कुरुक्षेत्र में युवक की हत्या कर शव को करनाल के नजदीक रंभा नहर में फेंके जाने के पांच दिन बाद भी शव को कोई सुराग नहीं लग पाया है। आज रंभा नहर में एसडीआरएफ की टीमें शव की तलाश के लिए नहर में उतरी। हालांकि पुलिस ने भी सर्च ऑपरेशन चलाया था, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। जिसके बाद आज कुरुक्षेत्र की एसडीआरएफ टीम रंभा पहुंची और नहर में मोटर बोट लगाकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। बता दें कि यह मामला कुरुक्षेत्र के बारवा गांव का है। जहां पर बीती 29 जनवरी की शाम को दोस्तों ने पैसे देने के लिए फोन कर कृष्ण को घर से बुलाया था। घर से निकलने के महज आधे घंटे बाद ही उसका फोन बंद हो गया। पहले परिजनों को लगा कि वह दोस्तों के साथ कहीं व्यस्त होगा, लेकिन जब पूरी रात गुजर गई और वह घर नहीं लौटा तो चिंता बढ़ गई। 30 तारीख को की तलाश शुरू मृतक के बड़े भाई प्रवीण ने बताया कि अगले दिन हमने कृष्ण की तलाश शुरू की गई, लेकिन किसी दोस्त से कोई जानकारी नहीं मिली। प्रवीन ने बताया कि कृष्ण जिन दोस्तों से पैसे लेने के लिए घर से निकला था, हम उनके घर पर भी गए, लेकिन वहां जवाब मिला कि पूरा परिवार वैष्णो देवी गया हुआ है। उसके बाद वह चिड़ाव गांव निवासी दीपू के घर पर भी गए, लेकिन वह भी घर पर नहीं मिला। FIR के बाद हुआ खुलासा मृतक के मामा देवेंद्र ने बताया है कि जब कृष्ण का कोई पता नहीं चला, तो 31 जनवरी को हमने पुलिस में FIR दर्ज करवाई। उसी शाम हमारे पास CIA-2 कुरुक्षेत्र से फोन आया, जिसमें बताया गया कि कृष्ण की हत्या कर दी गई है और शव को करनाल की रंभा नहर में फेंक दिया गया था। चप्पे चप्पे को छाना जाएगा गोताखोर प्रगट सिंह ने बताया कि दोस्तों ने दोस्त की हत्या कर रंभा नहर में डाल दिया था। हमारी टीम भी पुलिस का सहयोग कर रही थी, लेकिन कोई भी सुराग नहीं लग पाया है। आज एसडीआरएफ की टीम के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। कहीं पर भी कीचड़ हो या फिर झाडियां हो, वहां पर सर्च किया जाएगा। पुलिस की टीमें भी बोट में साथ जा रही है। सीआईए-2 कर रही है कार्रवाई कुरुक्षेत्र के सीआईए 2 के इंचार्ज मोहन लाल ने बताया कि इस मामले में मृतक के तीनों दोस्तों को हिरासत में लिया गया है। आरोपियों ने पूछताछ में खुद बताया था कि उन्होंने कृष्ण की हत्या कर शव को करनाल के रंभा गांव के पास नहर में फेंक दिया था। पिछले चार दिनों से परिजन गोताखोरों की मदद से नहर में कृष्ण की तलाश कर रहे थे। आज पुलिस के साथ एसडीआरएफ की टीमें अपनी नाव लेकर नहर में उतरी हैं। प्रशासन ने नहर में पानी भी कम करवा दिया है, ताकि कृष्ण का पता लगाया जा सके। कुरुक्षेत्र में युवक की हत्या कर शव को करनाल के नजदीक रंभा नहर में फेंके जाने के पांच दिन बाद भी शव को कोई सुराग नहीं लग पाया है। आज रंभा नहर में एसडीआरएफ की टीमें शव की तलाश के लिए नहर में उतरी। हालांकि पुलिस ने भी सर्च ऑपरेशन चलाया था, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। जिसके बाद आज कुरुक्षेत्र की एसडीआरएफ टीम रंभा पहुंची और नहर में मोटर बोट लगाकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। बता दें कि यह मामला कुरुक्षेत्र के बारवा गांव का है। जहां पर बीती 29 जनवरी की शाम को दोस्तों ने पैसे देने के लिए फोन कर कृष्ण को घर से बुलाया था। घर से निकलने के महज आधे घंटे बाद ही उसका फोन बंद हो गया। पहले परिजनों को लगा कि वह दोस्तों के साथ कहीं व्यस्त होगा, लेकिन जब पूरी रात गुजर गई और वह घर नहीं लौटा तो चिंता बढ़ गई। 