पूर्वांचल में सपा विनय शंकर तिवारी को मोहरा बना रही:भाजपा को ब्राह्मण विरोधी साबित करने की तैयारी; एक्सपर्ट बोले- अखिलेश को फायदा होगा

पूर्वांचल में सपा विनय शंकर तिवारी को मोहरा बना रही:भाजपा को ब्राह्मण विरोधी साबित करने की तैयारी; एक्सपर्ट बोले- अखिलेश को फायदा होगा

सपा के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की जेल से रिहाई के साथ ही पूर्वांचल से ब्राह्मण वोट बैंक की सियासत शुरू हो गई है। विनय तिवारी गोरखपुर के दिवंगत बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। पीडीए के बाद ब्राह्मण वोट बैंक को साधने में जुटी समाजवादी पार्टी विनय शंकर के जरिए भाजपा पर निशाना साध रही है। वहीं, हाता (हरिशंकर तिवारी का घर) से भी भाजपा सरकार पर जातिवादी और ब्राह्मण विरोधी बताने का अभियान शुरू हुआ है। पंडित हरिशंकर तिवारी एक दौर में ब्राह्मणों के नेता रहे। मुलायम सिंह से लेकर मायावती सरकार तक मंत्री रहे। मुलायम सिंह सरकार में परशुराम जयंती की शुरुआत तिवारी की पहल पर ही हुई थी। तिवारी के निधन के बाद गोरखपुर स्थित उनका हाता ही पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति का केंद्र बना है। हरिशंकर के दोनों बेटे भीष्म शंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी भी ब्राह्मण राजनीति करते रहे हैं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ओर से विनय शंकर की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज ने नाराजगी जाहिर की थी। ब्राह्मण समाज के नेताओं ने भी पूरब से पश्चिम तक विनय शंकर की गिरफ्तारी को द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया था। रिहाई के बाद राजनीति शुरू हुई
विनय शंकर तिवारी की रिहाई के बाद तिवारी समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी राजनीति शुरू की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं- सपा संदेश देने का प्रयास कर रही है कि भाजपा सरकार ने ब्राह्मणों की खिलाफत की है। सपा सरकार के समय परशुराम जयंती का अवकाश और परशुराम जयंती पर होने वाले आयोजन भाजपा सरकार ने बंद कर दिए। ठाकुर वोट के नुकसान की भरपाई ब्राह्मणों से करने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह विधानसभा चुनाव से पहले विधिवत रूप से सपा का दामन छोड़ देंगे। वहीं, कुछ अन्य ठाकुर नेता भी सपा का साथ छोड़कर भाजपा में जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव में तो ठाकुर समाज के लोगों ने सपा के पक्ष में मतदान किया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव सीएम योगी के नेतृत्व में होने के कारण ठाकुर समाज पूरी तरह भाजपा के पक्ष में लामबंद होगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव में सपा को ठाकुर वोट का नुकसान हो सकता है। ठाकुर वोट के नुकसान की भरपाई के लिए सपा ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही है। सपा का प्रयास है कि ब्राह्मणों के खिलाफ हुई कार्रवाई, ब्राह्मणों के एनकाउंटर और राजनीतिक रूप से भी भाजपा में ब्राह्मणों के गिरते ग्राफ के चलते इस समाज को साधा जा सकता है। यही वजह है, वह ब्राह्मण नेता विनय शंकर तिवारी सहित ब्राह्मणों से जुड़े अन्य मुद्दों को हवा दे रही है। भाजपा के ब्राह्मण नेताओं ने चुप्पी साधी
समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफार्म से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई। इस लड़ाई में सीएम योगी ने तो ‘एक्स’ पर पोस्ट कर सपा को नसीहत दी। लेकिन, योगी सरकार का कोई ब्राह्मण मंत्री या भाजपा का कोई ब्राह्मण पदाधिकारी इस मुद्दे पर ब्रजेश पाठक के समर्थन में नहीं उतरा। परशुराम जयंती पर अखिलेश ने की थी घोषणा
