यूपी टॉपर का घर टूटा, बिजली भी नहीं:पिता की पान की दुकान; बोली-पापा कहते थे- तुम पढ़ो, पैसों की कमी नहीं होगी

यूपी टॉपर का घर टूटा, बिजली भी नहीं:पिता की पान की दुकान; बोली-पापा कहते थे- तुम पढ़ो, पैसों की कमी नहीं होगी

प्रयागराज की महक जायसवाल ने यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में स्टेट टॉप किया। रिजल्ट आने के बाद जब महक कॉलेज कैंपस में आईं, तो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थीं। लोग उनकी फोटो खींचने को उतावले थे। महक ने मुस्कराते हुए विक्ट्री साइन बनाया। महक ने 97.20% मार्क्स हासिल किए हैं। इसके लिए उन्होंने कितनी मेहनत की? माता-पिता ने किस तरह साथ दिया? स्कूल के टीचर्स का कितना सहयोग रहा? यह सब जानने दैनिक भास्कर की टीम शहर से 90 Km दूर कौशांबी जिले में पहुंची। कोखराज के जायसवाल ढाबा के बगल में एक छोटी परचून दुकान पर हमारी मुलाकात शिव प्रसाद से हुई। हमने उन्हें बताया- आपकी बिटिया ने यूपी में टॉप किया है। वह कुछ जवाब नहीं देते, सिर्फ देखते रहे। दरअसल, उन्हें पता ही नहीं था कि महक का रिजल्ट आ गया है। अपनी बेटी की सक्सेस सुनकर वह धीरे से मुस्कुरा देते हैं, आंखों की चमक बढ़ जाती है। वह दुकान के अंदर ही रहते हैं, बाहर नहीं निकलते। शिव प्रसाद कहते हैं- इतनी महंगाई में बच्चों को पढ़ाना आसान काम नहीं। सुबह 8 से रात 2 बजे तक दुकान पर ही रहता हूं। पिता बोले- इतने पैसे नहीं मिलते कि घर चल सके
हमारी बातचीत चल ही रही थी कि दुकान के काउंटर पर रखा उनका की-पैड वाला मोबाइल बज उठा। फोन उनकी पत्नी का था। वह बताती हैं कि कैसे बेटी ने नाम रोशन कर दिया। इस पर शिव प्रसाद जायसवाल भावुक हो जाते हैं। हमने पूछा कि अपने घर से इतनी दूर दुकान क्यों चला रहे? शिव प्रसाद कहते हैं- यह दुकान हमारी नहीं, रिश्ते के साले अनिल जायसवाल की है। वह बगल में जायसवाल ढाबा चलाते हैं। हम बहुत गरीब हैं। हमारी मदद के लिए उन्होंने यह दुकान हमें दी है। मजदूरी करके जो पैसे बचाए थे, वही दुकान में लगा दिए। जिससे घर खर्च चल सके। हमने पूछा, क्या इतने पैसे मिल जाते हैं कि घर चल जाए? वह कहते हैं- नहीं…इसलिए जब कोई दूसरा काम मिलता है, तो उसे भी कर लेते हैं। हमने पूछा बाकी परिवार कहां रहता है? उन्होंने कहा- प्रयागराज के फूलपुर में गांव करेहटी में रहता है। अब बात महक के गांव की… घर बारिश में ढहा, फिर बनवाने की जद्दोजहद रही
इसके बाद हमारी टीम फूलपुर के गांव करेहटी पहुंची। यह शहर से करीब 30Km दूर है। गांव के लोगों ने हमें शिव प्रसाद के घर तक पहुंचाया। यह मिट्‌टी और खपरैल से बना था, लेकिन बारिश में ढह गया था। आसपास रहने वालों ने बताया कि जब कोरोना का लॉकडाउन हुआ था, तभी शिव प्रसाद का घर टूट गया था। बहुत गरीब लोग हैं, इसलिए दोबारा घर बनवा नहीं पाए। यहीं सड़क के पास परिवार का एक पुश्तैनी जमीन का टुकड़ा था। कई दिन वहीं टेंट लगाकर रहना पड़ा था। दोनों बेटियां पढ़ सकें, इसलिए एक झोपड़ीनुमा जगह बनाई। दोनों बेटियां यहीं पढ़ती हैं। बड़े भाई आयुष ने भी अपनी बहनों की बहुत मदद की। पिता 12वीं और मां 5वीं पास, सपना है- बच्चे खूब पढ़ें