30 तारीख को की तलाश शुरू मृतक के बड़े भाई प्रवीण ने बताया कि अगले दिन हमने कृष्ण की तलाश शुरू की गई, लेकिन किसी दोस्त से कोई जानकारी नहीं मिली। प्रवीन ने बताया कि कृष्ण जिन दोस्तों से पैसे लेने के लिए घर से निकला था, हम उनके घर पर भी गए, लेकिन वहां जवाब मिला कि पूरा परिवार वैष्णो देवी गया हुआ है। उसके बाद वह चिड़ाव गांव निवासी दीपू के घर पर भी गए, लेकिन वह भी घर पर नहीं मिला। FIR के बाद हुआ खुलासा मृतक के मामा देवेंद्र ने बताया है कि जब कृष्ण का कोई पता नहीं चला, तो 31 जनवरी को हमने पुलिस में FIR दर्ज करवाई। उसी शाम हमारे पास CIA-2 कुरुक्षेत्र से फोन आया, जिसमें बताया गया कि कृष्ण की हत्या कर दी गई है और शव को करनाल की रंभा नहर में फेंक दिया गया था। चप्पे चप्पे को छाना जाएगा गोताखोर प्रगट सिंह ने बताया कि दोस्तों ने दोस्त की हत्या कर रंभा नहर में डाल दिया था। हमारी टीम भी पुलिस का सहयोग कर रही थी, लेकिन कोई भी सुराग नहीं लग पाया है। आज एसडीआरएफ की टीम के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। कहीं पर भी कीचड़ हो या फिर झाडियां हो, वहां पर सर्च किया जाएगा। पुलिस की टीमें भी बोट में साथ जा रही है। सीआईए-2 कर रही है कार्रवाई कुरुक्षेत्र के सीआईए 2 के इंचार्ज मोहन लाल ने बताया कि इस मामले में मृतक के तीनों दोस्तों को हिरासत में लिया गया है। आरोपियों ने पूछताछ में खुद बताया था कि उन्होंने कृष्ण की हत्या कर शव को करनाल के रंभा गांव के पास नहर में फेंक दिया था। पिछले चार दिनों से परिजन गोताखोरों की मदद से नहर में कृष्ण की तलाश कर रहे थे। आज पुलिस के साथ एसडीआरएफ की टीमें अपनी नाव लेकर नहर में उतरी हैं। प्रशासन ने नहर में पानी भी कम करवा दिया है, ताकि कृष्ण का पता लगाया जा सके। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पॉलिटिकल डेब्यू में तिकोनी टक्कर में फंसी आरती राव:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे राव इंद्रजीत का सियासी गणित
पॉलिटिकल डेब्यू में तिकोनी टक्कर में फंसी आरती राव:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे राव इंद्रजीत का सियासी गणित हरियाणा की अटेली विधानसभा सीट इस बार हॉट सीट बनी हुई है। इसकी वजह यहां से दक्षिणी हरियाणा के रामपुरा हाउस की राजनीतिक वारिस आरती राव का भाजपा से चुनाव लड़ना है। आरती राव का इलेक्टोरेल पॉलिटिक्स में यह डेब्यू है। वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। आरती राव केंद्र की मोदी 3.0 सरकार में लगातार दूसरी बार केंद्रीय राज्य मंत्री बने राव इंद्रजीत की बेटी हैं। राव इंद्रजीत कांग्रेस और भाजपा में मिलाकर 6 बार सांसद बन चुके हैं। आरती राव का मुकाबला यहां कांग्रेस की अनीता यादव और इनेलो-बसपा के ठाकुर अतर लाल से है। अनीता यादव