अखिलेश यादव ने परशुराम जयंती पर हुए कार्यक्रम में 2027 में यूपी में सपा की सरकार बनने पर गोमती रिवर फ्रंट पर भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की घोषणा की थी। वहीं, परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित करने की भी घोषणा की। कार्यक्रम में सपा नेता पवन पांडे ने कानपुर की खुशी दुबे मामले और सुल्तानपुर के डॉ. घनश्याम तिवारी हत्याकांड जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए योगी सरकार पर ब्राह्मणों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था। वहीं, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आरोप लगाया था कि सरकार, समाज के एक वर्ग विशेष के लिए ही काम कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र नाथ भट्‌ट मानते हैं- अखिलेश यादव अपनी मूल राजनीति नहीं कर रहे। जाति आधारित राजनीति पिछड़े और दलित वर्ग की जातियां करती हैं। ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जातीय राजनीति के चक्कर में नहीं पड़ते। कुछ जगह सपा के ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जीत सकते हैं। मायावती ने परसेप्शन बनाया था कि ब्राह्मण वोट उनके साथ है, इसलिए 2007 में उनकी सरकार बनी थी। वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा ने कहा कि अखिलेश यादव का प्रयास ठीक है। लेकिन इसका असर तब ही होगा, जब सपा और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा। सपा ब्राह्मणों को कितना टिकट देती है, इस पर भी निर्भर करेगा कि ब्राह्मण सपा के साथ जाएगा कि नहीं। इससे पहले ब्राह्मण समाज 2007 में बसपा की सरकार बनाकर अलग क्रेडिट ले चुका है। 12 फीसदी ब्राह्मण में से अगर सपा 50 फीसदी वोट भी लेने में सफल रही तो वह सरकार बनाने की स्थिति में होगी। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी पंचायत चुनाव में NDA बिखर सकता है, अनुप्रिया के बाद ओपी राजभर- संजय निषाद की पार्टी अकेले लड़ेगी; 2027 में क्या होगा? जनवरी-फरवरी 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) यूपी में बिखर सकता है। अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को प्रयागराज में पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया। शुक्रवार को दैनिक भास्कर ऐप से बातचीत में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने भी पंचायत चुनाव अपने-अपने दम पर लड़ने की घोषणा की है। पढ़ें पूरी खबर सपा के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की जेल से रिहाई के साथ ही पूर्वांचल से ब्राह्मण वोट बैंक की सियासत शुरू हो गई है। विनय तिवारी गोरखपुर के दिवंगत बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। पीडीए के बाद ब्राह्मण वोट बैंक को साधने में जुटी समाजवादी पार्टी विनय शंकर के जरिए भाजपा पर निशाना साध रही है। वहीं, हाता (हरिशंकर तिवारी का घर) से भी भाजपा सरकार पर जातिवादी और ब्राह्मण विरोधी बताने का अभियान शुरू हुआ है। पंडित हरिशंकर तिवारी एक दौर में ब्राह्मणों के नेता रहे। मुलायम सिंह से लेकर मायावती सरकार तक मंत्री रहे। मुलायम सिंह सरकार में परशुराम जयंती की शुरुआत तिवारी की पहल पर ही हुई थी। तिवारी के निधन के बाद गोरखपुर स्थित उनका हाता ही पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति का केंद्र बना है। हरिशंकर के दोनों बेटे भीष्म शंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी भी ब्राह्मण राजनीति करते रहे हैं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ओर से विनय शंकर की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज ने नाराजगी जाहिर की थी। ब्राह्मण समाज के नेताओं ने भी पूरब से पश्चिम तक विनय शंकर की गिरफ्तारी को द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया था। रिहाई के बाद राजनीति शुरू हुई