मां कुसुम 5वीं तक पढ़ी हैं। पिता शिव प्रसाद खुद 12वीं तक पढ़ पाए थे। गरीबी के चलते दोनों पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार नहीं था, इसलिए शिव मेहनत मजदूरी करते थे। वह अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन देना चाहते थे। लेकिन गरीबी आड़े आ रही थी। फिर पत्नी कुसुम जायसवाल के मायके वालों ने मदद की। इसके बाद शिव अपने साले अनिल के ढाबे के पास दुकान चलाने लगे। उन्होंने PM आवास के लिए भी अप्लाई किया था, लेकिन कुछ कागजात कम पड़ गए। इसलिए यह नहीं मिल पाया। महक के ननिहाल वाले बनवा रहे घर
शिव प्रसाद की पुश्तैनी जमीन पर मकान बनवाने में अब उनकी पत्नी कुसुम के मायके वाले की मदद कर रहे हैं। हालांकि, इसकी दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं हो सका है। घर के अंदर कमरे के कोने में सेल्फ पर किचन का सामान रखा था। कमरे के एक कोने में फोल्डिंग बेड रखा था। एक पुराना फ्रिज था। हमें घर पर महक की मां कुसुम और भाई आयुष मिले। वह खुश होते हुए कहती हैं- बिटिया ने हमारा मान रख लिया, हम बहुत खुश हैं। हमने पूछा- क्या लगता है बिटिया अफसर बनेगी? वह कहती हैं- वो बिटिया ही जाने। हमने पूछा- आपकी बेटियां कहां हैं? कुसुम कहती हैं- दोनों महक के साथ कॉलेज में हैं। अभी तक लौटी नहीं हैं। अब पड़ोसियों की बात घर पर बिजली नहीं, वो कैसे भी पढ़ लेती थी
घर पर बधाई देने आए पड़ोसी शैलेश गुप्ता से हमारी बात हुई। हमने पूछा- महक आपके गांव की बिटिया है, लेकिन आज उसकी महक पूरे प्रदेश में फैल गई है? वह कहते हैं- उसको हमने सर्दी, गर्मी, बरसात कैसा भी मौसम हो, हमेशा स्कूल जाते देखा। बहुत मेहनत से पढ़ती थी। उसका एक ही फंडा था, सबसे पहले पढ़ाई, बाकी काम बाद में। उसकी बड़ी बहन ने भी जिले में टॉप किया था। महक डॉक्टर बनना चाहती है। ये लोग बहुत गरीब हैं। घर में बिजली नहीं रहती थी, लेकिन वह कैसे भी पढ़ने का जुगाड़ बना ही लेती थी। उसको बड़ी बहन ही पढ़ाती थी, क्योंकि कोचिंग पढ़ने का पैसा नहीं था। भाई ने कहा- महक को रात-रातभर बड़ी बहन ने पढ़ाया
भाई आयुष कहते हैं- पहले बड़ी बहन को पढ़ाने के लिए पापा ने बहुत मेहनत की। उसने जिले में टॉप किया। अब छोटी बहन को पढ़ाने के लिए बड़ी बहन ने बहुत बलिदान किया। सिलाई करती थी, ताकि कुछ पैसे मिल सकें। फिर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। उसको सब तरह की किताबें लाकर दीं। रात-रातभर बैठकर उसको पढ़ाया। मुझे हमेशा लगता था कि बहन पैदल स्कूल जाती है। इसलिए मैंने मेहनत मजदूरी की। उससे रुपए बचाकर एक साइकिल खरीदी और बहन को दी। मुझे बस इसी बात की खुशी है कि सबकी मेहनत का फल आज मिल गया। अब हूबहू पढ़िए महक जायसवाल से हुई बातचीत… सवाल- खुद को कितना सफल मानती हैं?
महक- लाखों बच्चों ने परीक्षा दी थी। उनके बीच मैं टॉपर बनी, इसलिए खुद को सफल मानती हूं। सवाल- हमारी पढ़ाई की स्ट्रैटजी क्या रही?