यहां से 2009 में विधायक रह चुकी हैं। इसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में भी वह कांग्रेस उम्मीदवार थी लेकिन हार गई। अनीता भी आरती की तरह अहीर समुदाय से हैं। अनीता को यहां लगातार 2 चुनाव हारने के बाद सहानुभूति मिल रही है। इसके अलावा अनीता को प्रदेश में भाजपा की 10 साल की सरकार से सत्ता विरोधी लहर यानी एंटी इनकंबेंसी का भी फायदा मिल रहा है। यहां के SC वोटरों का झुकाव भी कुछ हद तक कांग्रेस की तरफ माना जा रहा है। आरती और अनीता के मुकाबले तीसरे उम्मीदवार यहां इनेलो-बसपा के ठाकुर अतरलाल है। वह राजपूत हैं लेकिन यहां राजपूतों का वोट बैंक सिर्फ 8% है। हालांकि बसपा से गठजोड़ की वजह से उन्हें 20% अनुसूचित जाति वोट बैंक का फायदा मिलता दिख रहा है। अतर लाल 20 साल से यहां की राजनीति में सक्रिय हैं। 15 साल से वे चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन एक बार भी जीत नहीं पाए। इसके बावजूद उनका अटेली में लोगों के घर आना-जाना खूब रहता है। प्रचार में भी वे कह रहे हैं कि मेरा आखिरी चुनाव है। जिस वजह से अहीर वोटरों की सहानुभूति भी उनके साथ में है। आरती और अनीता के अलावा JJP-आजाद समाज पार्टी की आयुषी राव भी अहीर समुदाय से हैं। अगर अहीर वोटर इन तीनों में बंटे तो फिर ठाकुर अतर लाल भी चौंका सकते हैं। फिलहाल इस सीट पर तिकोना मुकाबला नजर आ रहा है। जिसमें जीत की सबसे बड़ी चुनौती राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव के लिए है। 4 पॉइंट में समझें अटेली विधानसभा का समीकरण 1. अटेली में 2 लाख 7 हजार वोटर हैं। जिनमें सबसे ज्यादा अहीर वोटर हैं। यही वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं। 2.07 लाख में से आधे अहीर वोटर हैं। यही वजह है कि भाजपा-कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दल यहां अहीर उम्मीदवारों को ही टिकट देते हैं। दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति के 20% वोट हैं। हालांकि वह एकजुट होकर किसी एक के पक्ष में नहीं जाते। राजपूत वोटर भी यहां 8% हैं लेकिन डिसाइडिंग न होने की वजह से अक्सर वे भी एकतरफा नहीं हाेते। 2. 1967 से लेकर अब तक हुए 13 चुनाव और एक उपचुनाव में अहीर उम्मीदवार ने ही यह सीट जीती है। इन 14 चुनावों में 2 बार निर्दलीय भी यहां से जीते तो वे भी अहीर समुदाय से ही थे। यही वजह है कि इस बार भी भाजपा ने अहीर समुदाय से आरती राव और कांग्रेस ने अनीता यादव को उम्मीदवार बनाया है। वहीं JJP ने भी आयुषि राव को टिकट दी है, वे भी अहीर समुदाय से ही आती हैं। हालांकि इनेलो-बसपा ने यहां राजपूत समुदाय से आते ठाकुर अतरलाल को टिकट दी है। 3. पारंपरिक तौर पर अटेली सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 14 चुनाव में कांग्रेस ने यहां से 6 बार चुनाव जीता। 3 बार विशाल हरियाणा पार्टी जीती। इसमें दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस से एक बार और विशाल हरियाणा पार्टी से जीतने वाले राव बीरेंद्र सिंह यहां BJP उम्मीदवार आरती राव के दादा हैं। 2 बार यहां से निर्दलीय जीते। एक बार लोक दल और 2 बार निर्दलीय यहां से चुनाव जीते। भाजपा का खाता इस सीट पर 42 साल बाद 2014 में खुला। हालांकि 2014 के बाद 2019 में लगातार भाजपा ने यह सीट 2 बार जीती। 4.इस सीट के 14 चुनावों में 9 चुनाव ऐसे हैं, जब हार-जीत का अंतर 3 हजार से भी कम रहा। हालांकि भाजपा ने पिछले 2 विधानसभा चुनावों में एकतरफा जीत हासिल की। इसकी वजह राव इंद्रजीत के दबदबे को ही माना जाता है। जिसकी वजह से ही राव ने बेटी के पॉलिटिकल डेब्यू के लिए यह अटेली सीट चुनी है। पिता राव इंद्रजीत के सहारे आरती का चुनाव