विनय शंकर तिवारी की रिहाई के बाद तिवारी समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी राजनीति शुरू की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं- सपा संदेश देने का प्रयास कर रही है कि भाजपा सरकार ने ब्राह्मणों की खिलाफत की है। सपा सरकार के समय परशुराम जयंती का अवकाश और परशुराम जयंती पर होने वाले आयोजन भाजपा सरकार ने बंद कर दिए। ठाकुर वोट के नुकसान की भरपाई ब्राह्मणों से करने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह विधानसभा चुनाव से पहले विधिवत रूप से सपा का दामन छोड़ देंगे। वहीं, कुछ अन्य ठाकुर नेता भी सपा का साथ छोड़कर भाजपा में जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव में तो ठाकुर समाज के लोगों ने सपा के पक्ष में मतदान किया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव सीएम योगी के नेतृत्व में होने के कारण ठाकुर समाज पूरी तरह भाजपा के पक्ष में लामबंद होगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव में सपा को ठाकुर वोट का नुकसान हो सकता है। ठाकुर वोट के नुकसान की भरपाई के लिए सपा ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही है। सपा का प्रयास है कि ब्राह्मणों के खिलाफ हुई कार्रवाई, ब्राह्मणों के एनकाउंटर और राजनीतिक रूप से भी भाजपा में ब्राह्मणों के गिरते ग्राफ के चलते इस समाज को साधा जा सकता है। यही वजह है, वह ब्राह्मण नेता विनय शंकर तिवारी सहित ब्राह्मणों से जुड़े अन्य मुद्दों को हवा दे रही है। भाजपा के ब्राह्मण नेताओं ने चुप्पी साधी
समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफार्म से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई। इस लड़ाई में सीएम योगी ने तो ‘एक्स’ पर पोस्ट कर सपा को नसीहत दी। लेकिन, योगी सरकार का कोई ब्राह्मण मंत्री या भाजपा का कोई ब्राह्मण पदाधिकारी इस मुद्दे पर ब्रजेश पाठक के समर्थन में नहीं उतरा। परशुराम जयंती पर अखिलेश ने की थी घोषणा
अखिलेश यादव ने परशुराम जयंती पर हुए कार्यक्रम में 2027 में यूपी में सपा की सरकार बनने पर गोमती रिवर फ्रंट पर भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की घोषणा की थी। वहीं, परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित करने की भी घोषणा की। कार्यक्रम में सपा नेता पवन पांडे ने कानपुर की खुशी दुबे मामले और सुल्तानपुर के डॉ. घनश्याम तिवारी हत्याकांड जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए योगी सरकार पर ब्राह्मणों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था। वहीं, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आरोप लगाया था कि सरकार, समाज के एक वर्ग विशेष के लिए ही काम कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र नाथ भट्‌ट मानते हैं- अखिलेश यादव अपनी मूल राजनीति नहीं कर रहे। जाति आधारित राजनीति पिछड़े और दलित वर्ग की जातियां करती हैं। ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जातीय राजनीति के चक्कर में नहीं पड़ते। कुछ जगह सपा के ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जीत सकते हैं। मायावती ने परसेप्शन बनाया था कि ब्राह्मण वोट उनके साथ है, इसलिए 2007 में उनकी सरकार बनी थी। वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा ने कहा कि अखिलेश यादव का प्रयास ठीक है। लेकिन इसका असर तब ही होगा, जब सपा और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा। सपा ब्राह्मणों को कितना टिकट देती है, इस पर भी निर्भर करेगा कि ब्राह्मण सपा के साथ जाएगा कि नहीं। इससे पहले ब्राह्मण समाज 2007 में बसपा की सरकार बनाकर अलग क्रेडिट ले चुका है। 12 फीसदी ब्राह्मण में से अगर सपा 50 फीसदी वोट भी लेने में सफल रही तो वह सरकार बनाने की स्थिति में होगी। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी पंचायत चुनाव में NDA बिखर सकता है, अनुप्रिया के बाद ओपी राजभर- संजय निषाद की पार्टी अकेले लड़ेगी; 2027 में क्या होगा? जनवरी-फरवरी 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) यूपी में बिखर सकता है। अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को प्रयागराज में पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया। शुक्रवार को दैनिक भास्कर ऐप से बातचीत में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने भी पंचायत चुनाव अपने-अपने दम पर लड़ने की घोषणा की है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर