सोनीपत के किलोहड़ गांव की बहू और भारतीय हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया को गोलकीपर ऑफ द ईयर और प्लेयर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारतीय हॉकी टीम की इंडियन वॉल का नाम कमाने वाली सविता पूनिया बल्हारा ने अपने कड़े संघर्ष के चलते हर बार सफलता हासिल की है। सोनीपत की बहू सविता पूनिया ने लगातार तीसरी बार एफआईएच गोलकीपर ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता है और दोनों ही पुरस्कार उन्होंने टीम को समर्पित किए हैं। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान और स्टार गोलकीपर सविता पूनिया ने एक बार फिर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। उन्हें एफआईएच हॉकी स्टार्स अवॉर्ड्स 2023 में प्रतिष्ठित गोलकीपर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह तीसरा साल है जब उन्होंने यह सम्मान जीता है, इससे पहले वह 2021 और 2022 में भी इस खिताब की विजेता रह चुकी हैं। अवॉर्ड टीम को किया समर्पित
हांलाकि कार्यक्रम के दौरान सविता पूनिया अवॉर्ड शो में नहीं पहुंच पाई। इस दौरान उनके परिजन विकास लाकड़ा और उनकी धर्मपत्नी ने दोनों अवॉर्ड ग्रहण किए हैं। विकास लाकडा भी सोनीपत के गांव सांदल खुर्द के रहने वाले हैं। अवॉर्ड देने के बाद उनका रिकॉर्ड मैसेज भी स्क्रीन पर प्ले किया गया। सविता पूनिया ने अवॉर्ड मिलने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, मेरे लिए यह अविश्वसनीय और भावुक करने वाला पल है। लगातार तीसरी बार इस अवॉर्ड को जीतना मेरे लिए गर्व की बात है। लेकिन यह सफर मैंने अकेले तय नहीं किया, मेरी पूरी टीम हमेशा साथ खड़ी रही है। इसलिए मैं यह अवॉर्ड अपनी टीम को समर्पित करती हूं। सविता पूनिया बोलीं- मेरी जीत टीम की सामूहिक मेहनत उन्होंने आगे कहा, गोल कीपिंग सिर्फ मेरी भूमिका नहीं, बल्कि पूरी टीम की जिम्मेदारी है। हम एकजुट होकर बचाव करते हैं और यही हमारी ताकत है। मेरी यह जीत व्यक्तिगत नहीं, बल्कि हमारी टीम की सामूहिक मेहनत का परिणाम है। सविता पूनिया ने अपने संघर्ष और मेहनत से भारतीय महिला हॉकी में एक मजबूत पहचान बनाई है। वह न सिर्फ भारत की नंबर-1 गोलकीपर हैं, बल्कि टीम की कप्तान के रूप में भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। सविता पूनिया को भारतीय हॉकी की ‘इंडियन वॉल’ कहा जाता है हरियाणा के सिरसा जिले के जोधाकन गांव में जन्मी सविता पूनिया को भारतीय हॉकी की ‘इंडियन वॉल’ कहा जाता है। उनके शानदार खेल के कारण ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के चलते भारत ने 2013 महिला एशिया कप में कांस्य, 2017 में महिला एशिया कप में स्वर्ण और 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भी उन्होंने अपनी टीम को ऐतिहासिक चौथे स्थान तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। संघर्ष से सफलता तक की कहानी सविता पूनिया की सफलता के पीछे कठिन संघर्ष छिपा है। जब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया, तब गोल कीपिंग के भारी गियर के कारण उन्हें यह खेल उतना पसंद नहीं था। लेकिन उनके दादा महिंदर सिंह ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने का हौसला दिया। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद सविता ने अपने खेल को प्राथमिकता दी और अपनी मेहनत से भारतीय हॉकी की नंबर-1 गोलकीपर बनने का सफर तय किया। उनकी हॉकी यात्रा 2001 में शुरू हुई और 2004 में उन्होंने सरकारी नर्सरी में ट्रायल देकर अपने करियर की दिशा तय की। शुरुआत में टीम में होने के बावजूद उन्हें लंबे समय तक मुख्य गोलकीपर बनने का मौका नहीं मिला। लेकिन 2013 में, पांच साल के कठिन परिश्रम के बाद, वह भारतीय महिला हॉकी टीम की पहली पसंद की गोलकीपर बन गईं। सविता पूनिया का हॉकी में योगदान 2013 महिला एशिया कप में कांस्य पदक जीतने में अहम भूमिका। 