आरती राव यहां नई उम्मीदवार हैं, जिसके चलते उनका पूरा चुनाव राव इंद्रजीत सिंह और उनके समर्थक मैनेज कर रहे हैं। यहां के वोटर भी आरती राव की बजाय राव इंद्रजीत सिंह पर भरोसा करते हैं। भाजपा के स्टार प्रचारक राव इंद्रजीत बाकी सीटों के मुकाबले बेटी के प्रचार के लिए 2 बार आ चुके हैं। आरती के चुनाव प्रचार पोस्टरों में भी आरती से ज्यादा प्रमुखता से राव इंद्रजीत को रखा जा रहा है। यह उनका पहला चुनाव है, इसलिए व्यक्तिगत तौर पर लोगों के बीच उनकी पकड़ कम है। उन्हें भाजपा की प्रदेश में 10 साल की सरकार की वजह से एंटी इनकंबेंसी का भी सामना करना पड़ सकता है। वहीं उनको लेकर लोग ये भी कह रहे हैं कि आरती जीतीं तो उससे मिलने विदेश या फिर गुरुग्राम जाना पड़ेगा। वोटरों के बीच उनके बाहरी होने का भी हल्का असर जरूर है। अनीता कह रहीं, अटेली को उपमंडल का दर्जा दिलाऊंगी
अनीता यादव यहां से पुरानी उम्मीदवार हैं। 2009 में कांग्रेस की सीट पर यहां से विधानसभा चुनाव भी जीत चुकी हैं। ऐसे में उनका यहां के लोगों से पुराना जुड़ाव है, जो अब उनके काम आ रहा है। सत्ता में आने के बाद अटेली को उपमंडल का दर्जा देने की भी बात कर रही हैं। कांग्रेस उम्मीदवार अनीता यादव यहां से 2009 में विधायक रह चुकी हैं। वे अटेली की 10 साल की उपेक्षा के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ रही हैं और अपने पुराने कामों के साथ मैदान में हैं। लेकिन उनके सामने बीजेपी की 2 बार की लगातार जीत को तोड़ने की चुनौती है। 15 साल से संघर्ष कर रहे हैं अतरलाल
इस बार लोगों की सहानुभूति अतरलाल के साथ दिख रही है। अतरलाल पिछले 15 साल से अटेली में काम कर रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां दूसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 37,387 वोट मिले थे। लोगों का कहना है कि अगर अतरलाल इस बार भी हार गए तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा। इनेलो-बसपा के ठाकुर अतर लाल शिक्षा और बेरोजगारी को मुद्दा उठा रहे हैं। वे लोगों के बीच स्थानीय होने की बात भी कह रहे हैं और आरती और अनीता को बाहरी उम्मीदवार बता रहे हैं। जननायक जनता पार्टी की आयुषी राव विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में हैं। JJP की आयुषि को पति की जगह मिली टिकट
यहां से जननायक जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रही आयुषी राव के पति अभिमन्यु राव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के भतीजे हैं। आयुषी राव की जगह अभिमन्यु राव को टिकट मिलनी थी, लेकिन पार्टी ने आयुषी राव को टिकट दी। क्या कहते हैं अटेली के वोटर कैंडिडेट को नहीं, पार्टी को वोट देंगे
