ने वाटिका लिमिटेड और उसकी सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली और गुरुग्राम समेत 15 स्थानों पर अक्टूबर में छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने निवेश से जुड़े दस्तावेज़, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिए गए लोन के कागजात, और डिजिटल उपकरण जैसे पैन ड्राइव, हार्ड डिस्क, लैपटॉप, और मोबाइल फोन जब्त किए थे। इस मामले में करीब 600 निवेशक शामिल हैं। जिन्हें वाटिका लिमिटेड के कामर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश करने पर एश्योर्ड रिटर्न का वादा किया गया था। जाचं अभी जारी है ईडी ने दिल्ली और हरियाणा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2021 में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. जांच में यह सामने आया कि वाटिका लिमिटेड ने निवेशकों को भविष्य की परियोजनाओं में निवेश के लिए आकर्षित किया, लेकिन बाद में आश्वस्त रिटर्न का भुगतान बंद कर दिया और संबंधित इकाइयों को निवेशकों को नहीं सौंपा। इसके अलावा वाटिका समूह से जुड़ी कंपनियों ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लिया, जिसमें से लगभग 1200 करोड़ रुपए इंडियाबुल्स कंपनी द्वारा वाटिका समूह और उसके प्रमोटर्स के साथ समझौते में माफ कर दिए गए। ठगी का है आरोप ईडी के सूत्रों के मुताबिक, वाटिका लिमिटेड और उसकी सहयोगी संस्थाओं के निदेशकों पर 2000 से अधिक निवेशकों के करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप है। इन निवेशकों से कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट्स में निवेश करवाया, लेकिन उन्हें समय पर रिटर्न नहीं दिया गया। इसके बजाय कंपनी ने जमा की गई राशि को किसी अन्य प्रोजेक्ट या कंपनी में डायवर्ट कर दिया। जांच में यह भी सामने आया है कि कंपनी ने समय-समय पर डीटीसीपी से लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करवाया और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में लापरवाही की है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाटिका लिमिटेड से जुड़े एक बड़े बिल्डर-निवेशक धोखाधड़ी मामले में 68.59 करोड़ रुपए की लगभग 27.36 एकड़ कृषि भूमि सहित नौ अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई, जिसमें 600 से अधिक निवेशकों के कथित शोषण किया गया है। ईडी की जांच 2021 में आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली द्वारा वाटिका लिमिटेड, इसके प्रमोटरों अनिल भल्ला और गौतम भल्ला और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई कई एफआईआर के बाद हुई है। इन आरोपों में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और निवेशकों और घर खरीदने वालों को बेईमानी से लुभाने के आरोप शामिल हैं। ईडी ने कहा कि वाटिका लिमिटेड ने निवेशकों को भविष्य की परियोजनाओं के लिए उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाया, जिसमें निर्माण के दौरान सुनिश्चित भुगतान और पूरा होने के बाद लीज-रेंट रिटर्न शामिल थे। अक्टूबर में रेड की थी ईडी ने वाटिका लिमिटेड और उसकी सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली और गुरुग्राम समेत 15 स्थानों पर अक्टूबर में छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने निवेश से जुड़े दस्तावेज़, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिए गए लोन के कागजात, और डिजिटल उपकरण जैसे पैन ड्राइव, हार्ड डिस्क, लैपटॉप, और मोबाइल फोन जब्त किए थे। इस मामले में करीब 600 निवेशक शामिल हैं। जिन्हें वाटिका लिमिटेड के कामर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश करने पर एश्योर्ड रिटर्न का वादा किया गया था। जाचं अभी जारी है ईडी ने दिल्ली और हरियाणा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2021 में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. जांच में यह सामने आया कि वाटिका लिमिटेड ने निवेशकों को भविष्य की परियोजनाओं में निवेश के लिए आकर्षित किया, लेकिन बाद में आश्वस्त रिटर्न का भुगतान बंद कर दिया और संबंधित इकाइयों को निवेशकों को नहीं सौंपा। इसके अलावा वाटिका समूह से जुड़ी कंपनियों ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लिया, जिसमें से लगभग 1200 करोड़ रुपए इंडियाबुल्स कंपनी द्वारा वाटिका समूह और उसके प्रमोटर्स के साथ समझौते में माफ कर दिए गए। ठगी का है आरोप ईडी के सूत्रों के मुताबिक, वाटिका लिमिटेड और उसकी सहयोगी संस्थाओं के निदेशकों पर 2000 से अधिक निवेशकों के करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप है। इन निवेशकों से कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट्स में निवेश करवाया, लेकिन उन्हें समय पर रिटर्न नहीं दिया गया। इसके बजाय कंपनी ने जमा की गई राशि को किसी अन्य प्रोजेक्ट या कंपनी में डायवर्ट कर दिया। जांच में यह भी सामने आया है कि कंपनी ने समय-समय पर डीटीसीपी से लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करवाया और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में लापरवाही की है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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2. गाड़ी संख्या 09636, रेवाड़ी-जयपुर ट्रेन 10 नवंबर को रद्द। आंशिक रद्द रेलेसवाएं 1. गाड़ी संख्या 12015, नई दिल्ली-अजमेर ट्रेन 10 नवंबर को नई दिल्ली से प्रस्थान करेगी वह खातीपुरा तक ही संचालित होगी। अर्थात् यह रेलसेवा खातीपुरा-अजमेर के बीच आंशिक रद्द रहेगी।