2016 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम की सदस्य। 2017 महिला एशिया कप में टीम के लिए निर्णायक योगदान, भारत को 13 साल बाद ट्रॉफी जिताने में मदद की। 2018 एशियाई खेलों और महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को रजत पदक दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में उप-कप्तान के रूप में टीम को ऐतिहासिक चौथे स्थान तक पहुंचाया। 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित। व्यक्तिगत जीवन और बॉलीवुड कनेक्शन भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया की शादी सोनीपत के गांव किलोहड़ के रहने वाले बॉलीवुड बैकग्राउंड म्यूजिशियन अंकित बलहारा के साथ हुई है। सविता पूनिया के ससुर पिता भाल सिंह बलहारा, हरियाणवी फिल्म उद्योग में एक गायक, अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं। उनकी सास माँ मुक्ता चौधरी एक राष्ट्रीय स्तर की एथलीट रही हैं। संचित ने लंदन में शास्त्रीय संगीत की पढ़ाई की है। उन्हें संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी में बतौर संगीतकार बड़ा ब्रेक मिला। बाजीराव मस्तानी में उनके काम की पूरे उद्योग जगत में काफी सराहना हुई और उन्हें IIFA, म्यूजिक मिर्ची, GIMA और ज़ी सिने अवॉर्ड्स जैसे पुरस्कार भी मिले। अंकित और संचित बलहारा दोनों भाई बॉलीवुड बैकग्राउंड म्यूजिशियन के बादशाह हैं। हर बडी फिल्म में दोनों भाइयों का म्यूजिक होता है। दोनों ने संगीत की दुनिया में अपने पिताजी की विरासत को संजो कर ऐसा इतिहास बनाया है कि शायद ही कोई जोड़ी ऐसा कमाल कर पाए। सविता पूनिया के ससुर के गाए गीत आज भी लोगों की जुबान पर हैं। संजय लीला भंसाली की पदमावत , कंगना रनौत की मणिकर्णिका , धर्मा प्रोडक्शन की कलंक, सलमान खान प्रोडक्शन की लव यात्री आदि में अपने बैकग्राउंड म्यूजिक से दोनों की जोड़ी होने धमाल मचाया है और हर दिल के तार छेड़ने में कामयाब हुए हैं। इसके अतिरिक्त आने वाली जयललिता के जीवन पर आधारित फिल्म ‘थलाइवी’ में भी अपना बैकग्राउंड म्यूजिक दे चुके हैं।इसके अलावा बड़े प्रोजेक्ट पर काम रहे हैं। उन्होंने गंगू बाई काठियावाड़ी, राधेश्याम, पठान, आदिपुरुष, योद्धा, महाराज, युधरा और 2024 की फ़िल्म आपातकाल जैसी फिल्मों में बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है। फिल्म बाजीराव मस्तानी और पद्मावत के लिए भी सर्वश्रेष्ठ बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए अवॉर्ड दिया गया। वहीं सविता पूनिया अपने पति और उसके परिवार के साथ कनाडा में रह रहे हैं। भारतीय हॉकी का ऐतिहासिक समारोह इस बार का हॉकी पुरस्कार समारोह इसलिए भी खास रहा क्योंकि भारतीय हॉकी ने 1975 में पुरुष हॉकी विश्व कप जीत की स्वर्ण जयंती के साथ-साथ अपनी शताब्दी भी मनाई। इस मौके पर 1975 की विश्व कप विजेता टीम के दिग्गज खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। सविता पूनिया की यह सफलता उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो खेलों में अपना करियर बनाना चाहती हैं। उनके संघर्ष, मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि अगर मन में जुनून हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती। गांव की बेटी से भारत की नंबर-1 गोलकीपर बनने तक का सफर तय करने वाली सविता पूनिया का नाम हमेशा भारतीय हॉकी के स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। सोनीपत