महक- जो नहीं समझ में आया, उसको बार-बार पढ़ना है। यही मेरी स्ट्रैटजी थी। 9 से 10 घंटे की स्टडी करती थी। जो भी पढ़ती थी, उस पर 100% फोकस रहता था। मैंने तो मेहनत की ही, मेरे टीचर्स ने भी बहुत मेहनत की। सवाल- क्या पहले कभी सोचा था कि टॉपर होंगी?
महक- ये नहीं सोचा था कि यूपी में पहला स्थान होगा। ये तो सोचा था कि टॉपर लिस्ट में जगह मिल सकती है। सवाल- पढ़ाई या एग्जाम के दौरान ऐसा कोई वाकया, जो आपको याद हो?
महक- ऐसा कोई खास वाकया नहीं है। पेपर सारे अच्छे आए थे, अच्छे से दिए भी थे। सवाल- अपने परिवार के बारे में बताइए?
महक- मेरे पापा छोटी-सी दुकान चलाते हैं, मां घर पर रहती हैं। बहन टीचर हैं। भाई मुझसे छोटा है। पापा कहते हैं कि तुम पढ़ो, रुपए की कोई कमी नहीं रहेगी। तुम्हें सिर्फ पढ़ाई से लेना-देना होना चाहिए। सवाल- फैमिली सपोर्ट कैसा रहा?
महक- मेरी पढ़ाई और सफलता में पूरे परिवार को सपोर्ट रहा। सवाल- सबसे अच्छा सब्जेक्ट कौन सा रहा?
महक- बायोलॉजी में 99% अंक आए हैं। यही मेरा फेवरेट सब्जेक्ट भी है। सवाल- 10वीं में कैसी मार्किंग रही थी?
महक- उसमें मेरे 93.6% मार्क आए थे। सवाल- क्या आपकी बहन भी टॉपर रही हैं?
महक- जी… वो भी पढ़ने में बहुत भी अच्छी है। ———————–
यह खबर भी पढ़ें : 7वीं रैंक आई तो खुशी से रो पड़ी छात्रा…VIDEO, 10वीं में जालौन के यश ने टॉप किया; आगरा सबसे आगे, सोनभद्र जिला फिसड्‌डी यूपी बोर्ड के 10वीं का रिजल्ट जारी हो गया है। जालौन के यश ने टॉप किया है। उन्हें 97.83 प्रतिशत अंक मिले हैं। 97.67 प्रतिशत अंकों के साथ इटावा की अंशी और बाराबंकी के अभिषेक दूसरे स्थान पर रहे हैं। तीसरे स्थान पर मुरादाबाद की रितू गर्ग, सीतापुर के अर्पित वर्मा और जालौन की सिमरन गुप्ता हैं। सभी को 97.50 प्रतिशत अंक मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर… प्रयागराज की महक जायसवाल ने यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में स्टेट टॉप किया। रिजल्ट आने के बाद जब महक कॉलेज कैंपस में आईं, तो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थीं। लोग उनकी फोटो खींचने को उतावले थे। महक ने मुस्कराते हुए विक्ट्री साइन बनाया। महक ने 97.20% मार्क्स हासिल किए हैं। इसके लिए उन्होंने कितनी मेहनत की? माता-पिता ने किस तरह साथ दिया? स्कूल के टीचर्स का कितना सहयोग रहा? यह सब जानने दैनिक भास्कर की टीम शहर से 90 Km दूर कौशांबी जिले में पहुंची। कोखराज के जायसवाल ढाबा के बगल में एक छोटी परचून दुकान पर हमारी मुलाकात शिव प्रसाद से हुई। हमने उन्हें बताया- आपकी बिटिया ने यूपी में टॉप किया है। वह कुछ जवाब नहीं देते, सिर्फ देखते रहे। दरअसल, उन्हें पता ही नहीं था कि महक का रिजल्ट आ गया है। अपनी बेटी की सक्सेस सुनकर वह धीरे से मुस्कुरा देते हैं, आंखों की चमक बढ़ जाती है। वह दुकान के अंदर ही रहते हैं, बाहर नहीं निकलते। शिव प्रसाद कहते हैं- इतनी महंगाई में बच्चों को पढ़ाना आसान काम नहीं। सुबह 8 से रात 2 बजे तक दुकान पर ही रहता हूं। पिता बोले- इतने पैसे नहीं मिलते कि घर चल सके