व्यापारी संतोष कुमार ने बताया कि वह कैंडिडेट को नहीं देख रहे। वे भारतीय जनता पार्टी व मोदी को देखते हैं। बिना खर्ची और बिना पर्ची यहां के लोग नौकरी लगे हैं। इसलिए उनका वोट भारतीय जनता पार्टी के साथ है। विदेश में रहती हैं आरती राव
धोबी समाज के प्रधान अनिल ने बताया कि आरती राव विदेश में रहती हैं, अगर भी चुनाव जीत गई तो उनसे मिलने के लिए या तो गुडगांव जाना पड़ेगा या फिर विदेश में जाना पड़ेगा, जबकि कांग्रेस की अनीता यहां की लोकल हैं। बाहरी भगाओ, अपनों को लाओ
नरपत सिंह ने बताया कि इस बार चुनाव ‘बाहरी भगाओ-अपनों को लाओ’ का बना हुआ है। यहां पर अनीता व आरती दोनों ही अटेली के बाहर रेवाड़ी से संबंध रखती हैं। इसलिए लोग इनका विरोध कर रहे हैं। अटेली विधानसभा में कांग्रेस आएगी
हीरालाल ने बताया कि इस बार क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा है। प्रदेश के साथ-साथ अटेली विधानसभा में भी कांग्रेस आएगी। वहीं रमेश सिसोदिया ने बताया कि मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है किसकी जीत हो जाए अभी पता नहीं है। 3 कैंडिडेट के बीच होगा मुकाबला
परमेश्वर दयाल ने बताया कि यहां पर कांटे की टक्कर बनी हुई है तीनों के बीच ही मुकाबला होगा। महावीर ने बताया कि लोगों का रुझान कांग्रेस पार्टी की ओर ज्यादा है इस बार कांग्रेस की सरकार बनेगी। सभी में कांटे की टक्कर
वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सोलंकी का कहना है कि यह क्षेत्र यादव बाहुल्य क्षेत्र है। 1952 से लेकर अब तक यहां पर यादव ही विधायक बना है। मगर इस बार तिकोना मुकाबला बना हुआ है। मतदाता किस ओर रुख करेंगे। इसका अभी पता नहीं चला है। सभी में कांटे की टक्कर बनी हुई है। अटेली सीट का इतिहास… हरियाणा चुनाव से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट्स भी पढ़ें… 1. नायब सैनी को CM चेहरे का फायदा:BJP के बागी गर्ग वोटकटवा; बड़शामी ने जाट न बांटे तो कांग्रेस के मेवा से कड़ी टक्कर 2. विनेश फोगाट को कांग्रेस की वेव का सबसे बड़ा सहारा:जाट वोट बंटे तो मुश्किल में फंसेगी रेसलर; OBC-ब्राह्मण एकतरफा होने पर ही BJP को फायदा
कांग्रेस ने 12 दिन में सैलजा को कैसे मनाया:राहुल गांधी का मैसेज, खड़गे से मिलने गईं; रैली-CM फेस समेत 2 वजहें
कांग्रेस ने 12 दिन में सैलजा को कैसे मनाया:राहुल गांधी का मैसेज, खड़गे से मिलने गईं; रैली-CM फेस समेत 2 वजहें हरियाणा कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा सिरसा सांसद कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार के लिए मान गई हैं। इसका खुलासा खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में किया। सैलजा टिकट बंटवारे में अनदेखी, विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत न देने और आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर नाराज हो गई थी। सैलजा चुनाव प्रचार छोड़ घर बैठ गईं थी। यहां तक कि दिल्ली में मेनिफेस्टो रिलीज में भी हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि सैलजा कैसे प्रचार के लिए राजी हुईं, इसको लेकर पूरी कहानी सामने नहीं आई। हालांकि दैनिक भास्कर को सूत्रों से इसकी पूरी