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हरियाणा भाजपा में अंदरूनी कलह:हिसार में CM कार्यक्रम को हाईजैक करने का आरोप, महंत दर्शनगिरी की एंट्री रोकी, कुलदीप बिश्नोई नहीं पहुंचे हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में 2 महीने बचे हैं। सत्तासीन भाजपा सरकार जनता के मुद्दों पर लड़ने की बजाय आपस में ही लड़ती नजर आ रही है। दो दिन पहले हिसार में हुए दक्ष प्रजापति सम्मेलन में प्रजापति समाज से चुने गए महंत दर्शन गिरी को प्रवेश नहीं दिया गया। भाजपा जिला सचिव महंत दर्शन गिरी बीसी रिजर्व से जिला पार्षद हैं। दर्शनगिरी ने अपने ही समाज के नेता डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा पर सरकारी कार्यक्रम को हाईजैक कर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया है। दर्शनगिरी ने कहा कि वह वार्ड 20 से चुने गए हैं लेकिन वार्ड 19 के पार्षद को मंच पर जगह दी गई लेकिन उन्हें न तो आमंत्रित किया गया और न ही कार्यक्रम में प्रवेश करने दिया गया। दर्शनगिरी ने इसकी शिकायत जिला अध्यक्ष आशा खेदड़, प्रदेश महासचिव सुरेंद्र पूनिया और जिला प्रभारी जवाहर सैनी से की है। इसके अलावा भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई और भाजपा विधायक भव्य बिश्नोई भी हिसार में होने के बावजूद कार्यक्रम में नहीं आए। रणधीर पनिहार को फोटो फ्रेम से बाहर रखा गया भाजपा कार्यक्रम में दरार इतनी ज्यादा थी कि मंच पर मौजूद कुलदीप समर्थक रणधीर पनिहार को फोटो फ्रेम से बाहर रखा गया। उन्हें स्वागत माला में जगह नहीं दी गई। भाजपा नेताओं में चर्चा रही कि डिप्टी स्पीकर ने सरकारी कार्यक्रम को पूरी तरह से हाईजैक कर लिया। कई अन्य नेताओं को मंच पर सीएम तक पहुंचने नहीं दिया गया। बता दें कि नलवा विधानसभा में रणधीर पनिहार और रणबीर गंगवा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। रणधीर पनिहार ने 2019 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। रणधीर पनिहार ने रणबीर गंगवा को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन हार गए थे। अब कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में आने से रणधीर पनिहार नलवा से मुख्य दावेदारों में से एक हैं। इस कारण डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा अपनी सीट असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शिकायत में महंत दर्शनगिरी ने यह लिखा “गुरू दक्ष प्रजापति जयंती का कार्यक्रम समाज का था और सरकार ने पैसे लगाये थे पर एक आदमी ने हाई जैक कर रखा था। वैसे तो हिसार जिले में हम 3 जिला पार्षद हैं। 2 पार्षद भाई अन्य पार्टी की विचारधारा से जूडे हैं और मैं दर्शन गिरी महाराज बीजेपी विचारधारा से जुड़ा हूं। अन्य समाज के पार्षदों के नाम मंच से लिए जा रहे थे पर मुझे डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने VIP गेट पर रोका और कहा की आपको किसने बुलाया है। जब आपका नाम लिस्ट में नहीं तो गेट पर किस लिए खड़े हो। इस पर मेरी उनसे काफी बहस हुई। आधे घंटे लड़ाई झगड़ा करके मै अंदर गया। ये अपमान मेरा नहीं 11 गांवों की जनता जनार्दन का किया है। समय आने पर रणबीर गंगवा, ईश्वर मालवाल को इस अपमान का बदला आने वाली विधानसभा चुनाव में ब्याज सहित देंगे मैं ये उनको(रणबीर गंगवा) बोलकर आया हूं।” कौन हैं महंत दर्शनगिरी
महंत दर्शनगिरी वार्ड 19 से जिला पार्षद हैं और भाजपा से जुड़े हुए हैं। वह हिसार से पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए आरक्षित सीट से जीतकर आए हैं। वह बरवाला हलके के गांव ढाणीगारण की गोशाला में रहते हैं और वही पर जन्मे हैं। दर्शनगिरी का इससे पहले जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग से भी जिला परिषद की ग्रांट को लेकर विवाद हो चुका है। वह BJP के चेयरमैन के खिलाफ ही दरी बिछाकर धरने पर बैठ गए थे। दर्शन गिरी सम्मानित व्यक्ति : रणबीर गंगवा
वहीं अपने ऊपर लगे आरोपों पर रणबीर गंगवा ने कहा कि दर्शन गिरी सम्मानित व्यक्ति हैं। वह पार्षद भी हैं और भगवाधारी साधु हैं। उनको पहले लिस्ट में नाम नहीं था। वह आ गए तब पुलिस ने रोक दिया। इसके बाद उनको एंट्री दी गई थी। दर्शनगिरी को मंच पर बैठाया गया था। गंगवा ने कहा कि मैं दर्शन गिरी का सम्मान करता हूं।