हमारी बातचीत चल ही रही थी कि दुकान के काउंटर पर रखा उनका की-पैड वाला मोबाइल बज उठा। फोन उनकी पत्नी का था। वह बताती हैं कि कैसे बेटी ने नाम रोशन कर दिया। इस पर शिव प्रसाद जायसवाल भावुक हो जाते हैं। हमने पूछा कि अपने घर से इतनी दूर दुकान क्यों चला रहे? शिव प्रसाद कहते हैं- यह दुकान हमारी नहीं, रिश्ते के साले अनिल जायसवाल की है। वह बगल में जायसवाल ढाबा चलाते हैं। हम बहुत गरीब हैं। हमारी मदद के लिए उन्होंने यह दुकान हमें दी है। मजदूरी करके जो पैसे बचाए थे, वही दुकान में लगा दिए। जिससे घर खर्च चल सके। हमने पूछा, क्या इतने पैसे मिल जाते हैं कि घर चल जाए? वह कहते हैं- नहीं…इसलिए जब कोई दूसरा काम मिलता है, तो उसे भी कर लेते हैं। हमने पूछा बाकी परिवार कहां रहता है? उन्होंने कहा- प्रयागराज के फूलपुर में गांव करेहटी में रहता है। अब बात महक के गांव की… घर बारिश में ढहा, फिर बनवाने की जद्दोजहद रही
इसके बाद हमारी टीम फूलपुर के गांव करेहटी पहुंची। यह शहर से करीब 30Km दूर है। गांव के लोगों ने हमें शिव प्रसाद के घर तक पहुंचाया। यह मिट्‌टी और खपरैल से बना था, लेकिन बारिश में ढह गया था। आसपास रहने वालों ने बताया कि जब कोरोना का लॉकडाउन हुआ था, तभी शिव प्रसाद का घर टूट गया था। बहुत गरीब लोग हैं, इसलिए दोबारा घर बनवा नहीं पाए। यहीं सड़क के पास परिवार का एक पुश्तैनी जमीन का टुकड़ा था। कई दिन वहीं टेंट लगाकर रहना पड़ा था। दोनों बेटियां पढ़ सकें, इसलिए एक झोपड़ीनुमा जगह बनाई। दोनों बेटियां यहीं पढ़ती हैं। बड़े भाई आयुष ने भी अपनी बहनों की बहुत मदद की। पिता 12वीं और मां 5वीं पास, सपना है- बच्चे खूब पढ़ें
मां कुसुम 5वीं तक पढ़ी हैं। पिता शिव प्रसाद खुद 12वीं तक पढ़ पाए थे। गरीबी के चलते दोनों पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार नहीं था, इसलिए शिव मेहनत मजदूरी करते थे। वह अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन देना चाहते थे। लेकिन गरीबी आड़े आ रही थी। फिर पत्नी कुसुम जायसवाल के मायके वालों ने मदद की। इसके बाद शिव अपने साले अनिल के ढाबे के पास दुकान चलाने लगे। उन्होंने PM आवास के लिए भी अप्लाई किया था, लेकिन कुछ कागजात कम पड़ गए। इसलिए यह नहीं मिल पाया। महक के ननिहाल वाले बनवा रहे घर
शिव प्रसाद की पुश्तैनी जमीन पर मकान बनवाने में अब उनकी पत्नी कुसुम के मायके वाले की मदद कर रहे हैं। हालांकि, इसकी दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं हो सका है। घर के अंदर कमरे के कोने में सेल्फ पर किचन का सामान रखा था। कमरे के एक कोने में फोल्डिंग बेड रखा था। एक पुराना फ्रिज था। हमें घर पर महक की मां कुसुम और भाई आयुष मिले। वह खुश होते हुए कहती हैं- बिटिया ने हमारा मान रख लिया, हम बहुत खुश हैं। हमने पूछा- क्या लगता है बिटिया अफसर बनेगी? वह कहती हैं- वो बिटिया ही जाने। हमने पूछा- आपकी बेटियां कहां हैं? कुसुम कहती हैं- दोनों महक के साथ कॉलेज में हैं। अभी तक लौटी नहीं हैं। अब पड़ोसियों की बात घर पर बिजली नहीं, वो कैसे भी पढ़ लेती थी