जानकारी मिली है। जिसमें पता चला कि सैलजा को राहुल गांधी ने मैसेज भेजा। राहुल ने सैलजा को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने को कहा। जहां खड़गे ने सैलजा को CM चेहरे और राहुल गांधी की रैली को लेकर भरोसा दिया। जिसके बाद वह मीडिया के सामने आईं। हालांकि उन्होंने खुद बातचीत को लेकर कोई ब्यौरा नहीं दिया। सैलजा प्रचार में हिस्सा ले रही हैं, इसकी पुष्टि कांग्रेस में उनके साथ जुड़े सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भी की। उन्होंने कहा कि 26 सितंबर से सैलजा प्रचार शुरू कर देंगी। इन 2 शर्तों से दूर हुई सैलजा की नाराजगी
पहली: हरियाणा कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी-प्रियंका गांधी के कांग्रेस उम्मीदवारों का जो शेड्यूल तैयार किया गया था, उसमें सैलजा-सुरजेवाला समर्थकों के नाम नहीं थे। इस पर सैलजा ने आपत्ति जताई, जिसके बाद प्रचार के लिए रि-शेड्यूल बनाया गया। जिसमें सबसे पहले 26 सितंबर को सैलजा समर्थक असंध से विधायक रह चुके शमशेर गोगी के यहां राहुल गांधी वोट मांगने के लिए जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी कुमारी सैलजा का मान रखने के लिए उनके करीबी कैंडिडेट से अपने अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. ताकि उनकी नाराजगी कुछ कम हो सके। दूसरा: हरियाणा कांग्रेस में CM फेस को लेकर जबरदस्त कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा हैं। ये दोनों पार्टी के बड़े नेता अपने आप को सीएम फेस का दावेदार मान रहे हैं। सैलजा के सीएम फेस में सबसे बड़ा रोड़ा यह है कि इस बार के टिकट वितरण में पूर्व सीएम बाजी मार ले गए हैं। इनमें 72 के करीब उम्मीदवार हुड्डा समर्थक हैं, ऐसे में सैलजा के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। ऐसे में अपना दावा और मजबूत करने के लिए सैलजा लगातार केंद्रीय नेतृत्व के यहां सीएम फेस को लेकर अपना दावा ठोंक रही हैं। इसके बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्होंने आश्वासन दिया गया है कि सीएम फेस को लेकर जो भी फैसला होगा, वह संसदीय बोर्ड ही करेगा। सैलजा के नाराज होने की ये रहीं 3 वजहें… 1. टिकट वितरण में अनदेखी: कुमारी सैलजा के नाराज होने की वजह टिकट वितरण को माना जा रहा है। सैलजा ने हरियाणा में 30 से 35 सीटें अपने समर्थकों के लिए मांगी थीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा समर्थकों को तवज्जो देते हुए 90 में से 72 सीटों पर उनके समर्थकों को टिकट दी। वहीं, सैलजा खेमे के हाथ केवल 5 सीटें लगीं। कांग्रेस महासचिव एवं सांसद कुमारी सैलजा अपने बेहद करीबी डॉ. अजय चौधरी को नारनौंद विधानसभा सीट से टिकट दिलाने में भी कामयाब नहीं हो पाईं। 2. जातिगत टिप्पणी: टिकट वितरण के अंतिम दिन नारनौंद में कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक ने कुमारी सैलजा पर जातिगत टिप्पणी की थी। इस मामले ने तूल पकड़ा और जगह-जगह विरोध भी हुआ। दलित समाज सैलजा पर की गई टिप्पणी से आहत है। नारनौंद थाने में जस्सी पेटवाड़ समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ता पर केस भी दर्ज हुआ है। 3. हुड्डा खेमे से तनातनी: हरियाणा कांग्रेस में दो गुट बने हुए हैं। एक गुट भूपेंद्र हुड्डा का है, तो दूसरा गुट सैलजा-सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह (SRB) हो गया है। किरण चौधरी भी हुड्डा से नाराजगी बता भाजपा में चली गई हैं। इसके बाद बीरेंद्र सिंह सैलजा गुट के साथ नजर आने लगे हैं। चुनाव कैंपेन में पोस्टर से लेकर बयानबाजी तक में दोनों खेमे में साफ तौर पर तनातनी देखने मिली है। BJP चुनाव में सैलजा को मुद्दा बना रही
हरियाणा में कांग्रेस का सैलजा बड़ा दलित चेहरा हैं। सूबे में चूंकि 21% दलित वोट बैंक में सैलजा का अच्छा प्रभाव है। सैलजा की नाराजगी से पार्टी को इस वोट बैंक की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इसलिए बीजेपी भी कुमारी सैलजा की नाराजगी को चुनाव में खूब भुनाने में लगी हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मनोहर लाल खट्टर के अलावा सूबे के कार्यकारी मुख्यमंत्री नायब सैनी भी सैलजा की नाराजगी को लेकर लगातार सार्वजनिक मंच पर बोलकर इसे चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हुए हैं। बीजेपी के नेता जानते हैं कि हरियाणा में 17 रिजर्व सीटें हैं। इसके अलावा सिरसा और फतेहाबाद की विधानसभा सीटों पर भी सैलजा का प्रभाव है। ऐसे में करीब 21 विधानसभा सीटें हैं, जहां कुमारी सैलजा प्रभाव रखती हैं। हरियाणा में 12 सितंबर को नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस ने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की थी। तब से ही कुमारी सैलजा चुप थीं। CM फेस और टिकट वितरण पर सैलजा-हुड्डा ने क्या कहा CM चेहरे पर: मेरे पास सीएम फेस बनने का मौका अभी है। सीएम बनना कोई बीता वक्त नहीं है, जो लौटकर नहीं आएगा। कांग्रेस पार्टी में ऐसा वक्त कभी नहीं आएगा। मैं ये बात बिल्कुल क्लियर कहती हूं, कि सीएम फेस का फैसला हमेशा कांग्रेस में हाईकमान ही करता है। टिकट बंटवारे पर: इसमें हिस्सेदारी भी क्यों करें, अंत में सभी पर कांग्रेस पार्टी का ही ठप्पा होता है। ठीक है, ये कहिए अपनी-अपनी सिफारिश हम दे सकते हैं। अंत में फैसला किस्मत का ही है, किसकी खुलती है, किसकी बंद होती है। CM चेहरे पर: कांग्रेस में मुख्यमंत्री चुने जाने की अपनी प्रक्रिया है। हम भी उसी के हिसाब से चलते हैं। पहले तो विधायक बनते हैं, बहुमत देखा जाता है। इसके बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों की राय को जानते हैं। इसके बाद पर्यवेक्षक केंद्रीय नेतृत्व को इसकी जानकारी देता है, फिर जो भी फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेता है उसे पार्टी के नेता स्वीकार करते हैं। इस चुनाव में भी यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो सीएम फेस को लेकर जो भी फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा। टिकट बंटवारे पर: हरियाणा में मैंने टिकट नहीं बांटे हैं, पार्टी ने दिए हैं। पार्टी नेतृत्व ने ही उन्हें ही टिकट दिया है, जो टिकाऊ और जिताऊ उम्मीदवार हैं। टिकट बांटने से पहले स्क्रीनिंग कमेटी, सेंट्रल इलेक्शन कमेटी और सब कमेटी के मंथन के बाद टिकटों का वितरण किया गया है। ये खबर भी पढ़ें… सैलजा बोलीं- डिप्टी CM नहीं बनूंगी, कांग्रेस नहीं छोड़ूंगी हरियाणा चुनाव के बीच एक बार फिर सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस सरकार बनने पर CM कुर्सी पर दावा ठोका है। उन्होंने कहा कि यह कोई बीता हुआ कल नहीं, जो लौटकर नहीं आएगा। सैलजा ने डिप्टी सीएम बनने से साफ इनकार कर दिया। सैलजा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने की बात को भी सिरे से खारिज कर दिया। सैलजा ने कहा कि मेरे खून में कांग्रेस है। भाजपा इसको लेकर भ्रम फैला रही है (पूरी खबर पढ़ें)
अंबाला में SHO रिश्वत लेता गिरफ्तार:ACB ने ट्रैप लगाकर पकड़ा, डंपरों को सीमा पार कराने के बदले मांगता था मंथली
अंबाला में SHO रिश्वत लेता गिरफ्तार:ACB ने ट्रैप लगाकर पकड़ा, डंपरों को सीमा पार कराने के बदले मांगता था मंथली हरियाणा के अंबाला में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने एक SHO को 30 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। शिकायतकर्ता के अनुसार अधिकारी उससे बराड़ा की सीमा से डंपर निकालने की एवज में मंथली के तौर पर रिश्वत मांग रहा था। शिकायतकर्ता काफी समय से SHO की इन हरकतों से परेशान था इसलिए उसने इसकी शिकायत ACB से कर दी। 27 जनवरी की देर शाम ACB की टीम ने प्लान बनाकर शिकायतकर्ता को पैसे लेकर SHO के पास भेजा और फिर जैसे ही उसने पैसे पकड़े तो टीम ने अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया। ACB की टीम ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, साथ ही जांच शुरू कर दी गई है। 8 डंपरों को सीमा पार कराने के लिए मांगी रिश्वत
शिकायतकर्ता नरेन्द्र कुमार अपने डंपरों से मिट्टी उठाकर एक निर्माणाधीन सड़क पर डालने का काम कर रहा था। चूंकी उसके 8 डंपर बराड़ा की सीमा से होकर गुजरते थे इसलिए SHO ने उससे मासिक रिश्वत के तौर पर 30 हजार रुपए मांगे। शिकायतकर्ता इस भ्रष्टाचार से पहले ही काफी परेशान था, वह उसको पैसे नहीं देना चाहता था। जिसके चलते उसने एसीबी का दरवाजा खटखटाया। टीम ने प्लान बनाकर आरोपी को पकड़ा
शिकायतकर्ता काफी समय से अधिकारी से परेशान था, जिसके बाद 27 जनवरी को उसने एसीबी टीम से इसकी शिकायत करदी। टीम ने पूरा मामला सुना और फिर अधिकारी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए पूरा जाल बिछाया। टीम ने प्लान के मुताबिक शिकायतकर्ता को 30 हजार रुपए के साथ SHO के पास भेज दिया। जैसे ही SHO ने यह राशि ली, एसीबी की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। ये पूरी कार्रवाई पारदर्शिता के साथ गवाहों की मौजूदगी में की गई। 16 अगस्त 2023 से तैनात था आरोपी
SHO गुलशन कुमार 16 अगस्त 2023 से थाना बराड़ा में तैनात था। ACB की टीम अब ये भी जांच कर रही है कि SHO ने और किस किस से रिश्वत ली है। हरियाणा ACB के प्रमुख आलोक मित्तल ने इस मामले पर कहा है कि- अगर किसी और व्यक्ति से भी SHO ने रिश्वत ली है तो वह भी टीम को जानकारी दे सकता है। SHO के खिलाफ मामला दर्ज
आरोपी SHO के खिलाफ ACB, अंबाला में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया है। ACB ने दावा किया है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।