के किलोहड़ गांव की बहू और भारतीय हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया को गोलकीपर ऑफ द ईयर और प्लेयर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारतीय हॉकी टीम की इंडियन वॉल का नाम कमाने वाली सविता पूनिया बल्हारा ने अपने कड़े संघर्ष के चलते हर बार सफलता हासिल की है। सोनीपत की बहू सविता पूनिया ने लगातार तीसरी बार एफआईएच गोलकीपर ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता है और दोनों ही पुरस्कार उन्होंने टीम को समर्पित किए हैं। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान और स्टार गोलकीपर सविता पूनिया ने एक बार फिर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। उन्हें एफआईएच हॉकी स्टार्स अवॉर्ड्स 2023 में प्रतिष्ठित गोलकीपर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह तीसरा साल है जब उन्होंने यह सम्मान जीता है, इससे पहले वह 2021 और 2022 में भी इस खिताब की विजेता रह चुकी हैं। अवॉर्ड टीम को किया समर्पित
हांलाकि कार्यक्रम के दौरान सविता पूनिया अवॉर्ड शो में नहीं पहुंच पाई। इस दौरान उनके परिजन विकास लाकड़ा और उनकी धर्मपत्नी ने दोनों अवॉर्ड ग्रहण किए हैं। विकास लाकडा भी सोनीपत के गांव सांदल खुर्द के रहने वाले हैं। अवॉर्ड देने के बाद उनका रिकॉर्ड मैसेज भी स्क्रीन पर प्ले किया गया। सविता पूनिया ने अवॉर्ड मिलने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, मेरे लिए यह अविश्वसनीय और भावुक करने वाला पल है। लगातार तीसरी बार इस अवॉर्ड को जीतना मेरे लिए गर्व की बात है। लेकिन यह सफर मैंने अकेले तय नहीं किया, मेरी पूरी टीम हमेशा साथ खड़ी रही है। इसलिए मैं यह अवॉर्ड अपनी टीम को समर्पित करती हूं। सविता पूनिया बोलीं- मेरी जीत टीम की सामूहिक मेहनत उन्होंने आगे कहा, गोल कीपिंग सिर्फ मेरी भूमिका नहीं, बल्कि पूरी टीम की जिम्मेदारी है। हम एकजुट होकर बचाव करते हैं और यही हमारी ताकत है। मेरी यह जीत व्यक्तिगत नहीं, बल्कि हमारी टीम की सामूहिक मेहनत का परिणाम है। सविता पूनिया ने अपने संघर्ष और मेहनत से भारतीय महिला हॉकी में एक मजबूत पहचान बनाई है। वह न सिर्फ भारत की नंबर-1 गोलकीपर हैं, बल्कि टीम की कप्तान के रूप में भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। सविता पूनिया को भारतीय हॉकी की ‘इंडियन वॉल’ कहा जाता है हरियाणा के सिरसा जिले के जोधाकन गांव में जन्मी सविता पूनिया को भारतीय हॉकी की ‘इंडियन वॉल’ कहा जाता है। उनके शानदार खेल के कारण ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के चलते भारत ने 2013 महिला एशिया कप में कांस्य, 2017 में महिला एशिया कप में स्वर्ण और 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भी उन्होंने अपनी टीम को ऐतिहासिक चौथे स्थान तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। संघर्ष से सफलता तक की कहानी सविता पूनिया की सफलता के पीछे कठिन संघर्ष छिपा है। जब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया, तब गोल कीपिंग के भारी गियर के कारण उन्हें यह खेल उतना पसंद नहीं था। लेकिन उनके दादा महिंदर सिंह ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने का हौसला दिया। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद सविता ने अपने खेल को प्राथमिकता दी और अपनी मेहनत से भारतीय हॉकी की नंबर-1 गोलकीपर बनने का सफर तय किया। उनकी हॉकी यात्रा 2001 में शुरू हुई और 2004 में उन्होंने सरकारी नर्सरी में ट्रायल देकर अपने करियर की दिशा तय की। शुरुआत में टीम में होने के बावजूद उन्हें लंबे समय तक मुख्य गोलकीपर बनने का मौका नहीं मिला। लेकिन 2013 में, पांच साल के कठिन परिश्रम के बाद, वह भारतीय महिला हॉकी टीम की पहली पसंद की गोलकीपर बन गईं। सविता पूनिया का हॉकी में योगदान 2013 महिला एशिया कप में कांस्य पदक जीतने में अहम भूमिका। 