घर पर बधाई देने आए पड़ोसी शैलेश गुप्ता से हमारी बात हुई। हमने पूछा- महक आपके गांव की बिटिया है, लेकिन आज उसकी महक पूरे प्रदेश में फैल गई है? वह कहते हैं- उसको हमने सर्दी, गर्मी, बरसात कैसा भी मौसम हो, हमेशा स्कूल जाते देखा। बहुत मेहनत से पढ़ती थी। उसका एक ही फंडा था, सबसे पहले पढ़ाई, बाकी काम बाद में। उसकी बड़ी बहन ने भी जिले में टॉप किया था। महक डॉक्टर बनना चाहती है। ये लोग बहुत गरीब हैं। घर में बिजली नहीं रहती थी, लेकिन वह कैसे भी पढ़ने का जुगाड़ बना ही लेती थी। उसको बड़ी बहन ही पढ़ाती थी, क्योंकि कोचिंग पढ़ने का पैसा नहीं था। भाई ने कहा- महक को रात-रातभर बड़ी बहन ने पढ़ाया
भाई आयुष कहते हैं- पहले बड़ी बहन को पढ़ाने के लिए पापा ने बहुत मेहनत की। उसने जिले में टॉप किया। अब छोटी बहन को पढ़ाने के लिए बड़ी बहन ने बहुत बलिदान किया। सिलाई करती थी, ताकि कुछ पैसे मिल सकें। फिर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। उसको सब तरह की किताबें लाकर दीं। रात-रातभर बैठकर उसको पढ़ाया। मुझे हमेशा लगता था कि बहन पैदल स्कूल जाती है। इसलिए मैंने मेहनत मजदूरी की। उससे रुपए बचाकर एक साइकिल खरीदी और बहन को दी। मुझे बस इसी बात की खुशी है कि सबकी मेहनत का फल आज मिल गया। अब हूबहू पढ़िए महक जायसवाल से हुई बातचीत… सवाल- खुद को कितना सफल मानती हैं?
महक- लाखों बच्चों ने परीक्षा दी थी। उनके बीच मैं टॉपर बनी, इसलिए खुद को सफल मानती हूं। सवाल- हमारी पढ़ाई की स्ट्रैटजी क्या रही?
महक- जो नहीं समझ में आया, उसको बार-बार पढ़ना है। यही मेरी स्ट्रैटजी थी। 9 से 10 घंटे की स्टडी करती थी। जो भी पढ़ती थी, उस पर 100% फोकस रहता था। मैंने तो मेहनत की ही, मेरे टीचर्स ने भी बहुत मेहनत की। सवाल- क्या पहले कभी सोचा था कि टॉपर होंगी?
महक- ये नहीं सोचा था कि यूपी में पहला स्थान होगा। ये तो सोचा था कि टॉपर लिस्ट में जगह मिल सकती है। सवाल- पढ़ाई या एग्जाम के दौरान ऐसा कोई वाकया, जो आपको याद हो?
महक- ऐसा कोई खास वाकया नहीं है। पेपर सारे अच्छे आए थे, अच्छे से दिए भी थे। सवाल- अपने परिवार के बारे में बताइए?
महक- मेरे पापा छोटी-सी दुकान चलाते हैं, मां घर पर रहती हैं। बहन टीचर हैं। भाई मुझसे छोटा है। पापा कहते हैं कि तुम पढ़ो, रुपए की कोई कमी नहीं रहेगी। तुम्हें सिर्फ पढ़ाई से लेना-देना होना चाहिए। सवाल- फैमिली सपोर्ट कैसा रहा?
महक- मेरी पढ़ाई और सफलता में पूरे परिवार को सपोर्ट रहा। सवाल- सबसे अच्छा सब्जेक्ट कौन सा रहा?
महक- बायोलॉजी में 99% अंक आए हैं। यही मेरा फेवरेट सब्जेक्ट भी है। सवाल- 10वीं में कैसी मार्किंग रही थी?
महक- उसमें मेरे 93.6% मार्क आए थे। सवाल- क्या आपकी बहन भी टॉपर रही हैं?
महक- जी… वो भी पढ़ने में बहुत भी अच्छी है। ———————–
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