2016 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम की सदस्य। 2017 महिला एशिया कप में टीम के लिए निर्णायक योगदान, भारत को 13 साल बाद ट्रॉफी जिताने में मदद की। 2018 एशियाई खेलों और महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को रजत पदक दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में उप-कप्तान के रूप में टीम को ऐतिहासिक चौथे स्थान तक पहुंचाया। 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित। व्यक्तिगत जीवन और बॉलीवुड कनेक्शन भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया की शादी सोनीपत के गांव किलोहड़ के रहने वाले बॉलीवुड बैकग्राउंड म्यूजिशियन अंकित बलहारा के साथ हुई है। सविता पूनिया के ससुर पिता भाल सिंह बलहारा, हरियाणवी फिल्म उद्योग में एक गायक, अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं। उनकी सास माँ मुक्ता चौधरी एक राष्ट्रीय स्तर की एथलीट रही हैं। संचित ने लंदन में शास्त्रीय संगीत की पढ़ाई की है। उन्हें संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी में बतौर संगीतकार बड़ा ब्रेक मिला। बाजीराव मस्तानी में उनके काम की पूरे उद्योग जगत में काफी सराहना हुई और उन्हें IIFA, म्यूजिक मिर्ची, GIMA और ज़ी सिने अवॉर्ड्स जैसे पुरस्कार भी मिले। अंकित और संचित बलहारा दोनों भाई बॉलीवुड बैकग्राउंड म्यूजिशियन के बादशाह हैं। हर बडी फिल्म में दोनों भाइयों का म्यूजिक होता है। दोनों ने संगीत की दुनिया में अपने पिताजी की विरासत को संजो कर ऐसा इतिहास बनाया है कि शायद ही कोई जोड़ी ऐसा कमाल कर पाए। सविता पूनिया के ससुर के गाए गीत आज भी लोगों की जुबान पर हैं। संजय लीला भंसाली की पदमावत , कंगना रनौत की मणिकर्णिका , धर्मा प्रोडक्शन की कलंक, सलमान खान प्रोडक्शन की लव यात्री आदि में अपने बैकग्राउंड म्यूजिक से दोनों की जोड़ी होने धमाल मचाया है और हर दिल के तार छेड़ने में कामयाब हुए हैं। इसके अतिरिक्त आने वाली जयललिता के जीवन पर आधारित फिल्म ‘थलाइवी’ में भी अपना बैकग्राउंड म्यूजिक दे चुके हैं।इसके अलावा बड़े प्रोजेक्ट पर काम रहे हैं। उन्होंने गंगू बाई काठियावाड़ी, राधेश्याम, पठान, आदिपुरुष, योद्धा, महाराज, युधरा और 2024 की फ़िल्म आपातकाल जैसी फिल्मों में बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है। फिल्म बाजीराव मस्तानी और पद्मावत के लिए भी सर्वश्रेष्ठ बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए अवॉर्ड दिया गया। वहीं सविता पूनिया अपने पति और उसके परिवार के साथ कनाडा में रह रहे हैं। भारतीय हॉकी का ऐतिहासिक समारोह इस बार का हॉकी पुरस्कार समारोह इसलिए भी खास रहा क्योंकि भारतीय हॉकी ने 1975 में पुरुष हॉकी विश्व कप जीत की स्वर्ण जयंती के साथ-साथ अपनी शताब्दी भी मनाई। इस मौके पर 1975 की विश्व कप विजेता टीम के दिग्गज खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। सविता पूनिया की यह सफलता उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो खेलों में अपना करियर बनाना चाहती हैं। उनके संघर्ष, मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि अगर मन में जुनून हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती। गांव की बेटी से भारत की नंबर-1 गोलकीपर बनने तक का सफर तय करने वाली सविता पूनिया का नाम हमेशा भारतीय हॉकी के स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
